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Author Archives: Zahid Abbas

4 fitness exercises in your routine to burn armpit fat

Armpit Fat: गर्मी के मौसम में ज्यादातर लोग स्लीवलेस लिबास पहनना पसंद करते हैं लेकिन आर्मपिट पर नजर आने वाला फैट उनकी समस्या की वजह बनने लगता है। शरीर में जमा होने वाले कैलोरीज बाहों और आर्मपिट पर जमा फैट्स का कारण होते हैं। इससे राहत पाने के लिए लोग कई तरह की हाई इंटैंसिटी एक्सरसाइज करने लगते हैं। जानिए आर्मपिट फैट से जुड़ी समस्या के निदान के लिए कुछ जरूरी 4 एक्सरसाइज के बारे में-

इस बारे में जिम सर्टिफाइड फिटनेस ट्रेनर बताते हैं कि आर्मपिट में उम्र के साथ बढ़ने वाले फैटस और स्टिफनेस को दूर करने के लिए एक्सरसाइज़ बहुत ज़रूरी है। उम्र के साथ आर्मपिट के नज़दीक की स्किन लटकने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए दिनभर में जब भी समय मिले तो आर्म सर्कल और बाहों की स्ट्रेचिंग समेत कुछ आसान एक्सरसाइज़ से बाजूओं और बगल में बढ़ने वाले फैट्स को बर्न करने में काफी मदद मिलती है। साथ ही चेस्ट और कंधों के मसल्स को भी मज़बूती मिलती है।

जानें आर्मपिट फैट बर्न करने के लिए एक्सरसाइज़

आर्म सर्कल एक्सरसाइज

4 fitness exercises in your routine to burn armpit fat

बाहों पर जमी चर्बी को दूर करने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद फायदेमंद है। इससे बाहों की मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है और बाहों में बढ़ने वाला दर्द भी कम होने लगता है।

जानें कैसे करें-

इसके लिए बैड पर बैठ जाएं और दोनों टांगों को जमीन पर टिका लें। अब अपनी दोनों बाजूओं को कोहनी से मोड़ लें और बाजूओं को आगे से पीछे की ओर लेकर जाएं और राउंड शेप में घुमाएं। आर्म सर्कल को तीन सेट में 15 से 20 बार करें।

माउनटेन क्लाइंबर्स एक्सरसाइज

4 fitness exercises in your routine to burn armpit fat

बदन की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद आवश्यक है। इससे पेट की चर्बी के अलावा बाजूओं पर जमा फैट्स से भी मुक्ति मिल जाती है। नियमित तौर पर माउनटेन क्लाइंबर्स का एक्सरसाइज बाजूओं को मज़बूत बनाता है।

जानें कैसे करें-

इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और दोनों बाजूओं को जमीन पर टिका लें। अब शरीर को ऊपर की ओर उठाएं और पैरों को सीधा कर लें। पैरों और बाजूओं के मध्य शोल्डर्स से अधिक दूरी बनाकर रखें। अब दाईं टांग को आगे करें और बाएं घुटने को मोड़ते हुए चेस्ट के पास लेकर आएं। फिर बाई टांग से भी आसन दोहराएं।

ऐसे करें पुश अप्स

कंधों और बाहों में बढ़ने वाली स्टिफनेस को दूर करने के लिए पुश अप्स बेहद फायदेमंद साबित होते हैं। इससे बाजूओं के दर्द से राहत मिलती है और अतिरिक्त चर्बी की समस्या भी दूर होने लगती है। इसके अनियमित अभ्यास से शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है। रोज़ाना पुश अप्स एक्सरसाइज करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन नियमित बना रहता है।

जानें कैसे करें-

पेट के बल मैट पर लेट जाएं। अब दोनों हाथों को मज़बूती से जमीन पर टिका लें। इसके बाद पैरों को सीधा कर लें और दोनों बाजूओं को कंधे की चौड़ाई से ज्यादा फैलाएं। इससे पुश अप्स करने में आसानी होती है। पुश अप्स को दो सेट में 15 से 20 बार दिन में तीन बार दोहराएं। इससे बाजूओं और गर्दन पर बढ़ने वाली हंप की समस्या से राहत मिल जाती है।

जंपिग जैक्स एक्सरसाइज

शरीर की मांसपेशियों में बढ़ने वाली ऐंठन को दूर करने के लिए जंपिग जैक्स बेहद कारगर एक्सरसाइज़ है। इसे करने से कंधों, बाहों और टांगों में बढ़ने वाले फैट्स को बर्न करने में मदद मिलती है। शरीर स्वस्थ रहता है और स्टेमिना बूस्ट होने लगता है।

जानें कैसे करें-

जंपिग जैक्स के लिए दोनों पैरों के मध्य गैप मेंटेप कर लें और एकदम सीधे खड़े हो जाएं। अब टांगों और बाजूओं को खोलें और फिर एक साथ ले आएं। इस दौरान सांस पर ध्यान अवश्य केंद्रित करें। 02 से 03 सेट्स में 15 बार जंपिग जैक्स को दोहराने से वेटलॉस में मदद मिलती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Holika Dahan: प्राचीन त्योहारों की यही खूबसूरती है कि इनके पीछे छुपे पौराणिक कथा हमें अक्सर आकर्षित करते हैं. आईये जाने होलिका दहन क्यों मनाते हैं और क्या है इसका इतिहास. होलिका दहन का पर्व हमें संदेश देता है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं.

होलिका दहन, होली त्योहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि वगैरह नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाई जाती है। होलिका दहन (छोटी होली) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का परंपरा है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर और गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है।

भारत में मनाए जाने वाले बेहतरीन त्योहारों में से एक है होली। दीवाली की तरह ही इस त्योहार को भी अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार माना जाता है। हिंदुओं के लिए होली का पौराणिक महत्व भी है। इस त्योहार के मद्देनज़र सबसे प्रचलित है प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यप की कहानी। पर होली की सिर्फ यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है। वैष्णव परंपरा मे होली को, होलिका-प्रहलाद की कहानी का प्रतीकात्मक सूत्र मानते हैं।

होलिका दहन का शास्त्रों के अनुसार नियम

Why do we celebrate Holika Dahan

फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने ज़रूरी होते हैं-

पहला, उस दिन ‘भद्रा’ न हो। भद्रा का दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।

दूसरी बात, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए.

पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं जपता, तो वह क्रोधित हो उठा और आखिर में उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुंचा सकती। लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी तरह ईश्वर अपने सभी भक्तों की रक्षा के लिए सदा मौजूद रहते हैं। होली की केवल यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है।

कामदेव को किया था भस्म 

होली की एक कहानी कामदेव की भी है। पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी तरफ गया ही नहीं। ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया। तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।

महाभारत से जुड़ी कहानी

महाभारत की एक कहानी के अनुसार युधिष्ठर को श्री कृष्ण ने बताया कि एक बार श्री राम के एक पूर्वज रघु, के शासन में एक असुर महिला थी। उसे कोई भी नहीं मार सकता था, क्योंकि वह एक वरदान द्वारा सुरक्षित थी। उसे गली में खेल रहे बच्चों के अलावा किसी से भी डर नहीं था। एक दिन, गुरु वशिष्ठ, ने बताया कि उसे मारा जा सकता है, अगर बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर, शहर के बाहरी इलाके के पास चले जाएं और सूखी घास के साथ-साथ उनका ढेर लगाकर जला दें। फिर उसके चारों ओर परिक्रमा दें, नृत्य करें, ताली बजाएं, गाना गाएं और नगाड़े बजाएं। फिर ऐसा ही किया गया। इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाया गया, जो बुराई पर एक मासूम मन की जीत का प्रतीक है।

श्रीकृष्ण और पूतना से जुड़ी कहानी

होली का श्रीकृष्ण से गहरा रिश्ता है। जहां इस त्योहार को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। वहीं, पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को श्रीकृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तो उसने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में जन्म लेने वाले हर बच्चे को मारने के लिए भेजा। पूतना स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था। लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ गए। उन्होंने दुग्धपान करते समय ही पूतना का वध कर दिया। कहा जाता है कि तभी से होली पर्व मनाने की मान्यता शुरू हुई।

ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी उल्लेख

विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ जमकर होली खेली थी।

Roze ki Dua: Dua for fasting in Ramzan

Roza Rakhne or Kholne Ki Dua: मुस्लिमों के लिए रमजान के महीने में रोजा रखना और कुरान शरीफ को पढ़ना जरूरी माना गया है। इस्लामिक धार्मिक मान्यताओं मुताबिक रमजान महीना सबसे पाक महीना माना जाता है। कहते हैं इस दौरान जो भी दुआएं की जाती हैं वो जरूर पूरी होती हैं। इस महीने में मुस्लिम लोग अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त अल्लाह की इबादत में बिताते हैं।

कहते हैं कि रमज़ान के महीने में अल्लाह की खूब रहमत बरसती है। बुराई पर अच्छाई हावी हो जाती है। इस महीने मुसलमान अपनी चाहतों पर कंट्रोल करके केवल अल्लाह की इबादत करते हैं। इस महीने को सब्र और बरकत का महीना भी कहा जाता है।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दुआएं भी पढ़ते हैं पर अगर आप दुआएं भूल गए हैं तो आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम रमज़ान में पढ़ी जाने वाली दुआओं के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे आप अपने रूटीन में शामिल कर रमज़ान की रहमत हासिल कर सकते हैं। यहां आप जानेंगे रोजा रखने और खोलने की दुआ-

रोजा रखने की दुआ

Roze ki Dua: Dua for fasting in Ramzan

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अनुसार जब भी कोई रोजा रखता है, तो उसे सहरी खाने के बाद यानि फज्र की अज़ान से पहले इस दुआ को पढ़ना चाहिए।

हिंदी में रोजा रखने की दुआ

‘व बि सोमि गदिन नवई तु मिन शहरि रमज़ान’

मतलब- इस दुआ का अर्थ यह है कि मैं रमज़ान के इस रोजे की नियत करता/करती हूं।

रोजा खोलने की दुआ

जिस तरह से रोजा रखते समय दुआ पढ़ी जाती है ठीक वैसे ही रोजेदार को रोजा खोलने से पहले यह दुआ जरूर पढ़नी चाहिए। कहा जाता है इस दुआ को पढ़ने से खाने में बरकत होती है। ध्यान रखें कि यह दुआ खजूर खाने से पहले पढ़नी चाहिए और दुआ खत्म होने के बाद ही कुछ खायें।

हिंदी में रोजा खोलने की दुआ

‘अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु, व-बिका आमन्तु, व-अलयका तवक्कालतू, व- अला रिज़क़िका अफतरतू’

इस दुआ का मतलब है- ऐ अल्लाह मैंने तेरी रज़ा के लिए रोजा रखा है और तेरे ही कहने पर रोजा खोल रहा/रही हूं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Ramzan 2024: When the moon of Ramzan knocked

नई दिल्ली: माह-ए-मुबारक रमजान ने दस्तक दे दिया है। सोमवार को चांद दिखने के साथ ही मंगलवार यानी 12 मार्च से रमजान शुरू हो जाएगा। रमजान की आहट से रोजे और इबादत का सिलसिला शुरू होने के साथ ही कुरआन की तिलावत की आवाजें मस्जिदों से आने लगती है। रहमतों और बरकतों का महीना रमजान मुबारक शुरू होने वाला है। ऐसे में मुस्लिमों में पाक महीना रमजान को लेकर तैयारियां काफी जोश के साथ शुरू हो चुकी हैं।

चांद के दीदार के बाद पहला रोजा 12 मार्च से

भारत के कई हिस्सों में आज चांद नजर आया। रमजान के अर्धचंद्र के दीदार होते ही मस्जिदों से 12 मार्च से पाक महीने रमजान का ऐलान कर दिया गया।

अरब देशों में एक दिन पहले रमजान या ईद का चांद नजर आता है। सऊदी अरब में 10 मार्च को रमजान का चांद देखा गया। ऐसे में भारत में भी आज यानी 11 मार्च को रमजान का चांद दिखा है। चांद नजर आने के बाद ही आधिकारिक तौर पर रमजान की घोषणा कर दी गई।

रमजान करीम क्यों कहते हैं

रमजान करीम का अर्थ होता है, रमजान का पाक महीना आपके लिए उदार हो और इस महीने आपको किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े।

जानें रमजान में तरावीह क्या होती है?

रमजान के पूरे महीने में हर दिन 05 वक्त की नमाज के अलावा रात के समय एक विशेष तरह की नमाज पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहा जाता है। रमजान का चांद नजर आने के बाद से तरावीह पढ़ना शुरू हो जाता है।

आंख, जुबान और कान के लिए भी होता है रोजा

सिर्फ भूखे-प्यासे रहना ही रोजा नहीं होता, बल्कि रोजा आंख, जुबान और कान का भी होता है। इसलिए रमजान में रोजेदार रोजा के दौरान भूखा-प्यासा रहने के साथ ही गलत काम से दूर रहें, झूठ बोलने से बचें और किसी की बुराई न करें। रोजा में गलत चीजें देखने, सुनने और बोलने से भी रोजा टूट सकता है।

March Festive List: From Holi, Chaitra month to Ramzan

March Festival List: मार्च 2024 रंग और हर्षोल्लास से भरपूर रहेगा। आप जानते हैं कि मार्च का महीना त्योहार के मद्देनजर बहुत ही खास माना जाता है क्योंकि इस माहीने में होली जैसा बड़ा त्योहार आता है। मार्च में आने वाला होली त्योहार 40 दिन मनाया जाता है। अलावा इसके धार्मिक दृष्टि से देखें तो मार्च में महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का बड़ा त्योहार मनाया जाता है। ये पूरा महीना फाल्गुन का रहेगा। ऐसे में साल 2024 मार्च में फुलेरा दूज, विजया एकादशी, होलिका दहन, आमलकी एकादशी, सीता जयंती आदि बड़े व्रत-त्योहार आएंगे।

मुस्लिमों का पावित्र महीना रमजान भी चांद के मुताबिक 12 या 13 मार्च से शुरू होगा जोकि पूरा एक महीने का होगा। इस पाक महीने में मुस्लिम रोजे के साथ तरावीह की नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह से दुआ मांगते हैं।

मार्च माह में शनि समेत 05 बड़े ग्रहों की चाल बदलेगी। इससे 12 राशियों पर शुभ-अशुभ असर पड़ेगा। मार्च में कौन से व्रत-त्योहार आएंगे। किन ग्रहों का मोचर होगा, राहुकाल समय और शुभ योग के बारे में आइये विस्तार से जानें-

मार्च पंचांग 2024 (Panchang March 2024)

 

Panchang March 2024

March Festive List: From Holi, Chaitra month to Ramzan

 

फोटो सौजन्य- गूगल

Pankaj Udhas: Last rites of Padmashree Pankaj Udhas today

Pankaj Udhas Funeral: अपनी उम्दा गजल गायकी से लोगों के दिलों पर राज करने वाले लोकप्रिय गायक पंकज उधास हमें अलविदा कह गए। 26 फरवरी को 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वे लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। पंकज उधास के निधन से मनोरंजन जगत में शोक की लहर है। सभी फैंस और सेलेब्स पंकज उधास के निधन से गमगीन हैं। दिवंगत गजल गायक का आज अंतिम संस्कार किया जाएगा। पंकज की बेटी नायाब उधास ने उनके अंतिम संस्कार को लेकर जानकारी एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दी है।

पंकज उधास की बेटी ने शेयर की अंतिम संस्कार से जुड़ी जानकारी 

 

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फेमस गजल गायक पंकज उधास आज पंचतत्व में विलिन हो जाएंगे। पंकज उधास की बेटी नायाब उधास ने सोमवार को इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर कर उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी जानकारी साझा की। नायाब ने लिखा- ‘पद्ममश्री पंकज उधास जी की प्रेमपूर्ण स्मृति में, बहुत भारी मन से, हम आपको लंबी बीमारी की वजह से उनके निधन की सूचना देते हुए दुखी हैं। अंतिम संस्कार मंगलवार, 27 फरवरी को दोपहर 03 बजे से 05 बजे तक होगा, स्थान- हिंदू श्मशान, वर्ली (मुंबई) लेंडमार्क ऑपोजिट, फोर सीजन्स डॉ. ई म्यूज रोड, वर्ली उधास परिवार’ 4

मालूम हो कि पंकज उधास का पार्थिव शरीर ब्रीच कैंडी अस्पताल से उनके कर्माइकल रोड स्थित बंगले पर लाया जाएगा। तकरीबन 02:30 बजे तक दिवंगत के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के रखा जाएगा और फिर 03 बजे के बाद वर्ली के हिंदू श्मशान भूमि पर उनकी अंतिम क्रिया की शुरुआत की जाएगी। उनके करीबियों का तांता लगना शुरू हो चुका है।

भावुक हुए भजन गायक अनूप जलोटा

भजन गायक जलोटा ने दिवंगत उधास के साथ अपने करीबी रिश्ते को याद किया और वे भावुक दिखे। न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने अपना दोस्त खो दिया है। लोगों ने पंकज उधास को खो दिया है, एक महान गजल गायक को खो दिया है। मैंने अपना दोस्त खो दिया है। पंकज, तलत अजीज और मेरी तिकड़ी बहुत प्रसिद्ध थी। हमने साथ में कई संगीत कार्यक्रम किए। मुझे पंकज उधास के निधन पर बहुत गहरा दुख है। उन्होंने गजल को घर-घर तक पहुंचाया और लोगों के दिलों में अपने लिए जगह बनाई। यह एक महान योगदान था और इसे कभी नहीं भुलाया जा सकता।

जॉन अब्राहम ने भी पंकज उधास को किया याद

जॉन अब्राहम ने दिवंगत गायक संग अपनी एक तस्वीर शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। जॉन ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि जब मैं नया-नया आया था तब आप ने मुझे अपने करीब रखा था। आप कई मायनों में मेरे गुरु हैं। भगवान आपकी आत्मा को शांति दें। मैं हमेशा आपको याद करूंगा।

सिनेमा जगत की कई हस्तियों ने उनके निधन पर जताया दुख

अलाव इसके माधुरी दीक्षित, मनोज बाजपेयी, रितेश देशमुख, अभिषेक बच्चन, सनी देओल, सोनू निगम और अन्य ने भी पंकज उधास को भावभीनी श्रद्धांजलि दी और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।

Importance of Shab-e-Barat in Islam

इस्लाम में शब-ए-बारात (Shab-E-Barat) त्योहार की बहुत अहमियत है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शाबान महीने की 15वीं तारीख की रात में शब-ए-बारात मनाई जाती है। शब-ए-बारात इबादत, रहमत, मगफिरत और फजीलतों की रात के तौर पर मनाई जाती है। जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय के तमाम लोग रातभर अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।

मस्जिदों और कब्रिस्तानों को किया जाता है रौशन

Importance of Shab-e-Barat in Islam

खुदा की इबादत का यह दिन बहुत ही खास और पवित्र तरीके से मनाते हैं। शब-ए-बारात के मौके पर मस्जिद और कब्रिस्तानों को खास तरीके के सजाया जाता है। कब्रिस्तान में चारों तरफ रोशनी की जाती है, साथ-साथ कब्रों पर चिराग जलाकर मगफिरत की दुआएं मांगी जाती है। लोग मस्जिदों और कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों के लिए अल्लाह की इबादत करते हैं। इसे चार मुकद्दस रातों में से एक मानते हैं जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र की रात होती है।

इमाम-ए-जमाना की पैदाइश का जश्न

Importance of Shab-e-Barat in Islam

मुस्लिम में शिया समुदाय शब-ए-बारात को इमाम-ए-जमाना हजरत मेहदी की पैदाइश की खुशी में मनाते हैं उनका मानना है कि अल्लाह इमाम-ए-जमाना के जन्मदिन की खुशी में अपनी रहमतें बरसाते हैं। इसलिए इस्लाम के सभी समुदाय के लोग रात भर जागकर नमाज़ और कुरान की तिलावत करते हैं। इमाम-ए-जमाना की पैदाइश के मौके पर शिया समुदाय जगह-जगह महफिलें भी करते हैं।

अलावा इसके शब-ए-बारात पर घरों को विशेष रूप से सजाते हैं और लजीज पकवान जैसे- बिरयानी, हलवा और हलीम आदि बनाया जाता है और इबादत के बाद गरीबों में भी बांटा जाता है।

Because not everyone is big hearted.

Women’s Health: महिलाओं की जिंदगी में उम्र का हर दौर एक नया बदलाव के साथ आता है जो उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित करता है। शारीरिक रूप से भी कई बदलाव देखने को मिलते हैं। देखा जाए तो बचपन से किशोरावस्था की ओर बढ़ रही बच्ची बहुत कुछ फिजिकली बदलाव बर्दाश्त करती हैं। उसी तरह जब शरीर 35 की उम्र पार करता है तब भी बहुत से चेंजेज दिखाई देने लगते हैं। ये चेंजेज उन्हें मानसिक तो प्रभावित करते ही हैं उनकी शादीशुदा जीवन पर भी असर पड़ता है। अगर इस उम्र की देहलीज को पार आपको भी लगता है कि आप कुछ बदल रही हैं तो उसकी वजह कुछ और नहीं आपकी उम्र ही है। बताते चलें कि किस किस तरह से ये उम्र चेंजेज लेकर आता है।

35 की उम्र के बाद होने वाले बदलाव

पेल्विक स्वास्थ्य पर पड़ता है असर

आपकी उम्र 35 पार और 40 के नजदीक पहुंचते पहुंचते मैरेज लाइफ पर कुछ असर दिखने लगता है क्योंकि इस समय तक फिजिकल रिलेशन बनाने की इच्छा पहले जैसी नहीं रह जाती। प्राइवेट पार्ट में भी बहुत से चेंजेज दिखने लगते हैं। सबसे पहला चेंजेज यौन इच्छा में कमी आना ही होता है। अलावा इसके वजाइना में ज्यादा ड्राइनेस और कई बार खुजली भी होने लगती है। वजाइना के अपीयरेंस में भी बदलाव आने लगता है। मेनोपॉज के दौरान अलग-अलग अनुभव होते हैं। कुछ महिलाओं को ड्राईनेस तो कुछ को इन्फ्लेमेशन की शिकायत हो सकती है। बता दें कि इस उम्र में यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन (UTI) जैसी प्रॉब्लम भीबढ़ सकती है।

अन्य शारीरिक बदलाव

These foods play an important role in controlling hormones

अलावा इसके ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना। स्किन पहले से ज्यादा ड्राई रहना, ऑस्टियोपोरोसिस, बालों के टेक्सचर में अंतर और रिंकल आने लगते हैं। और भी बहुत से हार्मोनल चेंजेज भी होते हैं।

मानसिक बदलाव की समस्या

शारीरिक रूप से ना सिर्फ बल्कि मानसिक रूप से भी कई तरह के चैंजेज का सामना करना पड़ता है। कई महिलाएं इस उम्र में डिप्रेशन के करीब पहुंच जाती हैं। कई महिलाओं में एंग्जाइटी बढ़ जाती है। सबसे अधिक रात में नींद उचटने लगती है और साथ में इनसोमनिया की शिकायत बढ़ जाती है।

Valentine Day Special: Do not give these 5 gifts to your partner even by mistake

Valentine Day Special: किसी भी स्पेशल मौके पर हम अपने खास दोस्त, परिजन और अपने पार्टनर को गिफ्ट देना पसंद करते हैं। खासकर Couples को एक दूसरे को तोहफा देना पसंद होता है। ऐसे में गिफ्ट देने के लिए काफी कुछ है और हम हमेशा गिफ्ट देने के लिए कोईकोई नया तरीका ढूंढते हैं। और अक्सर अपने साथी के लिए सबसे बढ़िया गिफ्ट देना चाहते हैं। पर कई बार जाने अनजाने में हम ऐसी गिफ्ट भी दे देते हैं जो वास्तु के अनुसार नहीं देना चाहिए।

आप ठीक समझे, ऐसी कई गिफ्ट हैं जो वस्तु के मुताबिक नहीं देना चाहिए या घर में इस तरह की गिफ्ट नहीं रखनी चाहिए। इस वजह से कपल्स के बीच अक्सर लड़ाई की नौबत आ सकती है। साथ ही इस तरह की गिफ्ट देना अशुभ भी माना जाता है। अगर आप भी अपने पार्टनर को कोई गिफ्ट देने का मन बना रहे हैं तो पहले समझ लें कि किस तरह की गिफ्ट नहीं देना चाहिए।

1. गिफ्ट में परफ्यूम देना: ज्यादातर कपल्स एक दूसरे को परफ्यूम देना भी पसंद करते हैं। परफ्यूम बहुत खास गिफ्ट है और एक प्रीमियम चॉइस भी है। पर वास्तु के मुताबिक परफ्यूम भी गिफ्ट में नहीं देनी चाहिए। इस तरह की गिफ्ट देने से रिलेशन में डिसटेंस आ सकती है।

2. जूते गिफ्ट करना:

Valentine Day Special: Do not give these 5 gifts to your partner even by mistake

लड़कियां कई बार लड़कों को जूते देना पसंद करती हैं। लड़कों के लिए जूते देना एक उम्दा गिफ्ट है क्योंकि ज्यादातर लड़कों रो बढ़िया जूते पहनना बहुत अच्छा लगता है। वास्तु शास्त के मुताबिक जूते नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं। बता दें कि कई मुल्कों में भी जूते देने का प्रचनल नहीं के बराबर है।

3. रुमाल गिफ्ट में देना: अक्सर देखा गया है कि लोग खूबसूरत और अट्रैक्टिव रुमाल भी गिफ्ट करना पसंद करते हैं। जबकि वास्तु के मुताबिक रुमाल भी गिफ्ट नहीं करना चाहिए। रुमाल गिफ्ट करने से आपकी दोस्ती या रिश्ते में दरार आ सकती है। हिंदू मान्यता के अनुसार रुमाल या टावेल जैसी चीजें गिफ्ट नहीं की जाती हैं।

4. काले कपड़े गिफ्ट ना करें: Black कपड़े सभी पर जचते हैं लेकिन वास्तु के मुताबिक काले कपड़े भी गिफ्ट नहीं करना चाहिए। काला रंग भी नकारात्मक इनर्जी का प्रतीक है। अगर आप अपने पार्टनर को काली शर्ट या काला कुर्ता तोहफे में देने का सोच रहे हैं तो ऐसा करने से बचें। काले रंग की जगह आप दूसरे गहरे रंग के कपड़े चुन सकते हैं।

5. ताजमहज उपहार में ना दें: कई दफा एक खूबसूरत गिफ्ट देने के लिए लोग ताजमहल गिफ्ट करना पसंद करते हैं। ताजमहल बहुत खूबसूरत उपहार है और इसे घर में रखना काफी अच्छा लगता हैलेकिन ताजमहल ना ही गिफ्ट करना चाहिए और ना ही अपने घर में रखनी चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि ताजमहल मुमताज का मकबरा है। मकबरा और कब्र जैसी चीजें नकारात्मक ऊर्जा प्रवाह करती हैं इसलिए इसे घर में भी सजा कर नहीं रखना चाहिए।

फोटो सौजन्य- गूगल

February Festivals

February Festivals: बसंत पंचमी को लेकर फरवरी माह का बड़ा ही महत्व है। हिंदू पंचांग के मुताबिक फरवरी का महीना बेहद खास माना जाता है क्योंकि इस वर्ष ग्रहों के गोचर के साथ कई बड़े व्रत त्योहार भी पड़ रहे हैं। बता दें कि फरवरी में षटतिला एकादशी से लेकर मासिक बसंत पंचमी जैसे कई व्रत और त्योहार पड़ेंगे। आइये जानें फरवरी माह में पड़ने वाले खास व्रत-त्योहार और इस माह में होने वाले ग्रह गोचर के बारे में।
यहां देखें व्रत-त्योहार और ग्रह गोचर की पूरी सूची-

February Festivals

फरवरी माह के शेष व्रत-त्योहार:

  • 13 फरवरी 2024, मंगलवार, कुम्भ संक्रांति
  • 14 फरवरी 2024, बुधवार बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा
  • 20 फरवरी 2024, मंगलवार, जया एकादशी
  • 21 फरवरी 2024, बुधवार, प्रदोष व्रत (शुक्ल)
  • 24 फरवरी 2024, शनिवार, माघ पूर्णिमा व्रत
  • 28 फरवरी 2024, बुधवार, संकष्टी चतुर्थी

फरवरी माह के ये हैं गोचर:

  • 12 फरवरी 2024 शुक्र का मकर राशि में गोचर
  • 13 फरवरी 2024 सूर्य का कुंभ राशि में गोचर
  • 20 फरवरी 2024 बुध का कुंभ राशि में गोचर
  • 14 फरवरी 2024 (बुधवार) – बसंत पंचमी, सरस्वती पूजा

ये त्योहार ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। वसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। इस दिन पीला रंग का विशेष महत्व है।