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जिंदगी में सब कुछ आपके पास हो और मां ना हो तो सब सूना सा लगता है..

If you have everything in life and if you do not have a mother, then everything seems deserted.

‘मां’ हां ये वही है जिसको सुनते ही एक 60 साल का बुजुर्ग व्यक्ति भी अपने आप को छोटा बच्चा महसूस करने लगता है। दरअसल ये शब्द ही इतना ज्यादा प्यारा है सब को कि कभी हमें कुछ हो जाए तो भी सब से पहले मां ही निकलता है मुंह से..और हम परेशान हो, दर्द में हो तब भी मां ही सबसे पहले याद आती हैं।

“वो किसी ने कहा है ना कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते थे इसलिए उन्होंने मां को बनाया”
बिल्कुल सही कहा है, जिंदगी में सब कुछ हो और मां ना हो तो सब अधूरा सा हो जाता है। मां है तो दुनिया की सारी खुशियां हमारी हो जाती है।
आज भी हमारे बीच कुछ लोग है जो अपने मां-बाप को इज्जत नहीं देते..उन्हें वो मान सम्मान नहीं देते जिनके वो हकदार है। बहुत ज्यादा गुस्सा, बुरा व्यवहार और अत्याचार करते है वो अपने मां बाप पर… उनको लगता है कि उन्होंने उनके लिए कुछ नहीं किया और अगर किया भी है तो वो उनकी ड्यूटी थी।। सच कहा जाए तो वैसे लोग कितने बेवकूफ़ है वो.. जिस चीज को वो ड्यूटी समझते है वो उनकी ममता होती है और रही बात ड्यूटी की तो …फिर कुछ ड्यूटी बच्चों की भी तो होती है… तो क्या वो उन्हें पूरा कर रहे हैं, अगर इसका जवाब मिल जाए तो खुद सोचना कि उन्होंने अपने मां-बाप के लिए क्या किया है?

मैं सिर्फ़ इतना ही कहना चाहती हूं ऐसे लोगों से कि जिनके साथ तुम रह रहे हो ना, जिन्होंने तुम्हे चलना सिखाया, कंधे पर बैठा कर दुनिया दिखाया, वो सिर्फ़ मां बाप नहीं हैं.. वो भगवान का रूप है। तुम खुशनसीब हो जो यही उनके दर्शन हो गए। इसलिए उन्हें वो सब दो जिसके वो हकदार है। आज का ये लेख उन लोगों के लिए ख़ास तौर पर लिखा गया है जिनको अपने मां-बाप की कोई अहमियत समझ नहीं आती। हर पल उन्हें सिर्फ यही लगता है कि उनके मां-बाप उनके लिए जो कुछ भी कर रहे है वो कोई अहसान नहीं है बल्कि ये तो उनकी ड्यूटी है जो हर मां-बाप करते है। बहुत नासमझ हैं वो लोग जिनको कभी समझ ही नहीं आता कि मां-बाप भगवान का दिया हुआ वो तोहफ़ा होते है, जो सब के नसीब में नहीं होते। इसलिए इनके लिए हम जितना करें उतना कम है।

गर अभी भी कुछ लोगों को समझ नहीं आया तो मैं कुछ पंक्तियों के जरिए एक कोशिश और करना चाहूंगी-

एक छोटा सा घर है हमारा, मगर उसे बनाने में खूब पसीने बहाए हैं,
चूल्हे की आंच पर रोटियां पकाते हुए, कई बार मां ने अपने हाथ भी जलाए हैं,
ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं,
कि सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए हैं।।

दो समय की रोटी के लिए, मां ने कई दिन सिर्फ पानी पीकर बिताए हैं,
बच्चे भूखे ना सो जाए इसलिए भारी भारी बोझ भी उठाए हैं,
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

बहुत मुश्किल था वो दौर, उस दौर में शायद ही दो पैसों की बचत हो पाए लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके मां ने वो बचाए है,
मेरे बच्चों का भविष्य बहुत सुनहरा हो, रातों को जाग कर मां ने ये सपने सजाए है,
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

एक बार यूंही देखे मैंने उनके हाथ, उनके हाथों में बहुत सारी दरारें हैं,
हमारी परवरिश के लिए, उन्होंने अपने सुंदर हाथ भी बिगड़े है,
हमारे सारे सपने पूरे हों, इसलिए उसने अपने सारे सपने दांव पर लगाए हैं,
अपनी पसंद, अपने शौक सब छोड़ दिया, कहती हैं कि मुझे मेरे बच्चे उन सब से प्यारे हैं,
ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं,
कि सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

जिंदगी की इस तपती राह पर हमारे लिए, उसने अपने पांव जलाए है,
पीठे की वो मिठाई जो उन्हे बहुत पसंद है, उसके लिए बचाए पैसे भी हमारे आने वाले कल के लिए बचाए है
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
कि सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

जब जब मैंने खुद को मुश्किलों से घेरा है, तब तब मैंने अपनी मां को मेरे साथ खड़ा हुआ पाया है,
भगवान को देखा नहीं कभी मैंने लेकिन, वो मेरी मां ही है जिसने उनके होने का अहसास कराया है,
बहुत किया है उन्होंने मेरे लिए लेकिन अब मुझे उनके लिए कुछ करके दिखाना है,
जो कुछ भी छोड़ा उन्होंने मेरे लिए वो उन्हें वापिस भी तो दिलाना है…
इन्हीं जिम्मदारियों के कारण ऐसा होता आया है,
कि सालों तक हर त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाया है।।

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