शहनाज हुसैन (Shahnaz Hussain) को कौन नहीं जानता, हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के क्षेत्र में इनका नाम व काम सर्वश्रेष्ठ है। आज सिर्फ नाम से ही इनके प्रोडक्ट हाथों-हाथ बिकते हैं।
पहली महिला उद्यमी: शहनाज हुसैन हमारे देश की पहली ऐसी महिला उद्यमी है, जिनका नाम ही उनका ब्रांड बन गया लेकिन इस सफलता तक पहुंचने की राह उनके लिए काफी संघर्ष भरी रही।
पदम श्री से सम्मानित: शहनाज हुसैन ” शहनाज हुसैन ग्रुप की फाउंडर, चेयर पर्सन तथा एमडी हैं। इस हर्बल मूवमेंट ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर बनाया है। साल 2006 में व्यापार और उद्योग क्षेत्र में उनके कार्य के लिए भारत सरकार द्वारा चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पदम श्री से सम्मानित किया गया था।।
बुलंद हौसला: शहनाज हुसैन की 14 साल की उम्र में सगाई तथा 15 की छोटी सी उम्र में शादी हो गई थी, छोटी उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ पड़ गया था। लेकिन फिर भी उन्होंने तय कर लिया था कि वह सिर्फ हाउसवाइफ बनकर नहीं रहेगी। इसलिए उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियों के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया।
मंजिल की तरफ एक कदम: शहनाज के पति तेहरान में पोस्टेड थे, तभी उन्होंने आयुर्वेद की पढ़ाई की। इसके बाद कॉस्मेटिक थेरेपी की ट्रेनिंग ली, ब्यूटी टेक्निक्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जर्मनी में इसी से जुड़े कोर्स भी किए और सन 1971 में शहनाज भारत लौटी और उन्होंने अपने कॉस्मेटिक फ्रॉम की शुरुआत की। यह शुरुआत उन्होंने अपने घर के बरामदे में ठेला लगाकर की।।
सफल स्टार्टअप: कुछ साल बाद शहनाज एक मशहूर ब्रांड बन गई। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका स्टार्टअप इतना सफल होगा । भारत के बाद उनके प्रोडक्ट को अन्य मुल्कों में भी पहचान मिली।
क्यों है इतने ख़ास: लोगों की खास पसंद होने का एक कारण उनके प्रोडक्ट का नेचुरल इनग्रेडिएंट से बने होना भी है ।
वह भले ही एक भरे पूरे परिवार से ताल्लुक रखती थी लेकिन 70 से 80 के दशक में अपने आप को एक महिला उद्यमी के तौर पर स्थापित करना बहुत मुश्किल काम था।
एक मुश्किल दौर : 1999 में उनके पति का निधन हो गया। 2008 में उनके बेटे समीर हुसैन का भी निधन हो गया। अब उनके काम को उनकी बेटी नीलोफर आगे बढ़ा रही है ।
व्यापार क्षेत्र: आज इनके 400 से ज्यादा फ्रेंचाइजी क्लीनिक पास को दुकानें हैं इस ग्रुप के 138 देशों में करीब डेढ़ लाख स्टोर हैं ।
अवॉर्ड लिस्ट: इनको मिलने वाले पुरस्कार- इमेज इंडिया अवार्ड, 1985 राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार द मिलेनियम मेडल ऑफ ऑनर इसके अलावा और भी पुरस्कारों से इन्हें नवाजा गया है।