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Author Archives: Nafisa Khan

If you are troubled by white hair then do this special exercise daily

Hair Loss से छुटकारा पाने के लिए अक्सर कई तरह के नुस्खे और शैम्पू का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन फॉलिकल्स की मजबूती के मद्देनजर सबसे जरूरी अंदरूनी ताकत का मिलना है। दरअसल, बॉडी में पोषक की कमी बालों के झड़ने का अहम कारण बनता है। इसके स्कैल्प का रूखापन भी बढ़ने लगता है और हेयरथिनिंग का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में बालों को प्रोटीन और बीटा कैरोटीन समेत कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जो विटामिन्स के सेवन से शरीर को हासिल होते है। आइये जानते हैं किन विटामिन्स की कमी से बढ़ने लगती हेयरफॉल की समस्या और उससे बचने के लिए किन टिप्स की लें सकते हैं सहायता-

इन VITAMINS की कमी से बढ़ती है बाल झड़ने की समस्या

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1. विटामिन B, बायोटिन और फॉलिक एसिड

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक विटामिन-B12 का सेवन करने से स्कैल्प पर सेल डिविज़न में मदद मिलती है। बायोटिन एक प्रकार का विटामिन बी है जो शरीर में मौजूद फूड को ऊर्जा में बदलने और सेल कम्यूनिकेशन में मदद करता है। ऐसे में बालों का झड़ना बायोटिन की कमी को दर्शाता है। ऐसे में विटामिन बी से भरपूर फूड्स को आहार में शामिल करके इस समस्या को हल किया जा सकता है।

2. विटामिन- D

इस विटामिन को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है। इसके सेवन से बालों का रोम चक्र प्रभावित होता है और इससे हेयरलॉस से राहत मिलती है। इससे बालों के फॉलिकल्स को मज़बूती मिलती है, जिससे हेयर नरिशमेंट बढ़ जाता है। शरीर में इसकी मात्रा को बढ़ाने के लिए धूप प्रदान करने के अलावा दूध, दही, पनीर, मछली, अंडे और संतरे का सेवन करने से फायदा मिलता है।

3. विटामिन- C की कमी

शरीर में विटामिन- C की कमी आयरन के अवशोषण को कम कर देती है। इसके कारण खून की कमी हेयरलॉस का कारण साबित होता है। अलावा इसके विटामिन- C की कमी के चलते कोलेजन का स्तर कम होता है, जिससे स्कैल्प का रूखापन बढ़ने लगता है और शुष्कता बढ़ जाती है। इसके लिए आहार में ब्रोकली, बैरीज़ और खट्टे फलों को शामिल करें।

4. विटामिन- E

विटामिन- E की गिनती फैट सॉल्यूबल विटामिन में की जाती है। इससे त्वचा, बालों और नाखूनों का स्वासथ्य उचित बना रहता है। इसमें मौजूद सूजनरोधी गुण ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करते हैं। इसके सेवन से एलोपीसिया का जोखिम कम हेने लगता है।

बालों की ग्रोथ के लिए इन फूड्स को करें आहार में शामिल

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1. पालक से मिलती है विटामिन और आयरन की मात्रा

आहार में पालक को शामिल करने से शरीर को शरीर को फोलेट, आयरन, विटामिन ए और सी की भी प्राप्ति होती है। यूएसडीए के अनुसार 1 कप पालक का सेवन करने से 20 फीसदी विटामिन ए की प्राप्ति होती है। इससे ब्लड सेल्स को ऑक्सीजन मिलती है, जिससे बालों का टूटना और झड़ना कम होने लगता है।

2. शकरकंदी है बीटा कैरोटीन से भरपूर

विटामिन- A की कमी हेयरलॉस का कारण बनने लगती है। ऐसे में विटामिन- A से भरपूर शकरकंदी को आहार में शामिल करने से बालों को बीटा कैरोटीन की प्राप्ति होती है, जिससे सीबम प्रोडक्टशन बढ़ने लगता है। इससे हेयरलॉस की समस्या हल हो जाती है।

3. एवोकाडो से होगी विटामिन-E की प्राप्ति

स्कैल्प के नरिशमेंट के लिए विटामिन-C और E बेहद कारगर साबित होते है। इससे स्कैल्प पर बढ़ने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम किया जा सकता है। एवोकाडो का सेवन करने से शरीर को हेल्दी फैट्स की प्राप्ति होती है, जिससे बालों की मज़बूती बढ़ने लगती है।

4. बैरीज़ से मिलते हैं एंटीऑक्सीडेंटस

इसमें मौजूद विटामिन-C से कोलेजन का प्रोडक्शन बढ़ने लगता है। इससे बालों को रूखापन दूर होता है और मज़बूती बढ़ जाती है। आहार में बैरीज़ को एड करने से शरीर में आयरन का एबजॉर्बशन बढ़ने लगता है। इससे हेयरलॉस से बचा जा सकता है।

Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

Reproductive Organ में अगर किसी तरह की कोई खराबी नहीं होती फिर भी प्रेगनेंसी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। Conceive का प्लान करने के बावजूद हसबैंड और वाइफ दोनों को निराश होना पड़ता है। जिन्हें प्रेगनेंसी में दिक्कत होती है, उन्हें फ्रेंड्स सलाह देते हैं कि इंटरकोर्स के बाद कुछ देर तक बिस्तर पर ही लेटे रहें। क्या यह वाकई कारगर है? क्या है कोई साइंटिफिक वजह है? हम यहां एक्सपर्ट के जरिए जानेंगे प्रेगनेंसी के इस खास तरीके का पूरा सच।

SEX के बाद लेटने से कंसीव करना आसान हो जाता है?

एक्सपर्ट के मुताबिक जब प्रेगनेंसी किन्हीं कारणों से लेट होने लगती है, तो डॉक्टर भी सेक्स के बाद 15- 20 मिनट तक बेड पर लेटे रहने की सलाह देते हैं। दरअसल, सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलना सामान्य है। ऐसा ग्रेविटी के कारण होता है। सेक्स के बाद स्पर्म का बाहर निकलने से गर्भधारण की संभावना कम नहीं होती। हालांकि खड़े होने या बाथरूम जाने से गुरुत्वाकर्षण शुक्राणु को गर्भाशय ग्रीवा से खींच कर दूर ले जा सकता है। इसलिए इस मामले में ज्यादातर डॉक्टर सलाह देते हैं कि सेक्स के बाद कम से कम 05 मिनट तक लेटे रहें। इससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

कंसीव करने के लिए SEX के बाद कितनी देर तक लेटे रहना चाहिए और कैसे?

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एक्सपर्ट इस बात की सलाह देते हैं कि अगर आप कंसीव करना चाहती हैं, तो सेक्स के बाद अपने हिप्स के नीचे एक तकिया लगा लें। इससे सीमेन को गर्भाशय की ओर ले जाने में ग्रेवेटी की मदद मिलती है। इस अवस्था में 10–15 मिनट रहने की सलाह दी जाती है। यह अवधि स्पर्म के लिए पर्याप्त होती है।

इस विधि के अलावा विशेषज्ञ पैर ऊपर करने की भी सलाह देते हैं। पैरों को एक साथ उठाकर दीवार से लगा दें। इस अवस्था में आराम करें। इस विधि में भी गुरुत्वाकर्षण को स्पर्म की मदद करने का अवसर मिलता है। यह भी एक असरदार तरीका है।

कितनी देर में गर्भाशय तक पहुंचता है स्पर्म

यदि स्पर्म के मूवमेंट की बात की जाए, तो स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब के भीतर अपने गंतव्य तक पहुंचने में 2 मिनट से भी कम समय लग सकता है। अक्सर शुक्राणु अंडाशय से एग जारी होने तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करते हैं। ये शरीर में लगभग पांच दिनों तक जीवित रह सकते हैं। इसका मतलब हुआ कि गर्भाधान वास्तव में सेक्स के कई दिनों बाद भी हो सकता है।

ओवुलेशन के दौरान कैसे ऐग मिलता है स्पर्म से

जो महिलाएं अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान से गुजरती हैं, उनमें स्पर्म की बड़ी संख्या को गर्भाशय के नजदीक छोड़ दिया जाता है। इससे ओव्यूलेशन के दौरान एक अंडा स्पर्म से मिलकर जायगोट बना लेता है। इसमें भी ग्रेविटी के रूल को ही फ़ॉलो किया जाता है।

SEX के बाद यूरीन पास करें या नहीं!

एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई कि 15 मिनट तक लेटने से गर्भधारण की दर 27 फीसदी तक बढ़ जाती है। जबकि इंटरकोर्स के तुरंत बाद उठने वाले लोगों में प्रेगनेंसी की दर 18 फीसदी थी।

अगर आप प्रेगनेंट नहीं होना चाहतीं और सेक्स के दौरान स्पर्म अंदर चला गया है, तो डॉक्टर आपको तुरंत यूरीन पास करने की सलाह देते हैं। यही कारण है कि प्रेगनेंसी को रोकने के तरीके के रूप में सेक्स के बाद यूरीन पास करने की सलाह दी जाती है। सेक्स के बाद पेशाब करने से यूटेरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन से बचाव हो सकता है।

इसके कारण सेक्सुअली ट्रांसमिट होने वाले कुछ संक्रमण को रोकने में भी मदद मिल सकती है। ग्रेविटी फ़ोर्स की वजह से सीमेन वेजाइना के अंदर नहीं जा सकते हैं। लेकिन सभी को यह बात जान लेनी चाहिए कि यूरीन एक छोटे से छेद से निकलता है, जिसे यूरेथरा कहा जाता है। सेक्स के बाद यूरीन करने से योनि से शुक्राणु नहीं निकल पाते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Every girl should have these important things in her bag

लड़कियों से हमेशा पति से लेकर दोस्त तक मजाक करते हैं कि आपके पास अक्सर एक BAG रहता है या पूरी गृहस्थी साथ लेकर चलती हैं। लेकिन हमारे लिए घर से बाहर अपनी जरूरत के सामान के बिना रहना बहुत मुश्किल है। लड़की होने की वजह से हमारी कई शारीरिक और समाजिक जरूरतें होती हैं। हमें अचानक आने वाली किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहना पड़ता है। बैग में रखी जाने वाली ये जरूरी चीजें ना सिर्फ आपको किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में मदद करती हैं बल्कि सुविधाजनक रहने के लिए भी जरूरी हैं।

आइए आज जानते हैं कि एक लड़की या महिला को अपने बैग में कौन सी चीजें हमेशा रखनी चाहिए।

मोबाइल, चार्जर, पावर बैंक और ईयरपॉड आजकल ये हर लड़की के बैग में जरूर होता है। हर दिन इस्तेमाल होने वाली ये वो चीजें हैं जो आपकी सुरक्षा की दृष्टि से भी जरूरी हैं। मगर जब बात आपकी सेहत की आती है, तो इसके लिए भी आपको अपने बैग में कुछ जरूरी चीजें रखनी चाहिए। यहां हम उन्हीं जरूरी चीजों के बारे में बात कर रहे हैं।

एक्सपर्ट भी करती हैं सिफारिश

Every girl should have these important things in her bag

सीनियर डॉक्टर के मुताबिक एक महिला होने के नाते मैं ये कह सकती हूं वो समझाती हैं कि हर लड़की या महिला को अपने बैग में कुछ जरूरी चीजें हमेशा रखनी चाहिए ताकि वह किसी भी स्वास्थ्य संबंधी या व्यक्तिगत स्थिति का सामना कर सके।

पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल होने वाले सैनिटरी पैड या टैम्पॉन सबसे महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, इंटिमेट हाइजीन वाइप्स या सैनिटाइज़र भी होना चाहिए ताकि स्वच्छता का ध्यान रखा जा सके। महिलाओं को एक छोटी बोतल में हैंड सैनिटाइज़र, फेस मास्क और टिश्यू पेपर भी रखना चाहिए, खासकर यात्रा के दौरान।

ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं, जैसे पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन, पेट दर्द या सिरदर्द के लिए मददगार हो सकती हैं। अलावा इसके हमेशा पीरियड्स के समय एक पानी की बोतल और कुछ हल्के स्नैक्स भी आवश्यक होते हैं, ताकि भूख या कमजोरी से निपटा जा सके।

हर लड़की या महिला को अपने बैग में रखनी चाहिए ये आवश्यक चीजें

1. पीरियड किट है आपकी सेवियर

Every girl should have these important things in her bag

हर लड़की जिसे बाहर जाना होता है, उसके बैग में एक पैड आपको हमेशा मिल जाएगा। लेकिन अगर आप अपने साथ एक DIY पीरियड किट रखती हैं, तो यह आपको और सहज महसूस करवा सकता है। इस किट में आप एक हैंड सैनेटाइजर और पेपर सोप ( पैड चेंज करने के पहले और बाद के इस्तेमाल के लिए), पैड या टैम्पौन या कोई भी मेन्स्ट्रुअल प्रोडक्ट जो आप इस्तेमाल करती हैं, पेन रोल ऑन स्टिक (क्रैम्प्स के लिए) , पैन्टी लाइनर (बहुत ज्यादा वाइट डिस्चार्ज के लिए) रख सकते हैं।

2. पानी की बोतल रखें अपने साथ

आपके स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह ना सिर्फ आपके शरीर को हाइड्रेटेड रखता है, बल्कि डाइजेशन, स्किन हेल्थ और मानसिक स्पष्टता में भी सुधार करता है। रोजाना पर्याप्त पानी पीने से एनर्जी बढ़ती है और आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। इसलिए, हमेशा अपनी पानी की बोतल साथ रखें और नियमित रूप से पानी पीते रहें। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और आपको पानी खरीदने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

3. फर्स्ट एड पाउच है बहुत महत्वपूर्ण

एक फर्स्ट एड पाउच का आपके बैग में होना बहुत आवश्यक है। यह आपको किसी भी तरह की शारीरिक समस्या से निपटने में मदद करती है। इस किट में आप अपनी दैनिक दवाइयों के अलावा, बैंडेंड, एन्टीसेप्टिक लिक्विड, पेन किलर्स, कॉटन बॉल, जुकाम और संक्रमण की दवा या अगर आपको कोई एलर्जी है तो उसकी दवा साथ रखें। ये आपकी या आपके आस-पास के लोगों को जरूरत पर पूरा फस्ट एड देने में सक्षम है।

4. मेकअप और हेयर एसेंशियल हमेशा रखें साथ

जब आप अच्छे दिखते हैं, तो आपका कॉन्फिडेंस खुद ब खुद बढ़ जाता है। किसी अनएक्सपेक्टेड मीटिंग, प्रेजेंटेशन या डेट के लिए, आपके बैग में रखी ये किट आपको तुरंत तैयार कर सकती है। इस किट में अपनी स्किनकेयर की जरूरतों के लिए अपने साथ एक लिप बाल्म, हैंड क्रीम और सन्सक्रीन जरूर रखें।

अब अगर आपको टच अप की जरूरत पड़ती है तो आपके पास आपकी पसंदीदा लिपस्टिक, काजल, पॉकेट पर्फ्यूम, वेट वाइप्स या टिश्यूज, एक कॉमपैक्ट पाउडर और शीशा होने चाहिए। इसके साथ आपके बालों के लिए एक कंघी और स्क्रन्ची, क्लचर या क्लिप रखना आपके बालों को संभालने में मददगार होगा।

इन किट्स के अलावा, आपके बैग में धूप का चश्मा, सेफ्टी पिन्स, सैनेटाइजर, टिश्यूज, एक नोट पैड, पैन, माउथ फ्रेशनर, पैपर स्प्रे और खाने के लिए कुछ हेल्दी स्नैक्स रखना एक बेहतर विकल्प है। ये किसी भी परिस्थिति में आपको सुरक्षित और तैयार रखने में मदद करते हैं। धूप का चश्मा आपकी आंखों की सुरक्षा करता है, जबकि सेफ्टी पिन्स किसी कपड़े में अचानक आई समस्या को हल कर सकते हैं। सैनेटाइजर और टिश्यूज हाइजीन बनाए रखने में मदद करते हैं, और नोट पैड व पैन महत्वपूर्ण विचारों या सूचनाओं को नोट करने के लिए जरूरी हैं। माउथ फ्रेशनर ताजगी देता है, जबकि हेल्दी स्नैक्स आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं। इन सभी चीज़ों के साथ, आप किसी भी स्थिति का सामना करने में पूरी तरह से सक्षम रहती हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Birth control pills can increase the risk of breast cancer and infertility

Birth Control Pills: बर्थ कंट्रोल पिल्स एक वक्त में सबसे अधिक प्रचलित कॉन्ट्रासेप्टिव माध्यम था। बता दें कि 15-20 साल पहले नब्बे फीसदी महिलाएं गर्भ निरोध के लिए इनका इस्तेमाल करतीं थीं, लेकिन महिलाओं में ज्यों-ज्यों अपने हेल्थ के प्रति जागरुकता बढ़ी, उन्होंने गर्भनिरोधक दवाएं की बजाएं दूसरे विकल्पों को प्राथमिकता देना शुरु कर दिया। इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय कंडोम हैं। मालूम हो कि मेल और फीमेल दोनों तरह के कंडोम उपलब्ध होने के बावजूद मेल कंडोम ही इस समय गर्भ निरोध का सबसे लोकप्रिय जरिया है। आखिर क्या करण है कि अब ज्यादातर महिलाएं ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स यानी गर्भनिरोधक दवाएं को लेना पसंद नहीं करतीं।

Birth control pills can increase the risk of breast cancer and infertility

अनचाहे गर्भ से बचने के लिए गर्भ निरोधक गोलियां एक विश्वसनीय माध्यम हुआ करती थीं। जो हर दिन नियमित रूप से लेने पर 99 फीसदी प्रभावी होती हैं। इसके बावजूद महिलाएं इसे लेने से घबराती हैं। असल में यह घबराहट बेवजह नहीं है। इनके तात्कालिक और लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स किसी भी महिला को परेशान कर सकते हैं। इसलिए इन्हें सबसे कम पसंद किया जाने वाला गर्भनिरोधक उपाय माना जाता है। क्या हैं गर्भनिरोधक गोलियों के नुकसान, आइये जानते हैं-

पहले बर्थ कंट्रोल पिल्स के बारे में जान लेते हैं

Birth control pills can increase the risk of breast cancer and infertility

एक सीनियर डॉक्टर बताती हैं कि ये एक तरह का ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड है जो हार्मोन्स का उपयोग करके कन्सीव करने को रोकती है। ओरल का मतलब है कि इसे मुंह से लिया जाता है। कॉन्ट्रासेप्शन का मतलब गर्भधारण को रोकने का कोई भी तरीका।

इन गोलियों में ऐसे हार्मोन्स होते हैं जो पीरियड्स को कंट्रोल करते हैं, PMS के लक्षणों को कम करते हैं, ओवरी और यूट्रस के कैंसर का खतरा कम करते हैं, और एंडोमेट्रियोसिस का इलाज करते हैं। कई लोगों के लिए, यह गोली उनके दैनिक रूटीन का एक हिस्सा होती है। जब आप इन्हें रोज, पूरे तरह से निर्धारित तरीके से लेते हैं, तो यह गर्भधारण को 99 प्रतिशत तक रोकती हैं।

कैसे काम करती हैं बर्थ कंट्रोल पिल्स?

डॉक्टर आगे समझाते हुए कहती हैं कि यह गोलियां गर्भधारण को रोकने के लिए हार्मोन्स का उपयोग करती हैं, जो स्पर्म को एग्स के फर्टिलाइजेशन से रोकती हैं। ये आपकी यूट्रस में भी बदलाव लाती हैं ताकि आप गोली लेते समय कंसीव ना करें। यह ओव्यूलेशन को रोकती हैं या कम करती हैं। सर्विक म्यूकस को गाढ़ा करती हैं, जो स्पर्म को यूट्रस में जाने से रोकता है। आपकी यूट्रस की ऊपरी लेयर को पतला करती हैं ।

बर्थ कंट्रोल पिल्स के नुकसान

वो इसके बारे मे सचेत करती हैं कि कॉन्ट्रासेप्टिव दवा को डॉक्टर के परामर्श के साथ लिया जा सकता है लेकिन इन्हे ज्यादा खाना सेहत के लिए नुकसानदेय हो सकता है क्योंकि इसके कई स्वास्थ्य संबंधी जोखिम हो सकते हैं। इन्हे लेने के बाद आपको ब्रेस्ट में सूजन या दर्द, हैवी ब्लीडिंग, मूड स्विंग, हल्का सिरदर्द और पेट दर्द जैसे लक्षणों का अनुभव भी हो सकता है। जो महिलाओं मे कमजोरी का कारण बन सकती हैं।

निम्नलिखित नुकसान, जिन्हें ‘ACHES’ शब्द से याद रखना आसान है, ये कम सामान्य लेकिन गंभीर होते हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। ये लक्षण गंभीर बीमारियों जैसे लीवर डीजीज, ब्लैडर का रोग, स्ट्रोक, ब्लड क्लॉटिंग, हाई ब्लडप्रेशर, हृदय रोग, स्ट्रोक, ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) का खतरा, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, वजन बढ़ना, मासिक धर्म में बदलाव, इन्फर्टिलिटी आदि का जोखिम बना रहता है। ये हैं-

पेट में दर्द : A for (Abdomen pain)
छाती में दर्द : C for (Chest pain)
सिरदर्द: H for (Headaches)
आंखों की समस्याएं : E for (Eye problems )
पैरों में गंभीर सूजन: S for (Severe leg swelling)

क्या इनके कुछ लॉन्ग टर्म नुकसान भी हैं?

डॉक्टर बताती हैं, हालांकि, हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव तरीके अधिकांश लोगों के लिए सुरक्षित होती हैं, बशर्ते उन्हें डॉक्टर की मंजूरी मिली हो। लेकिन कुछ लोगों में काॅन्ट्रासेप्टिव पिल्स के लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स में ब्लड क्लाॅटिंग और कुछ कैंसर का जोखिम शामिल हो सकता है। ये उस कॉन्ट्रासेप्टिव पिल के प्रकार से निर्भर होते हैं, जिसे आप चुनते हैं।

ब्लड क्लॉटिंग का खतरा

गोलियां लेने वाले लोगों में ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम अधिक हो सकता है। हाई एस्ट्रोजन वाली गोलियां इस खतरे को और बढ़ा देती हैं। कुछ मामलों में, ये क्लॉटिंग जीवन के लिए खतरा बन सकते हैं यदि वे ब्लड फ्लो के माध्यम से दिमाग, फेफड़ा और दिल तक पहुँचते हैं।

दिल की बीमारी और स्ट्रोक का डर

स्ट्रोक या हार्ट अटैक का जोखिम गोलियां लेने वाले लोगों में अधिक हो सकता है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि इस्कीमिक स्ट्रोक का जोखिम हर 10 माइक्रोग्राम एस्ट्रोजन में बढ़ता है, साथ ही ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव के उपयोग के पांच साल के अंतराल में भी। हार्ट अटैक का खतरा गोलियों में एस्ट्रोजन की खुराक के साथ बढ़ता है।

ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम

कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि गोलियां लेने वाले लोगों में उन लोगों की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर विकसित होने की आशंका अधिक होती है, जो ओरल कॉन्ट्रासेपशन का उपयोग नहीं करते। इसमें पाया जानु वाला सिंथेटिक एस्ट्रोजन मुख्य चिंता का विषय है। इस संबंध पर रीसर्च के परिणाम मिश्रित रहे हैं। नए रीसर्च के मुताबिक हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्शन के उपयोग और ब्रेस्ट कैंसर के बीच का संबंध वास्तव में ट्यूमर के टाइप पर निर्भर कर सकता है। गोलियाँ लेने वाले लोगों में यूट्रस कैंसर विकसित होने का जोखिम भी अधिक होता है।

माइग्रेन का खतरा

जो लोग माइग्रेन के सिरदर्द का अनुभव करते हैं, उन्हें ऐसे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स से बचना चाहिए जिनमें एस्ट्रोजन हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 35 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए, जो माइग्रेन का अनुभव करते हैं, एस्ट्रोजन वाली गोलियों के उपयोग की सलाह नहीं देता। उधर, ये उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं, जो पीरीयड्स में माइग्रेन का सामना करती हैं।

ब्लैडर की बीमारियां

शोध से पता चलता है कि कुछ हार्मोनल काॅन्ट्रासेप्टिव पिल्स गाॅल ब्लैडर की बीमारी का जोखिम बढ़ा सकती हैं, लेकिन ओरल काॅन्ट्रासेप्शन इनमें से नहीं हैं। डेपो-प्रोवेरा में प्रोजेस्टिन और लेवोनोर्गेस्ट्रेल अंतर्गर्भाशयी उपकरण (IUD) के उपयोग ने इस जोखिम को बढ़ा दिया है। ये हेपेटोसेलुलर एडेनोमा लगभग 4 फीसदी मामलों में कैंसर में बदल सकते हैं।

ये ट्यूमर फट भी सकते हैं और ब्लीडिंग हो सकती है, इसलिए ट्यूमर वाले लोगों के लिए ओरल कॉन्ट्रासेप्शन से बचना जरूरी है।

अगर बर्थ कंट्रोल पिल्स ले रही हैं, तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान

  • शराब और धूम्रपान का सेवन न करें।
  • अगर आप ब्रेस्ट फीड करती हैं तो इनके सेवन से बचें।
  • गोलियां हर दिन एक ही समय पर लें ताकि गोली का सबसे अच्छा असर हो सके।
  • ये गोलियां सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से नहीं बचातीं।
  • अगर हाल ही में आपका मिसकैरेज या एबॉर्शन हुआ हो तो इन गोलियों को लेने से बचें।
  • अगर आप गोली लेना भूल जाते हैं तो क्या करना है, इसकी एक योजना बनाएं।
  • एक बैकअप, जैसे कंडोम, अपने पास रखें, ताकि अगर आप गोली लेना भूल जाएं।
  • गोली के साथ दी गई जानकारी को ध्यान से पढ़ें और निर्देशों का पालन करें।

 

KARWA CHAUTH: Karwa Chauth has special significance for married women

KARWA CHAUTH: सुहागिनों महिलाओं के लिए महापर्व है करवा चौथ। बता दें कि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। करवा चौथ पर सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए सुबह से ही निर्जला व्रत रखती हैं।

सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर निर्जला व्रत रखते हुए शाम को शुभ मुहूर्त में करवा माता की पूजा और कथा सुनती हैं, फिर रात को चंद्रमा के निकलने पर अर्ध्य देकर व्रत खोलती हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक करवा चौथ का व्रत सुबह से लेकर रात को चांद के दर्शन और पूजन के बाद समाप्त हो जाता है। आइये जानते हैं करवा चौथ व्रत का क्या है महत्व? पूजा का शुभ मुहूर्त और दिल्ली एनसीआर में चांद निकलने के समय के बारे में..

करवा चौथ के मौके पर चंद्रोदय का समय

KARWA CHAUTH: Karwa Chauth has special significance for married women

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार 20 अक्टूबर को करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर, 53 मिनट पर होगा। देशभर के अलग-अलग शहरों में चांद के निकलने के समय में कुछ बदलाव हो सकता है। दिल्ली में चांद 7:53 बजे, नोएडा में 7:52, गाजियाबाद में 07:52 और गुरुग्राम में 7:55 बजे चांद दिखाई देगा।

करवा चौथ 2024 शुभ तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ पर चतुर्थी तिथि 20 अक्तूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन 21 अक्तूबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।

करवा चौथ 2024 पूजा शुभ मुहूर्त

सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए शाम को सोलह श्रृंगार करते हुए एक खास जगह पर एकत्रित होकर करवा माता की पूजा और कथा सुनती हैं। करवा चौथ पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्तूबर को शाम 05 बजकर, 46 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर, 54 मिनट तक रहेगा।

फोटो सौजन्य- गूगल

Turmeric Benefits: The only medicine for many diseases

Turmeric Benefits:  हल्दी सदियों से हमारी रसोई का अभिन्न अंग बन कर रही है। इसके खूबियों की तारीफ हमारे बड़े-बुजुर्ग और मां-बाप बचपन से करते रहे हैं। सर्दी-जुकाम और खासी या मामूली चोटों पर हल्दी वाले नुस्खे आजमाए भी हैं। जब चोट लगी तो हल्दी वाला दूध, जुकाम में हल्दी का काढ़ा और ऐसी ही जाने कितनी समस्याओं के लिए हल्दी को चुना गया। पाउडर वाली के इस्तेमाल से तो सब परिचित हैं ही पर क्या आप जानते हैं कि कच्ची हल्दी इस पाउडर वाली हल्दी से भी ज्यादा गुणवान हैं।

कच्ची हल्दी के जबरदस्त फायदे

कच्ची हल्दी, जोकि कम प्रोसेस्ड होती है और इसलिए काफी ज्यादा फायदेमंद होती है। यह अदरक जैसी दिखती है और इसे कई तरीकों से प्रयोग भी किया जा सकता है।

कच्ची हल्दी उसके पाउडर से ज्यादा फायदेमंद

Turmeric Benefits: The only medicine for many diseases

आयुर्वेद के मुताबिक दिन की शुरुआत खाली पेट कच्ची हल्दी के एक छोटे टुकड़े को पानी के साथ लेने से इसकी एंटीमाइक्रोबियल विशेषताएं इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकती हैं।

पाचन क्रिया में सुधार होता है और पेट फूलने तथा गैस की समस्या कम होती है। इसमें मौजूद कर्क्यूमिन से सूजन कम होती है और नियमित सेवन से गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत मिल सकती है। यह ब्लड वेसल्स के कार्य को बेहतर बनाकर हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

वजन घटाने में मददगार है कच्ची हल्दी

इसे वजन घटाने में भी सहायक माना जाता है क्योंकि इसमें मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो फ्री रेडिकल्स को नष्ट करके सेल्स की रक्षा करता है। जिसे आपका मेटाबॉलिज्म बेहतर और वजन कम होता है साथ ही यह आपकी त्वचा की चमक को बनाए रखने में मदद करता है, इसलिये इसका उपयोग आप फेस पैक बनाने में भी कर सकते हैं।

कैंसर के खिलाफ लड़ने में भी आगे है कच्ची हल्दी

डॉक्टर के अनुसार कर्क्यूमिन कैंसर को रोकने, उसके फैलाव को धीमा करने, और कैंसर सेल्स को नष्ट करने में भी प्रभावी हो सकता है। कीमोथैरेपी को अधिक प्रभावी बनाने और रेडिएशन द्वारा हल्दी सेल्स को क्षति से बचाने में मदद कर सकता है। कच्ची हल्दी का सेवन खासकर ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, कोलन और स्किन कैंसर के मामलों में फायदेमंद साबित हो सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर भी होता है असर

पबमेड सेंट्रल में साल 2021 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ता है, जो मस्तिष्क सेल्स को नुकसान पहुंचाने से रोकता है और अवसाद तथा चिंता के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती है। मस्तिष्क में BDNF(ब्रेन-डेरिव्ड न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर) के स्तर को बढ़ा सकता है, जो सोचने, समझने, सीखने, याद रखने और समस्या हल करने की क्षमताओ को बेहतर बनाता है।

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Breast Cancer

Breast Cancer: अक्टूबर को ब्रेस्ट कैंसर के महीने के तौर पर भी जानते हैं। बताती चलूं कि ये कैंसर काफी खतरनाक होने के साथ-साथ जानलेवा भी होता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार वर्ष 2022 में दुनिया भर में इस कैंसर से तकरीबन 6,70,000 जानें गईं थीं। इनमें से 99 फीसदी से ज्यादा केस महिलाओं में पाए गए थे। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के एक अध्ययन में पता चला है कि साल 2012 से 2021 तक 50 से कम उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले में सलाना 1.4 प्रतिशत का इजाफा दर्ज हुआ है। एक स्टडी के मुताबिक अमेरिका में 20 साल की लड़कियां भी अब इस कैंसर जैसी बीमारी से ग्रसित हो रही हैं। आइये जानते भारत कहां खड़ा है-

बीस साल की लड़कियों में भी Breast Cancer

Breast Cancer

JAMA नेटवर्क ओपन में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक अमेरिका में 20 से 49 वर्ष की महिलाओं में तेजी से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। शोध करने वाली टीम ने साल 2000 से 2019 तक ब्रेसट कैंसर से पीड़ित 2,17,000 से अधिक अमेरिकी महिलाओं के डेटा एनालिसिस किया। साल 2000 में 20 से 49 साल की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत हर एक लाख लोगों पर करीब 64 मामले दर्ज किए गए। अगले 16 सालों में यह रेट बढ़कर सालाना करीब 0.24 फीसदी हो गई। साल 2016 तक हर एक लाख पर 66 केस ब्रेस्ट कैंसर के मिले पर इसके बाद इसमें काफी ज्यादा तेजी आ गई। अचानक से बढकर यह रेट 3.76 फीसदी सालाना हो गई। साल 2019 तक यानी सिर्फ 03 साल में ही यह रेट हर 01 लाख पर 74 तक पहुंच गई।

अश्वेत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा

सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक स्टडी के अनुसार पिछले दो दशकों में 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ा है। डेटा का एक दिलचस्प पहलू ये भी सामने आया है कि अश्वेत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम काफी ज्यादा है। खासकर 20 से 29 साल की अश्वेत महिलाओं में बाकियों की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 53 फीसदी अधिक है।

ब्रेस्ट कैंसर में भारत

Breast Cancer

वर्ष 2018 में भारत में ब्रेस्ट कैंसर के कुल 1,62,468 केस सामने आए थे। इनमें से 87,090 महिला पीड़ितों की मौत हो गई। भारत में ब्रेस्ट कैंसर से बचने का रेट 60 फीसदी है, जो अमेरिका से 20 प्रतिशत कम है। देश में ब्रेस्ट कैंसर शहरों में ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत में भी कम उम्र की महिलाएं कैंसर जैसी घातक बीमारी की चपेट में आ रही हैं। इलाज में देरी के कारण मौत का खतरा भी बढ़ रहा है। इस कैंसर के बढ़ने की सबसे बड़ी वजह में तंबाकू, शराब, मोटापा, गलत लाइफस्टाइल और पॉल्यूशन है।

Sex Education

Sex Education: एक फिल्म आई थी ‘ओ माई गॉड-2’ जिसमें एक बढ़ता बच्चा एक ऐसी हरकत के लिए स्कूल से निकाल दिया जाता है जिसकी उसे ठीक से समझ ही नहीं थी। वास्तव में अपने शरीर, यौन संबंध और यौन समस्याओं के बारे में अब भी हमारे रूढ़ीवादी समाज में खुलकर बात नहीं की जाती। यहां तक कि स्कूलों में भी उन दो लेशन को या तो कटवा दिया जाता है या बस तेजी से पढ़ा दिया जाता है। यही कारण है कि बच्चे और किशोर इंटरनेट पर मौजूद बहुत सारी भ्रामक जानकारियों के शिकार हो रहे हैं। बतां दें कि बच्चे किसी गलत साथ या गलत हरकत के शिकार ना हों, इसके लिए आवश्यक है कि माता-पिता अपने बच्चों से यौन शिक्षा के बारे में खुलकर बात करें।

सेक्स का आधा-अधूरा ज्ञान इंटरनेट से लेना

आज भी सेक्स से जुड़ी बातों को टैबू माना जाता है, लोग इस बारे में खुलकर बात नहीं करते। जबकि इंटरनेट के आ जाने के बाद से इस पर बहुत सारा कंटेंट हम सभी के लिए सुलभ हो गया है। यह इतनी आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध है कि छोटे बच्चे और किशोर भी इस तक आसानी से पहुंच रहे हैं। जबकि सेक्स के बारे में इंटरनेट पर मौजूद बहुत सारा कंटेंट हकीकत से कोसों दूर होता है। जिसके कारण से यौन संबंधों, यौन समस्याओं और अपने शरीर के बारे में जानने की बजाए बढ़ते हुए बच्चे, किशोर और युवा कन्फ्यूज हो जाते हैं। समाज में चले आ रहे टैबू को तोड़ना बहुत ही जरूरी है।

आजकल बेहद छोटी उम्र में प्रेगनेंसी, STI जैसी अन्य सेक्सुअल हेल्थ संबंधित मामले देखने को मिल रहे हैं। यही कारण है, कि एक उम्र के बाद पेरेंट्स को अपने बच्चों से सेक्सुअल हेल्थ से जुड़ी जरूरी बातें करनी शुरू कर देनी चाहिए। इस विषय पर अधिक गंभीरता से समझने के लिए हमने डॉक्टर से सेक्स एजुकेशन के कई महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात की। आइये जानते हैं डॉक्टर द्वारा दी गई सेक्स से जुड़ी जानकारी-

जरूरी है बच्चों को यौन शिक्षा देना?

Sex Education

डॉक्टर के मुताबिक पेरेंट्स को अपने बच्चों को हर पहलू से सेक्स के बारे में बताना चाहिए। सेक्स से जुड़ी शारीरिक जानकारी के साथ ही भावनात्मक और सामाजिक ज्ञान भी जरूरी है। उन्हें सेक्स से जुड़े सभी कानून की जानकारी होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त बच्चों में बैड टच और गुड टच की समझ बहुत जरूरी है। उन्हें यह भी बताएं कि सेक्स के लिए सामने वाले व्यक्ति की सहमति भी मायने रखती है, जबरदस्ती किसी के साथ यौन संबंध बनाना रेप माना जाता है।

सेक्सुअली एक्टिव होने की सही उम्र

Do we have to face the risk of UTI after sex?

सेक्स के लिए सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक समझ होना भी जरूरी है। विशेषज्ञ प्रजनन की आयु के बारे में बात कर सकते हैं। मगर किसी व्यक्ति को यौन संबंधों के लिए कब सक्रिय होना है, यह पूरी तरह उसकी अपनी इच्छा पर निर्भर करता है। डॉक्टर के मुताबिक इस तर्क का आधार यह है कि किसी को भी उसकी उम्र के कारण बच्चे पैदा करने या शादी करने का प्रेसर ना दिया जाए।

गवर्नमेंट द्वारा साइंटिफिक, सोशल और फिजिकल पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एडल्टहुड की उम्र 18 वर्ष रखी गई है। इससे पहले बनाए गए यौन संबंध बाल यौन शोषण की श्रेणी में रखे जाते हैं और इस पर सजा भी हो सकती है। यौन शिक्षा उन तमाम भ्रामक जानकारियों से बचाने का रास्ता है जो आपके बच्चे को कन्फ्यूज कर रही हैं।

टीनएजर बच्चों के लिए इसलिए जरूरी है यौन शिक्षा

1. शारीरिक बदलावों को स्वीकारना

बच्चे जब बड़े होते हैं, खासकर जब उन्हें प्यूबर्टी हिट करती है, तो शरीर में कई बदलाव आते हैं। जैसे कि हेयर ग्रोथ, खासकर प्राइवेट एरिया में, वहीं लड़कियों में डिस्चार्ज होता है, ऐसे में हाइजीन के प्रति अधिक सचेत रहना जरूरी है।

बचपन में साफ-सफाई का ध्यान पेरेंट्स रखा करते थे, पर जब बच्चे टीनएज में आ जाते हैं, तो ऐसे में उन्हें अपनी हाइजीन से जुड़ी जानकारी होना जरूरी है। पेरेंट्स को वेजाइना और पेनिस क्लीनिंग के साथ ही प्यूबिक हेयर के इंपोर्टेंस बताने चाहिए। साथ ही साथ पीरियड्स हाइजीन के बारे में भी उन्हें अवेयर करना जरूरी है।

2. यौन शोषण से बचाव

यौन संबंध एक बेहद संवेदनशील मसला है। बढ़ती उम्र के बच्चे कई बार यह तय नहीं कर पाते कि वे किसी को पसंद कर रहे हैं या उसकी पर्सनेलिटी को कोई एक हिस्सा उन्हें आकर्षित कर रहा है। इस उम्र में हॉमोन्स का दबाव इतना अधिक होता है कि बच्चे बहुत जल्दी किसी के प्रति शारीरिक आकर्षण में बंध जाते हैं। फिर चाहें उनके दोस्त हों, टीचर, कोच, परिचित या आसपास का कोई भी व्यक्ति।

इमोशनल और हॉर्मोनल ओवरलोड उन्हें किसी गलत संबंध या व्यक्ति के प्रति आकर्षित न करे, इसके लिए जरूरी है पेरेंट्स का उनके साथ बातें शेयर करना। जब उन्हें अपनी भावनाएं आपके साथ शेयर करने की अनुमति होगी, तभी आप सेक्स के जोखिमों और सेफ्टी पर ठीक से समझा पाएंगी।

3. STI और यौन संक्रमण

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बच्चों में सेक्सुअल समझ पैदा करने का एक सबसे बड़ा कारण है एसटीआई। आजकल एसटीआई कॉमन हो गया है और छोटी उम्र में भी लोगों को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से बचने के लिए इसके बारे में पता होना बेहद जरूरी है।

प्यूबर्टी के बाद अपने बच्चों को एसटीआई के प्रति जागरूक करें। उन्हें इसके बारे में बताएं साथ ही इसकी संभावित कारणों पर बात करें। बच्चों में जानकारी की कमी होने से वे अनसेफ सेक्स कर सकते हैं, जिसकी वजह से उनमें एस्टीआई का खतरा बढ़ जाता है। आपकी छोटी सी पहल आपके बच्चों को तमाम परेशानियों से बचा सकती है।

4. इमोशनल ब्लैकमेलिंग से बचना है जरूरी

अक्सर नादानी में बेहद कम उम्र में लोग मेक आउट, ब्लो जॉब जैसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। यह न्यू नॉर्मल है, पर इससे बच्चों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की हानि हो सकती है। इसलिए उन्हें इनके बारे में पहले से बताएं ताकि वे समझदारी से काम ले सकें। आपके बच्चे के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि एक बार किसी एक्टिविटी में शामिल हो जाने के मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति इस आधार पर दोबारा ऐसा करने का उन पर दबाव बनाए।

अगर आपको कुछ ऐसा पता चलता है तो उस पर नेगेटिव रिएक्ट करने की जगह उनकी भावनाओं को प्राथमिकता देते हुए उन्हें सही बात बताएं। जब वे हाई स्कूल में अपने जूनियर या सीनियर क्लास में पहुंचते हैं, तो डेटिंग सम्मान और संचार के साथ एक वास्तविक रिश्ते की तरह होती है, न कि केवल हुकअप। यह दो लोगों के बीच संचार का एक रूप है, यह भावनात्मक है, और अगर यह एक परिपक्व, स्वस्थ रिश्ता है, तो यह पारस्परिक और सम्मानजनक है। डेटा दिखाता है कि यौन गतिविधि में देरी करने के कई लाभ हैं।

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effective exercises

Fatigue: जिंदगी में दिनों दिन बढ़ने वाले टेंशन-थकान कमजोरी की वजह बन जाते हैं। इससे ना सिर्फ हेल्थ संबंधी समस्याएं बढ़ने लगती है बल्कि वर्क प्रोडक्टिविटी पर भी उसका असर देखने को मिलता है। थकान को कम करने के लिए दवाओं के अलावा एक्सरसाइज बेहद कारगर उपाय है। इससे शरीर को मजबूती मिलने के अलावा मानसिक स्वास्थ्य को बूस्ट करने में भी मदद मिलती है। जानते है किन एक्सरसाइज की मदद से थकान से राहत मिल सकती है।

फिटनेस एक्सपर्ट बताते हैं कि डेली व्यायाम करने से शरीर में एंडोर्फिन का रिलीज बढ़ जाता है। इससे ना सिर्फ शरीर में ऊर्जा का लेवल बढ़ता है बल्कि विचारों में भी सकारात्मकता बढ़ने लगती है। अलावा इसके नींद ना आने की समस्या हल हो जाती है। शरीर को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए एक्सरसाइज के अलावा शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है। इसके लिए स्वीमिंग, जॉगिंग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें।

इन एक्सरसाइज़ की मदद से टेंशन-थकान को करें दूर

1. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़

effective exercises

बॉडी को एक्टिव और हेल्दी बनाए रखने के लिए फुल बॉडी स्ट्रेचिंग जरूरी है। अलावा इसके शोल्डर स्ट्रेच से लेकर लेग्स स्ट्रेचिंग तक शरीर के आवश्यक है। इससे शारीरिक अंगों में ब्लड का उचित फ्लो बना रहता है और आलस्य व थकान अपने आप कम होने लगती है। नियमित रूप से स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करने से शरीर में ऑक्सीजन की उच्च मात्रा बनी रहती है।

2. स्टेबिलिटी एक्सरसाइज़

शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद आवश्यक है। इसके अभ्यास से लिगामेंटस और कोर मसल्स को मज़बूती मिलती है। इसके लिए दिनभर में कुछ वक्त प्लैंक्स, सिंगल लेग बैलेंस, शेडो बॉक्सिंग और स्टेबीलिटी बॉल एक्सरसाइज़ करें। नियमित रूप से इसका अभ्यास शरीर को एक्टिव और हेल्दी बनाए रखता है। इससे अपर बैक, गदर्न, कंधों और काफ मसल्स की मज़बूती बढ़ने लगती है।

3. कुछ समय जॉगिंग के लिए निकालना है जरूरी

Government's alert on the havoc of heat

थकान को दूर करके एकाग्रता को बढ़ाने के लिए कुछ देर जॉगिंग अवश्य करें। इससे शरीर में ब्लढ का फ्लो बढ़ने लगता है, जिससे अलर्टनेस बढ़ जाती है। 5 मिनट के वॉर्मअप के बाद 20 से 25 मिनट की जॉगिंग से शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन का रिलीज़ बढ़ जाता है। इससे टांगों, लंग्स, हृदय और बैक मसल्स को मज़बूती मिलने लगती है। इससे शरीर दिनभर एक्टिव बना रहता है।

4. स्वीमिंग भी है जरूरी

मसल्स को ऑक्सीजनेट करने के अलावा तनाव को दूर करने के लिए स्वीमिंग एक कारगर उपाय है। स्वीमिंग से शरीर रिलैक्स होने लगता है, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोन का रिलीज़ बढ़ जाता है। इसके अभ्यास से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। साथ ही मसल्स ऑक्सीजनेट होते हैं, जिससे हृदय संबधी समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है। तैराकी से स्पाइन को मज़बूती मिलती है, जिससे पीठ दर्द और घुटनों के दर्द से मुक्ति मिल जाती है।

5. योगाभ्यास है फायदेमंद

Yoga for women

योगाभ्यास करने से शरीर का मूवमेंट बढ़ने लगता है, जिससे मांसपेशियों की दर्द और ऐठन कम हो जाती है। अलावा इसके खड़े होकर, बैठकर और लेटकर किए जाने वाले योगासनों से शरीर स्ट्रेच होता है। इसके नियमित अभ्यास से थकान के अलावा शरीर कई समस्याओं से बचा रहता है। साथ ही शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है।

6. पिलेट्स

सांस पर नियंत्रण बनाकर कोर मसल्स की स्ट्रेथनिंग बढ़ाने वाली इस एक्सरसाइज़ से शरीर के पोष्चर में सुधार आने लगता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, जिससे फेफड़ों का स्वास्थ्य उचित बना रहता है और थकान कम होने लगती है। रेजिस्टेंस बैंड और रोप की मदद से की जाने वाली ये एक्सरसाइज़ लो इंटैसिटी एक्सरसाइज़ है। इससे तनाव कम होता है और शरीर चुस्त बना रहता है।

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Breastfeeding

Breast Feeding को लेकर कुछ जरूरी बातें हमें मालूम नहीं होती, जिससे मां और शिशु दोनों को नुकसान होता है। मां का दूध बच्चे के लिए न्यूट्रीशन से भरा वो आहार है जो उसकी समूचे ग्रोथ में मददगार साबित होता है। ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए फायदेमंद है। वैसे तो शिशु के लिए पैदा होने के 06 माह तक ब्रेस्टफीडिंग की सलाह दी जाती है लेकिन कई बार गलत तरीके से फीडिंग मां को तो थका देती ही है साथ-साथ बच्चे को भी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं।

ब्रेस्टफीडिंग के वक्त कुछ बातों का अमल करना जरूरी है ताकि मां और बच्चे का स्वास्थ्य बिल्कुल सही रहे। आइये जानते हैं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

ब्रेस्टफीडिंग क्यों है ज़रूरी-

breastfeeding

इस बारे में विशेषज्ञ की राय हैं कि ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए अहम है। मां के दूध से नवजात शिशु को सभी जरूरी पोषण मिल जाते हैं, जिससे बच्चे की ग्रोथ में मदद मिलती है। अलावा इसके शिशु को पर्याप्त ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। पर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखना भी आवश्यक है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक ब्रेस्ट मिल्क में इम्युनोग्लोबुलिन या एंटीबॉडी पाई जाती हैं। इससे मिलने वाला प्रोटीन बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं। अलावा इसके बच्चों में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ का जोखिम भी कम हो जाता है। वहीं, ब्रेस्टफीडिंग करवाने से ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है।

ब्रेस्टफीडिंग कराते समय इन बातों का रखें ध्यान

1. बच्चे की जरूरत का रखें ध्यान

 

Breast feeding

बच्चे को जब भी भूख लगे उसे स्तनपान करवाएं। अपनी तरफ से समय निर्धारित करने का प्रयास न करें। बार-बार स्तनपान कराने से दूध पर्याप्त मात्रा में बनता है और बच्चे को पूरा पोषण मिल पाता है। साथ ही किसी तरह के ब्लॉकेज या थक्का बनने का खतरा भी नहीं रहता। अगर वर्किंग मॉम हैं, तो ब्रेस्ट पंपिंग के जरिये दूध निकालकर भी बच्चे को पिलाया जा सकता है। बच्चा जब बड़ा होने लगे, तब अचानक स्तनपान बंद न करें। फीडिंग धीरे-धीरे छुड़ाने से आपके शरीर को ढलने का समय मिल जाता है और किसी तरह की परेशानी नहीं होती है।

2. क्लीनिंग पर ध्यान देना जरूरी

फीडिंग के समय हाइजीन का ख्याल रखना सबसे महत्वपूर्ण है। ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान रोज नहाना, कपड़ों की साफ सफाई और नियमित रूप से कपड़े बदलना जरूरी है। ब्रेस्ट फीडिंग के लिए कपड़े ढीले पहनें और उनकी बनावट ऐसी हो, जिससे बच्चे को आसानी से स्तनपान कराया जा सके। स्तनों पर बार-बार हाथ लगाने से बचें। हाथ लगाने से संक्रमण का खतरा रहता है। अगर स्तनों की सफाई के लिए वाइप्स का इस्तेमाल करती हैं, तो ध्यान रहे कि वाइप्स में किसी तरह के रसायन का प्रयोग न हुआ हो।

3. सही पोश्चर में कराएं ब्रेस्टफीडिंग

breastfeeding

कुछ महिलाएं जब बच्चा लेटा हुआ होता है, तभी स्तनपान करवाने लगती हैं। ये पोश्चर बच्चे के लिए सही नहीं है। प्रयास करें कि बच्चे को करवट कराते हुए या गोद में लेकर सही तरह से उसे अपने स्तनों के पास लाएं। इससे मां और बच्चे दोनों का पोश्चर सही रहता है। जिससे कई तरह की शारीरिक परेशानियों से बचा जा सकता है। बच्चे को बारी-बारी से दोनों स्तनों से स्तनपान कराएं।

4. स्वयं को हाइड्रेटेड रखें

वॉटर इनटेक का ध्यान ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रखना आवश्यक है। इससे शरीर हाइड्रेट रहता है और दूध न आने की समस्या हल हो जाती है। स्तनपान के दौरान पानी, जूस, शेक्स, हेल्दी सूप और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करे। इससे शरीर में मिनरल्स की कमी पूरी हो जाती है। अलावा इसके शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है।

5. अपने खानपान का रखें ख्याल

हेल्दी और संतुलित आहार करना हमेशा जरूरी होता है। विशेषरूप से स्तनपान के समय यह और भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि मां से ही बच्चे को पोषण मिलता है। खानपान पर ध्यान देते हुए यह समझें कि अगर आपके कुछ खाने से बच्चे को परेशानी होती है, तो ऐसी चीजों से दूर रहें। बहुत भारी और मुश्किल से पचने वाले आहार की तुलना में सुपाच्य आहार ग्रहण करना सही रहता है। पानी भी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।

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