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Author Archives: Pooja Sharma

Happy Mothers डे: मां, जब छोटी थी ना मां ,तब समझ नहीं पाई कि तुम मेरी परवरिश में अपने आप को भूले बैठी हो। मेरे लिए तुम रात भर जाग जाती थी, मुझे खिलाने के चक्कर में ना जाने तुम खुद कितनी बार बिना खाए सो जाती थी।

बहुत हसीन दौर था वो, जब मैं तुम्हारे लिए और तुम सिर्फ मेरे लिए होती थी। एक अलग ही दुनिया थी वो,  जिंदगी की हकीकतों से परे एक सपनों की दुनिया जैसी। उस दौर में मुझे कभी किसी चीज से डर नहीं लगा, क्योंकि जानती थी कि तुम हो मेरे साथ मुझे खरोच भी नहीं आने दोगी। मुझे कभी नहीं समझ आया कि मुझे क्या पसंद है और क्या नापसंद , बस यह पता था कि मुझसे बेहतर तुम मुझे जानती हो तो मुझे सिर्फ वही दोगी जो मेरे लिए अच्छा है।

समय हमेशा एक जैसा क्यों नहीं रह सकता मां , पता है तुम्हारी उंगली पकड़ते ही मैं शेरनी बन जाती थी,  लगता था जैसे अब मेरा मुकाबला कोई नहीं कर सकता 7वें आसमान पर होती थी।

उस दौर में हर दिन अपने आप में बहुत अलग था । दुनिया सिर्फ इतनी ही थी जिसमें मैं और तुम होते थे। तुमने अपने प्यार के साथ साथ मुझे जिंदगी की तल्ख हकीकतों का आइना भी दिखाना चाहा, पर उस समय सुनकर भी अनसुना कर देती थी मैं, पता नहीं क्यों हमेशा यह लगता था कि मां मुझे यह सब क्यों सिखाना चाहती है यहीं तो हूं मैं, मां के पास और जब मां सब संभाल लेती हैं, तो आगे भी संभाल लेगी।

Mother's Day

ना जानती थी कि कुछ रातों के सवेरे थोड़ी जल्दी हो जाते हैं।

ना जानती थी कि तुमसे एक पल दूर रहना मुमकिन न था लेकिन अब इस आजमाइश से भी गुजरना पड़ेगा ।

पता है अब मुझे बहुत डर लगता है जब अकेले कदम बढ़ाती हूं, तो लगता है कि अगर लड़खड़ा गई तो मां नहीं होगी मेरी उंगली पकड़ने को।  अब बहुत ध्यान से तवे  के पास जाती हूं मां,  क्योंकि पता है अगर हाथ जला तो मां वो ठंडी फुंके मारने के लिए नहीं होगी । तुम्हारे बिना तो आइसक्रीम खाते वक्त भी इस ठंडक का अहसास नहीं होता, जो तुम्हारे मेरे सिर पर हाथ रखने से होता था।

कभी कभी सोचती थी कि मां इतना संतोष, इतना धैर्य कहा से लाती है कि वो कभी भी कोई फर्माइश नहीं करती, न जाने कितने ही त्यौहार एक ही साड़ी में बीता दिए। कभी उन चीजों को खाने की इच्छा ज़ाहिर नहीं करती को उन्हें अच्छी लगती है। लेकिन मां, मुझे अब जाकर समझ आया है की तुम मेरी फरमाइशो के तले दबी हुई थी, इसलिए कभी अपने बारे में नहीं सोचा।

मुझे त्यौहार पर कपड़े दिलाने के चक्कर में खुद नई साड़ी को दरकिनार कर दिया।

कुछ चीज़ें वक्त रहते क्यों समझ नहीं आती मां।

मैं नहीं जानती कि मैं एक अच्छी बेटी बन पाई या नहीं, लेकिन तुम्हें ये जानकर खुशी होगी कि अब अगर मैं अपने आप को तुम्हारी वाली परिस्थितियों से घिरा पाती हूं, तो ठीक वैसे ही उनसे दो चार होती हूं, जैसे तुम होती थी।

जो सबक मुझे किताबों में नहीं सिखाए, वो तुमने हंसते खेलते सीखा दिए मां।

शुकिया मां, मुझे इस दुनिया में लाने के लिए।

शुकिया मां, मुझे जिंदगी की तल्ख़ हकीकतों से निपटने को लेकर सबक सिखाने के लिए।

शकिया मां, मुझे इस काबिल बनाने के लिए कि मैं समझ पाऊं कि मां और भगवान में कोई फर्क नही है।

हैप्पी मदर’स डे मां, लव यू सो मच।
भगवान तुम्हें मेरी उम्र भी लगा दे।

If your girlfriend is angry then never say these five things..

पिछले दिनों एक खबर काफी चर्चा में रही। वो थी महाराष्ट्र की एक महिला के विषय में जिसकी उसके लिए इन पार्टनर ने बड़ी ही बेरहमी से हत्या कर दी और पुलिस द्वारा दावा किया जा रहा था कि हत्या के बाद उसने लाश के 35 टुकड़े किए। लेकिन इससे कहीं अधिक चर्चा हो रही है उनके रिश्ते को लेकर लोगों का कहना है कि जब श्रद्धा उस रिश्ते में खुश नहीं थी तो उसने उस रिश्ते से बाहर निकलने के बारे में क्यों नहीं सोचा? कुछ लोगों का कहना है कि श्रद्धा एक टॉक्सिक रिलेशनशिप (Toxic Relationship) में थी जिससे बाहर निकलना हर इनसान के बस में नहीं होता।।

सबसे पहले जानने वाली बात यह है कि यह टॉक्सिक रिलेशनशिप है क्या? अक्सर कहा जाता है, जब कोई भी इंसान किसी इंसान के प्रेम में पड़ा होता है, तो वह सब कुछ सहन करने के लिए तैयार होता है। आप लोगों ने अक्सर सुना होगा कि यह इश्क नहीं आसान एक आग का दरिया है और और डूब के जाना है। श्रद्धा का केस इसका ठोस सबूत हैं।

Sometimes even a small difference between husband and wife is important

अगर टॉक्सिक रिलेशनशिप की बात की जाए तो ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार यह एक दर्दनाक और हानिकारक रिश्ते के रूप में जाना जाता है। यह एक नकारात्मक रिश्ते के रूप में प्रचलित है। इसके तहत एक साथ दूसरे साथी पर नियंत्रण पाने के लिए अनैतिक और गलत बर्ताव भी करता है। टॉक्सिक रिलेशनशिप के बारे में जानने के बाद अब हम अब बात करते है कि इसे कैसे पहचाना जाए कि कोई इंसान टॉक्सिक रिलेशनशिप में है, या टॉक्सिक रिलेशनशिप के क्या लक्षण हो सकते हैं:
तो आइए जानते हैं इसके लक्षण के बारे में:

1 कभी-कभी बहुत अधिक प्यार की बौछार करना।
2. अपने साथी के साथ गलत व्यवहार करना।
3. हद से ज्यादा ईर्ष्या करना।
4. अपना गुस्सा सम्मान को तोड़फोड़ कर निकालना।
5. हर परिस्थिति के लिए पार्टनर को जिम्मेदार ठहराना ।
6. पार्टनर के कामयाब होने पर बुरा भला कहना।
7. अपने पार्टनर को मानसिक रूप से बीमार ठहराना।
8. रिश्ते को लेकर नकारात्मक विचार आना।

टॉक्सिक रिलेशनशिप से अक्सर बाहर निकलना बहुत मुश्किल होता है लेकिन ऐसा क्यों है चलिए जानते हैं कितना मुश्किल है ऐसे रिश्ते से बाहर निकलना पाना।

दरअसल, टॉक्सिक रिलेशनशिप में पूरे समय पार्टनर के बुरे बर्ताव का सामना नहीं करना होता, क्योंकि बीच-बीच में कुछ अच्छे पल भी होते हैं, कुछ रोमांटिक पलों के कारण, भावनात्मक पलों के कारण हमें और हमारे दिमाग को इस रिलेशनशिप की आदत लग जाती हैं।

टॉक्सिक रिलेशनशिप भी बिल्कुल जुआ खेलने जैसा होता है, कि भले ही 5 बार हार गए हो लेकिन एक बार जीत होने पर वहां बने रहने की उम्मीद पैदा हो जाती हैं। इसका एक कारण यह भी होता है कि लोगों में आत्म सम्मान की कमी का होना। इस वजह से वह यह नहीं समझ पाते कि इस तरह का बुरा बर्ताव उनके साथ नहीं होना चाहिए ।

7 common life mistakes that can ruin your sex life

“अकेलेपन का डर” अकेलेपन का डर भी हमें इस तरह के रिलेशनशिप से बाहर निकलने नहीं देता। काफी लोग टूटने और अकेले रहने के बदले इस बुरे रिश्ते को अपनी जिंदगी मान लेते हैं ।

चलिए अब हम यह जानते हैं कि इस से बाहर कैसे निकला जाए:

1. इसके लिए आप को मजबूत बनना होगा।
2. धीरे-धीरे अपने आपको तैयार करना होगा।
3. सच को स्वीकार करना होगा क्योंकि यह सब कुछ रातो रात नहीं होगा।
4. अपने अपनों के साथ बातें साझा करें।
5. अपने दोस्तों के साथ वक्त बिताएं।
6.अगर फिर भी आप असहाय महसूस करते हैं तो कुछ संगठन आपकी इसमें मदद कर सकते हैं ।
7. अपने आत्मसम्मान को पहचाने ।
8.अपने आप को आर्थिक रूप से मजबूत करने की कोशिश करें ।
9.योग व ध्यान को अपने दैनिक रूटीन में शामिल करें ।
10.जिंदगी व इसकी खूबसूरती के प्रति सकारात्मक नजरिया रखें।

Feeling guilty can be a good thing, provided..

कई बार जिंदगी में हमसे कुछ गलतियां हो जाती हैं। कुछ ऐसी गलतियां जिनके बाद हमें उसे करने का बहुत अधिक अफसोस और पछतावा होता है। यदि आप किसी को धोखा देते हैं और यह आपको महसूस हो जाए , तो यह अच्छी बात है लेकिन इस चीज के लिए अपराध बोध की भावना को अपने ऊपर हावी कर लेना, तो यह आपके लिए ठीक नहीं है ।

यह आपको मानसिक रूप से बीमार कर सकता है, जो आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त नहीं है। गिल्टी फील करना एक अच्छी बात हो सकती है क्योंकि यह आपको भविष्य में वही गलती दोबारा न करने के लिए प्रेरित करती हैं। लेकिन समस्या वहां आती है, जब आप छोटी-छोटी चीजों के लिए अपराधी महसूस करने लगते हैं । यह आपकी मेंटल हेल्थ के लिए घातक साबित हो सकता है।

तो चलिए जानते हैं कि इस स्थिति में कैसे बचा जाए-

1.अपनी भावनाओं को पहचाने: कई बार कुछ गलतियां हमसे अनजाने में से हो जाती है। जिसके लिए हम अपने आपको बहुत अधिक परेशान करने लगते है। लेकिन यह ठीक नहीं, आप खुद सोचे की क्या आप उस गलती को जान बूझ कर कर सकती है। और आपको आपका जवाब खुद ही मिल जायेगा। इसलिए अपने भावना को पहचानें।

2. खुद को माफ कर दें: अगर आपने किसी को धोखा दिया या किसी को नुकसान पहुंचाया है, और आपको उसका पछतावा है, तो यह इस बात की और संकेत करता है कि आप अगली बार कुछ भी ऐसा करते हुए सोचेंगी, और दुबारा ऐसा नहीं करेंगी। इसलिए खुद को परेशान करने की बजाए अपने आप को माफ कर दे।

3. अपने प्रति सोच को बदलें: गलती का पछतावा करना भूत अच्छी बात है लेकिन अपने आपको उसमे बांध के रखना बुरी बात है। किसी भी गलती की वजह से कुछ से नफरत न करे। अपने प्रति अपनी सोच को साकारात्मक रखे।

4. निष्पक्षता की तलाश करें : किसी भी गलती के लिए आप खुद को कोसना शुरू ना करे। अपने आप के लिए निष्पक्ष भाव से सोचें। गहनता से सोचने पर आपको अहसास होगा कि आप अपने लिए बहुत ज्यादा सख्त हो जाते है, जो आपके भविष्य के प्लान्स के लिए बिल्कुल सही नहीं है।

5. गलतियों से सीखे: आपसे गलती हुई, आपको इस बात का पछतावा भी है, तो फिर अपने आपको अपराधी घोषित करने से कुछ भी ठीक नहीं होगा । अपनी गलतियों से हमेशा सीखे। और भविष्य में ऐसा न करने का संकल्प लें और जीवन में आगे बढ़ जाए।

you are the only one who really stands together, 'Papa'

Papa मेरी मां के अलावा वो पहले इंसान है, जिसने मुझे हमेशा महसूस कराया कि मैं कितनी ख़ास हूं । आपने मुझे हमेशा ऐसे रखा है, जैसे मैं कोई राजकुमारी हूं। हां, जानती हूं आपके लिए मैं किसी राजकुमारी से कम भी नहीं हूं।

पापा हर इंसान अपने बच्चे को ऐसे ही रखता है ना, लेकिन ना जाने क्यों दुनिया को सिर्फ मां की देखभाल, प्यार , ममता और परवाह नजर आती हैं। लेकिन मुझे याद है पापा, जब बचपन में आप मुझे कहीं घुमाने ले जाते थे और भीड़ होने पर आप मुझे गोद में उठा लेते थे , मेरा हाथ कस के पकड़ लेते थे और जब कभी आप मंदिर लेकर जाते थे और मुझे कंधे पर उठाकर भगवान के दर्शन कराते थे। सच कहूं, तो वह दर्शन किसी वीआईपी दर्शन से कम नहीं थे। उस समय शायद नहीं लेकिन बड़े होते होते समझ आ गया कि उन मंदिरो में मेरे भगवान ही मुझे कंधे पर बिठा, अपने भगवान के दर्शन करा रहे हैं।

जब मैं चलते-चलते अक्सर गिर जाया करती थी, तो मेरे घुटनों की खरोच ने मुझसे ज्यादा तकलीफ आपको दी है। मुझे आज भी याद है, मेरी गलतियों पर मुझे प्यार से समझाने वाले सिर्फ आप थे। आपने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया। मेरी किसी भी चोट ने मुझसे ज्यादा आपको रुलाया है। मैंने अक्सर लोगों को कहते सुना है” कि बाप एक ऐसा इंसान है जिस के साए में बेटियां राज करती हैं।” जब भी मैंने आपसे कुछ मांगा है, आपने मुझे लाकर दिया चाहे आपकी जेब खाली ही क्यों ना हो।

आपने कभी एहसास नहीं होने दिया कि हम गरीब है। मैंने सब देखा है पापा कि हमारे लिए आपने कभी खुद की सुध नहीं ली। घर में दो रोटी होती तो भी आप पहले अपनी प्रिंसेस को खिलाते थे।

you are the only one who really stands together, 'Papa'

कभी जब आप जिंदगी के सबक सिखा रहे होते थे, तब लगता था कि क्यों मुझे ऐसे बता रहे हैं लेकिन आज मुझे आपके सिखाए सारे सबक याद हैं और हर सबक के साथ महसूस होता है कि, पापा इन जिंदगी के छोटे-छोटे हर पल में, मेरी परवरिश में, मेरे संस्कारों में, मेरे अच्छे में, मेरे बुरे में, हमेशा मेरे साथ खड़े होने वाले पहले और आखिरी इंसान हैं।
वैसे तो आसपास लोगों की भीड़ है पापा, लेकिन सच में साथ खड़े होने वाले सिर्फ आप हो।

मेरे परवरिश में, पालन पोषण में आप सब भूल गए पापा, आप भूल गए कि आपकी भी एक जिंदगी है, आपके भी सपने हैं, पसंद है, ना पसंद है, और आप तो यह तक भूल गए कि आज आपका जन्मदिन है ।

‘हैप्पी बर्थडे पापा’ भगवान करे मेरी आखरी सांस तक आप मेरे साथ हो।

पता है इस वाली बात पर लोग मुझे स्वार्थी कहेंगे लेकिन कहते हैं तो कहते रहे मैं आपके बिना कुछ भी नहीं हूं, मैं जिंदगी के किसी भी मोड़ पर आपको खोना नहीं चाहती और उस इंसान को तो बिल्कुल नहीं, जिसने मुझे उंगली पकड़कर चलना सिखाया, सही के लिए लड़ना सिखाया, जो जिंदगी के हर मुश्किल दौर में मेरे साथ डट कर खड़ा रहा ।

आपने अपने लाड और प्यार के बदले कभी कुछ नहीं चाहा। यह दुनिया बहुत कुछ देने का दावा तो करती है, लेकिन हर रिश्ते को बदले में कुछ ना कुछ चाहिए पापा। मैं यही चाहती हूं कि हर लड़की को मेरे पापा जैसे पिता मिले और मुझे हर जन्म में आप मिलें, ताकि हर जन्म दुनिया के सितम से बच जाऊं।।

Alia and Kiara

आदि काल से ही नारी संसार को भगवान का एक महत्वपूर्ण वरदान है। नारी बिना सब कुछ अधूरा है। नारी से संसार में समाज में रौनक है।। आदि काल से अब तक यह माना जाता रहा है कि एक सभ्य नारी संसार को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान देती है लेकिन दोस्तों भारतीय नारी आजकल वेस्टर्न कल्चर से बहुत अधिक आकर्षित है।

इसके लिए वह इस से जुड़ी सारी चीजों को अपनी जिंदगी में शामिल करना चाहती हैं लेकिन हमें यह समझना होगा कि हम जिस भारतीय संस्कृति से ताल्लुक रखते हैं, वह अपने आप में अद्वितीय है। इसलिए हमें किसी और सभ्यता की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए।

अब इसमें भी दो तर्क जुड़े हैं कि कुछ अच्छा हमें जरूर सीखना चाहिए लेकिन बुराई से दूर रहकर ।

मैं अक्सर देखती हूं भारतीय महिलाएं अन्य मुल्कों की महिलाओं को देखकर बहुत जल्दी आकर्षित हो जाती हैं। कभी वो कोरियन महिलाओं की तरह चमकती त्वचा पाना चाहती है तो कभी सऊदी अरब की महिलाओं की तरह घने बाल और इन सब के चक्कर में वो न जाने क्या क्या ट्राई कर लेती है, जिससे कई बार उन्हें हानि उठानी पड़ती हैं।

तो दोस्तों, यकीन मानिए हम भारतीय महिलाएं अपने आप में इतनी पूर्ण है कि हमें किसी से भी आकर्षित हों की जरूरत नहीं है।
यकीन नहीं होता तो चलिए आज मै आपको ऐसी 05 चीजें बताती हूं जिससे आपको यकीन हो जायेगा की आप कितनी खूबसूरत है।

1. खूबसूरती: आपकी खूबसूरती मेकअप किट या किसी महंगे गहनों से है, यह एक बहुत बड़ा मिथ्य है।। मेकअप और गहने आपको दिखावटी बनाते है। एक महिला की असली खूबसूरती उसके अंदर है। और ये खुबसूरती उसकी अपनी है ये उससे कोई नहीं छीन सकता।। और यह खूबसूरती किसी अन्य चीज कि मोहताज नही है, बस आपको इसे समझना होगा।

2. संवेदना: नारी का चाहे कोई भी रूप हो मां, बेटी, पत्नी, बहन, दोस्त या प्रेमिका वह हर रूप में पूर्ण है।और उसकी इस पूर्णता का राज है उसकी संवेदना।। इस संवेदना के साथ ही महिलाएं अधिक आकर्षित नज़र आती है।

3. ज़िद और जुनून: ज़िद महिला का ऐसा हथियार है जिसकी वजह से वह कभी हार नहीं मानती। जिस महिला में ज़िद है वह अपने सपनो की मंजिल के रास्ते में किसी भी बाधा को पार कर जाती है।इस ज़िद की बदौलत वह बड़े से बड़े सपने को हासिल करने में कामयाब होती है।

4. बचपना: किसी भी मुश्किल को आसानी से झेल जाना, बच्चो के साथ बच्ची बन जाना, और जिंदगी के हर लम्हे को खूबसूरत बनाना एक भारतीय नारी की बहुत बड़ी खूबी है।

5. दिमाग़: आम तौर पर महिला को शारिरिक व मानसिक तौर पर कमजोर समझा जाता है, लेकिन एक दिमागी तौर पर मजबूत महिला को कभी कोई हानि नहीं पंहुचा पाता।

'Shahnaz' the most successful name in the field of herbal cosmetic products

शहनाज हुसैन (Shahnaz Hussain) को कौन नहीं जानता, हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के क्षेत्र में इनका नाम व काम सर्वश्रेष्ठ है। आज सिर्फ नाम से ही इनके प्रोडक्ट हाथों-हाथ बिकते हैं।

पहली महिला उद्यमी: शहनाज हुसैन हमारे देश की पहली ऐसी महिला उद्यमी है, जिनका नाम ही उनका ब्रांड बन गया लेकिन इस सफलता तक पहुंचने की राह उनके लिए काफी संघर्ष भरी रही।

पदम श्री से सम्मानित: शहनाज हुसैन ” शहनाज हुसैन ग्रुप की फाउंडर, चेयर पर्सन तथा एमडी हैं। इस हर्बल मूवमेंट ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर बनाया है। साल 2006 में व्यापार और उद्योग क्षेत्र में उनके कार्य के लिए भारत सरकार द्वारा चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पदम श्री से सम्मानित किया गया था।।

बुलंद हौसला: शहनाज हुसैन की 14 साल की उम्र में सगाई तथा 15 की छोटी सी उम्र में शादी हो गई थी, छोटी उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ पड़ गया था। लेकिन फिर भी उन्होंने तय कर लिया था कि वह सिर्फ हाउसवाइफ बनकर नहीं रहेगी। इसलिए उन्होंने परिवार की जिम्मेदारियों के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया।

मंजिल की तरफ एक कदम: शहनाज के पति तेहरान में पोस्टेड थे, तभी उन्होंने आयुर्वेद की पढ़ाई की। इसके बाद कॉस्मेटिक थेरेपी की ट्रेनिंग ली, ब्यूटी टेक्निक्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जर्मनी में इसी से जुड़े कोर्स भी किए और सन 1971 में शहनाज भारत लौटी और उन्होंने अपने कॉस्मेटिक फ्रॉम की शुरुआत की। यह शुरुआत उन्होंने अपने घर के बरामदे में ठेला लगाकर की।।

सफल स्टार्टअप: कुछ साल बाद शहनाज एक मशहूर ब्रांड बन गई। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका स्टार्टअप इतना सफल होगा । भारत के बाद उनके प्रोडक्ट को अन्य मुल्कों में भी पहचान मिली।

क्यों है इतने ख़ास: लोगों की खास पसंद होने का एक कारण उनके प्रोडक्ट का नेचुरल इनग्रेडिएंट से बने होना भी है ।
वह भले ही एक भरे पूरे परिवार से ताल्लुक रखती थी लेकिन 70 से 80 के दशक में अपने आप को एक महिला उद्यमी के तौर पर स्थापित करना बहुत मुश्किल काम था।

एक मुश्किल दौर : 1999 में उनके पति का निधन हो गया। 2008 में उनके बेटे समीर हुसैन का भी निधन हो गया। अब उनके काम को उनकी बेटी नीलोफर आगे बढ़ा रही है ।

व्यापार क्षेत्र: आज इनके 400 से ज्यादा फ्रेंचाइजी क्लीनिक पास को दुकानें हैं इस ग्रुप के 138 देशों में करीब डेढ़ लाख स्टोर हैं ।

अवॉर्ड लिस्ट: इनको मिलने वाले पुरस्कार- इमेज इंडिया अवार्ड, 1985 राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार द मिलेनियम मेडल ऑफ ऑनर इसके अलावा और भी पुरस्कारों से इन्हें नवाजा गया है।

Small Kid

एक छोटे बच्चे ने बहुत बड़ा सवाल किया आज, जिसका जवाब तो था मेरे पास बस मुश्किल यह थी कि उसे कैसे समझाऊं?

खैर! उसे तो उसके उम्र के हिसाब से जवाब देकर मैंने अभी के लिए संतुष्ट कर दिया और आगे के लिए वक्त पर छोड़ दिया। मैंने उसे कहा कि जब सुबह पापा ऑफिस जाते हैं और तुम उनके साथ जाने की जिद करते हो, तब वह तुम्हें अक्सर कहते हैं कि मैं शाम को तुम्हारे लिए चीज लाऊंगा, फिर तुम सुबह से शाम तक जिस तरह से उनकी राह देखते हो उसी को सब्र कहते हैं।

इससे ज्यादा और क्या कहती, क्योंकि उस छोटे बच्चे के लिए अभी इंतजार और सब्र जैसे भारी शब्दों की एक ही परिभाषा है। जैसे-जैसे बड़ा होगा अपने आप दोनों शब्दों को अलग कर पाएगा, सही अर्थ समझ पाएगा और सबसे अहम कि इनमें फर्क महसूस कर पाएगा।।

ठीक वैसे ही जैसे मैंने समझा। उस छोटे बच्चे की ही उम्र में मैंने भी किसी से यही सवाल किया था कि सब्र क्या होता है? लेकिन मुझे इसका जवाब देने वाला शख्स शायद यही चाहता था कि मैं जल्द ही समझ लूं कि सब्र दुनिया की कितनी बड़ी ताकत है। इसलिए उसने बिना छुपाए मुझे बताया कि जब तुम्हारी आंखें आंसुओं से भरी हो और दिल इस बात की गवाही दे रहा हो कि जो रब करता है वही बेहतर होता है।

इतने पर भी जब मैंने ना समझने जाने की बात कही तो मुझे समझाया गया कि जब तुम्हारी मां हर त्यौहार पर तुम्हें नए कपड़े दिला देती है और खुद उसी पुरानी साड़ी में त्यौहार मनाती है तो उसे सब्र कहते हैं। जब तुम्हारे पापा तुम्हें खिला कर खुद भूखे सो जाते हैं, तो वो सब्र हैं। जब गलती तुम्हारी ना हो लेकिन तुम्हारे पास अपनी सफाई में कुछ ना हो तुम्हारी आंखें आंसुओं से भरी हों और तुम आसमान की तरफ देख रहे हो, तो वह सब्र है।

उस दिन सच में समझ आ गया कि यह छोटा सा शब्द अंदर से कितना गहरा है, कितनी खामोशियों, कितनी सिसकियों कितनी घुटन को अपने अंदर समेटे हुए हैं। और फिर जैसे-जैसे बड़ी हुई, चीजें और साफ होती गई कि सब्र करना एक बहुत साहसी काम है। इसी क्रम में एक दिन एक बच्चे को देखा जो हलवाई की दुकान पर काम करता था, और सच कहूं यह कहने की हिम्मत नहीं है कि वह कितना सब्र करता है। मिठाई उसके सामने है पर वह खा नहीं सकता।

वह बूढ़े अंकल जो 80 की उम्र में रोज ठंड में ठिठुरते हुए ठेला लगाते हैं, कितना सब्र हैं उनमें वरना, इस उम्र में तो दिल और शरीर दोनों हार जाते हैं। एक औरत जिसके बच्चे हैं और उसका पति रोज शराब पीकर उसे मारता है, अपने बच्चों के लिए वह सब बर्दाश्त करती है। और सब्र का हाथ थामे अपने अच्छे दिनों की प्रतीक्षा में है।।

यह सब देखकर एक चीज और ज्यादा साफ हो गई कि सब्र शब्द भले ही खामोशियों, सिसकियों और दर्दों से भरा है लेकिन यह एक अंतिम छोर वाला सकारात्मक शब्द है। जिसके साथ जो भी इंसान जीना शुरू करता है, वह सचमुच जीने लगता है। अक्सर हम सुनते हैं कि ‘सब्र कर तेरा वक्त भी आएगा’ मतलब भविष्य में यह शब्द तुम्हारे लिए कुछ अच्छा लेकर आएगा। दूसरे शब्दों में कहूं तो सब्र वह कड़ी है जिसके सहारे हम अपनी जिंदगी के अंधेरों की दलदल से बाहर आ जाते हैं । मैंने सब्र को और सब्र करने वालों को बहुत करीब से महसूस किया और समझा है, लेकिन मैं फिर भी उस बच्चे को नहीं समझा पाई, क्योंकि यह समय उसकी जिंदगी को जीने का है ना कि जिंदगी को समझने का। और वैसे भी बड़ा होने दो, यह दुनिया इतनी जालिम है उसे खुद बा खुद सिखा देगी कि सब्र किसे कहते हैं?

फोटो सौजन्य- गूगल

First of all free yourself from the clutches of the society

हमारी आंखे अक्सर चेहरे की सुंदरता को ही देख पाती हैं, काश कि मन की सुंदरता को भी इसी तरह से देखा जा सकता।
अगर हम चेहरा देखने की जगह मन के विचारों की सुंदरता देख पाते तो शायद सुंदरता की परिभाषा अलग होती।।

दो सहेलियों ने एक जॉब के लिए इंटरव्यू दिया, और एक को चुन लिया गया और जिसको चुना गया उसने दूसरे को यह कहते हुए ताना मारा कि काबिलियत की किसे परवाह है? मुझे तो मेरा चेहरा देखकर ही चुन लिया गया।

इस तरह की बातों को देखकर सुनकर अक्सर दिल में ख्याल आता है, कि क्या सुंदर ना होना वास्तव में एक अपराध है? हर दिन न जाने कितने ही लड़के और लड़कियां सुंदरता के नाम पर किए जाने वाले इस भेदभाव के शिकार होते हैं। समाज की इस दुत्कार की वजह से हीन भावना का शिकार होते हैं।

दोस्तों, हम समाज की परिभाषा नहीं बदल सकते पर अपनी बदल सकते हैं। खुद को समाज के इस तराजू में तौलना बंद कर दीजिए।
याद रखिए, यह आपका अपना शरीर है और यही सब कुछ है। दरअसल, जिनके पास जो नहीं है, वह उसी को पाना चाहता है। फिर चाहे पैसा हो , सफलता हो, संबंध हो या फिर सुंदरता।।

हम सुंदर होने के लिए इसलिए बेचैन होते हैं क्योंकि हम मान लेते हैं कि हम सुंदर नहीं हैं।
आपने सुना होगा मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। तो बस फिर आज से ही मानना शुरू कर दीजिए कि आप बहुत सुंदर हैं।
सबसे पहले अपने आपको समाज के चुंगल से छुड़ाए और अपनी चिंता करें।

1. सुंदरता को समाज नहीं बल्कि आप तय कीजिए। यह समाज कभी भी अपनी राय आपके लिए बदल सकता है लेकिन उससे पहले आपको अपने बारे में सोच बदलनी पड़ेगी।।

2. आपको एक ही जीवन मिला है और एक ही शरीर। यही शरीर आपका अंत तक साथ देगा इसलिए यह आपके लिए साधना का स्रोत है। इसका आभार व्यक्त करें ,इसे प्यार करें और स्वीकार करें।

3. हमारे लिए विचारों की सुंदरता अहम होती हैं। समाज चेहरे से आकर्षित हो सकता है, लेकिन प्यार गुणों से ही होता है। अपनी सेहत का ध्यान रखें और अपने साथ मुस्कुराहट को जरूर रखें।

4. कभी भी अपने आप को कोसिए मत। आपने अपने को जानने की कोशिश कीजिए ,आपको क्या पसंद है, आप किस वजह से खुश होती हैं। यह सब अपने बारे में जानिए और उसी तरीके से आप अपने जीवन को बिताएं।

5. खुद को प्रकृति से जोड़ना सीखे ।आईने में दिखने वाले से नहीं , अपनों के हंसते-मुस्कुराते चेहरों में खुद को देखने की कोशिश करें।।

It is very important to be happy inside to look beautiful: Actress Yami Gautam

बॉलीवुड एक्ट्रेस यामी गौतम (Yami Gautam) को कौन नहीं जानता। यामी गौतम एक खूबसूरत और नेचुरल ग्लो की मालकिन है, उनका चेहरा बिल्कुल बेदाग है। उनकी इस खूबसूरती के बारे में उनसे एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि आखिर वह अपनी त्वचा की चमक को कैसे बरकरार रखती हैं तो उन्होंने बताया कि वह कुछ घरेलू नुस्खों का अपनाती हैं जो उनकी मां व दादी मां द्वारा बताए गए है।

उनके पास दादी मां के घरेलू नुस्खों की एक लंबी लिस्ट है जिन्हें वह बेझिझक इस्तेमाल करती हैं। यामी गौतम कहती है कि जितना ख्याल हमें त्वचा का बाहर से रखना होता है उतना ही अंदर से भी रखना होता है।

तो चलिए हम आपको बताते हैं उनके द्वारा बताए गए नुस्खे जिससे आप भी यामी गौतम जैसी फ्लालेस त्वचा पा सकती हैं ।

यामी गौतम कहती है कि हमारे डेली रूटीन में हल्दी बहुत ही जरूरी है, यह एक एंटीऑक्सीडेंट तत्व है। यह हमारी त्वचा को दाग धब्बों और बेदाग त्वचा देने में मदद करता है इसलिए यामी गौतम जब भी कोई फेस पैक किया स्क्रब बनाती हैं तो उसमें एक चुटकी हल्दी का इस्तेमाल अवश्य करती हैं।

It is very important to be happy inside to look beautiful: Actress Yami Gautam

यामी गौतम अपने डेली स्किन केयर रूटीन में तीन तरह की चीजें जरूर शामिल करती हैं। जिसमें से पहला फेसवॉश दूसरा मोशुराइजर और तीसरा लिपबाम है। वह बताती हैं कि यह तीनों चीजें उनके पर्स में भी हमेशा मौजूद होती हैं।

दादी मां द्वारा बताए गए नुस्खों की एक लंबी लिस्ट को यामी गौतम ने एक डायरी में नोट करके रखा है और वह बताती हैं कि जरूरत पड़ने पर भी अपने रूटीन में समय-समय पर बदलाव भी करती हैं और यह बहुत जरूरी भी है क्योंकि एक ही रूटीन से हमारी त्वचा उसकी आदी हो जाती है जिससे वह चीजें बेअसर होने लगती हैं । इसीलिए उनका मानना है कि स्किन केयर रूटीन में भी बदलाव बहुत ज्यादा जरूरी है।

चमकदार त्वचा के लिए यामी गौतम का कहना है कि सही और संतुलित डाइट बहुत ज्यादा जरूरी है। इसलिए अपनी डाइट में ज्यूस, फाइबर, और आयरन जरूर शामिल करे।

यामी गौतम आगे कहती है कि खूबसूरत दिखने के लिए अंदर से खुश रहना बहुत जरूरी है। जब आप अंदर से खुश होंगी तभी आपका चेहरा ग्लो करेगा । वरना कोई भी फेस पैक आपके चेहरे को नहीं चमका सकता।

सबसे महत्पूर्ण बात यामी गौतम कहती हैं कि रात को सोने से पहले अपना मेकअप रिमूव जरूर करें। ताकि हमारी त्वचा रात को अच्छे से सांस ले सके।

I have learned to laugh futilely, smiling at lies

मां, वह घर छूटे अरसा हो गया है और वैसे ही वह बेफ़िक्री से सोए हुए अरसा हो गया। तुम्हें याद है मैं हमेशा तुम्हें कह कर सोती थी कि मां मुझे जल्दी उठा देना, लेकिन तुमने कभी मुझे सोते हुए नहीं उठाया। लेकिन सच कहूं तो वो वाली नींद भी वही छूट गई, अब ऐसी नींद आती नहीं। आंखे ना जाने क्यों अलार्म बजने से पहले खुल जाती है। ना जाने किस बात की बेचैनी है। जब से वह घर छूटा है ना, तब से खाना भी अच्छा नहीं लगता ।

पता नहीं तुम आटे में क्या मिलाया करती थी, वैसी रोटी कहीं खाने को ही नहीं मिलती।
कई बार कोशिश की तुम्हारे जैसा स्वाद खाने में लाने की, लेकिन ना जाने क्यों अपने हाथ से बनाया हुआ पनीर भी लौकी जैसा लगता है। और हां, लौक़ी से याद आया तुम्हें याद है, जब जब घर पर लौकी बनती थी तो तुम मेरे लिए कोई और दूसरी सब्जी बना देती थी। मां, तुम कितने अच्छे से जानती थी ना, कि मैं नहीं खाऊंगी, मुझे पसंद नहीं है। तुम्हें पता है मैं अब बड़ी हो गई हूं, अब लौकी बनती है, तो मैं आचार से रोटी खा लेते हूं और जब सवाल करती हूं खुद से कि दूसरी सब्जी?
तो इस दिल-ए-नादान को समझाती हूं- यह पापा का घर नहीं है!

सब से लेट सो कर, सब से लेट उठती थी मैं। वैसे सब से लेट तो यहां पर भी सोती हूं, लेकिन सुबह सबसे पहले उठने के लिए।
अलार्म कई बार बजती है, कई बार मुझसे यह कहते हुए रूठ जाती है कि तुम्हें मेरी क्या जरूरत है? मैं उसे कैसे समझाऊं कि मुझे उसकी जरूरत जागने के लिए नहीं, बल्कि कभी गलती से मीठे सपनों में खो कर आंख ना खुलने पर देर ना हो जाए इसलिए अलार्म लगाती हूं।

I have learned to laugh futilely, smiling at lies

पतंग को देखकर आसमान में दूर तक उड़ जाने के ख्वाब देखने वाली मैं , ये फिजूल के मतलबी रिश्ते निभाते निभाते मशीन हो गई हूं ।
तुम्हें पता है मां, अब दिल दुख होना भी भूल गया है। पहले कोई दिल दुखाता था तो उसकी शक्ल ना देखने की कसम खाने वाली मैं, अब झूठा मुस्कुराना सीख गई हूं। दिल अंदर चीख रहा होता है और बाहर कोई सुन नहीं सकता, मेरी हंसी के पीछे इस मासूम की चीख कुछ भी नहीं है। जब तुम पास थी तो एक छोटी सी खरोच भी बहुत बड़ी चोट होती थी लेकिन अब अक्सर खाना बनाते हुए हाथ जल जाते हैं मेरे, और कमाल देखो मां, तुम्हारी ये बेहतरीन अदाकारा बेटी, मुंह से उफ्फ भी नहीं निकालती।

आज बाजार में एक मां अपनी बच्ची को खिलौना दिला रही थी। बहुत खुश थी वह बच्ची खिलौने लेकर। लेकिन तभी एक ख्याल मन में आया कि आज जब मां पास है तो बाजार के सारे खिलौने अपने लगते हैं, लेकिन जब वही मां पास नहीं होती लोग उसी को खिलौना बना कर खेलते रहते हैं। कभी उसके दिल से और कभी उसके जज्बात से। तुम बहुत याद आती हो मां, जब कभी सड़क पार करनी होती थी तो तुम और ज्यादा कसकर मेरा हाथ पकड़ लेती थी। आज जब कभी अकेले सड़क पार करती हूं , तो लगता है तुम यहीं कहीं मेरे साथ हो।

अब बड़ी हो गई हूं, मां अकेले सड़क पार करने के अलावा जिंदगी की मुश्किलों से लड़ना सीख गई हूं, समझौते करना सीख गई हूं, दिल में बहुत सारा दर्द लेकर हंसना सीख गई हूं और इनमें कोई बुराई भी नहीं है। जिंदगी का दूसरा नाम आजमाइश ही तो है। तुमने हर मोड़ पर मेरा साथ दिया है और आगे भी देती रहोगी, लेकिन सबको अकेले ही अपनी जिंदगी के अंधेरों से लड़ना पड़ता है। और मैं डटकर सारे अंधेरों का सामना करूंगी बस तुम ठीक वैसे ही मेरा हाथ पकड़े रखना जैसे तुम सड़क पार करते वक्त पकड़ती थी।
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