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Yearly Archives: 2024

Because not everyone is big hearted.

Women’s Health: महिलाओं की जिंदगी में उम्र का हर दौर एक नया बदलाव के साथ आता है जो उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करता है। शारीरिक रूप से भी कई बदलाव देखने को मिलते हैं। देखा जाए तो बचपन से किशोरावस्था की ओर बढ़ रही बच्ची बहुत कुछ फिजिकली बदलाव बर्दाश्त करती हैं। उसी तरह जब शरीर 35 की उम्र पार करता है तब भी बहुत से चेंजेज दिखाई देने लगते हैं। ये चेंजेज उन्हें मानसिक तो प्रभावित करते ही हैं उनकी शादीशुदा जीवन पर भी असर पड़ता है। अगर इस उम्र की देहलीज को पार आपको भी लगता है कि आप कुछ बदल रही हैं तो उसकी वजह कुछ और नहीं आपकी उम्र ही है। बताते चलें कि किस किस तरह से ये उम्र चेंजेज लेकर आता है।

35 की उम्र के बाद होने वाले बदलाव

पेल्विक स्वास्थ्य पर पड़ता है असर

आपकी उम्र 35 पार और 40 के नजदीक पहुंचते पहुंचते मैरेज लाइफ पर कुछ असर दिखने लगता है क्योंकि इस समय तक फिजिकल रिलेशन बनाने की इच्छा पहले जैसी नहीं रह जाती। प्राइवेट पार्ट में भी बहुत से चेंजेज दिखने लगते हैं। सबसे पहला चेंजेज यौन इच्छा में कमी आना ही होता है। अलावा इसके वजाइना में ज्यादा ड्राइनेस और कई बार खुजली भी होने लगती है। वजाइना के अपीयरेंस में भी बदलाव आने लगता है। मेनोपॉज के दौरान अलग-अलग अनुभव होते हैं। कुछ महिलाओं को ड्राईनेस तो कुछ को इन्फ्लेमेशन की शिकायत हो सकती है। बता दें कि इस उम्र में यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (UTI) जैसी प्रॉब्लम भीबढ़ सकती है।

अन्य शारीरिक बदलाव

These foods play an important role in controlling hormones

अलावा इसके ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना। स्किन पहले से ज्यादा ड्राई रहना, ऑस्टियोपोरोसिस, बालों के टेक्सचर में अंतर और रिंकल आने लगते हैं। और भी बहुत से हार्मोनल चेंजेज भी होते हैं।

मानसिक बदलाव की समस्या

शारीरिक रूप से ना सिर्फ बल्कि मानसिक रूप से भी कई तरह के चैंजेज का सामना करना पड़ता है। कई महिलाएं इस उम्र में डिप्रेशन के करीब पहुंच जाती हैं। कई महिलाओं में एंग्जाइटी बढ़ जाती है। सबसे अधिक रात में नींद उचटने लगती है और साथ में इनसोमनिया की शिकायत बढ़ जाती है।

Valentine Day Special: Do not give these 5 gifts to your partner even by mistake

Valentine Day Special: किसी भी स्पेशल मौके पर हम अपने खास दोस्त, परिजन और अपने पार्टनर को गिफ्ट देना पसंद करते हैं। खासकर Couples को एक दूसरे को तोहफा देना पसंद होता है। ऐसे में गिफ्ट देने के लिए काफी कुछ है और हम हमेशा गिफ्ट देने के लिए कोईकोई नया तरीका ढूंढते हैं। और अक्सर अपने साथी के लिए सबसे बढ़िया गिफ्ट देना चाहते हैं। पर कई बार जाने अनजाने में हम ऐसी गिफ्ट भी दे देते हैं जो वास्तु के अनुसार नहीं देना चाहिए।

आप ठीक समझे, ऐसी कई गिफ्ट हैं जो वस्तु के मुताबिक नहीं देना चाहिए या घर में इस तरह की गिफ्ट नहीं रखनी चाहिए। इस वजह से कपल्स के बीच अक्सर लड़ाई की नौबत आ सकती है। साथ ही इस तरह की गिफ्ट देना अशुभ भी माना जाता है। अगर आप भी अपने पार्टनर को कोई गिफ्ट देने का मन बना रहे हैं तो पहले समझ लें कि किस तरह की गिफ्ट नहीं देना चाहिए।

1. गिफ्ट में परफ्यूम देना: ज्यादातर कपल्स एक दूसरे को परफ्यूम देना भी पसंद करते हैं। परफ्यूम बहुत खास गिफ्ट है और एक प्रीमियम चॉइस भी है। पर वास्तु के मुताबिक परफ्यूम भी गिफ्ट में नहीं देनी चाहिए। इस तरह की गिफ्ट देने से रिलेशन में डिसटेंस आ सकती है।

2. जूते गिफ्ट करना:

Valentine Day Special: Do not give these 5 gifts to your partner even by mistake

लड़कियां कई बार लड़कों को जूते देना पसंद करती हैं। लड़कों के लिए जूते देना एक उम्दा गिफ्ट है क्योंकि ज्यादातर लड़कों रो बढ़िया जूते पहनना बहुत अच्छा लगता है। वास्तु शास्त के मुताबिक जूते नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं। बता दें कि कई मुल्कों में भी जूते देने का प्रचनल नहीं के बराबर है।

3. रुमाल गिफ्ट में देना: अक्सर देखा गया है कि लोग खूबसूरत और अट्रैक्टिव रुमाल भी गिफ्ट करना पसंद करते हैं। जबकि वास्तु के मुताबिक रुमाल भी गिफ्ट नहीं करना चाहिए। रुमाल गिफ्ट करने से आपकी दोस्ती या रिश्ते में दरार आ सकती है। हिंदू मान्यता के अनुसार रुमाल या टावेल जैसी चीजें गिफ्ट नहीं की जाती हैं।

4. काले कपड़े गिफ्ट ना करें: Black कपड़े सभी पर जचते हैं लेकिन वास्तु के मुताबिक काले कपड़े भी गिफ्ट नहीं करना चाहिए। काला रंग भी नकारात्मक इनर्जी का प्रतीक है। अगर आप अपने पार्टनर को काली शर्ट या काला कुर्ता तोहफे में देने का सोच रहे हैं तो ऐसा करने से बचें। काले रंग की जगह आप दूसरे गहरे रंग के कपड़े चुन सकते हैं।

5. ताजमहज उपहार में ना दें: कई दफा एक खूबसूरत गिफ्ट देने के लिए लोग ताजमहल गिफ्ट करना पसंद करते हैं। ताजमहल बहुत खूबसूरत उपहार है और इसे घर में रखना काफी अच्छा लगता हैलेकिन ताजमहल ना ही गिफ्ट करना चाहिए और ना ही अपने घर में रखनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ताजमहल मुमताज का मकबरा है। मकबरा और कब्र जैसी चीजें नकारात्मक ऊर्जा प्रवाह करती हैं इसलिए इसे घर में भी सजा कर नहीं रखना चाहिए।

फोटो सौजन्य- गूगल

February Festivals

February Festivals: बसंत पंचमी को लेकर फरवरी माह का बड़ा ही महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक फरवरी का महीना बेहद खास माना जाता है क्योंकि इस वर्ष ग्रहों के गोचर के साथ कई बड़े व्रत त्योहार भी पड़ रहे हैं। बता दें कि फरवरी में षटतिला एकादशी से लेकर मासिक बसंत पंचमी जैसे कई व्रत और त्योहार पड़ेंगे। आइये जानें फरवरी माह में पड़ने वाले खास व्रत-त्योहार और इस माह में होने वाले ग्रह गोचर के बारे में।
यहां देखें व्रत-त्योहार और ग्रह गोचर की पूरी सूची-

February Festivals

फरवरी माह के शेष व्रत-त्योहार:

  • 13 फरवरी 2024, मंगलवार, कुम्भ संक्रांति
  • 14 फरवरी 2024, बुधवार बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा
  • 20 फरवरी 2024, मंगलवार, जया एकादशी
  • 21 फरवरी 2024, बुधवार, प्रदोष व्रत (शुक्ल)
  • 24 फरवरी 2024, शनिवार, माघ पूर्णिमा व्रत
  • 28 फरवरी 2024, बुधवार, संकष्टी चतुर्थी

फरवरी माह के ये हैं गोचर:

  • 12 फरवरी 2024 शुक्र का मकर राशि में गोचर
  • 13 फरवरी 2024 सूर्य का कुंभ राशि में गोचर
  • 20 फरवरी 2024 बुध का कुंभ राशि में गोचर
  • 14 फरवरी 2024 (बुधवार) – बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा

ये त्योहार ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। वसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस दिन पीला रंग का विशेष महत्व है।

When do women experience more sexual desire?

Ovulation: पीरियड से पहले के कुछ लक्षण और पीरियड के दरम्यान होने वाली दिक्कतों से हम सभी वाकिफ हैं। जहां किसी को क्रैंप होते हैं तो वहीं किसी को चक्कर आता है, किसी को ब्लोटिंग भी होती है पर पीरियड से पहले और उसके दौरान होने वाली सेक्स की कामना भी पीरियड के लक्षणों की वजह होने वाली एक कंडिशन है। वैसे ऐसा सभी के साथ नहीं होता लेकिन कुछ महिलाएं पीरियड्स के दौरान या उसके बाद बहुत अधिक काम वासना फील करती हैं।

ये है इसकी वजह-

Periods और Sex डिजायर के बीच कोई संबंध है ?

Sex के लिए उत्तेजना का हॉर्मोन से गहरा संबंध है। इसके लिए आपके मेंस्ट्रुअल साइकल के हॉर्मोन सबसे ज्यादा जिम्मेदार होते हैं। मैंस्ट्रुअल साइकल आपके पीरियड के पहले दिन से शुरू होती है और इसमें 2 चरण होते है- फोलिक्युलर फेज़ और ल्यूटियल फेज़।

कब ज्यादा होर्नी महसूस करती है महिलाएं

वर्ष 2019 में एक स्टडी किया गया जिसमें 6,000,00 से ज्यादा महिलाओं के मैंस्ट्रुअल साइकल पर नजर रखी गई। इसे एक ऐप पर दर्ज किया गया और इसमें देखा गया कि ज्यादातर महिलाओं में 14वें दिन ओव्यूलेट नहीं हुआ था। जबकि ओव्यूलेशन के दौरान, यानी जब अंडा ओवरी से बाहर निकलकर ट्यूब में जाता है तब ज्यादातर महिलाएं ज्यादा यौनेच्छा का अनुभव करती हैं। साल 2013 के एक अध्ययन के मुताबिक लगातार सेक्स की तीव्र इच्छा के कारण इस दौरान यौन संचारित संक्रमण (STI) का खतरा भी बढ़ सकता है।

मेंस्ट्रुअल साइकल के वे दिन जब आप कम फर्टाइल होती हैं, तब लिबिडो अपने आप कम होने लगती है। अगर ओव्यूलेशन देरी से होता है, तो महीने में अलग-अलग समय में उत्तेजना चरम पर हो सकती है।

1. ओव्यूलेशन के दौरान

महिलाएं ओव्यूलेशन से ठीक पहले सेक्स की अधिक रुचि दिखाती हैं। साल 2015 में एक समीक्षा की गई, जिसमें यह पाया गया कि इस समय महिलाएं सेक्स की ज्यादा पहल करती हैं।

यह अनुमान लगाया गया कि ओव्यूलेशन के 24 घंटे बाद एस्ट्रोजन का स्तर पीक पर होता है। तीन तरह के एस्ट्रोजन हार्मोन में से एक एस्ट्राडियोल महिलाओं में यौन उत्तेजना बढ़ाता है। इस फैक्ट को एक और चीज पुख्ता करती है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्राडियोल कम हो जाता है जिसके कारण यौन इच्छा में कमी आती है।

2. छुट्टियों के समय

किसी व्यक्ति की सेक्स की इच्छा समय पर भी निर्भर करती है, ऐसा हम नहीं, बल्कि रिसर्च कहते है। एक शोध किया गया जिसमें यह पाया गया कि वीकेंड में कॉलेज की उम्र की महिलाओं में सेक्स उत्तेजना वीक डेज की तुलना में अधिक थी। वीकेंड में एक महिला के सेक्स करने की औसत संभावना 22 फीसदी दर्ज की गई। जबकि अन्य दिनों में 9 फीसदी ही थी। इसलिए समय भी सेक्स की इच्छा और उत्तेजना की वजह हो सकता है।

3 फोलिक्युलर फेज़ में

When do women experience more sexual desire?

मेंस्ट्रुअल साइकल का पहला चरण फोलिक्युलर फेज़ है, जो लगभग 01-14 दिनों तक चलता है। इस चरण के दौरान, एस्ट्रोजन का स्तर प्रोजेस्टेरोन के स्तर से अधिक होता है। जब ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन में वृद्धि होती है, तो महिलाएं फोलिक्युलर फेज़ के अंत में ज्यादा सैक्स के लिए उत्तेजित महसूस करती हैं। यह ओव्यूलेशन की शुरुआत का प्रतीक है और इस समय में प्रेगनेंसी की अधिक संभावना होती है।

लुटिल फ़ेज में कम हो सकती है यौनेच्छा

इसे मेंस्ट्रुअल साइकिल का दूसरा चरण कहा जाता है, ये ओव्यूलेशन के बाद, ल्यूटियल फेज़ है। इस फेज़ में प्रोजेस्टेरोन का स्तर एस्ट्रोजन के स्तर से अधिक होने लगता है। लेकिन जब पीरियड होने होते हैं, तो दोनों में गिरावट शुरू हो जाती है, जो एक नए साइकिल की शुरुआत का संकेत देता है।

इस वक्त सेक्स की कम इच्छा महसूस होती है। हालांकि, हर महिला अपनी भावनाओं को अलग-अलग तरीके से संसाधित करती है। इसलिए यौन आनंद के लिए अपने सही समय और सही भावनाओं को समझने की आवश्यकता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

Erogenous zones: प्लेजर और इंटिमेसी किसी भी इमोशनल रिश्ते में बेहद अहम होती हैं। यह देखा जाए तो कहीं ना कहीं आपके मस्तिष्क और शारीरिक स्वास्थ्य के मद्देनजर भी काफी जरूरी होती है। कई मरतबा हमें अपने साथी का प्लेजर प्वाइंट का अंदाजा नहीं होता और हम उन्हें पूरी तरह खुश नहीं कर पाते हैं या सच कहा जाए तो उन्हें प्लेजर नहीं मिल पाता। इस परिस्थिति में सभी को एरोजेनस जोन के बारे में मालूम होना चाहिए। कुछ एरोजेनस जोन के बारे में तो हम सभी को मालूम होता है लेकिन कई ऐसे प्वाइंट्स भी हैं जो अंडररेटेड है और कुछ हमें मालूम नहीं होता। आज हम ऐसे ही कुछ Erogenous Zones के बारे में जानते हैं-

ये हैं कुछ खास एरोजेनस जोन

थाइ का इनर पार्ट

इनर थाईज यानी की जांघ के अंदर का हिस्सा साथी को सेड्यूस करने में आपकी मदद कर सकता है। यह काफी सॉफ्ट होता है, और आपकी इंटिमेट एरिया के बिल्कुल करीब होता है। इस हिस्से को टच करने से व्यक्ति आसानी से एक्साइटेड हो सकता है। यह फीमेल और मेल दोनों का एरोजेनस जोन है। इसे बिल्कुल हल्के हाथों से टच करना होता है। अगर आप मास्टरबेट कर रही हैं, तो आप इसे खुद को उत्तेजित करने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। पार्टनर के साथ इंटिमेट मूमेंट शेयर करते हुए उनसे इसे टच करने की मांग कर सकती हैं।

नेवल और पेट के नीचे का हिस्सा

7 common life mistakes that can ruin your sex life

हालांकि, ये आपकी इंटिमेट एरिया के उतने क्लोज नहीं होते लेकिन फिर भी बहुत पास होते हैं। इस तरह इन्हें टच करने से एक्साइटेड होने में मदद मिलती है। खास कर अगर आप साथी के साथ सेक्सुअल एक्टिविटी में शामिल हो रही हैं तो जीभ और फिंगर टिप्स की मदद से नाभि और पेट के निचले हिस्से पर सर्कल बनाएं, इससे गुदगुदी महसूस होती है और एक्साइटमेंट बढ़ती है। वहीं, इन स्पॉट्स पर टेंपरेचर प्ले जैसे कि आइस रब करने से भी उत्तेजना बढ़ती है।

आर्मपिट और आर्म्स के अंदर का हिस्सा

आपको लग रहा होगा आर्मपिट कैसे स्टिम्युलेट कर सकते हैं, आपको बताएं कि यह एक पावरफुल Erogenous Zones हो सकता है। पार्टनर को बताएं कि वह अपने हाथ को पीछे की तरफ से लागे ले जाते हुए आपके आर्मपिट के नीचे के हिस्से को टच करें। इससे बॉडी में गिगल होता है और बॉडी में एक सेंसेशन रिलीज होता है जिससे कि उत्तेजित होने में काफी मदद मिलती है।

हथेलियां और फिंगर टिप्स

फिंगर टिप बॉडी के एक बेहद संवेदनशील अंगों में से एक है। वहीं आपकी हथेलियां भी उनसे ज्यादा दूर नहीं होती। यह मेल और फीमेल दोनों के एरोजेनस जोन होते हैं। यदि आप अपने पार्टनर को सेड्यूस करना चाहती हैं, तो उनकी हथेलियों पर अपनी उंगली से टिकल करें। इसके साथ आई कॉन्टेक्ट मेंटेनेंस रखें, इससे बॉडी में सेंसेशन क्रिएट होता है और आपके पार्टनर को उत्तेजित होने में मदद मिलेगी।

बेहद संवेदनशील होता है कूल्हा यानी बटॉक्स

सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान आमतौर पर लोग बटॉक्स को जरूर इंवॉल्व करते हैं। इसे मसाज करना, दबाने और स्पैंक करने से बॉडी में सेंसेशन जनरेट होता है, जिससे की उत्तेजना बढ़ती है। फीमेल के बटॉक्स के बीच के हिस्से को टच किया जाए तो उन्हें बहुत ज्यादा उत्तेजना महसूस होती है।

स्क्रोटम और टेस्टीकल्स

अगर फीमेल अपने पार्टनर को सेड्यूस करने के लिए उनके ट्रिगर प्वाइंट्स सर्च कर रही हैं, तो स्क्रोटम और टेस्टीकल्स एक बेहतरीन ऑप्शन है। यह दोनों बेहद सेंसिटिव होते है, इनमें कई नर्वस होते है, जिन्हें टच करने से बॉडी बेहद जल्दी उत्तेजित हो जाती है। ब्लो जॉब और हैंड जॉब देते हुए अपने पार्टनर के स्क्रोटम और टेस्टिकल को मसाज करें। इससे उन्हें बेहतर प्लेजर अचीव करने में मदद मिलती है।

फोरस्किन को करें इंवॉल्व

फोरस्किन कई नर्वस की एंडिंग है जिन्हें स्टिम्युलेट करने से उन पर प्रेशर पड़ता है और प्राइवेट पार्ट को पूरी तरह से इरेक्ट होने में मदद मिलती है। त्वचा की ये पतली लेयर अलग-अलग प्रकार के सेंसेशन क्रिएट करती है, जिससे कि मेल्स को आसानी से सिड्यूस किया जा सकता है। ब्लो जॉब और हैंड जॉब के दौरान फोरस्किन को जरूर इंवॉल्व करें।

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Paleo Diet: Makes your diet nutritious

Paleo Diet: आजकल कई स्वादिष्ट डाइट हैं जिसे लोग फॉलो करते हैं, जैसे कि कीटो डाइट, वीगन डाइट, इंटरमिटेंट फास्टिंग और मेडिटेरियन डाइट आदि। अधिकतर लोग वजन कम या बढ़ाने के लिए नए-नए किस्म की डाइट टेस्ट करते हैं, जिनमें कुछ डाइट तो ऐसी भी हैं जो वेट कंट्रोल करने के साथ आपको हार्ट अटैक और डायबिटीज से बचाती हैं। इन्हीं में एक डाइट है पैलियो डाइट। चलिए जानते हैं इस डाइट के पैटर्न और लोग क्यों करते हैं इसे फॉलो।

जानें Paleo Diet के बारे में-

कुछ अस्पतालों के डॉक्टर्स के मुताबिक पैलियो डाइट हमारे आहार के प्राचीन तरीके पर आधारित है। इसलिए यह कई खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करता है। जैसे अनाज, दालें, डेयरी और एक्सट्रा चीनी, जो मॉडर्न डाइट में बेहद कॉमन हैं। इस डाइट का असल फायदा आपके ब्लड शुगर लेवल और ब्लड के लिपिड स्तर को कंट्रोल करने में नजर देता है।

यह खास डाइट आज के समय की नहीं है, बल्कि बहुत पूराने समय की मानी जाती है। पूराने समय में लोग इस डाइट का पालन करते थे। पैलियो डाइट, पैलियोलिथिक या पुराने पाषाण युग के दौरान रहने वाले मनुष्यों के डाइट पैटर्न का एक आधुनिक रूप है, जो लगभग 2.5 मिलियन साल पहले था। पुरापाषाण युग के दौरान, मनुष्य जो आहार लेते थे उनमें जड़ वाली सब्जियां, सीड्स, नट्स, प्लांट्स और कुछ जंगली और समुद्री चीजें शामिल होती थीं।

आइये जानते हैं पैलियो डाइट के फायदे के बारे में-

Blood Sugar के स्तर को नियंत्रित करना

Paleo Diet: Makes your diet nutritious

पैलियो डाइट उन खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करता है जो ब्ल्ड शुगर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड स्नैक खाद्य पदार्थ और शर्करा युक्त पेय पदार्थ। जो लोग हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित है और पैलियो डाइट को अपनाते है उन्हे ब्लड शुगर के स्तर में कमी महसूस होती हुई नजर आती है।

वजन घटाने में कारगर

अक्सर लोग फैट लॉस के लिए पैलियो डाइट को आजमाते हैं। इस डाइट में शरीर के हेल्दी वजन को बनाए रखने के लिए सभी खाद्य पदार्थ होते है, जैसे सब्जियां, बीन्स और मेवे। पैलियो डाइट का पालन करने वाले लोग भोजन के बाद अधिक संतुष्ट महसूस कर सकते हैं, जो अधिक खाने से आपको बचा सकता है और वजन घटाने को प्रोत्साहित कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पैलियो डाइट में फाइबर और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं, ये 02 पोषक तत्व हैं जो खाने के बाद आपका पेट भरा हुआ महसूस करने में मदद करते हैं।

हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मददगार

Paleo Diet: Makes your diet nutritious

उच्च रक्तचाप और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स जैसे ब्लड लिपिड स्तर होने से हार्ट की समस्या होने का खतरा विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। कुछ रिसर्च में पाया गया है कि जो लोग पैलियो डाइट का पालन करते हैं, वे ट्राइग्लिसराइड और ब्लड प्रेशर के स्तर जैसी हार्ट से जुड़ी बिमारियों की समस्या से निपटने में ज्यादा सफल रहते है।

कम करता है सूजन

पैलियो डाइट शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों, चीनी और रिफाइंड अनाज से परहेज करने से, जो कई बार लोगों में सूजन का कारण बन सकते है, व्यक्तियों को सूजन से संबंधित परेशानियों को कम करने में मददगार हो सकते है।

जंक के सेवन को कम करने में मददगार

जब आप पैलियो डाइट पर रहते हैं तो जंक फूड को आप एक साइज के बैग में डाल देते है, और इसका मतलब यह है कि आप अपना पैसा सिर्फ उस खाने पर खर्च कर रहे हैं जो आपके लिए स्वस्थ है, न कि आपके लिए खराब है। यह आपके खाने के बजट के लिए भी बहुत अच्छा है, क्योंकि जितना पैसा आप जंक फूड खरीदने में खर्च करते है उतने पैसे में आप आराम से ये अच्छा और हेल्दी फूड से आपना स्वास्थ्य बना सकते है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Knowledge about HIV is the real diagnosis.
UNICEF की एक रिपोर्ट के अनुसार ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (HIV) मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में हर 01 मिनट और 40 सेकंड के दौरान 20 साल के कम उम्र का युवा इस बीमारी से ग्रसित हो रहा है।
Homeopathy treatment is effective in eliminating eye problems
Homeopathy: हम सभी को मालूम है कि शरीर का सबसे कीमती अंग आंखें हैं। आंखों के बिना आप भगवान की बनाई इस दुनिया की खूबसूरती का दीदार भी नहीं कर सकते तो फिर कल्पना तो दूर की बात है। इसलिए आंखों का हेल्थी रहना बहुत जरूरी है।
Healthy Hair: Make your hair healthy in winter with kitchen items
Healthy Hair: आप इस बात से अंजान होंगी कि आपके अपने घर के रसोई में कुछ ऐसे इंग्रीडिएंट्स होते हैं जिनके फायदे के बारे में आपको पता नहीं होता।