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क्योंकि हर इन्सान बड़ा दिल वाला नहीं होता..

Because not everyone is big hearted.

कुछ लोगों को जिंदगी से बहुत शिकायतें होती हैं। हर इन्सान को यही लगता है जैसे दुनिया की सारी मुश्किलें भगवान ने उन्हीं की झोली में डाल दी है लेकिन क्या कभी आपने खुद उस लम्हें को महसूस किया है, जब कोई छोटा बच्चा खिलौनों की दुकान के बाहर खड़ा होकर उन्हें ऐसे देख रहा होता है, जैसे कोई जादू है और सच में जादू ही तो है उसके लिए।

वहीं, जादू जिसे वह देख तो सकता है, लेकिन अपने नन्हें हाथों से महसूस नहीं कर सकता। सच में कितना भयानक जोड़ है ना ( गरीबी + बचपन)!

कोई भी बड़ा समझदार इंसान अपने हालातों से समझौता कर सकता है, और हालातों को बदलने के लिए कोशिश करने का भी संकल्प ले सकता है, लेकिन वह बच्चा जिसने अभी दुनिया से अपना रिश्ता नया नया शुरू किया है सोचें उसके लिए कैसा होता होगा।

एक छोटा बच्चा जो मेले के दरवाजे पर खड़ा है और उसके पास अंदर जाने के लिए पैसे नहीं है। हम और आप शायद सोच भी नहीं सकते, कि किस तरह वो मासूम अपने दिल को समझाता होगा। वह कढ़ाई में बनती गरम गरम जलेबी उसे कैसे ललचा रही होंगी और हर हवा के झोंके के साथ जब खुशबू आ रही होती होगी तो उसके कानों में यही कहकर जाती होगी कि तुम सिर्फ महसूस करो।

Because not everyone is big hearted.

झूले पर झूलते वह बच्चे जो इस भयानक जोड़ गरीबी और बचपन का हिस्सा नहीं है जब जब वह झूला झूलते हुए खिलखिलाते है, तो किस कदर वह नन्ना दिल मचल जाता है, वह ढेर सारे झूले झूलने को। और फिर इन सब से 01 मिनट के लिए ध्यान हटा तो वह आइसक्रीम वाले अंकल घंटी बजा देते हैं। वो वाला एक लम्हा इतना भारी हो जाता है कि वह बच्चा सोचने लगता है कि काश उसके पास भी पैसे होते तो वह भी अपने सपनों के महल सजा पाता। बस एक यही लम्हा उसे मजबूर कर देता है, इतना मजबूर कि दिल की सुनना उसके लिए जरूरत बन जाता है। और फिर दिल को मनाने का जो सिलसिला शुरू होता है, वह उसे लोगों से मांगने पर भी मजबूर कर देता है। जब कोई अन्य हाथ में आइसक्रीम लेकर बाहर आता है तो उसे बस यही समझ आता है कि मायूस आंखों से उसे देखने की बजाय उसके आगे हाथ बढ़ाकर मांग ले। और उसके बाद फिर किसी का झूठा भी मिल जाए तो क्या फर्क पड़ता है।

इसी के साथ दुत्कार भी मिलती है, क्योंकि हर इन्सान बड़ा दिल वाला नहीं होता। कुछ छोटे दिल के लोग यह कभी नहीं समझ सकते कि एक छोटे बच्चे के लिए दिल को समझाना कितना मुश्किल होता है। आपकी दिलवाई हुई 10 रुपये की चीज उसे अंदर से कितना खुश कर जाएगी यह शब्दों में बयां नहीं हो सकता। त्योहारों के समय पर इस तरह के बच्चों के लिए शाहा रात में चमकते तारों के जैसे हो आप। इस समय उनके लिए उनके अंधेरों की कालिख में रोशनदान से छनता उजाला हैं आप।

मैं इन बच्चों को भीख या पैसे देने का समर्थन बिल्कुल नहीं करती, लेकिन इस दिवाली किसी एक बच्चे के चेहरे पर आपकी वजह से मुस्कान आ जाए तो समझ ही आपको भगवान की तरफ से दिवाली का तोहफा मिल गया है। किसी भूखे बच्चे को खाना खिलाइए, किसी को कपड़े दिला दीजिए, किसी बच्चे को जूते दिला दीजिए, किसी को उसकी पसंदीदा आइसक्रीम खिला कर, उसे यह समझा सकते हैं कि आप उन्हीं के जैसे हैं। हां, बस भगवान ने आपको थोड़ा ज्यादा इसलिए दिया कि उनके त्योहारों को आप रोशन कर सकें। कम से कम त्योहारों पर किसी की आंखों में आंसू ना हो।

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