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Monthly Archives: November 2023

good sleep

Oversleeping- कम नींद के साथ ज्यादा नींद भी नुकसानदायक है कैसे? आगे हम इसी बात को समझाने का प्रयास करेंगे बस आप जागे रहें क्योंकि आपका स्वास्थ्य रहना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है। कम सोना या रात में बार-बार नींद खुलना शरीर के लिए नुकसानदेह है जिससे कि पूरे दिन मन भारी रहता है, इन्सान अवसाद से ग्रस्त हो सकता है। कम नींद के साथ-साथ ज्यादा नींद भी हेल्थ के लिए हानिकारक है। अधिक सोने से हेल्थ पर नेगेटिव प्रभाव भी देखा जाता है। ह्दय रोग जैसी बीमारियां भी ज्यादा नींद का सबब बन सकती हैं।

नींद की मात्रा कितनी है जरूरी

पूरे लाइफटाइम के दौरान जरूरी नींद की मात्रा काफी अलग हो सकती है। यह उम्र और गतिविधि स्तर के साथ-साथ सामान्य स्वास्थ्य और जीवनशैली की आदतों पर भी निर्भर करता है। तनाव या बीमारी के दौरान नींद की जरूरत ज्यादा महसूस हो सकती है। समय के साथ और हर व्यक्ति के लिए नींद की ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं। विशेषज्ञ के अनुसार, किसी भी एडल्ट को हर रात सात से नौ घंटे के बीच सोना चाहिए। यदि आप इससे बहुत अधिक सोती हैं, तो यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।

कुछ लोग क्यों होते हैं ज्यादा Oversleeping के आदि

Oversleeping

जो लोग हाइपरसोमनिया से पीड़ित होते हैं, उनके लिए अधिक सोना विकार के समान है। इस स्थिति के कारण लोगों को पूरे दिन अत्यधिक नींद आती है। यह आमतौर पर झपकी लेने से दूर नहीं होती है। इसके कारण उन्हें रात में असामान्य रूप से लंबे समय तक सोना पड़ता है। हाइपरसोमनिया से पीड़ित लोग नींद के कारण एंग्जायटी, थकान, लो एनर्जी और मेमोरी लॉस जैसी समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं।

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया डिसऑर्डर के कारण लोग नींद के दौरान कुछ देर के लिए सांस लेना बंद कर देते हैं। इससे भी नींद की जरूरत बढ़ सकती है। यह सामान्य नींद चक्र को बाधित करता है। अवसाद सहित अन्य चिकित्सीय स्थिति लोगों के अधिक सोने का कारण बन सकती है।

यहां हैं ज्यादा सोने से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं

1 मधुमेह (Diabetes)

हार्वर्ड हेल्थ के अध्ययन भी बताते हैं कि हर रात बहुत देर तक या पर्याप्त नींद न लेने से मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है।

2 मोटापा (Obesity)

बहुत अधिक या बहुत कम सोने से वजन बहुत अधिक हो सकता है। मेंटल हेल्थ जर्नल के अध्ययन के अनुसार, जो लोग हर रात नौ या 10 घंटे सोते हैं, उनके छह साल की अवधि में मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना सात से आठ घंटे के बीच सोने वाले लोगों की तुलना में 21% अधिक होती है।

3 सिरदर्द (Headache)

सिरदर्द से ग्रस्त कुछ लोगों के लिए, सप्ताहांत या छुट्टी पर सामान्य से अधिक समय तक सोना सिर दर्द का कारण बन सकता है। अधिक सोने से सेरोटोनिन सहित मस्तिष्क के कुछ न्यूरोट्रांसमीटरों पर प्रभाव पड़ने के कारण होता है। जो लोग दिन में बहुत अधिक सोते हैं और रात की नींद पूरी नहीं कर पाते हैं, वे भी सुबह सिरदर्द से पीड़ित हो सकते हैं।

4 पीठ दर्द (Back Pain)

सामान्य से अधिक सोने पर पीठ दर्द की समस्या हो सकती है। इसके कारण पूरे शरीर में भी दर्द हो सकता है। यदि दर्द का अनुभव लगातार हो रहा है, तो डॉक्टर से जांच अवश्य कराएं।

5 अवसाद (Depression)

डिप्रेशन

अधिक सोने की तुलना में अनिद्रा को आमतौर पर अवसाद से जोड़ा जाता है। मेंटल हेल्थ जर्नल की स्टडी बताती है कि अवसाद से पीड़ित लगभग 15 फीसदी लोग बहुत अधिक सोते हैं। ज्यादा सोने से डिप्रेशन और भी अधिक हो सकता है।

6 दिल का रोग (Heart Disease)

ग्यारह घंटे या उससे भी अधिक सोने पर कोरोनरी हृदय रोग होने की आशंका ज्यादा हो सकती है। हालांकि अधिक सोने और हृदय रोग के बीच संबंध का कोई कारण अब तक किसी शोध में नहीं आ पाया है।

इस समस्या से ऐसे बचें

बढ़ियां रूटीन बनाएं, जसमें सोने और जागने का निश्चित समय हो। साउंड स्लीप के लिए जरूरी वातावरण हो। सप्ताहांत पर अधिक सोने से बचें। सोते वक्त गैजेट को खुद से दूर रखें। दिन में हेल्दी ईटिंग की आदत हो। झपकी लेने से बचें। दिन में एक्सरसाइज जरूर करें।

Vomiting

Vomiting या उल्टी आना आपको शारीरिक ही नहीं मेंटल लेवल पर भी प्रभावित करता है। बता दें कि इससे पहले और आखिर में भी आप असहज महसूस कर सकती हैं। इस लिए हम में कोई इस स्थिति का सामना नहीं करना चाहता। बावजूद इसके यह अधिकतर लोगों को होने वाली सबसे कॉमन समस्या है। खासतौर से महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान वोमिटिंग आना एक कॉमन लक्षण है लेकिन इसका कारण केवल प्रेग्नेंसी ही नहीं है, बल्कि कई और कारणों से भी आपको उल्टी आ सकती है।

आगे जानेंगे वोमिटिंग के कारण और बचने के तरीके-

इन कारणों से हो सकती है Vomiting टेंडेंसी

  • Food Poisoning और स्टमक फ्लू

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इन्फेक्शन जैसे कि फूड प्वाइजनिंग, वायरस, स्टमक फ्लू, वोमिटिंग टेंडेंसी और वोमिटिंग आने के कुछ सामान्य कारण हैं। इस स्थिति में वोमिटिंग के साथ-साथ पेट में दर्द, जी मचलना और डायरिया की शिकायत हो सकती है।

  • डाइजेस्टिव डिसऑर्डर्स

गैस्ट्रिक, IBS, गॉलब्लैडर कंडीशन, पेनक्रियाज कंडीशन, एसिड रिफ्लक्स, आदि जैसी डाइजेस्टिव डिसऑर्डर की वजह से वोमिटिंग टेंडेंसी और जी मचलने की समस्या होती है। इन समस्याओं में वोमिटिंग के साथ-साथ अपच, कब्ज वगैरह का सामना करना पड़ सकता है।

  • Mental Health कंडीशन

मेंटल हेल्थ और डाइजेस्टिव हेल्थ एक दूसरे से लिंक्ड होते हैं। मानसिक समस्या से पीड़ित व्यक्ति में पाचन संबंधी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी मानसिक स्थिति में जी मचलने और उल्टी आने जैसे परेशानियां होती हैं।

  • थायराइड डिसऑर्डर

थायराइड ग्लैंड उन हॉर्मोन्स को कंट्रोल करती हैं, जो बॉडी मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट करते हैं। ओवर एक्टिव और अंडर एक्टिव थायराइड दोनों ही वोमिटिंग और जी मचलने की समस्या का कारण बन सकते हैं।

  • लो Blood Sugar लेवल

खून में ग्लूकोज का गिरता स्तर सुबह उठने के साथ वोमिटिंग टेंडेंसी का कारण बन सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि डिनर और ब्रेकफास्ट के बीच एक लंबा गैप हो जाता है जिसकी वजह से कुछ लोगों को लो ब्लड शुगर लेवल का अनुभव होता है। खासकर डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल फ्लकचुएट होता रहता है।

Migraine

  • माइग्रेन और सिर दर्द

माइग्रेन में काफी तेज सिर दर्द का अनुभव होता है, जिसकी वजह से वोमिटिंग और जी मचलने की समस्या आपको परेशान कर सकती है। अगर सिर दर्द के साथ वोमिटिंग की टेंडेंसी आती है, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

फोटो सौजन्य- गूगल

Take care of your feet like this in winter season

Winter Season में एड़ियों का ड्राई होना और फटना एक जनरल बात है लेकिन इसका उचित देखभाल बहुत जरूरी है। अक्सर ठंड शुरू होते ही त्वचा में रूखापन दिखने लगता है। वहीं, एड़ी की त्वचा शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में सख्त और मोटी होती है। नमी की कमी और त्वचा के सेल्स झड़ने से डेड सेल्स जमा होने लगता है। अधिक नमी की कमी होने से एड़ियों पर दरारें पड़ जाती है जिससे दर्द होता हैं। पैरों की नियमित देखभाल, फुट क्रीम से मालिश और उन्हें ठंडी, रूखी हवा से बचाकर एड़ियों को फटने से रोका जा सकता है। प्रोपर केयर से ही इस समस्या से निपटा जा सकता है।

कैसे करें पैरों की देखभाल

पैरों की समस्याएँ कई कारणों से हो सकती हैं, जैसे ख़राब फिटिंग वाले जूते, ख़राब मुद्रा, थकान और नियमित देखभाल न करना। पैरों के लिए भी नियमित व्यायाम के साथ-साथ दैनिक देखभाल जरूरी है।

जानते हैं पैरों की त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कौन सी टिप्स हैं फायदेमंद।

नाखूनों की ऐसे करें सही देखभाल

साबुन वाले गर्म पानी में पैरों को भिगोने से नाखूनों और एड़ियों की डेड स्किन नरम होती है। इससे नाखून भी आसानी से कट जाते हैं। नाखून बिल्कुल सीधे काटें। पैर के अंगूठे के नाखूनों के क्यूटिकल्स न काटें। उन्हें क्रीमी बनाएं और धीरे से पीछे धकेलें।

एड़ियों को सोने से पहले करें Moisturised

Take care of your feet like this in winter season

गर्म पानी में पैरों को भिगोने के बाद एड़ियों को प्यूमिक स्टोन से धीरे-धीरे रगड़कर डेड स्किन हटा दें। धोने के बाद अच्छी तरह सुखा लें। स्किन को मुलायम बनाए रखने के लिए फ़ुट क्रीम से मालिश करें।

डेड स्किन रिमूव करें

रात को सोने से पहले पैरों को करीब 20 मिनट तक गर्म पानी में भिगोकर रखें। भिगोने से पहले पानी में थोड़ा सा नमक और शैम्पू मिलाएं। गर्म पानी एड़ियों की डेड स्किन को मुलायम करता है। डेड सेल्स हटाने के लिए प्यूमिक स्टोन या हील स्क्रबर की मदद से एड़ियों को धीरे-धीरे रगड़ें। यदि दर्द हो तो मेटल स्क्रबर का इस्तेमाल करने से बचें। धोने के बाद किसी अच्छी क्रीम से स्किन पर मलकर मालिश करें।

दिनभर फुट वियर का इस्तेमाल ना करें

जूते बहुत तंग नहीं होने चाहिए, क्योंकि शरीर के क्षेत्रों पर लगातार प्रेशर से ब्लड सर्कुलेशन की दिक्कत हो सकती है। ज्यादा समय तक जूते न पहनें। जितना संभव हो पैरों को हवा में रखें। गर्मियों में बंद जूते न पहनें। गर्मियों में वेंटिलेशन के लिए सैंडल पहनें और पैरों को टैल्कम पाउडर से सूखा रखें। जो लोग बहुत चलते हैं या लंबे समय तक खड़े रहते हैं, उन्हें मोटे तलवों और कम एड़ी वाले जूते पहनने चाहिए। सामने का भाग इतना चौड़ा होना चाहिए कि पंजों को जगह मिल सके।

महत्वपूर्ण है फुट एक्सरसाइज़

  1. पैरों के लिए फायदेमंद व्यायाम नंगे पैर घास पर चलना है।
  2. सीधे खड़े हो जाएं, पैर आगे की ओर हों और अपने आप को पंजों के बल उठाएं और फिर अपने आप को वापस नीचे लाएं। इससे पंजे मजबूत होते हैं।
  3.  उंगलियों को मोड़ें, जैसे आप अपने पैरों से फर्श से कुछ उठाने की कोशिश कर रहे हों।
  4. पंजों को फैलाएं और पैर के अगले हिस्से को घोल-घोल घुमाएं।
Flavored condom increases vaginal infection

सुरक्षित SEX को लेकर कंडोम का प्रयोग किया जाता है। यह सभी तरह के सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) से बचाता है। सेक्स के दौरान कुछ लोग फ्लेवर्ड के Condom का भी इस्तेमाल करते हैं। कुछ महिलाएं पार्टनर के फ्लेवर्ड Condom कंडोम का इस्तेमाल करने पर वेजाइनल इंफेक्शन से हुई परेशानी का जिक्र करती हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक फ्लेवर्ड कंडोम का प्रयोग हमेशा नहीं करना चाहिए। इसकी वजह से ही इन्फेक्शन होता है।

क्या है Male Condom

मेल कंडोम एक पतला आवरण वाला होता है, जिसे सुरक्षित यौन संबंध के लिए पेनिस के ऊपर रखा जाता है। इनसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (Sexually Transmitted Disease) से बचाने में मदद मिलती है। इससे अवांछित गर्भधारण को रोकने में मदद मिलती है। एक समय में एक से अधिक प्रकार के कंडोम का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे कंडोम के फटने का डर बना रहता है।

क्या है Flavored Condom

गायनेकोलोजिस्ट एंड ऑब्सटेट्रिक्स डॉ. रिद्धिमा शेट्टी अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं, ‘फ्लेवर्ड कंडोम विशेष रूप से ओरल सेक्स के लिए बनाए जाते हैं। अन्य प्रकार के सेक्स के लिए फ्लेवर्ड कंडोम का उपयोग स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है, फ्लेवर्ड कंडोम में उपयोग किए जाने वाले तत्व जलन और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। फ्लेवर्ड कंडोम के लयूब्रीकेंट में फ्लेवर मिलाया जाता है। फ्लेवर्ड कंडोम के विकल्प के रूप में फ्लेवर्ड ल्यूब (Flavored Lube) का उपयोग बिना लयूब्रीकेंट वाले कंडोम के साथ किया जा सकता है।’

इस तरह के सेक्स के लिए फ्लेवर्ड कंडोम

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

डॉक्टर के मुताबिक आपके पार्टनर पेनिट्रेटिव सेक्स के लिए फ्लेवर्ड कंडोम का उपयोग कर रहे हैं, तो इसके लिए डॉक्टर मनाही करते हैं। फ्लेवर्ड कंडोम का इस्तेमाल केवल ओरल सेक्स के लिए किया जाता ((Flavored Condom for Oral Sex) है। दरअसल, फ्लेवर्ड कंडोम में आर्टिफिशियल शुगर (Artificial Sugar) मौजूद होता है, जो योनि के पीएच स्तर को बाधित (Flavored Condom affects Vaginal PH) कर देता है। यह फंगल और कभी-कभी बैक्टीरियल इन्फेक्शन का भी कारण बन (Flavored Condom causes Bacterial Infection) सकता है।

ये नियमित कंडोम (Regular Condom) के समान होते हैं, लेकिन लयूब्रीकेंट में पसंदीदा फ्लेवर मिलाए जाते हैं। यह एक सामान्य परिवर्तन है, लेकिन अतिरिक्त स्वाद कंडोम के कार्य को थोड़ा बदल देता है। पेनिट्रेटिव सेक्स के दौरान नियमित कंडोम का ही उपयोग करना चाहिए।

लुब्रिकेंट का उपयोग

Flavored condom increases vaginal infection

सभी लयूब्रीकेंट ओरली निगलने के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं। प्रयोग करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए और उपयोग किये जा रहे प्रोडक्ट का लेबल भी पढ़ना चाहिए। उचित लयूब्रीकेंट का उपयोग करना जरूरी है। तेल आधारित लयूब्रीकेंट लेटेक्स कंडोम (Latex Condom) के साथ अच्छी तरह से काम नहीं करते हैं। ये आम तौर पर मुंह में डालने के लिए भी सुरक्षित नहीं होते हैं। आयल कंडोम के रबर को कमजोर कर देती है और इसके टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

यहां हैं फ्लेवर्ड कंडोम के खतरा

डॉक्टर्स के अनुसार अगर सही तरीके से उपयोग नहीं किया जाए, तो फ्लेवर्ड कंडोम सामान्य कंडोम की तुलना में जोखिम पैदा कर सकते हैं। इसके एनल या वेजाइनल सेक्स के दौरान टूटने, फटने और फिसलने का डर बना रहता है। इससे किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन या आकस्मिक गर्भावस्था की संभावना भी बन सकती है। फ्लेवर्ड कंडोम ओरल सेक्स के लिए हैं। इसलिए एक टूटा हुआ कंडोम आपको और आपके पार्टनर को एसटीआई (STI) के जोखिम में ला सकता है। एसटीआई के कारण हरपीज, गोनोरिया, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPLV), ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV), एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) जैसे जानलेवा रोगों का खतरा बढ़ जाता है।

blow job or oral sex
Sex Education के प्रति लोगों में बढ़ते रुझान के कारण लोग इंटरनेट पर और ज्यादा सर्च करने लगे हैं। सेक्स वर्ल्ड में सबसे ज्यादा जो शब्द प्रचलन में है वह है ब्लो जॉब (Blow Job)। जो ओरल सेक्स से जुड़ा होता है। सुरक्षित सेक्स के लिए कुछ सही तरीकों का समझना जरूरी होता है।
इंटरनेट से हासिल आधा-अधूरा कंटेंट उन्हें जानकारी कम कन्फ्यूजन ज्यादा दे देता है। हेल्थ शॉट्स ने हमेशा से सेक्स एडुकेशन (Sex Education) और सेफ सेक्स का समर्थन किया है। इसलिए आज हेल्थ शॉट्स के इस लेख में हम ब्लो जॉब के बारे में काफी कुछ बताने जा रहे हैं।
ब्लो जॉब आखिर है क्या? 
सेक्स को एक्साइटिंग बनाने के लिए कपल्स कई ट्रिक्स ट्राई करते हैं। ब्लो जॉब ओरल सेक्स को कहा जाता है। जो पेनिट्रेटिव सेक्स से बिल्कुल अलग होगा है। इसमें पार्टनर के प्राइवेट पार्ट और अन्य उत्तेजक अंगों को जीभ से लिक किया जाता है और कुछ देर तक सहलाया जाता है। इससे शारीरिक उत्तेजना बढ़ने लगती है। जो सेक्स के लिए एक्साइटमेंट को चरम तक पहुंचाने में हेल्प करता है।
संबंध बनाते समय स्पाइस और उत्तेजना को बढ़ाने के लिए ब्लो जॉब यानी ओरल सेक्स को शामिल किया जाता है। यह आपको एक-दूसरे के प्रति सहज बनाता है और दोनों पार्टनर को संतुष्टि प्रदान करता है। यह फोर प्ले का महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिसमें मुंह के द्वारा पार्टनर के शरीर के सभी संवेदनशील हिस्सों को उत्तेजित किया जाता है। जननांगों को चूमने की इस प्रक्रिया के दौरान पूरी तरह से केयरफ्री होना नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए पेनिट्रेटिव सेक्स की तरह यहां भी आपको सेफ्टी टिप्स का पालन करना जरूरी है।
ज्यादातर जोड़े ओरल सेक्स के लिए करते हैं इन पोज़िशंस को ट्राई
1. चेयर ब्लो जॉब
चेयर सिटिंग ब्लो जॉब को एक्साइटिंग बना सकती है। इसके लिए किसी सोफे या कुर्सी पर पार्टनर को बैठाकर आप ब्लो जॉब का आनंद उठा सकते हैं।
2. स्वीट 16
ओरल सेक्स के लिए ये पोज़िशन आपके प्लेजर को बढ़ा सकती है। इसके लिए आप पार्टनर के लोअर एब्डोमन पर बैठकर पेनिस को मॉउथ में लेकर ब्लो जॉब को एक्साइटिंग बना सकती है।
3. पोजिशन 69
7 common life mistakes that can ruin your sex life
इस पोज़िशन में एक ही समय में दोनों लोग प्लेजर प्राप्त कर सकते हैं। जहां आपका पार्टनर ओरल सेक्स का आनंद ले सकता है। वहीं आप भी पार्टनर को सेम टाइम में संतुष्ट कर सकते हैं।
4. ब्लो जॉब के दौरान भी सेफ्टी है जरूरी
प्लेजर के लिए पार्टनर को ब्लो जॉब देते हुए इरोजेनस स्पॉटस उत्तेजित होने लगते हैं और आप दोनों ही इंटिमेसी का आनंद ले पाते हैं। ब्लो जॉब से जहां आनंद की प्राप्ति होती है, वहीं इसमें की गई जरा सी भी लापरवाही स्वास्थ्य जोखिमों का भी कारण बन सकती है। इसलिए ओरल सेक्स के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखना ज़रूरी है।
वे सेफ्टी Tips जो ब्लो जॉब को सेफ बना सकती हैं
1 कंडोम का करें इस्तेमाल
ओरल, एनल या फिर वेजाइनल सेक्स के दौरान कण्डोम को इग्नोर करना परेशानी का कारण बनने लगता है। इससे पेनिस की फोरस्किन के नीचे स्मेग्मा नाम का तत्व पाया जाता है। जहां बहुत से बैक्टीरिया जमा हो जाते हैं। उन्हें मुंह में लेने से बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। जो संक्रमण के जोखिम को बढ़ा देता है।

2. Oral हाइजीन का रखें ध्यान

यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया हेल्थ सेंटर के मुताबिक मसूढ़ों में सूजन, गम ब्लीडिंग और मुंह में होने वाले छालों के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। ऐसे में मौखिक स्वच्छता को मेंटेन रखने के लिए फलॉसिंग और नियमित ब्रश करना ज़रूरी है। ओरल सेक्स से पहले और बाद में ब्रश और माउथ वॉश का इस्तेमाल जरूर करें।

3. डेंटल डैम करें प्रयोग

डेंटल डैम यानी माउथ कंडोम जो ओरल सेक्स को प्रोटेक्टिव बनाने में मदद करता है। लैटेक्स से बनी इस चौकोर पतली शीट को वेजाइना या पेनिस के उपर रखा जाता है। इससे आप डायरेक्टिली जननांगों के संपर्क में आने से बच जाते हैं।
4. सर्दी-जुकाम है तो Blow Job से बचें
अगर आप खांसी जुकाम और नाक बहने की समस्या से ग्रसित हैं तो ओरल सेक्स को लेकर आपका केयरफ्री नेचर चिंता का विषय साबित हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया हेल्थ सेंटर के मुताबिक गले खराब के दौरान खराश और इंटिमेट पार्ट्स पर होने वाले जख्म भी STI की आशंका को बढ़ाने लगता है।
फोटो सौजन्य- गूगल
Health Tips

Health Tips: प्रसिद्ध उपन्यासकार हैरियट स्टोव ने कहा था कि एक महिला का स्वास्थ्य उसकी पूंजी है लेकिन महिलाएं अक्सर अपने हेल्थ की परवाह नहीं करती हैं। वक्त की कमी, घर या ऑफिस से संबंधित प्रेसर, जागरूकता की कमी और यौन-स्वास्थ्य के बारे में बात करने में झिझक रखाना, ये ऐसे कारक हैं जो इसमें प्रमुख योगदान करते हैं। पर नॉर्मल हेल्थ समस्याओं को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। खासकर जब आपकी योनि या ब्रेस्ट में नजर आ रहे हों। अक्सर महिलाओं की आम शिकायतें होती हैं, जिन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है पर यह कुछ ज्यादा गंभीर होने का संकेत हो सकता है।

वो 6 समस्याएं जिन्हें महिलाओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए

1. सेक्स के समय दर्द

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महिलाएं अक्सर सेक्स के दौरान दर्द के बारे में बात करने से हिचकिचाती हैं। हालांकि, दर्दनाक सेक्स एंडोमेट्रियोसिस का लक्षण भी हो सकता है। एक ऐसी स्थिति जिसमें गर्भाशय की अंदरूनी लेयर गर्भाशय के बाहर जमा हो जाती है। यह PID ​​​​(पेल्विक सूजन की बीमारी) की वजह से भी हो सकता है, जो अक्सर वेजाइनल डिस्चार्ज के साथ रिप्रोडक्टिव ऑर्गन का संक्रमण होता है। अपर्याप्त लुब्रिकेशन और ड्राई वेजाइना के कारण भी सेक्स के दौरान पेन हो सकता है।

2. असामान्य या अनियमित पीरियड

मासिक धर्म हर 21-35 दिनों में नियमित रूप से होना चाहिए। भारी प्रवाह, मध्य-चक्र रक्तस्राव या स्पॉटिंग, लंबे समय तक पीरियड साइकिल, यह थायराइड, PCOD या फाइब्रॉएड जैसे हार्मोनल रोगों के कारण हो सकता है, जो गर्भाशय के सौम्य ट्यूमर हैं। सेक्स के बाद रक्तस्राव या रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। यह ओवेरियन कैंसर का संकेत हो सकता है और इसकी जांच कराना जरूरी होता है।

3. स्तन में परिवर्तन

If there is pain in the breast just before periods

स्तनों में गांठ फाइब्रोएडीनोमा जैसी हानिरहित स्थितियों के कारण हो सकती है। हालांकि, ब्रेस्ट में गांठ होना भी ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकता है। जागरूकता की कमी की वजह से महिलाओं में स्तन कैंसर अक्सर उन्नत चरणों में पाया जाता है। स्तनों में गांठ जो स्तन के बाकी टिश्यू से सख्त और अलग लगती हैं या निप्पल से स्राव को चैक किया जाना चाहिए। महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए नियमित चेकअप करवाना चाहिए। ब्रेस्ट में किसी भी परिवर्तन का शीघ्र पता लगाने के लिए ब्रेस्ट सेल्फ टेस्टिंग के तरीकों के बारे में भी पता होना चाहिए।

4. वजन का एकाएक घटना और बढ़ना

अचानक वजन कम होना खुशी की बात हो सकती है पर अचानक वजन कम होना टीबी के साथ-साथ कैंसर या थायरॉयड विकारों का भी संकेत हो सकता है और इसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए। अचानक वजन बढ़ना पीसीओडी या थायराइड की समस्या के कारण हो सकता है और अगर इसका पता चल जाए तो इसे बहुत अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।

5. थकान महसूस होना

बहुत सी महिलाएं हर समय थकान महसूस करती हैं। बार-बार थकान एनीमिया, थायराइड विकार, सूक्ष्म पोषक तत्वों और विटामिन डी की कमी के कारण हो सकती है और इसकी जांच होनी चाहिए। पूरी रात की नींद के बाद भी थकान महसूस होना भी तनाव, चिंता, डिप्रेशन या ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का कारण हो सकता है। इसलिए इसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

6. ब्लोटिंग फील करना

ज्यादातर महिलाएं विशेष रूप से मासिक धर्म से पहले फूला हुआ या गैसी महसूस करती हैं। यह अधिक सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। हालांकि, अगर ब्लोटिंग महसूस करना बहुत बार होता है, तो इसे चैक करवाना चाहिए। यह इरिटेबल बावल सिंड्रोम, एंडोमेट्रियोसिस या यहां तक ​​कि ओवरियन कैंसर का संकेत हो सकता है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा ने कहा कि समुदाय और देश और अंततः दुनिया उतनी ही मजबूत है जितनी उनकी महिलाओं का स्वास्थ्य। इसलिए देश और दुनिया की बेहतरी के लिए हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना ही होगा।

फोटो सौजन्य- गूगल

Chhath Puja

छठ (Chhath Puja) का त्योहार बिहार में खासकर मनाया जाता है पर अब इस त्योहार ने देश के बाकी राज्यों में भी दस्तक दे दी है। छठ पूजा का इतिहास बिहार से जुड़ा है। मान्यताओं अनुसार छठ पूजा की परंपरा बिहार में महाभारत काल से ही जुड़ी है। पांडवों और उनकी पत्नी द्रौपदी ने छठ पूजा का व्रत रखा था।

जब पांडव पूरा राजपाठ जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को सब कुछ वापस मिल गया। इसलिए छठ के मौके पर सूर्य की आराधना फलदायी मानी जाती है।

Importance of 'Chhath', the great festival of folk faith, from bathing to Arghya

नि:संतान महिलाएं अगर यह पूजा करती हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति अवश्य होती है। कथाओं के मद्देनजर बिहार राज्य में छठ पूजा की शुरूआत महाभारत के काल में हुई थी। पौराणिक कथाओं के मुताबिक सूर्यपुत्र कर्ण का संबंध बिहार के मुंगेर जिले से था। इसीलिए ये इस बात का प्रमाण देती है कि छठ पूजा की शुरुआत बिहार के मुंगेर जिले से हुई थी और आज भी बिहार के जिले में इस पर्व को बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।

Chhath Puja starts from today with Nahay-Khay

Chhath Puja 2023: आज से लोक आस्था का महापर्व छठ आरम्भ हो रहा है। छठ पर्व का समापन 20 नवंबर को होगा। 04 दिनों तक चलने वाले छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य देते हुए समापन होता है। छठ महापर्व सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार होता है। इस पर्व में भगवान सूर्य के साथ छठी माई की पूजा-उपासना विधि-विधान के साथ की जाती है। यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस पर्व में आस्था रखने वाले लोग सालभर इसका इंतजार करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि छठ का व्रत संतान प्राप्ति की कामना, संतान की कुशलता, सुख-समृद्धि और उसकी दीर्घायु के लिए किया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी सभी जरूरी बातें…

नहाए-खाय से शुरू छठ महापर्व 

यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है। इसमें 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रख जाता है। छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं। इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से हो जाती है, जिसका समापन सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।

खरना 2023 की तारीख

खरना यानी लोहंडा छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस साल खरना 18 नवंबर को है। इस दिन का सूर्योदय सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।

छठ पूजा 2023 पर संध्या अर्घ्य का समय

छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है। तीसरे दिन व्रती और उनके परिवार के लोग घाट पर आते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा।

चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय

चौथा दिन छठ पर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इस महाव्रत का पारण किया जाता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 47 मिनट पर होगा।

छठी पूजा का महत्व

छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस पूजा में भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव और छठी माता के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है। महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। साथ ही चौथे दिन महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर व्रत का पारण करती हैं।

Chhath Puja में कभी ना करें ये गलतियां

  • छठ पर्व के दिनों में भूलकर भी मांसाहारी चीजों का सेवन न करें। साथ ही छठ पूजा के दिनों में लहसुन व प्याज का सेवन भी न करें
  • इस दौरान व्रत रख रही महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य दिए बिना किसी भी चीज का सेवन न करें।
  • छठ पूजा का प्रसाद बेहद पवित्र होता है। इसे बनाते समय भूलकर भी इसे जूठा न करें।
  • पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का ही इस्तेमाल करना चाहिए। पूजा के दौरान कभी स्टील या शीशे के बर्तन प्रयोग न करें।
    साथ ही प्रसाद शुद्ध घी में ही बनाया जाना चाहिए।
Govardhan Puja: Govardhan Puja on 13 or 14 November?

Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा का एक खास महत्व है। दिवाली के बाद मनाए जाने वाले इस पर्व से श्रीकृष्ण की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा की जाती है।

इस दिन गोबर लीपकर घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण (Shri Krishna) की प्रतिमा बनाई जाती है। ज्यादातर दिवाली के अगले दिन ही गोवर्धन पूजा की जाती है लेकिन इस साल गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति बन रही है। किसी का कहना है कि यह पूजा 13 नवंबर यानी दिवाली के अगले दिन होनी है तो कोई इसे भैया दूज वाले दिन बता रहा है। ऐसे में इस साल 13 नवंबर या फिर 14 नवंबर के दिन गोवर्धन पूजा की जाएगी।

गोवर्धन पूजा किस दिन की जाएगी

पंचांग के मुताबिक इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर, सोमवार दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर आरम्भ होगी और इसका समापन अगले दिन 14 नवंबर, मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष गोवर्धन पूजा 14 नवंबर के दिन की जाएगी। गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:25 मिनट से रात 9:36 मिनट के बीच है।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक इंद्रदेव के घमंड के चलते पूरे गांव को तूफान और बारिश का प्रकोप सहना पड़ रहा था. श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकार ब्रजवासियों को बचाया था। इसके बाद से ही हर साल गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा करने के लिए गोबर से गोवर्धन पर्वत और श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाते हैं। फूलों से गोवर्धन पर्वत सजाया जाता है। पूजा सामग्री में धूप, रोली, अक्षत, खील दीप, बताशे, और अन्नकूट आदि शामिल किए जाते हैं। इसके बाद गोवर्धन पूजा में गोवर्धन पर्वत की कथा पढ़ी जाती है और गोबर से तैयार गोवर्धन की सात बार परिक्रमा करते हुए आरती की जाती है और जयकारे लगाए जाते हैं। इस तरह सम्पन्न होती है गोवर्धन पूजा।

Diwali 2023: How to worship Goddess Lakshmi on Diwali

Diwali का पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है इस दिन भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या वापस लौटे थे। उनके आने की खुशी में ही अयोध्या के लोगों ने दीप जलाकर उनका भारी स्वागत किया था। तभी से ही इस दिन रोशनी का महापर्व दिवाली मनाया जाने लगा। दिवाली एक दिन का नहीं बल्कि पूरे 5 दिन तक चलने वाला त्योहार है। दिवाली की रात में जहां लोग अपने घरों के बाहर दीपक जलाकर खुशियां बनाते हैं तो वहीं, घर में लोग विधि विधान लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं।
जानिए दिवाली पूजा विधि की सम्पूर्ण जानकारी:

एक चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा, अक्षत यानी साबुत चावल, लौंग, इलायची, एक तांबे या पीतल का कलश, कुमकुम, हल्दी, दूर्वा, सुपारी, मौली, 02 नारियल, 02 बड़े दीपक, आम के पत्ते, पान के पत्ते, 11 छोटे दीपक, अगरबत्ती, जल पात्र, गंगाजल, घी, सरसों का तेल, दीये की बाती, धूप, मीठे बताशे, खील, मिठाई, फल, पुष्प, कमल का फूल, पकवान, मेवे। कई लोग दिवाली पर मां लक्ष्मी को कमलगट्टे, कौड़ी और धनिया भी चढ़ाते हैं।

Diwali Puja Vidhi 2023 (दिवाली पूजा की तैयारी कैसे करें)

  • पूजा वाले स्थान को अच्छे से साफ कर लें।
  • फिर ज़मीन पर आटे या चावल से चौक बना लें।
  • आपसे चौक न बन पाए तो केवल कुमकुम से स्वास्तिक ही बना लें या फिर आप चाहें तो कुछ दाने अक्षत भी रख सकते हैं।
  • इस पर चौकी रखें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • चौकी पर 2 जगह अक्षत से आसन बनाएं और उस पर माता लक्ष्मी और गणेश जी को विराजमान करें।
  • ध्यान रहे कि लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाहिने ओर ही स्थापित करना है और दोनों प्रतिमाओं का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।
  • अब भगवान की प्रतिमाओं के आगे थोड़े रुपए, गहने और चांदी के सिक्के रख दें।
  • दरअसल चांदी के सिक्के देवता कुबेर का स्वरूप माने जाते हैं।
  • अगर चांदी के सिक्के न हों तो आप कुबेर जी का चित्र या प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
  • इसके बाद लक्ष्मी जी के दाहिनी तरफ अक्षत से 8 पखुंडियों वाला एक पुष्प बनाएं।
  • इसके बाद लक्ष्मी जी के दाहिनी तरफ अक्षत से 8 पखुंडियों वाला एक पुष्प बनाएं।
  • फिर एक कलश में जल भरकर उस पर रख दें।
  • कलश के थोड़ा सा गंगा जल, कुमकुम, हल्दी, अक्षत, दूर्वा, सुपारी, लौंग और इलायची का जोड़ा डालें।
  • लेकिन अगर आपके पास ये सभी सामग्री नहीं है तो आप सिर्फ शुद्ध जल, अक्षत, हल्दी और कुमकुम भी डाल सकते हैं।
  • इसके अलावा ही आम के पत्तों पर भी हल्दी-कुमकुम लगा लें।
  • फिर आम के पत्ते को कलश में डालें और उसके ऊपर एक नारियल मौली बांधकर रख दें।
  • अब भगवान की चौकी के सामने अन्य पूजा सामग्री भी रख दें।
  • दो बड़े चौमुखी घी का दीपक रख लें और 11 दीयों में सरसों का तेल डाल लें।

दिवाली की पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi)

दिवाली पर मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसे में पूजा के लिए सबसे पहले पूजा की जगह को साफ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर इस चौकी पर बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें। कलश को अनाज के बीच में रखें। इसके बाद कलश में पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें। कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें। बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति रखें। फिर एक छोटी-सी थाली में चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें। इसके बाद अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें। अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और फिर दीपक प्रज्वलित करें।

दिवाली पूजा मुहूर्त 2023 (Diwali Puja Muhurat 2023)

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर, 2023 को शाम 5:39 मिनट से लेकर 7:35 तक है।

दिवाली पर कितने दीपक जलाने चाहिए

दिवाली पर कम से कम 13 या 26 छोटे दीपक जलाने चाहिए। साथ में दो बड़े दीपक जलाने चाहिए जिसमें एक घी का दीपक और एक सरसों के तेल का दीपक होना चाहिए।