Search
  • Noida, Uttar Pradesh,Email- masakalii.lifestyle@gmail.com
  • Mon - Sat 10.00 - 22.00

Monthly Archives: February 2023

आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ बॉडी बिल्डिंग ब्लॉक्स माने जाते हैं। इन्हीं पर पूरा बॉडी निर्भर करता है। अगर ये तीनों ब्लॉक्स हमारी बॉडी में सही प्रोपोर्शन में रहते हैं तो इन्सान स्वस्थ्य रहता है। वहीं, दूसरी तरफ अगर ये तीनों दोष के तौर पर शरीर को परिवर्तित करने लगते हैं तो वे उम्र घटाने का भी काम करते हैं। अगर आप लंबी (long life) उम्र और हेल्दी लाइफ चाहते हैं तो अपने लाइफस्टाइल में ये प्रभावशाली बदलाव करने होंगे।

यहां हम जानने का प्रयास करेंगे कि वो कौन सी ऐसी चीजें हैं जिससे आप लंबी उम्र जी सकते हैं।

प्रकृति और बॉडी क्लॉक को समझना आवश्यक

स्वस्थ और हेल्दी रहने के लिए शरीर की क्लॉक को नेचर की क्लॉक से मैच करके चलें। इसका मतलब कि इस बात को समझें कि दिन है तो आप हेल्दी और हैवी मील लें। क्योंकि की इस दौरान पाचन शक्ति बढ़ जाती है। मगर शाम ढलते ही हल्का खाना खाएं। रात के वक्त पाचन तंत्र धीमा हो जाता है। रात को जल्द सो जाएं। दरअसल, रात में मेलाटैनिन हार्मोन रिलीज होता है और आप स्लीपिंग डिसआर्डर से बच सकते हैं। इस बारे में हमारी एक्सपर्ट टोनऑप से डॉ रूचि सोनी बता रही है कि लंबी उम्र के लिए किस तरह करें आयुर्वेद का पालन।

जानें आयुर्वेद के वे सीक्रेट जो आपकी उम्र में कर सकते हैं इजाफा

आहार ही आधार है

डॉक्टर बताते हैं कि अक्सर फ्राइड और जंक फूड खाने से शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती है। इससे बचने के लिए मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करनें। इनसे हमें उच्च मात्रा में फाइबर, जिंक, विटामिन्स और मिनरल्स की प्राप्ति होती है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है और हम बीमारियों से भी दूर हो जाते हैं।

खाना खाने के दौरान कोल ड्रिंक्स पीने से परहेज करें। इससे मेटाबाल्ज्मि कमज़ोर होता है। डाइजेशन को सुधारने के लिए रूम टेम्परेचर में जूस और पानी पिएं। इससे शरीर को चमत्कारी लाभ मिलता है।

पौष्टिक आहार को डाइट का हिस्सा बनाएं। इससे शरीर में रस धातु का संचार हेता है, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने का काम करता है। इसके अलावा खाने का धीरे-धीरे पूरी तरह से चबाकर खाएं, ताकि वो आसानी से डाइजेस्ट हो पाए।

डॉक्टर्स के मुताबिक फास्टिंग हेल्दी रहने की एक सुप्रीम रेमेडी है, जो हमारी गट हेल्थ को मज़बूत करने में मदद करती है।

सोने और जागने का समय

Your sleeping position reveals your personality

ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि अच्छी आदतें ही किसी इंसान को स्वस्थ, अमीर और बुद्धिमान बना सकती है। देर रात तक जागना और सुबह देर से उठना शरीर को कमज़ोर बनाता है। खुद को फिट रखने के लिए सुबह 4 बजे उठना और रात 10 बजे तक बिस्तर पर जाना बेहद ज़रूरी है। अगर आप दिनभर बंद कमरे या ऑफिस में अपना वक्त बिताते हैं, तो सुबह उठने के बाद मार्निंग वॉक या योग को अपने रूटीन में ज़रूर शामिल करें। इससे आपके शरीर में एनर्जी लेवल बढ़ता है। साथ ही खुली हवा में सांस लेने में रेसपिरेटरी संबधी परेशानियां अपने आप दूर होने लगती हैं।

आयुर्वेद के हिसाब से हमें सुबह सुर्योदय से दो घंटे पहले यानी 04 बजे तक उठना अनिवार्य है। इस समय में शरीर के सभी हार्मोंस एक्टिव होने लगते हैं। इस समय में उठने से शरीर में भारीपन और सुस्ती का एहसास होता है। ऐसे में योग और मेडिटेशन के ज़रिए शरीर को एक्टिवेट किया जा सकता है।

ज्यादा खाना यानी उम्र कम

फास्टिंग हेल्दी रहने की एक सुप्रीम रेमेडी है, जो हमारी गट हेल्थ को मज़बूत करने में मदद करती है। इसके अलावा दैनिक आहार में अत्यधिक खाने से बचें। इससे आप स्वस्थ और लंबा जीवन व्यतीत कर सकते हैं। सेंट लुइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की ओर से 2008 में एक रिसर्च किया गया था। इसके हिसाब से यदि आप अपनी भूख का 80 प्रतिशत खाना खा लेते है, तो इसका अर्थ है कि आपकी उम्र अब कम हो रही है।

अलाव इसके कैलोरी को घटाने से T3 नामक थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने में मदद मिलती है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और एजिंग प्रोसेस को कम करता है।

तेल मालिश है बहुत खास

डॉक्टर बताते हैं कि शरीर को संतुलित करने में मसाज एक अहम रोल अदा करती है। सुबह स्नान करने से पहले कुछ मिनटों की तेल मालिश से शरीर के सभी दोष शांत होने लगते है। इससे स्टेमिना बढ़ने लगता है, स्किन में निखार आता है और रातभर में शरीर के अंदर रिलीज़ होने वाले टॉक्सिंस बाहर आ जाते हैं। इतना ही नहीं, स्किन कई तरह के बैक्टिरियल इंफेक्शन से भी दूर रहती है। अगर आप नियमित मसाज करते हैं तो किसी तरह का इंफेक्शन आसानी से नहीं ह सकता।

जीभ का भी रखें ख्याल

आयुर्वेद के हिसाब से बहुत सी बीमारियों का अंदाजा आपकी जीभ को देखकर लगाया जा सकता है। आमतौर पर जीवा हल्की गुलाबी नज़र आती है। कई बार बिना पचा हुआ खाना और क्लाग्ड आर्गन्स आपकी जीभ पर सफेद परत बना लेते हैं। इससे शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं। ऐसे में रोज़ाना ब्रश करने के अलावा टंग क्लीनिंग का भी ख्याल रखें।

Foreplay

शादी दो आत्माओं का मिलन होता है। शादी में सिर्फ प्यार और लगाव ही नहीं होता बल्कि इसमें इंटिमेसी भी काफी जरूरी होती है। शादी में सब कुछ अच्छा चलने के लिए प्यार और लगाव के साथ Physical Relation का होना भी काफी अहम माना जाता है। एक हेल्दी रिलेशन के लिए यह काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में बहुत से कपल्स बीच शादी के इंटिमेसी या तो बेहद कम होती है या ना के बराबर होती है।

अगर आप भी ऐसे कपल हैं जिनकी फिजिकल लाइफ बिल्कुल ठीक नहीं है तो हम आपको इसके नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं। आपको बता रहे हैं कि किस प्रकार इंटिमेट ना होना आपकी सेहत को भारी नुकसान का सबब बन सकता है।

आइये समझें-

कम होने लगती है रोग प्रतिरोधक क्षमता-

जिस कपल्स के बीच इंटीमेसी नहीं होती है उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण आपको छोटी-छोटी समस्याएं बीमार कर सकती है।

घबराहट की शिकायत-

लंबे वक्त फिजिकल रेलेशन ना बनाने से कपल्स को घबराहत का शिकार होना लाजमी है। वहीं, जो लोग नियमित रूप से फिजिकल रिलेशन बनाते हैं उन्हें इस समस्या का सामाना नहीं करना पड़ता।

लूब्रिकेशन में कमी-

लंबे समय तक कोई फिजिकल रिलेशन ना बनाने से महिलाओं को वजाइना में ड्राइनेस की समस्या हो सकती है। वहीं, अधिक उम्र की महिलाएं अगर फिजिकल रिलेशन नहीं बनाती हैं तो लूब्रिकेशन की कमी की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

पीरियड्स में दिक्कत-

फिजिकल रिलेशन से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है। वहीं, जो महिलाएं लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन नहीं बनाती उन्हें पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द सहना पड़ता है।

Those 5 reasons which can be responsible for Miscarriage

कई बार प्रेगनेंसी के दौरान कुछ स्वास्थ्य समस्याओं की वजह गर्भपात (Miscarriage) हो जाता है। हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि गर्भपात के वास्तविक कारण क्या हैं? इससे आगे की प्रेगनेंसी के दौरान सावधानी बरत कर इससे बचा जा सकता है।

प्रेगनेंसी के दौरान दो बातें हो सकती है। पहली यह कि स्वस्थ तरीके से बच्चे का जन्म हो सकता है। दूसरी बात यह भी हो सकती है कि बच्चे के जन्म से पहले कुछ जटिलताएं सामने आ सकती हैं। इनमें से एक मिसकैरेज या गर्भपात होना भी हो सकता है। यह जानकारी बेहद अहम है कि ज्यादातर बार गर्भपात उन वजहों से होता है, जो हमारे और आपके नियंत्रण से बाहर होते हैं। असल में, गर्भावस्था के नुकसान के सटीक कारण का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है। हालांकि, गर्भपात के सामान्य कारणों के बारे में जानने से सावधानी बरतने में सपोर्ट मिल सकता है। गर्भावस्था में स्वस्थ होने की संभावना बढ़ सकती है।

गर्भावस्था के नुकसान के कुछ सामान्य कारण यहां दिए गए हैं:

असामान्य गुणसूत्र (Abnormal Chromosomes)

पहले 12 हफ्तों में होने वाले आधे से अधिक गर्भपात के लिए बच्चे के गुणसूत्रों की असामान्य संख्या जिम्मेदार होती है। क्रोमोसोम आपके बच्चे के बालों और आंखों के रंग जैसे लक्षणों का निर्धारण करते हैं। गुणसूत्रों की क्षतिग्रस्त या गलत संख्या होने से बच्चे का उचित विकास नहीं हो पाता है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, खासकर 35 साल की उम्र के बाद क्रोमोसोमल समस्याओं और गर्भावस्था के नुकसान के लिए जोखिम काफी बढ़ जाता है।

चिकित्सा मुद्दे (Medical Issues)

Those 5 reasons which can be responsible for Miscarriage

गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने में मां का स्वास्थ्य अहम भूमिका निभाता है। रूबेला (Rubella) या साइटोमेगालोवायरस जैसे संक्रमण, एचआईवी (HIV) या सिफलिस, थायरॉयड रोग और ऑटोइम्यून विकारों जैसे संक्रमण गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे को होने की संभावना बनी रहती है। इनके अलावा, यदि ठीक से प्रबंधित न किया जाए तो मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी स्थितियां गर्भावस्था के साथ समस्याएं पैदा कर सकती हैं। स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा, आपकी आदतें गर्भावस्था के नुकसान के जोखिम को भी बढ़ा सकती हैं। धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन और अवैध दवाओं के सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

दवाएं (Medications)

कई ओवर-द-काउंटर और प्रिस्क्रिप्शन दवाएं गर्भावस्था के नुकसान की संभावनाओं को भी बढ़ा सकती हैं। इनमें दर्द और सूजन के लिए गैर-स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स (NSDS), रूमेटोइड आर्थराइटिस के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं इनमें शामिल हैं। एक्जिमा जैसी कुछ स्किन प्रॉब्लम के लिए ली जाने वाली दवाएं भी खतरे को बढ़ा देती है।

पर्यावरणीय खतरे (Environmental Hazards)

सेकेंड हैंड धुएं के अलावा, घर या ऑफिस में आपके आसपास के वातावरण में मौजूद कुछ पदार्थों से आपकी गर्भावस्था को खतरा हो सकता है।

इनमें वर्म या रोडेंट को मारने के लिए प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक, घरों में पेंट थिनर या पेंट जैसे सॉल्वैंट्स या पानी के पाइप में मौजूद लेड भी खतरा बढ़ा सकता है।

भोजन विषाक्तता (Food Poisoning)

गर्भावस्था के दौरान कई प्रकार के खाद्य विषाक्तता गर्भपात या गर्भावस्था के नुकसान के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। साल्मोनेला आमतौर पर कच्चे या अधपके अंडे में पाया जाता है। इसके कारण समस्या हो सकती है। टोक्सोप्लाज़मोसिज़ अक्सर संक्रमित कच्चा मांस खाने के कारण होता है।

गर्भपात (Miscarriage) रोकने के उपाय

यह चिंता करना सामान्य है कि कुछ गतिविधियां या काम गर्भावस्था के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। यदि गर्भावस्था हाई रिस्क वाला नहीं है, तो अधिकांश नियमित गतिविधियां जैसे काम करना, बैठना या उचित समय के लिए खड़े रहना, हवाई यात्रा, यदि गर्भावस्था हाई रिस्क वाला नहीं है, तो यौन संबंध बनाना, व्यायाम, भावनात्मक आघात होना से बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपकी गर्भावस्था सुरक्षित रहेगी। आमतौर पर गर्भपात को रोकना संभव नहीं है। अपने शरीर की उचित देखभाल करना सबसे अधिक जरूरी है।

गर्भावस्था के दौरान खुद की देखभाल करने के तरीके

गर्भावस्था के दौरान खुद की देखभाल करने के कुछ तरीकों में सभी प्रसवपूर्व देखभाल गतिविधियों को शामिल करना चाहिए। हेल्दी वजन बनाए रखना, प्रसवपूर्व विटामिन लेना, गर्भपात के जोखिम कारकों जैसे सिगरेट-धूम्रपान और शराब पीने से बचना चाहिए। साथ ही नियमित व्यायाम के साथ स्वस्थ आहार भी जरूर लें। अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना और अपनी अच्छी देखभाल करना बेहद जरूरी है। क्योंकि आप अपनी खुशी के बंडल का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।