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WHO warning: Long working hours increase the risk of heart disease and heart attack

Omega 3 Fatty Acid अच्छे स्वास्थ्य के लिए: शरीर को हेल्दी रहने के लिए विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों का सेवन जरूरी होता है। अगर आप अपने आहार पर ध्यान नहीं दे रहे हैं तो शरीर में कई तरह की कमी हो सकती है और परेशान करने वाले लक्षण हो सकते हैं। ऐसी ही एक समस्या है ओमेगा- 3 की कमी, ब्ल्ड के धक्के जमने के साथ-साथ हार्मोन बनाने के लिए शरीर द्वारा ओमेगा-3 फैटी एसिड की जरूरत होती है। ओमेगा- 3 में पाए जाने वाले ईपीए और डीएचए आपकी स्किन के स्वास्थ्य और आंखों की रोशनी में भी मदद करते हैं।
यहां कुछ संकेत दिए गए हैं जो शरीर में ओमेगा- 3 की कमी के साइन दे सकते हैं-

नाखून टूटना और रूखी त्वचा इसके संकेत हो सकते हैं

आपकी त्वचा, बालों और नाखूनों को दुरुस्त रखने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की आवश्यकता पड़ती है। इस स्वस्थ वसा की कमी से शुष्क त्वचा के साथ-साथ त्वचा पर चकत्ते भी हो सकते हैं। सूखे, टूटे और कमजोर नाखून भी ओमेगा-3 की कमी के लक्षण हो सकते हैं। आपके नाखून और सूजन को कम करने के लिए ओमेगा -3 फैटी एसिड जरूरी हैं। ओमेगा-3 वसा आपके बालों को पोषण देने और घने बालों को सहारा देने के लिए आवश्यक हैं। इसलिए कमी से त्वचा की कोशिकाओं और बालों के रोम के कुपोषित होने के कारण बालों का झड़ना हो सकता है। इस कमी के अन्य सामान्य लक्षणों में नींद में कमी और थकान शामिल हैं।

Heart Disease और Heart Attack का होता है खतरा

लॉन्ग-चेन ओमेगा-3 फैटी एसिड आपके दिल को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक ओमेगा-3 की कमी से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में भी मदद करता है, जिसके उच्च स्तर आपको हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे में डाल सकते हैं। शरीर में ओमेगा -3 फैटी एसिड की खपत बढ़ाने के लिए आप कुछ खाद्य पदार्थ खा सकते हैं जिनमें शामिल हैं: वनस्पति तेल, अलसी के बीज, भांग के बीज, चिया के बीज, पालक और अखरोट, समुद्री भोजन भी एक बड़ा स्रोत है जिसमें तैलीय मछली जैसे सामन, सार्डिन, हेरिंग और एंकोवी शामिल हैं।

अगर आपमें कमी है तो क्या करें?

अगर आपको लगता है कि आपको ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी हो सकती है तो डॉक्टर से सलाह लें। अपने आहार में ओमेगा-3 से भरपूर तत्वों की मात्रा बढ़ाने से कमी के लक्षण कम हो सकते हैं। अगर आप ओमेगा-3 सप्लीमेंट लेने की योजना बना रहे हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें.

Your sleeping position reveals your personality

नींद (Sleep) आपके व्यवहार और स्वभाव को बिगाड़ने के लिए काफी है। हो सकता है कि आपने ऐसा फील भी किया हो पर कुछ रिसर्च भी इस बात को सही साबित करती है। अगर हम रात में सोए ना तो आप अधिक चिड़चिड़े, गुस्सैल और टेंशन के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। वहीं, जब आप अच्छी नींद लेते हैं तो आपका मूड अक्सर सामान्य हो सकता है।

रिसर्च से पता चला है कि आंशिक नींद की कमी का भी मूड पर बहुत असर पड़ता है। रिपोर्ट के मुताबिक पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि एक हफ्ते के लिए रात में सिर्फ 4-5 घंटे की नींद तक सीमित रहने वाले लोगों के ज्यादा तनावग्रस्त, क्रोधित, उदास और मेंटली थका हुआ महसूस किया। जब लोगों ने सामान्य नींद शुरू की तो उनके मूड में सुधार देखने को मिला।

लेकिन सिर्फ नींद ही मूड को नहीं बिगाड़ती, बल्कि मूड भी नींद का चक्र खराब कर सकता है। चिंता उत्तेजना को बढ़ाती है, जिससे सोना मुश्किल हो जाता है। तनाव शरीर को उत्तेजित और सतर्क बनाकर नींद को भी प्रभावित करता है। जो लोग लगातार तनाव में रहते हैं उनमें नींद की समस्या होती है। इन सब का असर आपके व्यवहार पर पड़ता है।

चिड़चिड़ा हो जाता है स्वभाव:

Male Inferlity

नींद की कमी हमें चिड़चिड़ा बना देती है। आम दिनों में हम लोगों से सामान्य तौर पर बात करते हैं। कई बार लोग ऐसी बातें करते हैं, जो हमें नागवार गुजरती हैं, लेकिन हम आराम से जवाब देकर माहौल को सामान्य बनाए रखते हैं पर यही चीज तब हो जब आपकी नींद पूरी न हुई हो तो हो सकता है आप सामने वाले को चिड़चिड़ा होकर जवाब दें। जो आपकी पर्सनैलिटी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।

गुस्सैल हो जाता है स्वभाव: नींद की कमी आपको गुस्सैल बना सकती है। आमतौर पर हम परिस्थितियों का सामना शांति से करते हैं लेकिन नींद न पूरी होने से इसका उलट हो सकता है। ऐसे में किसी भी अप्रिय परिस्थिति में गुस्सा आना तय होता है। जो आपके कई काम बिगाड़ सकता है। गुस्सैल इंसान को सामाजिक नजरिए से पसंद नहीं किया जाता।

तनाव दिखता है साफ: स्थिति को सामान्य रूप से संभाल ना पाने की स्थिति में तनाव हो सकता है। वहीं, अगर आप पहले से ही तनाव में हैं तो ये और बढ़ सकता है। इन सबका असर आपके चेहरे पर भी नजर आने लगता है और आप लोगों की नजर में एक अप्रिय इंसान हो सकते हैं।

5 Ayurvedic herbs have remedies and properties to avoid H3N2 virus

कोरोना के बाद अब एच3एन2 वायरस (H3N2 Virus) ने लोगों को फिर से डराना शुरू कर दिया है। जिसके बाद लोग सहमे से दिख रहे हैं। देश में फैले इस वायरस से अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है। पहले लोगों ने इसके असर को अनदेखा किया। वहीं, अब सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश में ज्यादातर सरकारी अस्पतालों के ICU वार्ड के सभी बेड फुल चल रहे हैं लेकिन डरने से ज्यादा जरूरी है बचाव के उपाय करना। एच3 एन2 वायरस से बचाव के लिए यहां कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के बारे में विस्तार से समझाया जा रहा है।

काफी तेजी से फैल रहा है जानलेवा H3N2 वायरस

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आकड़ों पर नजर डालें, तो जनवरी से मार्च तक H3N2 के 455 मामले आ चुके हैं। इस वायरस में पहले सांस की बीमारी और गले से संबंधित परेशानी होती है। वहीं कुछ मरीजों में ठंड लगना, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी आना, नाक बहना और दस्त सहित अन्य लक्षण देखे जा रहे हैं।

एक्सपर्ट की मानें तो इस वायरस में चिंता विषय यह है कि यह कोरोना वायरस की तरह यह भी फैल रहा है। इसमें जब कोई एच3एन2 वायरस से संक्रमित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो सामने वालों को भी संक्रमित कर देता है। हालांकि अभी तक इसका कोई तय उपचार नहीं है। ज्यादातर लोग आयुर्वेदिक उपायों से ही अपनी इम्युनिटी मजबूत कर रहे हैं ताकि इस वायरस से बचा जा सके। एच3एन2 वायरस में मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी खांसी से होती है। आयुर्वेदिक डॉक्टर ने खांसी से छुटकारा पाने का बताया सटीक इलाज-

ऐसे करें इस्तेमाल-

इम्युनिटी बढ़ाने और खांसी से छुटकारा पाने के लिए 5 हर्ब्स

1. गिलोय का करें यूज

वास्तव में गुडुची और गिलोय एक ही चीज हैं। कुछ लोग इसको गिलोय नाम से भी जानते हैं। इसका सेवन टॉन्सिलिटिस और कोल्ड से बचाव के लिए किया जाता है। यह खांसी और खराश को कम करने में मदद करता है। इसके गर्म पानी के साथ सुबह खाली पेट लेने से लाभ होता है।

2. तुलसी में है खांसी से लड़ने की क्षमता

डॉक्टरों के मुताबिक आयुर्वेद में तुलसी के कई फायदे हैं। इसमें खांसी, जुखाम, बुखार से लड़ने के प्रचुर गुण हैं। तुलसी में एंटीबॉडी बनाने की क्षमता होती है। इसका जितना अधिक सेवन किया जाएगा, शरीर में उतनी ज्यादा मात्रा में एंटीबॉउी बनेंगी। जो किसी भी रोग से लड़ने के लिए शरीर में सक्षम होगी। इसके अलावा शरीर में जमा कफ को पलता करने में तुलसी मददगार साबित हो सकती है।

इसका सेवन करने के लिए इसका काढ़ा बनाया जा सकता है। जिसमें पहले आपको तुलसी की छह से सात पत्तियां लेनी होंगी। इसके बाद चाय वाले पैन में इसे डाल कर पानी में पांच काली मिर्च और अदरक घिस कर अच्छे से आठ से नौ मिनट तक उबालें। इसके बाद स्वादानुसार नींबू निचोड़ कर कप में छान ले और इसका उपयोग करें।

3. गुड़ की चाय का करें सेवन

एक्सपर्ट मानते हैं कि गुड़ में आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जिससे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी भी पूरी की जा सकती है। साथ ही शरीर में यदि कमजोरी है तो उसे भी इससे दूर किया जा सकता है। गुड़ की चाय बनाने के लिए इसमें अदरक का तुकड़ा और तुलसी की चार पत्तियों को डाल कर गुड़ के साथ एक कप पानी में उबाल लें। जब आधा कप पानी रहा जाए तो उसे गैस से हटा लें। चाय को ठंडा होने से पहले ही गरम-गरम पिएं। इससे गले में थोड़ा आराम मिलेगा। गुड की चाय चीनी की चाय से कई गुना बॉडी के लिए लाभदायक है।

4. मुलेठी से खांसी का होगा सफाया

आयुर्वेद में कई तरह की जड़ी-बूटियां हैं, जिससे पुरानी से पुरानी बीमारी को दूर किया जा सकता है। उसी में एक नाम मुलेठी का है, जिसके सेवन से खांसी, कफ, खराश को भगाया जा सकता है। यदि कोई इसका सेवन करता है, तो एक सप्ताह के भीतर सांस के रास्ते में जमे कफ को पतला कर बाहर कर देने की क्षमता है इसमें। इसका सेवन करने के लिए चाय के पैन में एक स्पून मुलेठी का पाउडर लें और एक ग्लास गर्म पानी में मिलाएं। फिर इसको पिएं, ऐसा दिन में दो बार करें। खांसी के साथ कफ को बाहर करेगी।

5. शहद में सोंठ का करें सेवन

आयुर्वेद में हर्बल सीरप के नाम से जानी जाने वाली सौंठ के कई फायदे हैं। सौंठ को अदरक और शहद के साथ मिलाकर खाने से सर्दी, जुखाम, खांसी में आराम मिलेगी। एंटी इंफ्लेमेटरी गुण से भरपूर सौंठ गले की खराश को कम करने में कारगर है। इसका सेवन शहद और अदरक के किया जा सकता है। इसके लिए 1/4 चम्मच सौंठ, एक चम्मच शहद, एक छोटा हिस्सा अदरक का मिलाकर सेवन करें। हफ्ते में तीन बार लेना होगा।

Never ignore unresolved problems related to Ladies' health

पीरियड्स (Periods) के दौरान कुछ महिलाओं को हर घंटे पैड बदलने की आवश्यकता पड़ती है। इस तरह की हैवी ब्लीडिंग महिलाओं को बहुत ज्यादा परेशान कर देती है। वहीं, इस समस्या के कारण महिलाओं के हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। हेवी ब्लीडिंग की दिक्कत होने के कई वजह हो सकते हैं। कई बार कुछ विटामिंस और मिनेरल्स की कमी हैवी ब्लीडिंग का कारण होती है तो कई बार कुछ और मेडिकल कंडीशन। अगर आपको भी हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है तो कुछ आयुर्वेदिक तरीकों से राहत पाई जा सकती है।

क्यों होने लगती है हैवी ब्लीडिंग

Say goodbye to heavy bleeding by adopting these tips during periods

पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होने का एक मेन वजह फाइब्रॉएड्स होता है। जिसकी वजह से शरीर से खून ज्यादा निकलने लगता है। वहीं, कई बार हार्मोनल इंबैलेंस के कारण से भी हैवी ब्लीडिंग होती है। अगर शरीर में विटामिन E और मैग्नीशियम की कमी है तो महिलाएं हैवी ब्लीडिंग से परेशान हो सकती है। अगर पीरियड्स 07 दिनों से ज्यादा दिन तक जारी रहता है और मासिक चक्र 21 दिनों से कम का होता है तो जरूरी है कि डॉक्टर की मदद ली जाए। अगर 02 दिनों में हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है या जनरल मासिक चक्र के दिनों में ब्लीडिंग ज्यादा होती है तो कुछ घरेलू तरीकों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

हल्दी वाला दूध करेगा हेल्प

हैवी ब्लीडिंग होती है तो हल्दी वाला दूध पीने से राहत मिलती है। दूध में दालचीनी पीने से भी पीरियड्स के हैवी ब्लीडिंग को कम किया जा सकता है।

गाजर और अदरक का ऐसे करें इस्तेमाल

हैवी ब्लीडिंग की समस्या है तो अदरक को कुचलकर उसमें शहद मिलाएं। इस मिश्रण को खाने से काफी राहत मिलती है। साथ ही गाजर को पीरियड्स के दौरान खाएं। हैवी फ्लो होने पर गाजर के रस में अदरक के रस को मिलाकर पीने से दर्द और फ्लो में राहत मिलती है।

हमेशा रहें हाईड्रेटेड

5 very important questions that every woman has to ask her gynecologist..

हैवी फ्लो की समस्या बनी रहती है तो खुद को हाईड्रेटेड रखना जरूरी है। पानी ढेर सारा पीएं और लिक्विड वाली चीजों को डाइट में इस्तेमाल करें। इससे शरीर में एनर्जी की कमी नहीं होगी। हैवी फ्लो की वजह से कई बार महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हो जाती है। ऐसे में पीरियड्स के दौरान खानपान का ध्यान रखना जरूरी है।

ऐसे समय में विटामिन्स और मिनेरल्स है जरूरी

हैवी ब्लीडिंग होती है तो विटामिन C,E के साथ मैग्नीशियम से भरपूर चीजों को खाएं। कीवी, ब्रोकली, टमाटर, स्ट्राबेरी, तिल के बीज, खरबूज के सीड इन विटामिन्स और मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स को खाएं। जिससे कि शरीर में ज्यादा थकान महसूस ना हो।

Holi is played here not with humans but with gods.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के दक्षिणी सिरे बस्तर में Holi का पर्व फागुन मड़ई के स्वरूप में बेहद निराला है। इसलिए क्योंकि बस्तर के तीज त्योहारों के सारे रीति रिवाजों में स्थानीय लोक देवी-देवताओं का ही महत्व है। बस्तर की प्रमुख आराध्य देवी मां दंतेश्वरी है और इन्हीं के सम्मान में यहां सारे तीज त्यौहार मनाए जाते हैं। होली का त्योहार यहां फागुन मड़ई के स्वरूप में मनाया जाता है और यह फागुन शुक्ल की षष्ठी से लेकर चौदस तक आयोजित की जाती है।

भव्य रियासतकालीन परम्पराओं के साथ 10 दिन मनाई जाती है होली

10 दिनों तक चलने वाला यह आयोजन वर्तमान को इतिहास से जोड़ता है। फागुन मड़ई के आयोजन की प्रत्येक कड़ियां भव्य रियासतकालीन परम्पराओं के साथ मनाया जाता है। पारंपरिक और ऐतिहासिक महत्व वाले फागुन मड़ई की शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है। होली के 12 दिनों पहले से मुख्य आयोजन शुरू हो जाता है। दंतेश्वरी माई की पालकी मंदिर से निकलती है और सत्य नारायण मंदिर तक जाती है। वहां पूजा पाठ के बाद वापस मंदिर पहुंचती है। छत्तीसगढ़ समेत ओडिशा से लोग अपने ईष्ट देव का ध्वज और छत्र लेकर पहुंचते हैं। करीब साढ़े सात सौ देवी-देवताओं का यहां फागुन मड़ई में संगम होता है। होली का पर्व माई दंतेश्वरी सभी देवी-देवताओं और मौजूद लोगों के साथ यहां मनाती हैं।

बसंत पंचमी के दिन लगभग 700 साल प्राचीन अष्टधातु से निर्मित, एक त्रिशूल स्तम्भ को दंतेश्वरी मंदिर के मुख्य द्वार के सम्मुख स्थापना की जाती है। इसी दोपहर को आमा मऊड रस्म का निर्वाह किया जाता है जिसके दौरान माईजी का छत्र नगर दर्शन के लिए निकाला जाता है और बस स्टैंड के पास स्थित चौक में देवी को आम के बौर अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद मड़ई के कार्यक्रमों का आरंभ मेंडका डोबरा मैदान में स्थित देवकोठी से होता है। जहां पूरे विधि-विधान के साथ देवी का छत्र लाया जाता है। फायर करने के साथ-साथ हर्षोल्लास तथा जयकारे के शोर में छत्र को सलामी दी जाती है।

इस रस्म के अंतर्गत होता है Holika दहन

दंतेश्वरी मंदिर के प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ जिया बताते हैं कि इस दिन दीप प्रज्ज्वलन करते हैं और परम्परानुसार कलश की स्थापना की जाती है। पटेल द्वारा पुजारी के सिर में भंडारीन फूल से फूलपागा (पगड़ी) बांधा जाता है। आमंत्रित देवी-देवताओं और उनके प्रतीकों, देवध्वज और छत्र के साथ माई जी की पालकी पूरी भव्यता के साथ परिभ्रमण के लिए निकाली जाती है। देवी की पालकी नारायण मंदिर लाई जाती है। जहां पूजा-अर्चना तथा विश्राम के बाद सभी वापस दंतेश्वरी माता मंदिर पहुंचते हैं। इसी रात ताड-फलंगा धोनी की रस्म अदा की जाती है। इस रस्म के तहत ताड़ के पत्तों को दंतेश्वरी तालाब के जल से विधि-विधान से धोकर उन्हें मंदिर में रखा जाता है, इन पत्तों का प्रयोग होलिका दहन के लिए होता है।

होलिका दहन की भी खास रिवाज

होलिका दहन की खास परंपरा- दंतेवाड़ा में भी होली रंग-गुलाल से खेली तो जाती है, परंतु यहां दंतेवाड़ा में माई दंतेश्वरी के सम्मान में चलने वाला फागुन मेले के नवे दिन, होलिका दहन से भी जुडी एक अनोखी रस्म हैं। यहां प्रचलित एक मान्यता के अनुसार बस्तर की एक राजकुमारी की याद में, जलाई गई होली की राख और दंतेश्वरी मंदिर की मिट्टी से होली खेली ज़ाती हैं। यह अनोखी रस्म ,जौहर करने वाली राजकुमारी के सम्मान में की जाती है।

सती शिला- दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी हरेंद्र नाथ जिया बताते हैं कि एक राजकुमारी ने अपनी इज्जत बचाने के लिए आग में कुदकर जौहर कर लिया था। राजकुमारी का नाम तो मालूम नहीं पर प्रचलित कथा के अनुसार सैकड़ों सालों पहले बस्तर की एक राजकुमारी को किसी हमलावर ने अगवा करने की कोशिश की थी। राजकुमारी ने अपनी अस्मिता बचाने के लिये मंदिर परिसर में आग जलवाई और मां दंतेश्वरी का नाम लेते हुए आग में कूद गई। उस राजकुमारी की कुर्बानी को यादगार बनाने के लिए उस समय के राजा ने एक सती स्तंभ बनवाया जिसमे स्त्री-पुरुष की बड़ी प्रतिमाये बनी हैं, इस स्तंभ को ही सती शिला कहते हैं। हजार साल पुरानी इस सती शिला के पास ही राजकुमारी की याद में होलिका दहन की जाती हैं। होलिका दहन के लिए 7 तरह की लकड़ियों जिसमें ताड़, बेर, साल, पलाश, बांस, कनियारी और चंदन के पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। सजाई गई लकड़ियों के बीच मंदिर का पुजारी केले का पौधे को रोपकर गुप्त पूजा करता है। यह केले का पौधा राजकुमारी का प्रतीक होता है।

फलंगा धोनी रस्म

होलिका दहन से आठ दिन पहले ताड़ पत्तों को दंतेश्वरी तालाब (मेनका डोबरा ) में धोकर भैरव मंदिर में रखा जाता है। इस रस्म को ताड़ फलंगा धोनी कहा जाता है। पास के ग्राम चितालंका के पांच पांडव परिवार के सदस्य ही होलिका दहन करते हैं। दंतेश्वरी मन्दिर में सिंहद्वार के पास इन पांडव परिवार के कुल देवी के नाम पर पांच पांडव मन्दिर भी है।

किंग खान यानी शाहरुख खान भारत के सबसे लोकप्रिय स्टार्स हैं। देशभर में बादशाह के नाम से जाने वाले शाहरुख के दुनिया भर में फैंस हैं। रोजाना काफी संख्या में फैंस बॉलीवुड के किंग खान का दीदार करने उनके बंगले मन्नत (Mannat) पहुंचते हैं। मुंबई के बांद्रा में स्थित मन्नत के बाहर फैंस का जमावड़ा लगा रहता है। इस बंगले में शाहरुख खान काफी दिनों से रह रहे हैं। करोड़ों की कीमत वाले इस बंगले का टूर हम आपको दे रहे हैं।

शाहरुख खान का घर मन्नत लगभग 27,000 स्क्वायर फुट में बना है। इसका नाम विला विएना हुआ करता था। इसके मालिक नरीमन दुबाश थे। शाहरुख का दिल मन्नत पर तब आया था, जब उन्होंने अपनी फिल्म येस बॉस की शूटिंग इस बंगले के सामने की थी। आखिरकार उन्होंने बंगले के मालिक से मिलने का फैसला किया और उनसे घर खरीदने की बात की।

इस बंगले का नाम जन्नत रखा था

You know the value of Shahrukh's vow

किंग खान ने इस बंगले को बाई खोरशेद भानु संजना ट्रस्ट से साल 2001 में खरीदा था। रिपोर्ट्स के अनुसार तब शाहरुख खान ने इस बंगले को खरीदने के लिए लगभग 13.32 करोड़ रुपये दिए थे। इसके बाद उन्होंने इस बंगले का नाम जन्नत रखा था। साल 2005 में उन्होंने अपने करियर में सफलता मिलने के बाद इस नाम को बदलकर मन्नत रखा था।

वर्ष 2022 में सलमान खान ने बताया था कि शाहरुख का आलीशान घर मन्नत पहले उन्हें ऑफर हुआ था लेकिन अपने पिता सलीम खान के कहने पर उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। एक इंटरव्यू में सलमान खान से पूछा गया था कि शाहरुख की वो कौन-सी एक चीज है, जो वे चाहते हैं उनकी होती।

शाहरुख से पहले सलमान को मिला था मन्नत का ऑफर

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इसके जवाब में सलमान ने कहा था कि उनका बंगला, लेकिन मन्नत का ऑफर मेरे पास पहले आया था। जब मैंने अपना करियर बस शुरू ही किया था। मेरे डैड ने तब कहा था इतने बड़े बंगले में अकेले करोगे क्या। मैं शाहरुख से पूछना चाहता हूं कि इतने बड़े बंगले में अकेले क्या करता है तू।

विंटेज और मॉडर्न स्टाइल के इंटीरियर का परफेक्ट मिक्स है मन्नत में

You know the value of Shahrukh's vow

मन्नत असल में साल 1920 के समय में बना ग्रेड 3 हैरिटेज विला है। इसे मॉडर्न इटालियन आर्किटेक्चर और नियो क्लासिकल एलिमेंट्स के साथ बनाया गया है। इसमें विंटेज और मॉडर्न स्टाइल के इंटीरियर का परफेक्ट मिक्स है। छह मंजिलों वाले इस बंगले में 05 कमरे, जिम, स्विमिंग पूल, लाइब्रेरी और प्राइवेट मूवी थिएटर भी है।

इंटीरियर को शाहरुख की पत्नी गौरी खान ने किया था डिजाइन 

You know the value of Shahrukh's vow

शाहरुख के मन्नत बंगले को खरीदने के बाद इसके इंटीरियर को उनकी पत्नी गौरी खान ने कैफ फाकी नाम के आर्किटेक्ट और डिजाइनर के साथ मिलकर डिजाइन किया था। इस बंगले में छह मंजिलें हैं। इसके इंटीरियर को पूरा करने में एक दशक का समय लगा था. परिवार की प्राइवसी के लिए गौरी ने मन्नत के टेरेस को खास अंदाज में डिजाइन किया था। यहीं शाहरुख खान को अपने फैंस से मिलने के लिए खड़े होते हैं।

कई बेमिसाल पेंटिंग्स है इस बंगले के अंदर 

Shahrukh and Gauri Khan

मन्नत आलीशान बंगला है ये तो सब जानते हैं लेकिन जो आप नहीं जानते वो ये है कि इस बंगले के अंदर कई बेमिसाल पेंटिंग्स हैं। मार्बल के बने लाइफ साइज राधा कृष्णा हैं। पेरिस से खरीदे गए चार फुट ऊंचे गुलदस्ते हैं और एक जेड पत्थर के बने गणपति की मूर्ति है।

मन्नत में ही शाहरुख खान का ऑफिस भी है। यहां शाहरुख जरूरी मीटिंग्स भी करते हैं। इस ऑफिस में डार्क कैबिनेट, आर्ट पीस और फैमिली फोटोज हैं। इसके साथ ही बंगले में एक अवॉर्ड रूम भी है, जिसमें शाहरुख खान को मिले सभी अवॉर्ड्स रखे हुए हैं। साल 2016 में आर्किटेक्ट राजीव पारेख ने मन्नत को रेनोवेट किया था। आज मन्नत की कीमत 200 करोड़ रुपये है। वहीं, मन्नत के बाहर लगी नेमप्लेट डायमंड से बनाई गई है। इसकी कीमत लगभग 25 लाख रुपये है। मन्नत के अलावा शाहरुख खान के पास दिल्ली और लंदन में भी आलीशान घर हैं।

If your girlfriend is angry then never say these five things..

पिछले दिनों एक खबर काफी चर्चा में रही। वो थी महाराष्ट्र की एक महिला के विषय में जिसकी उसके लिए इन पार्टनर ने बड़ी ही बेरहमी से हत्या कर दी और पुलिस द्वारा दावा किया जा रहा था कि हत्या के बाद उसने लाश के 35 टुकड़े किए। लेकिन इससे कहीं अधिक चर्चा हो रही है उनके रिश्ते को लेकर लोगों का कहना है कि जब श्रद्धा उस रिश्ते में खुश नहीं थी तो उसने उस रिश्ते से बाहर निकलने के बारे में क्यों नहीं सोचा? कुछ लोगों का कहना है कि श्रद्धा एक टॉक्सिक रिलेशनशिप (Toxic Relationship) में थी जिससे बाहर निकलना हर इनसान के बस में नहीं होता।।

सबसे पहले जानने वाली बात यह है कि यह टॉक्सिक रिलेशनशिप है क्या? अक्सर कहा जाता है, जब कोई भी इंसान किसी इंसान के प्रेम में पड़ा होता है, तो वह सब कुछ सहन करने के लिए तैयार होता है। आप लोगों ने अक्सर सुना होगा कि यह इश्क नहीं आसान एक आग का दरिया है और और डूब के जाना है। श्रद्धा का केस इसका ठोस सबूत हैं।

Sometimes even a small difference between husband and wife is important

अगर टॉक्सिक रिलेशनशिप की बात की जाए तो ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार यह एक दर्दनाक और हानिकारक रिश्ते के रूप में जाना जाता है। यह एक नकारात्मक रिश्ते के रूप में प्रचलित है। इसके तहत एक साथ दूसरे साथी पर नियंत्रण पाने के लिए अनैतिक और गलत बर्ताव भी करता है। टॉक्सिक रिलेशनशिप के बारे में जानने के बाद अब हम अब बात करते है कि इसे कैसे पहचाना जाए कि कोई इंसान टॉक्सिक रिलेशनशिप में है, या टॉक्सिक रिलेशनशिप के क्या लक्षण हो सकते हैं:
तो आइए जानते हैं इसके लक्षण के बारे में:

1 कभी-कभी बहुत अधिक प्यार की बौछार करना।
2. अपने साथी के साथ गलत व्यवहार करना।
3. हद से ज्यादा ईर्ष्या करना।
4. अपना गुस्सा सम्मान को तोड़फोड़ कर निकालना।
5. हर परिस्थिति के लिए पार्टनर को जिम्मेदार ठहराना ।
6. पार्टनर के कामयाब होने पर बुरा भला कहना।
7. अपने पार्टनर को मानसिक रूप से बीमार ठहराना।
8. रिश्ते को लेकर नकारात्मक विचार आना।

टॉक्सिक रिलेशनशिप से अक्सर बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है लेकिन ऐसा क्यों है चलिए जानते हैं कितना मुश्किल है ऐसे रिश्ते से बाहर निकलना पाना।

दरअसल, टॉक्सिक रिलेशनशिप में पूरे समय पार्टनर के बुरे बर्ताव का सामना नहीं करना होता, क्योंकि बीच-बीच में कुछ अच्छे पल भी होते हैं, कुछ रोमांटिक पलों के कारण, भावनात्मक पलों के कारण हमें और हमारे दिमाग को इस रिलेशनशिप की आदत लग जाती हैं।

टॉक्सिक रिलेशनशिप भी बिल्कुल जुआ खेलने जैसा होता है, कि भले ही 5 बार हार गए हो लेकिन एक बार जीत होने पर वहां बने रहने की उम्मीद पैदा हो जाती हैं। इसका एक कारण यह भी होता है कि लोगों में आत्म सम्मान की कमी का होना। इस वजह से वह यह नहीं समझ पाते कि इस तरह का बुरा बर्ताव उनके साथ नहीं होना चाहिए ।

7 common life mistakes that can ruin your sex life

“अकेलेपन का डर” अकेलेपन का डर भी हमें इस तरह के रिलेशनशिप से बाहर निकलने नहीं देता। काफी लोग टूटने और अकेले रहने के बदले इस बुरे रिश्ते को अपनी जिंदगी मान लेते हैं ।

चलिए अब हम यह जानते हैं कि इस से बाहर कैसे निकला जाए:

1. इसके लिए आप को मजबूत बनना होगा।
2. धीरे-धीरे अपने आपको तैयार करना होगा।
3. सच को स्वीकार करना होगा क्योंकि यह सब कुछ रातो रात नहीं होगा।
4. अपने अपनों के साथ बातें साझा करें।
5. अपने दोस्तों के साथ वक्त बिताएं।
6.अगर फिर भी आप असहाय महसूस करते हैं तो कुछ संगठन आपकी इसमें मदद कर सकते हैं ।
7. अपने आत्मसम्मान को पहचाने ।
8.अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत करने की कोशिश करें ।
9.योग व ध्यान को अपने दैनिक रूटीन में शामिल करें ।
10.जिंदगी व इसकी खूबसूरती के प्रति सकारात्मक नजरिया रखें।

आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ बॉडी बिल्डिंग ब्लॉक्स माने जाते हैं। इन्हीं पर पूरा बॉडी निर्भर करता है। अगर ये तीनों ब्लॉक्स हमारी बॉडी में सही प्रोपोर्शन में रहते हैं तो इन्सान स्वस्थ्य रहता है। वहीं, दूसरी तरफ अगर ये तीनों दोष के तौर पर शरीर को परिवर्तित करने लगते हैं तो वे उम्र घटाने का भी काम करते हैं। अगर आप लंबी (long life) उम्र और हेल्दी लाइफ चाहते हैं तो अपने लाइफस्टाइल में ये प्रभावशाली बदलाव करने होंगे।

यहां हम जानने का प्रयास करेंगे कि वो कौन सी ऐसी चीजें हैं जिससे आप लंबी उम्र जी सकते हैं।

प्रकृति और बॉडी क्लॉक को समझना आवश्यक

स्वस्थ और हेल्दी रहने के लिए शरीर की क्लॉक को नेचर की क्लॉक से मैच करके चलें। इसका मतलब कि इस बात को समझें कि दिन है तो आप हेल्दी और हैवी मील लें। क्योंकि की इस दौरान पाचन शक्ति बढ़ जाती है। मगर शाम ढलते ही हल्का खाना खाएं। रात के वक्त पाचन तंत्र धीमा हो जाता है। रात को जल्द सो जाएं। दरअसल, रात में मेलाटैनिन हार्मोन रिलीज होता है और आप स्लीपिंग डिसआर्डर से बच सकते हैं। इस बारे में हमारी एक्सपर्ट टोनऑप से डॉ रूचि सोनी बता रही है कि लंबी उम्र के लिए किस तरह करें आयुर्वेद का पालन।

जानें आयुर्वेद के वे सीक्रेट जो आपकी उम्र में कर सकते हैं इजाफा

आहार ही आधार है

डॉक्टर बताते हैं कि अक्सर फ्राइड और जंक फूड खाने से शरीर में कई तरह की समस्याएं पैदा होने लगती है। इससे बचने के लिए मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करनें। इनसे हमें उच्च मात्रा में फाइबर, जिंक, विटामिन्स और मिनरल्स की प्राप्ति होती है। इससे शरीर स्वस्थ रहता है और हम बीमारियों से भी दूर हो जाते हैं।

खाना खाने के दौरान कोल ड्रिंक्स पीने से परहेज करें। इससे मेटाबाल्ज्मि कमज़ोर होता है। डाइजेशन को सुधारने के लिए रूम टेम्परेचर में जूस और पानी पिएं। इससे शरीर को चमत्कारी लाभ मिलता है।

पौष्टिक आहार को डाइट का हिस्सा बनाएं। इससे शरीर में रस धातु का संचार हेता है, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने का काम करता है। इसके अलावा खाने का धीरे-धीरे पूरी तरह से चबाकर खाएं, ताकि वो आसानी से डाइजेस्ट हो पाए।

डॉक्टर्स के मुताबिक फास्टिंग हेल्दी रहने की एक सुप्रीम रेमेडी है, जो हमारी गट हेल्थ को मज़बूत करने में मदद करती है।

सोने और जागने का समय

Your sleeping position reveals your personality

ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि अच्छी आदतें ही किसी इंसान को स्वस्थ, अमीर और बुद्धिमान बना सकती है। देर रात तक जागना और सुबह देर से उठना शरीर को कमज़ोर बनाता है। खुद को फिट रखने के लिए सुबह 4 बजे उठना और रात 10 बजे तक बिस्तर पर जाना बेहद ज़रूरी है। अगर आप दिनभर बंद कमरे या ऑफिस में अपना वक्त बिताते हैं, तो सुबह उठने के बाद मार्निंग वॉक या योग को अपने रूटीन में ज़रूर शामिल करें। इससे आपके शरीर में एनर्जी लेवल बढ़ता है। साथ ही खुली हवा में सांस लेने में रेसपिरेटरी संबधी परेशानियां अपने आप दूर होने लगती हैं।

आयुर्वेद के हिसाब से हमें सुबह सुर्योदय से दो घंटे पहले यानी 04 बजे तक उठना अनिवार्य है। इस समय में शरीर के सभी हार्मोंस एक्टिव होने लगते हैं। इस समय में उठने से शरीर में भारीपन और सुस्ती का एहसास होता है। ऐसे में योग और मेडिटेशन के ज़रिए शरीर को एक्टिवेट किया जा सकता है।

ज्यादा खाना यानी उम्र कम

फास्टिंग हेल्दी रहने की एक सुप्रीम रेमेडी है, जो हमारी गट हेल्थ को मज़बूत करने में मदद करती है। इसके अलावा दैनिक आहार में अत्यधिक खाने से बचें। इससे आप स्वस्थ और लंबा जीवन व्यतीत कर सकते हैं। सेंट लुइस विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की ओर से 2008 में एक रिसर्च किया गया था। इसके हिसाब से यदि आप अपनी भूख का 80 प्रतिशत खाना खा लेते है, तो इसका अर्थ है कि आपकी उम्र अब कम हो रही है।

अलाव इसके कैलोरी को घटाने से T3 नामक थायराइड हार्मोन के उत्पादन को कम करने में मदद मिलती है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और एजिंग प्रोसेस को कम करता है।

तेल मालिश है बहुत खास

डॉक्टर बताते हैं कि शरीर को संतुलित करने में मसाज एक अहम रोल अदा करती है। सुबह स्नान करने से पहले कुछ मिनटों की तेल मालिश से शरीर के सभी दोष शांत होने लगते है। इससे स्टेमिना बढ़ने लगता है, स्किन में निखार आता है और रातभर में शरीर के अंदर रिलीज़ होने वाले टॉक्सिंस बाहर आ जाते हैं। इतना ही नहीं, स्किन कई तरह के बैक्टिरियल इंफेक्शन से भी दूर रहती है। अगर आप नियमित मसाज करते हैं तो किसी तरह का इंफेक्शन आसानी से नहीं ह सकता।

जीभ का भी रखें ख्याल

आयुर्वेद के हिसाब से बहुत सी बीमारियों का अंदाजा आपकी जीभ को देखकर लगाया जा सकता है। आमतौर पर जीवा हल्की गुलाबी नज़र आती है। कई बार बिना पचा हुआ खाना और क्लाग्ड आर्गन्स आपकी जीभ पर सफेद परत बना लेते हैं। इससे शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं। ऐसे में रोज़ाना ब्रश करने के अलावा टंग क्लीनिंग का भी ख्याल रखें।

Foreplay

शादी दो आत्माओं का मिलन होता है। शादी में सिर्फ प्यार और लगाव ही नहीं होता बल्कि इसमें इंटिमेसी भी काफी जरूरी होती है। शादी में सब कुछ अच्छा चलने के लिए प्यार और लगाव के साथ Physical Relation का होना भी काफी अहम माना जाता है। एक हेल्दी रिलेशन के लिए यह काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में बहुत से कपल्स बीच शादी के इंटिमेसी या तो बेहद कम होती है या ना के बराबर होती है।

अगर आप भी ऐसे कपल हैं जिनकी फिजिकल लाइफ बिल्कुल ठीक नहीं है तो हम आपको इसके नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं। आपको बता रहे हैं कि किस प्रकार इंटिमेट ना होना आपकी सेहत को भारी नुकसान का सबब बन सकता है।

आइये समझें-

कम होने लगती है रोग प्रतिरोधक क्षमता-

जिस कपल्स के बीच इंटीमेसी नहीं होती है उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण आपको छोटी-छोटी समस्याएं बीमार कर सकती है।

घबराहट की शिकायत-

लंबे वक्त फिजिकल रेलेशन ना बनाने से कपल्स को घबराहत का शिकार होना लाजमी है। वहीं, जो लोग नियमित रूप से फिजिकल रिलेशन बनाते हैं उन्हें इस समस्या का सामाना नहीं करना पड़ता।

लूब्रिकेशन में कमी-

लंबे समय तक कोई फिजिकल रिलेशन ना बनाने से महिलाओं को वजाइना में ड्राइनेस की समस्या हो सकती है। वहीं, अधिक उम्र की महिलाएं अगर फिजिकल रिलेशन नहीं बनाती हैं तो लूब्रिकेशन की कमी की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

पीरियड्स में दिक्कत-

फिजिकल रिलेशन से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है। वहीं, जो महिलाएं लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन नहीं बनाती उन्हें पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द सहना पड़ता है।

Those 5 reasons which can be responsible for Miscarriage

कई बार प्रेगनेंसी के दौरान कुछ स्वास्थ्य समस्याओं की वजह गर्भपात (Miscarriage) हो जाता है। हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि गर्भपात के वास्तविक कारण क्या हैं? इससे आगे की प्रेगनेंसी के दौरान सावधानी बरत कर इससे बचा जा सकता है।

प्रेगनेंसी के दौरान दो बातें हो सकती है। पहली यह कि स्वस्थ तरीके से बच्चे का जन्म हो सकता है। दूसरी बात यह भी हो सकती है कि बच्चे के जन्म से पहले कुछ जटिलताएं सामने आ सकती हैं। इनमें से एक मिसकैरेज या गर्भपात होना भी हो सकता है। यह जानकारी बेहद अहम है कि ज्यादातर बार गर्भपात उन वजहों से होता है, जो हमारे और आपके नियंत्रण से बाहर होते हैं। असल में, गर्भावस्था के नुकसान के सटीक कारण का पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है। हालांकि, गर्भपात के सामान्य कारणों के बारे में जानने से सावधानी बरतने में सपोर्ट मिल सकता है। गर्भावस्था में स्वस्थ होने की संभावना बढ़ सकती है।

गर्भावस्था के नुकसान के कुछ सामान्य कारण यहां दिए गए हैं:

असामान्य गुणसूत्र (Abnormal Chromosomes)

पहले 12 हफ्तों में होने वाले आधे से अधिक गर्भपात के लिए बच्चे के गुणसूत्रों की असामान्य संख्या जिम्मेदार होती है। क्रोमोसोम आपके बच्चे के बालों और आंखों के रंग जैसे लक्षणों का निर्धारण करते हैं। गुणसूत्रों की क्षतिग्रस्त या गलत संख्या होने से बच्चे का उचित विकास नहीं हो पाता है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, खासकर 35 साल की उम्र के बाद क्रोमोसोमल समस्याओं और गर्भावस्था के नुकसान के लिए जोखिम काफी बढ़ जाता है।

चिकित्सा मुद्दे (Medical Issues)

Those 5 reasons which can be responsible for Miscarriage

गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने में मां का स्वास्थ्य अहम भूमिका निभाता है। रूबेला (Rubella) या साइटोमेगालोवायरस जैसे संक्रमण, एचआईवी (HIV) या सिफलिस, थायरॉयड रोग और ऑटोइम्यून विकारों जैसे संक्रमण गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे को होने की संभावना बनी रहती है। इनके अलावा, यदि ठीक से प्रबंधित न किया जाए तो मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी स्थितियां गर्भावस्था के साथ समस्याएं पैदा कर सकती हैं। स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा, आपकी आदतें गर्भावस्था के नुकसान के जोखिम को भी बढ़ा सकती हैं। धूम्रपान, अत्यधिक शराब का सेवन और अवैध दवाओं के सेवन से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है।

दवाएं (Medications)

कई ओवर-द-काउंटर और प्रिस्क्रिप्शन दवाएं गर्भावस्था के नुकसान की संभावनाओं को भी बढ़ा सकती हैं। इनमें दर्द और सूजन के लिए गैर-स्टेरॉयड एंटी-इंफ्लैमेटरी ड्रग्स (NSDS), रूमेटोइड आर्थराइटिस के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं इनमें शामिल हैं। एक्जिमा जैसी कुछ स्किन प्रॉब्लम के लिए ली जाने वाली दवाएं भी खतरे को बढ़ा देती है।

पर्यावरणीय खतरे (Environmental Hazards)

सेकेंड हैंड धुएं के अलावा, घर या ऑफिस में आपके आसपास के वातावरण में मौजूद कुछ पदार्थों से आपकी गर्भावस्था को खतरा हो सकता है।

इनमें वर्म या रोडेंट को मारने के लिए प्रयोग किये जाने वाले कीटनाशक, घरों में पेंट थिनर या पेंट जैसे सॉल्वैंट्स या पानी के पाइप में मौजूद लेड भी खतरा बढ़ा सकता है।

भोजन विषाक्तता (Food Poisoning)

गर्भावस्था के दौरान कई प्रकार के खाद्य विषाक्तता गर्भपात या गर्भावस्था के नुकसान के जोखिम को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। साल्मोनेला आमतौर पर कच्चे या अधपके अंडे में पाया जाता है। इसके कारण समस्या हो सकती है। टोक्सोप्लाज़मोसिज़ अक्सर संक्रमित कच्चा मांस खाने के कारण होता है।

गर्भपात (Miscarriage) रोकने के उपाय

यह चिंता करना सामान्य है कि कुछ गतिविधियां या काम गर्भावस्था के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। यदि गर्भावस्था हाई रिस्क वाला नहीं है, तो अधिकांश नियमित गतिविधियां जैसे काम करना, बैठना या उचित समय के लिए खड़े रहना, हवाई यात्रा, यदि गर्भावस्था हाई रिस्क वाला नहीं है, तो यौन संबंध बनाना, व्यायाम, भावनात्मक आघात होना से बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपकी गर्भावस्था सुरक्षित रहेगी। आमतौर पर गर्भपात को रोकना संभव नहीं है। अपने शरीर की उचित देखभाल करना सबसे अधिक जरूरी है।

गर्भावस्था के दौरान खुद की देखभाल करने के तरीके

गर्भावस्था के दौरान खुद की देखभाल करने के कुछ तरीकों में सभी प्रसवपूर्व देखभाल गतिविधियों को शामिल करना चाहिए। हेल्दी वजन बनाए रखना, प्रसवपूर्व विटामिन लेना, गर्भपात के जोखिम कारकों जैसे सिगरेट-धूम्रपान और शराब पीने से बचना चाहिए। साथ ही नियमित व्यायाम के साथ स्वस्थ आहार भी जरूर लें। अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना और अपनी अच्छी देखभाल करना बेहद जरूरी है। क्योंकि आप अपनी खुशी के बंडल का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।