Search
  • Noida, Uttar Pradesh,Email- masakalii.lifestyle@gmail.com
  • Mon - Sat 10.00 - 22.00

बॉक्स ऑफिस पर ‘Liger’ की हालत खराब, कहानी के तौर पर भी काफी कमजोर फिल्म साबित हुई

The condition of 'Liger' deteriorated at the box office, proved to be a very weak film in the form of story too.

मुंबई: पुरी जगन्नाध के निर्देशन में बनी Liger रिलीज हो चुकी हैं। फिल्म में विजय देवरकोंडा, अनन्या पांडे और राम्या कृष्णन अहम किरदारों में नजर आ रहे हैं। फिल्म में इंटरनेशनल फाइटर माइक टाइसन ने भी कैमियो रोल प्ले किया हैं। लाइगर में एक मां-बेटे की कहानी दिखाई गई हैं, जहां एक चाय बेचने वाली महिला अपने बेटे को फाइटर बनाना चाहती हैं।

फिल्म की कहानी लाइगर (विजय देवरकोंडा) की हैं, जिसकी मां बालामणि (राम्या कृष्णन) ने उसे पाला पोसा हैं। लाइगर हकलाता हैं, लेकिन उसके फाइटिंग स्किल्स काफी तगड़े हैं। लाइगर के पिता के निधन के बाद बालामणि ने लाइगर को अकेले और काफी मुश्किलों का सामना करते हुए पाला पोसा हैं। लाइगर को एमएमए फाइट के लिए रोनित रॉय ट्रेन करते हैं और काफी कुछ सिखाते हैं। फिल्म में अनन्या पांडे ने तान्या का किरदार निभाया हैं, जो लाइगर के लव इंट्रेस्ट में हैं। फिल्म में माइक टाइसन, चंकी पांडे और अली का कैमियो देखने को मिलता हैं। लाइगर की जिंदगी में क्या कुछ समस्याएं आती हैं और क्या वो उनसे जीत पाता हैं या नहीं, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

Vijay Deverakonda's film made a bumper earning record even before its release

 

फिल्म में विजय देवरकोंडा, अनन्या पांडे, राम्या कृष्णन और रोनित रॉय प्रमुख किरदारों में हैं। सबसे पहले बात करते हैं अनन्या पांडे कि तो उन्हें अभी भी एक्टिंग सीखने और समझने की जरूरत हैं। वहीं राम्या कृष्णन को देखकर ऐसा लगता हैं कि वो अब भी बाहुबली की शिवगामी देवी के किरदार में हैं, हालांकि वो एक बेहतरीन एक्ट्रेस हैं और उनसे काफी उम्मीदे थीं। फिल्म में सबसे दमदार काम रोनित रॉय का हैं और स्क्रीन पर उनकी मजबूत प्रेजेंस देखने को मिलती हैं। वहीं विजय देवरकोंडा ने डूबती लाइगर को संभालने का काम किया हैं। विजय देवरकोंडा ने कई सीन्स में काफी बेहतरीन परफॉर्म किया हैं, वहीं उनका फिजीकल ट्रांसफॉर्मेंशन भी काबिल-ए-तारीफ हैं। फिल्म का निर्देशन भी बिलकुल इम्प्रेस नहीं करता हैं।

लाइगर न सिर्फ तकनीकी तौर पर बल्कि कहानी के तौर पर भी काफी कमजोर फिल्म साबित होती हैं। फिल्म के वीएफएक्स से लेकर सिनेमैटोग्राफी तक काफी हल्की हैं। फिल्म के कई सीन्स आपको ऐसे देखने को मिलते हैं, जहां क्रोमा तक सही से कट नहीं किया गया हैं। वहीं फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कभी मिशन इम्पॉसिबल तो कभी विक्रम वेधा जैसा लगता हैं। एक्शन सीन्स पर भी म्यूजिक कुछ खास जचता नहीं हैं। फिल्म की एडिटिंग भी काफी खराब हैं और लिप सिंक ही नहीं बल्कि कई शॉट्स में भी सीक्वेंस शूट एडिट देखने को नहीं मिलता हैं। फिल्म के फाइटिंग एक्शन सीन्स भी कुछ खास इम्प्रेस नहीं करते हैं, इससे बेहतर दाव पेंच तो फिल्म सुल्तान में देखने को मिले थे।

Author