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Monthly Archives: June 2021

पति-पत्नी के बीच मधुर रिश्ता

जब आप जीवन-साथी से उम्र भर का साथ निभाने के वादा करते हैं तो आपके रिश्तों में उम्मीदें परवान चढ़ती है और रिश्ते को बल मिलता है जन्म-जन्मांतर का साथ निभाने का। ..लेकिन बताते चले कि समय के साथ रिश्तों के मायने भी चेंज हो रहे हैं।

किसी भी रिश्ते को बनने में सालों साल लग जाते हैं पर आपसी मनमुटाव और जल्दबाजी में अलग होने का फैसला रिश्ते को उजाड़ देता है। पति-पत्नी के रिश्ते में सबसे ज्यादा जरूरत आपसी समझ और मैच्योरिटी की होती है। कपल्स अगर ये बात समय रहते समझ लें तो आगे कभी किसी भी तरह के परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। आइये देखते हैं किन वजहों से रिश्ते में दूरी और मनमुटाव पैदा हो जाती है-

पार्टनर जैसे हो वैसा ही एक्सेप्ट करना

पति-पत्नी के बीच मधुर रिश्ता

रिश्ते के शुरुआती दिनों में तो सब ठीक रहता है लेकिन धीरे-धीरे मनमुटाव के हालात तब पनपने लगते है जब एक दूसरे में कई कमियां नजर आती हैं। एक परफेक्ट पार्टनर की आपकी कल्पना में जब आपका पार्टनर खरा नहीं उतरता है तो यहां से शुरू होता है असल टकराव। रिश्ता वही सक्सेसफुल रहता है जहां आप अपने पार्टनर को बदलने के बजाय उन्हें वैसे ही एक्सेप्ट करें जैसे कि उसे आपने पाया है।

फैसलों में ना हो फासला

पति-पत्नी में तकरार

जब इन्सान एकसाथ रहता है तो रिश्ते में कभी कभी तकरार तो लाजमी है लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन्हें समय में सुलझाना बहुत अहम है। शादी के बाद दोनों को कहां रहना है, बच्चे कब और कितना खर्च करना है, यह सब ऐसे इश्यू हैं जिन पर अगर सहमति ना बने तो दूरियां आ जाती है। रिलेशन में बातें साफ-साफ ना हो तो समस्याएं आना लाजमी है। कहीं फासला ना बढ़े इसके मद्देनजर वक्त रहते सही और मिल-बैठकर फैसले लीजिए।

मिस कम्यूनिकेशन पर नजर रखना

मिसिंग कम्यूनिकेशन

एक घर में रह कर भी कई बार एक दूसरे को क्यों नहीं समझ पाते ? इस सवाल का जवाब है मिस कम्यूनिकेशन यानी कि बातचीत की कभी। आप दोनों पूरा दिन अपने ऑफिस में बिजी रहते हैं… शाम की चाय से लेकर सोने तक या तो दोनों मोबाइल पर बिजी रहते हैं या टेलिविजन पर। डिनर पर बाहर जाने का प्लान भी बनता है तो वहां भी मोबाइल है कि पीछा ही नहीं छोड़ता। जब एक दूसरे के लिए आप वक्त ही नहीं निकालेंगे तो आपको पता ही नहीं चलेगा और रिश्तों में आए मनमुटाव में बदल जाएंगे।

दूसरों के रिश्ते से अपने रिश्ते का कम्पेयर करना

पति-पत्नी का प्यार

सोशल मीडिया के इस जमाने में आपको भले ही अपने पार्टनर की हॉबी के बारे में पता हो या नहीं पर अपने दोस्त के पार्टनर का पसंद-नापसंद का जरूर पता होता है। दूसरा कपल छुट्टियों में कहां गया, सालगिरह में आपकी दोस्त के पति ने उसे क्या गिफ्ट दिया या बेबी शॉवर में आपकी दोस्त ने जैसी फोटो खिंचवाई, वैसा शूट आपने क्यों नहीं कराया, बस इन्हीं टॉपिक्स को मुद्दा बनाकर अगर आप अपने पार्टनर से लड़ने लगेंगी तो रिश्तों में तो खटास आएगी ही।

सुलह करने की आदत नहीं

सुलह की आदत

अगर आप चाहते है कि आपका रिश्ता कामयाब रहे तो कॉम्प्रोमाइज तो आपको करना ही पड़ेगा। इसका यह मतलब जरा भी नहीं है कि आप अपने पार्टनर की ज्यादतियों को सहें या बुरा बर्ताव चुपचाप सहते रहें। इस मतलब है कि कई बार दूसरे की खुशियों को अपनी खुशियों से ज्यादा अहमियत देना, अपने ईगो को रिश्ते में ना आने देना और छोटे-छोटे एडजस्टमेंट करना। सिर्फ थोड़े से बदलाव और रिलेशन में बदलाव खुद महसूस करने लगेंगे।

रिश्ते में विश्वास बनाए रखना 

पति-पत्नी की आपसी समझ

काम के सिलसिले में पति-पत्नी दोनों ही घर से बाहर रहते हैं। जाहिर है कि उनका सोशल सर्किल भी होगा। दोस्तों के साथ हंसी-मजाक भी होगा। अब अगर यह बात आपके पार्टनर को पसंद नहीं है तो समय रहते उन्हें यह समझना होगा कि यह नॉर्मल है। रिश्ते भरोसा पर टिके होते हैं। यहां एक तरफ जरूरी है कि आप अपने पार्टनर को समझाएं कि आप उनका विश्वास नहीं तोड़ेंगे वहीं इस कमिटमेंट को आप ईमानदारी से निभाएं।

एक-दूसरे की इज्जत करना 

पति की बातों को ध्यान से सुनना

जब रिश्ते में एक दूसरे के लिए इज्जत ही नहीं है तो बातें समझना-समझाना तो बहुत दूर की बाच हो जाती है। एग्रसिव बिहेवियर, गुस्सा और बात बात पर ओवर रिएक्ट करना ये कुछ ऐसी आदतें हैं जो किसी भी हरे-भरे रिश्ते में दरार ला सकती हैं।

रिश्ते के बीच फाइनेंश का ध्यान

परफेक्ट मॉम

फाइनेंस को लेकर कपल्स में तनातनी आम तो है लेकिन बेहतर यही है कि समय रहते आप ये बातें अपने पार्टनर से क्लियर कर लें। घर के खर्चों में किसकी कितनी भागीदारी होगी, लोन किस के नाम पर होगा, बच्चों का खर्च कौन उठाएगा, इन बातों पर अगर आप दोनों मिल कर साफ बात कर लेंगे तो आने वाले समय में इन्हें लेकर होने वाले मामले से आप बच सकते हैं।

नशे से नुकसान

शराब का आदि पति

कोई भी सेंसिबल पार्टनर अपने साथी की किसी भी गलत लत को बढ़ावा तो नहीं देगा। चाहे वो अल्कोहल की तल हो या फिर सट्टेबाजी की आदत। रिलेशनशिप में सेंसबली और रिस्पांसिबल के तहत अगर आप व्यवहार नहीं करेंगे तो रोज की तकरार कब रिश्ते को खत्म कर देगी पता भी नहीं चलेगा और तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।

अपने पार्टनर की दूसरों से तुलना करना

गुस्से में पत्नी

खुद को वो कितनी अच्छी तरह से लेकर आगे चलती है, उसका पति कितना फिट है इस तरह की तुलना आपके रिश्ते के लिए हेल्दी नहीं हैं। अगर किसी की तारीफ भी करनी है तो लहजे का जरूर ख्याल रखें ताकि आपके पार्टनर की फीलिंग हर्ट ना हों।

फोटो सौजन्य- गूगल

छोटी बच्ची

आज यही पड़ोस के घर में रोने की तेज आवाजों ने मेरी नींद को तोड़ने में एक क्षण भी नहीं लगाया। लगातार बस यही सुनने को मिल रहा था, कि लड़की हुई है, इससे अच्छा तो होती ही ना।

लड़की को पैदा करने के जुर्म में उसकी मां को भी लगातार गालियां सुनने को मिल रही थी, बार बार उसको ये अहसास दिलाया जा रहा था कि उसने कितना भयानक जुर्म किया है। बार बार उसे ताने देकर बताया जा रहा था कि अगर वो लड़की की जगह लड़का पैदा करती तो आज मातम की जगह खुशियां मनाई जाती। उसे पड़ोस वाली औरतें भी ये बता रही थी कि उसमें लड़का पैदा करने कि क्षमता नहीं है, इसलिए लड़की पैदा करने के बाद वो किसी से भी ये उम्मीद न रखे कि सब लोग उसे इज्ज़त बक्शेंगें।

लेकिन इन सब के बीच वो नन्हीं सी परी अपनी मोटी-मोटी आंखो को खोले बहुत आस से एक एक करके सबको देख रही थी कि गलती से कोई मुस्करा कर उसे गोदी में उठा ले। लेकिन बच्ची है, नादान है, जानती ही नहीं कि ये सारे बेशर्म लोग उसके आने से खुश नहीं बल्कि उनपर तो जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। कोई उसे गोदी लेना तो दूर उसको देखना तक नहीं चाहता।

वाकई ये सच कितना कड़वा है ना कि बहु सब को सर्वगुण संपन्न चाहिए लेकिन आज भी समाज में ऐसे लोग है जो बेटी को पैदा करना ही नहीं चाहते, उसे आज भी बोझ मानते है, आज भी नानी दादी सिर्फ पोते की चाह रखती है। आज भी लड़की होने पर कभी उसे कचरे के डिब्बे में फेंक दिया जाता है या मार दिया जाता है।

ये समाज आज भी पहले की तरह ही अनपढ़ रवैया वाला समाज है, जो लड़कों के लिए अलग है और लड़कियों के लिए अलग।

आज की चर्चा उन लड़कियों के लिए है जिनके लिए आगे बढ़ना तो दूर…आगे बढ़ने के सपने देखना भी गुनाह है ।

बहुत दुख हो रहा है ये कहते हुए भी की आज भी लोग लड़को और लड़कियों में भेद करते है…

लाख बंदिश है जो उन्हें ये समझने ही नहीं देती कि उन्हें भी हक है अपनी ज़िन्दगी अपने तरीके से जीने का..बिल्कुल वैसे ही जैसे उनके भाई जीते है।

पता नहीं लोग क्यों ये नहीं समझना चाहते कि जब भगवान ने कोई फ़र्क नहीं किया तो वो क्यों इस पाप के भागीदार बन रहे है…जीने दो इन परियों को भी अपने तरीके से…. उड़ान भरने दो इन्हे भी अपनी गति से…।

और यकीन मनिए….एक दिन वो भी आएगा जब आपको इनपर नाज़ होगा … क्योंकि ये उस मुकाम पर होंगी जहां आपने कभी ख्वाहिश भी नहीं की होगी…

गौरतलब है कि उस वक़्त आपको यकीन नहीं होगा कि ये आपकी वहीं परियां है…. जिनके हंसने पर भी आपने पाबंदियां लगाई थी।।

चलिए जिसे समझना होगा वो इतने में समझ जाएगा… बाकी जिसको ये समझ नहीं आया उनके लिए कुछ और है मेरे पास….

मैं क्या जानू आज़ादी को, कैसे खुद को लड़का मानू,

मिले ही नहीं जो पंख मुझे, कैसे फिर मैं उड़ना जानूं ।

कैसे भुला दू इस हकीकत को, कैसे सच को सपना मानू,

जब आए अपने आंसू देने को, कैसे फ़िर मैं रिश्ते जानूं ।

सुकून दिया जिन फूलों में मुझे, कैसे उनको काटें मानू

हर पल जब खाई ठोकरें मैंने,कैसे फिर मैं उठना जानूं ।

दिखाए मैंने जो सपने दिल को, कैसे उनको टूटा मानू,

मिला ही नहीं कभी दरिया मुझे, कैसे फिर मैं प्यास को जानूं ।

भिगोया ही नहीं जिसने मुझे, कैसे उसको रिमझिम मानू,

जब मिली ही नहीं मूर्त मुझे, कैसे फिर मैं पूजा जानूं।

हर पल रुलाया जिसने मुझे, कैसे उसको अपना मानू

मिली ही नहीं कभी खुशी इस दिल को, कैसे फिर मैं हंसना जानूं ।

पाया है हर पल चार दीवारों मैं खुद को, कैसे इसको दुनिया मानू

मिला ही नहीं कभी जीवन मुझे तो, कैसे फिर मैं मौत को जानूं ।

मैं क्या जानूं आज़ादी को, कैसे खुद को लड़का मानू,

मिले ही नहीं कभी पंख मुझे तो कैसे फिर मैं उड़ना जानूं।।

 

फाइल फोटो- गूगल

योग भगाए रोग, यह कहावत सदियों पुरानी है। हमारे ऋषि-मुनि नियमित योग करते थे और स्वस्थ रहते हुए लंबा जीवन जीते थे। योग हमारे मन-मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर को भी फिट रखता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने के लिए योग अत्यंत आवश्यक है। योग के महत्व को देश ने ही नहीं बल्कि सारी दुनिया ने भी माना है। इसलिए सारी दुनिया 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाती है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रयास से हुई। इस बार हम 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएंगे। कोरोना महामारी के की वजह से पिछले साल की तरह इस बार भी देश में योग दिवस का आयोजन वर्चुअल माध्यम के जरिये करने की तैयारी है।

International Yoga Day

योग से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क एवं आत्मा में भी संतुलन बनाया जा सकता है। यही कारण है कि योग से शारीरिक समस्याओं के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाया जा सकता है। योग की इसी खूबी को जानते हुए दुनिया ने इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया है। कोरोना संकट से जूझ रही इस दुनिया ने रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की दिशा में योग के महत्व को भी भली-भांति समझ लिया है।

कैसे हुई शुरुआत

पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में की थी। पीएम मोदी के इस प्रस्ताव को 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पूर्ण बहुमत से पारित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों में से 177 ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मनाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दी।

पीएम मोदी ने 27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में कहा था, “योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। यह मनुष्य और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य है। योग हमें विचार, संयम, पूर्णता के साथ ही स्वास्थ्य को लेकर एक समग्र दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। योग केवल एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं है बल्कि यह अपने भीतर छिपी एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। हमारी बदलती जीवन-शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है, तो आएं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को अपनाने की दिशा में काम करते हैं।”

21 जून का ही दिन क्यों

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को 21 जून के दिन मनाने के पीछे बहुत बड़ा कारण है। भारतीय संस्कृति के अनुसार ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य जल्दी उदय होता है और देर से ढलता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। कहा जाता है कि सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी होता है। इसी वजह से 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन करोड़ों लोगों ने योग किया, जो कि एक रिकॉर्ड था। पीएम मोदी के नेतृत्व में करीब 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे। न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वॉयर पर करीब 30 हजार लोगों ने एक साथ योग किया था। इस खास आयोजन ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए थे। पहला रिकॉर्ड 35,985 लोगों के साथ योग करना और दूसरा रिकॉर्ड 84 देशों के लोगों द्वारा इस समारोह में हिस्सा लेना। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम थी- सद्भाव और शांति के लिए योग।

दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

भारत में दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2016 का मुख्य आयोजन चंडीगढ़ में हुआ, जिसमें करीब 35 हजार लोग शामिल हुए। इस आयोजन का नेतृत्व भी प्रधानमंत्री मोदी ने ही किया था। इस योग दिवस में 170 देशों ने हिस्सा लिया। दूसरे योग दिवस की थीम थी- युवाओं को जोड़ें।

तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2017 का मुख्य आयोजन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में किया गया, जहां प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 55 हजार लोगों ने हिस्सा लिया, वहीं न्यूयार्क के सेंट्रल पार्क में भी हजारों लोगों ने एक साथ योग किया। तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम थी- स्वास्थ्य के लिए योग।

चौथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

International Yoga Day

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2018 का मुख्य कार्यक्रम उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में आयोजित किया गया। इसमें प्रधानमंत्री मोदी के साथ करीब 50 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इस आयोजन की खास बात यह थी कि इसमें सऊदी अरब भी शामिल हुआ। चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम शांति के लिए योग थी।

5वा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

देश में पांचवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2019 का मुख्य कार्यक्रम झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हुए थे। इस वर्ष की थीम थी- योगा फॉर क्लाइमेट एक्शन।

छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

कोरोना वैश्विक महामारी के मद्देनजर 21 जून, 2020 को छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस वर्चुअल माध्यम से मनाया गया। इसकी थीम थी- योगा फॉर हेल्थ – योगा एट होम।

7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस-2021 की केंद्रीय थीम ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’ है। इस बार भी इसे आभासी मंच पर ही मनाने की तैयारी है।

फोटो सौजन्य गूगल

शाइनी नेल पॉलिश

आज कल हम सब यही चाहते है कि ज़माने के साथ साथ हम अपने आप को अपडेट और आकर्षित रखें, ये न सिर्फ़ आपकी और हमारी चाहत है, बल्कि आज के समाज की मांग भी है।

कपड़े, मेकअप, रहन-सहन हर चीज में आज कल आपको थोड़े थोड़े समय बाद परिवर्तन देखने को मिलता है और ये सिर्फ इसलिए क्योंकि आज कल समाज हर क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तो हर कोई यही चाहता है कि हम पीछे क्यों रहे।
तो चलिए आज फिर कुछ नया अपनाते है, कुछ बदलाव करते है, अपने मेकअप के साथ !

कई बार हम बाज़ार जाते है और कुछ ऐसा ले आते है जो हमे अच्छा लगता है, लेकिन उस वक्त चलन में नहीं होता, तो ऐसे में हम क्या करे ?

दरअसल आज कल मैट का चलन काफ़ी बढ़ गया है मैट लिपस्टिक, मैट फाउंडेशन, मैट नेल पॉलिश आदि।
लेकिन हम बाज़ार जाते है और शाइनी लिपस्टिक, नेलपेंट हमें हमेशा ही अपनी और आकर्षित करते है और हम अपने पसंदीदा रंग की शाइनी नेल पॉलिश ले आते है लेकिन फिर कोई अनायास ही टोक देता है कि आज कल तो मैट का चलन है। फिर हम पछतावा करते है की अपने दिल की सुनकर गलत प्रोडक्ट खरीद लाए, लेकिन उनको अब इस्तेमाल के बाद वापिस लौटाया भी नहीं जा सकता तो ” ऐसे में क्या करे ?” यही प्रश्र आपके दिमाग़ में घूमता रहता है तो आइए मेरे पास आपकी इस मुश्किल का हल है।
जिससे आप बहुत ही आसानी से शाइनी नेलपॉलिश को मैट लुक दे सकती है:

आइए जानते है कैसे:-

हमारा पहला उपाय है  ‘पाउडर’

शाइनी नेल पॉलिश

जी हां, आप पाउडर की मदद से शाइनी नेल पॉलिश को मैट में बदल सकते है।
आइए जानते है:-

1. आप अपने नेल पॉलिश की बोतल में कुछ मात्रा में कार्न स्टार्च या बेकिंग पाउडर मिलाएं।।
2. अब इसको अपने नाखूनों पर लगाए।
3. सूखने दें और अब आप पाएंगे कि आपकी शाइनी नेल पॉलिश मैट में बदल चुकी है।।

हमारा दूसरा उपाय है ‘भाप’

जी हां, आप भाप की मदद से शाइनी नेल पालिश को मैट में बदल सकते है।
आइए जानते है:-

1. सबसे पहले आप अपने नाखूनों पर नेल पालिश लगाए।
2. अब एक पैन में पानी गर्म करे, तथा अपने नाखूनों पर भाप लगने दे।
3. कुछ देर बाद अपने हाथ गर्म पानी से हटा ले।
4. अब आप पाएंगे कि आपकी शाइनी नेल पॉलिश मैट लुक में बदल चुकी है।।

आज के लिए बस इतना ही, फिर मिलते है एक और नए उपयोगी और स्पेशल लेख के साथ ।
अपना व अपनों का ख्याल रखें।

फोटो सौजन्य- गूगल

खूबसूरत पोशाक

काश मैं भी तुम्हारी तरह स्लिम होती, काश मैं भी तुम्हारी तरह हर पोशाक में बिलकुल फिट लगती…लेकिन! दरअसल कई बार हम दूसरों जैसा दिखने के चक्कर में कुछ भी करने को तैयार हो जाते है, पर ये मुमकिन नहीं है क्योंकि हर इंसान अपने आप में अलग होता है और ख़ास होता है।

जी हां, आप अपने आप को फिट रखने के लिए प्राकृतिक तरीके अपना सकते हैं, जैसे हेल्थी डाइट ले,  योग करे आदि।

जरा रुकिए.., इतना ही नहीं, मेरे पास आपके लिए कुछ ऐसा है जिससे आप अपने हर अवतार में फिट लग सकती है, बस जरूरत है अपने वार्डरोब में थोड़ा बदलाव करने की, अपनी कपड़ों को नए रंग देने की और थोड़ा सा बदलाव खुद में करने की तो चलिए फिर कुछ ऐसी तरकीब के बारे में जानते है जिन्हें अपनाकर आप और भी ज्यादा खूबसूरत लगेंगी-

सही फिटिंग वाले कपड़े पहनें

खूबसूरत पोशाक

हम सही फिटिंग के कपड़ों का इस्तेमाल करके अपने आपको पहले से ज्यादा आकर्षक दिखा सकते है लेकिन आपको ध्यान रखना है अगर आप मोटी है तो आप न ज्यादा फिटिंग वाले कपड़े पहने और न ही ज्यादा ढीले। आपको अपने कपड़े की सही फिटिंग का ध्यान रखना होगा।

गहरे रंग के कपड़े पहनें

हमारे पहनावे में रंगों का बहुत अधिक महत्व है। आप अपने आप को स्लिम दिखाना चाहते है तो गहरे रंग के कपड़े पहनें। इससे आप पहले से ज्यादा फिट नज़र आ सकती है। आप वॉयलेट, ब्लैक, ब्लू, रेड, ब्राउन आदि रंगो के कपड़े इस्तेमाल कर सकती है।

गले के डिजाइन व आकार का ख़ास ध्यान रखें

अगर आप खुद को थोड़ा स्लिम दिखाना चाहती है तो याद रखे कि कम गहराई वाले गले का आकार या डिजाइन आपकी मदद कर सकता है। इसके लिए आजकल बोट नेक डिजाइन चलन में है।

बड़े प्रिंट वाले डिजाइन वाले कपड़े न पहनें

जब भी आप कपड़ों का चयन करें तब ध्यान रखे कि आपको हमेशा छोटे प्रिंट वाले कपड़े लेने चाहिए, क्योंकि बड़े प्रिंट वाले कपड़े आपको और भी ज्यादा मोटा दिखा सकते है।

भारी साड़ियों के चयन से बचें

जब भी आप अपने लिए साड़ियों का चयन करे तो ध्यान रखे कि भारी साड़ियों से आप थोड़ी दूरी बना कर रखे क्योंकि नेट वाली साड़ी या फिर ज्यादा स्टोन वर्क वाली साड़ी आपको मोटा दिखा सकती है।

बालों को खुला न रखें

अगर आप थोड़ी मोटी है और आपकी हाइट भी कम है तो इसका आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए कि आप ड्रेसअप होते समय बालों को बांध ले, उन्हे खुला न छोड़े, क्योंकि खुले बालों में आप और ज्यादा मोटी और आपकी हाइट भी कम ही लगेगी। इसके लिए आप पोनी, बना सकती है, या आप खजुरी चोटी भी बना सकती है, या इसके लिए आप फ्रेंच चोटी भी बना सकती है, ये सभी आपके लुक को परफेक्ट कर देंगे।

हमेशा पतले बॉर्डर वाली साड़ी ही चुनें

अगर आप अपने लिए साड़ी खरीद रही है तो हमेशा पतले बॉर्डर वाली साड़ी ही ले। इससे आप और भी ज्यादा खूबसूरत दिखेंगी।

ब्लाउज़ का भी रखे ख़ास ख्याल

अगर आप साड़ी पहनने की शौकीन है लेकिन डरती है कि साड़ी में आपकी चर्बी दिखेगी, तो आप इस बात को ध्यान में रख कर साड़ी पहन सकती है। जब भी आप साड़ी ले तो अगर ब्लाउज़ हैवी है तो साड़ी हल्की और सिंपल ले, और अगर साड़ी में हैवी वर्क है तो ब्लाउज़ सिंपल ले।

डार्क मेकअप न करें

जी हां, आप इन भी किसी फंक्शन में जाए इस बात का ध्यान रखे कि डार्क मेकअप न करे, ये आपको उम्र से ज्यादा तथा और ज्यादा मोटी दिखा सकता है। जहां तक हो सके नेचुरल तरीके से ही तैयार हो।

हेवी ज्वैलरी का इस्तेमाल न करें

अगर आप किसी भी पार्टी, फंक्शन में अपने आपको सबसे ज्यादा खूबसूरत दिखना चाहती है तो ध्यान रखें कि कभी भी बहुत हेवी ज्वैलरी का उपयोग न करे। हमेशा अपने लिए लाइट वेट एक्सेसरीज ही चुनें।

तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही, फिर मिलेंगे कुछ नए और उपयोगी विषयों के साथ, अपना और अपनों का ख्याल रखें।

फोटो सौजन्य- गूगल

कहते हैं हौसले और मेहनत के बल पर दुनिया जीती जा सकती है। महाराष्ट्र के सतारा जिले की सुरेखा ने भी दुनिया जीती। ऐसी दुनिया जिसमें पटरियों पर रेल दौड़ाने का जिम्मा सिर्फ पुरुषों का था। ऐसी दुनिया जहां पर ट्रेन चलाने का एकाधिकार पुरुषों का था। उस दुनिया में पहली लोको पायलट बनी सुरेखा। ट्रेन में ड्राइवर की सीट पर बैठी सुरेखा को देखकर कई लोग अचंभित रह जाते हैं। लेकिन सुरेखा की मुस्कान और आत्मविश्वास ने हजारों महिलाओं के भीतर उम्मीद की किरण पैदा की है। आइये, आज भारत की पहली महिला ट्रेन चालक सुरेखा यादव के जज्बे से भरी दास्तां आपको सुनाते हैं।

महाराष्ट्र के सतारा में हुआ जन्म

ट्रेन चालक सुरेखा यादव

सुरेखा यादव का जन्म वर्ष 1965 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ। उनके पिता का नाम रामचंद्र भोंसले और माता का नाम सोनाबाई है। पांच भाई-बहनों में वे सबसे बड़ी हैं। उन्होंने जिले में ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। जब आगे पढ़ाई का समय आया तब भी सुरेखा के चुनाव ने सबको अचंभे में डाल दिया। अस्सी के दशक में, इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधिकांश लड़के ही करते थे। लेकिन सुरेखा ने तय किया कि वे भी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करेंगी। उन्होंने यह विषय चुनकर अन्य लड़कियों के लिए मिसाल कायम की। डिप्लोमा पूरी करने के बाद सुरेखा नौकरी के लिए प्रयास करने लगी।

ऐसे तय हुई लोको पायलट की राह

पढ़ाई पूरी करने के बाद एक दिन सुरेखा ने लोको पायलट भर्ती की अधिसूचना देखी। उन्होंने आवेदन कर दिया। जब परीक्षा देने के लिए वे प्रवेश परीक्षा कक्ष में पहुंची तो आश्चर्य में पड़ गईं। न केवल सुरेखा बल्कि परीक्षा नियंत्रक और बाकी अभ्यर्थी भी। सुरेखा के आश्चर्य का कारण था कि वे उस परीक्षा कक्ष में, एक मात्र महिला अभ्यर्थी के रूप में उपस्थित थीं। अन्य व्यक्ति चकित क्यों हो रहे थे, इसका अंदाजा आपको लग ही गया होगा। सुरेखा बताती हैं कि, उन्हें नहीं पता था कि अब तक कोई भी महिला इस कार्य के लिए चयनित नहीं हुईं हैं। सुरेखा यादव नहीं जानती थीं, कि वे इतिहास रचने वाली हैं। परीक्षा के विभिन्न चरण सुरेखा ने पास कर लिए और चयनित हो गईं।

ऐसे मिली भारत को मिली पहली महिला ट्रेन चालक

ट्रेन चालक सुरेखा यादव

परीक्षा में चयनित सुरेखा ने छह महीने की ट्रेनिंग पूरी की। इसके बाद उन्हें 1989 में असिस्टेंट ड्राइवर के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इस तरह सुरेखा यादव, ट्रेन चलाने वाली भारत की पहली महिला बन गई। उन्होंने 29 साल रेलवे में काम किया। लोकल गाड़ी से लेकर एक्सप्रेस ट्रेन और मालगाड़ी तक सब चलाया। वर्ष 1998 में वह माल गाड़ी की ड्राइवर बन गईं और 2011 में एक्सप्रेस ट्रेन की ड्राइवर नियुक्त हुईं। उन्होंने भारतीय रेलवे में सेवा के दौरान अपने हर दायित्व को बखूबी निभाया। वे भारतीय रेलवे के प्रशिक्षण केंद्र में बतौर प्रशिक्षक की भूमिका भी निभाती हैं।

साल 2011 में मिला एशिया की पहली महिला ड्राइवर का खिताब

वर्ष 2011 का महिला दिवस, सुरेखा यादव को जीवन का सबसे बड़ा उपहार दे गया। इस दिन उन्हें एशिया की पहली महिला ड्राइवर होने का खिताब हासिल हुआ। सुरेखा ने पुणे के डेक्कन क्वीन से सीएसटी रूट पर ड्राइविंग की थी। इसे सबसे खतरनाक रास्ता माना जाता है। इस पटरी पर रेलगाड़ी चलाने के बाद ही सुरेखा को यह सम्मान मिला। भले ही सुरेखा को इस उपाधि से सम्मानित किया गया हो, लेकिन यह सिर्फ उनका सम्मान भर नहीं था, यह हजारों महिलाओं को देहरी लांघकर अपने सपने पूरे करने का न्यौता था। यह आह्वान था महिलाओं को, कि वे हर वो काम करने की हिम्मत जुटाएं जो वो करना चाहती हैं। उनके कदम कभी न रुकें यह सोचकर कि, अमुक कार्यक्षेत्र सिर्फ पुरुषों के लिए है। सुरेखा यादव की जीवन यात्रा से यही प्रेरणा मिल रही है।

फोटो सौजन्य गूगल

ख्वाहिशें

आज हम कुछ ऐसी परिस्थितियों पर बात करने जा रहे है जो हमारे ऊपर इस कदर हावी हो जाती है कि हम उनकी ऊंगली पकड़े सब पीछे छोड़ उनके साथ हो लेते है। वैसे सच कहूं तो हमारे सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं होता इसलिए हम कुछ नहीं कर पाते।

तो मैं आपका ज्यादा समय ना लेते हुए आपको उलझनों में न डालते हुए शुरू करती हूं तो चलिए…

भागमभाग के इस दौड़ में हम उस ज़िन्दगी से बहुत दूर निकल आए है  जिसे कभी हमने भरपूर जिया होता है हर लम्हें को पास से छू कर देखा होता है, शोर के साथ अपनी आवाज़ मिलाकर दिल के तार छेड़े होते है, खामोशियों के साथ अपनी अलग ही कोडिंग की होती है।

हवा के झोंके के साथ बहना सीखा होता है, कड़ी धूप में भी अपनी मस्ती के साथ छांव का अहसास किया होता है, रात भर आखों से गुम हुई नींद को छत पर बैठकर तारों से बातें करते हुए आवाज़ लगाई होती है…हर पल को कुछ इस तरह से जिया होता है जैसे वो हमारी ज़िन्दगी का आखिरी पल हो।

लेकिन कहते है ना “जब सिर पर जिम्मेदारियां बढ़ जाती है तो ख्वाहिशें खुदकुशी कर लेती है” बस कुछ यही होता है जब ज़िन्दगी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही होती है और हम उसी रफ्तार से पीछे छूट रहे होते है…पर फिर भी कभी कभी उस पीछे छूटी ज़िन्दगी को दिल बिल्कुल वैसे ही दोबारा अपनी मुट्ठी में दबाना चाहता है जैसे वो अपनी मां का दिया हुए एक रुपये का सिक्का ये समझ कर दबा लेता है कि ये सिर्फ उसका है और इसपर सिर्फ उसका हक है…फिर कितनी कोशिश करनी होती है उसे समझने के लिए देखिए:-

बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती है।

वो ज़िन्दगी रहती ही नहीं अब उस पते पर आकर वो जिसकी डोर बेल  बजाती है।।

समझती नहीं वो की समझदारी आते ही, मासूमियत अपनी सीट छोड़े जाती है, लफ्ज़ जब तक समझ आते है ठीक से, तब तक बातें बेअसर हो जाती है। समझती ही नहीं वो की अब वो सुकून भरी रात कहां आती है।

जब तक उस लम्हें तक पहुंचते है हम, तब तक ज़िन्दगी दोबारा रफ्तार भरे जाती है। बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती हैं, वो ज़िंदगी रहती ही नहीं अब उस पते पर, आकर वो जिसकी डोर बेल बजाती है।

समझती नहीं वो की सर्दियों की वो गरम धूप अब मेरी ठिठुरन और बढ़ाती है, जब तक ज़िम्मेदारियों से फारिक़ होते है हम, तब तक वो भी अपने घर लौट जाती है।

कैसे समझाऊं इसे कि ये बारिश मेरे कपड़ों की बजाए, अब मेरी रूह को भिगोती है, नहीं समझती वो कि ज़िन्दगी अब एक साबुन सी हो गई है जितना जीने कि कोशिश करो उतना घिसती चली जाती है।

आती है अब भी वो पुरानी यादें, और मेरे कंधे पर सिर रखकर अपना मन हल्का किए जाती है,

जो कुछ छूट गया है पीछे उन सब की लिस्ट मुझे थमा जाती है,

कैसे समझाऊं उसे कि इन सब बातों को दिल पर ना ले,

ये ज़िन्दगी है यूंही कट जाती है,

कभी हम ख्वाहिशों को छोड़ देते है और कभी ख्वाहिशें हमें छोड़ जाती है..।

बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती हैं,

वो ज़िंदगी रहती ही नहीं अब उस पते पर, आकर वो जिसकी डोर बेल बजाती है।

पति-पत्नी का प्यार

उनकी सब बातें सुनती हूं लेकिन वह मेरी बातों को अनसुना कर देते हैं। प्यार तो करते हैं लेकिन गिफ्ट कभी-कभी देते हैं। ये कुछ ऐसी शिकायतें हैं जो महिलाओं को अक्सर अपने पार्टनर से होती है। मुमकिन है कि आपके पति आपके दोस्त के पति की तरह सोशल नेटवर्किंग को तवज्जो कम देते हों और फेसबुक और इंस्टा पर प्यार की बिगुल बजाते ना दिखें तो घबराएं नहीं.. क्योंकि ऐसी बहुत सी बातें हैं जो आपके पति को आपके बारे में पसंद हैं और इस बारे में आप अंजान हों।

बिना डिमांड ख्वाहिश को समझना

पति पर भरोसा

कॉफी टेबल पर पड़ी गर्म चाय की प्याली हो या गीली टावेल बेड पर… आप पहले तो थोड़ा बड़बड़येंगी पर फिर खुद ही टावेल बाहर डालेंगी और बिना उनकी डिमांड के फ्रेश चाय बना देंगी। अब आपकी इस खास अदा पर आपके पति नजदीक आने का बहाना ढूंढ़ेंगे। दिन भर में ऐसे और भी कई काम हैं जो आप बिना कहें करती हैं और आपके पति मन ही मन खुद को भाग्यशाली मानते हैं।

तारीफ के ‘वो’ दो लफ्ज़

अरे वाह! आज तो बड़े स्मार्ट लग रहे हो.. अगर आप भी यूं ही अपने पतिदेव की थोड़ी-बहुत तारीफ कर देती है तो आपके पति को आपकी यह बात काफी पसंद है। जी हां, पुरुष भले ही तारीफ सुनने पर महिलाओं की तरह अपनी खुशी जाहिर ना करते हों लेकिन कॉम्पलीमेंट किसे पसंद नहीं।

चाहे कितनी भी हो जिम्मेदारियां नहीं भूलती तारीख

पति के लिए तोहफा

महिलाएं चाहें कितनी प्रोफेशनल क्यों ना हों, कितनी भी एडवांस क्यों ना हों लेकिन शादी की सालगिरह से लेकर आपकी वो पहली मुलाकात ना भूलती हैं और ना भूलने देती हैं। आपके पार्टनर भले ही इन तारीखों को खुद याद ना रखते हों पर आपका इन तारीखों को महत्व देना, याद रखना और सेलिब्रेट करना उन्हें काफी पसंद है।

..आपका गुस्सा लाज़मी है लेकिन

गुस्से में पत्नी

आपके हसबैंड डिनर पर समय पर नहीं पहुंच पाएं, आपका बर्थडे पर गिफ्ट नहीं लाए तो आपका गुस्सा मुनासिब है लेकिन बावजूद इसके सुबह नाश्ते पर आपका उनका इंतजार करना, काफी पसंद हैं उन्हें। आप खफा तो होती है पर आपका प्यार कम नहीं होता और इसी बात से आपकी इज्जत उनके दिल में और बढ़ जाती है।

आप हैं स्पेशल और परफेक्ट मॉम

परफेक्ट मॉम

मां बच्चे के लिए रोल मॉडल से कम नहीं होतीं। मां के साथ बच्चे अपना ज्यादातर समय भी बिताते हैं। आज के समय में भले ही महिलाएं और पुरुष दोनों की अपनी प्रोफेशनल लाइफ हो और दोनों व्यस्त रहते हों पर महिलाओं को अपनी व्यस्तता के बीच भी बच्चों के लिए समय निकालने में महारत होती है। अपने बच्चों पर ध्यान देने से लेकर उन्हें पढ़ाना-लिखाना जो शायद आपके पति आपसे ना कहें लेकिन मन ही मन वह खुश भी होते हैं और आपको इस होम बैलेंस के लिए मानते भी हैं।

फेवरेट खाना बनाना

फेवरेट खाना

कोई मौका नहीं चाहिए महिलाओं को अपने परिवार के लिए उनकी फेवरेट डिश बनाने के लिए। बारिश हो तो पकौड़े तल दिए, बच्चों की डिमांड से पहले चॉकलेट केक बेक कर दिया…हर जगह यही कहानी है…। विश्वास कीजिए दफ्तर में लंच बॉक्स खोलते समय जब उनकी पसंदीदा डिश उनके सामने होती है तो वह खुद को बड़ा लकी मानते हैं और दोस्तों के सामने खुद को खुशनसीब दिखाने का यह मौका नहीं गंवाते।

हर चीज का हल है आपके पास

बात चाहे घर की हो या बच्चे के स्कूल से जुड़ी, कमीज ना मिलने से लेकर बच्चों के लिए होमवर्क तक, आपका प्रॉब्लम्स का चुटकियों में हल कर देना और आपके मैनेजरियल स्किल्स… यही बातें तो हैं जो उन्हें भरोसा देती हैं कि हां- मैं हूं ना।

तसल्ली से सुनना और समझना जरूरी

पति की बातों को ध्यान से सुनना

जिस तरह महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें कोई अनसुना ना करे वैसे ही जब आप अपने पति की किसी परेशानी को तसल्ली से सुनती और समझती हैं तो उन्हें आपकी यह आदत ना सिर्फ पसंद आती है बल्कि आप पर उनका विश्वास और प्यार भी बढ़ जाता है।

आपके आत्मविश्वास के कायल हैं

मीटिंग में आपका खुद को आत्मविश्वास के साथ प्रेजेंट करना हो या फिर डिनर पार्टी में उनके दोस्तों से घुलना-मिलना हो, आपका खुद पर विश्वास और खुद को प्रेजेंटेबल रखना कहीं ना कहीं उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।

आपका उनपर भरोसा दिखाना 

पति-पत्नी का प्यार

प्रोफेशनल जिंदगी में अगर कोई दिक्कत है या फिर कोई और बात से आप परेशान हैं तो आपका अपने पार्टनर से अपनी परेशानी डिस्कस करना जरूरी है पर शायद आप यह नहीं जानती होंगी कि आप जब अपनी परेशानी उनसे डिस्कस करती हैं तो उन्हें अच्छा लगता है, यह सोचकर कि आपने उन पर भरोसा किया।

अगर पति-पत्नी के रिश्ते की डोर विश्वास और प्यार भरी ना हो तो जल्द ही टूट जाती है…।