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Category Archives: Lifestyle

effective exercises

Fatigue: जिंदगी में दिनों दिन बढ़ने वाले टेंशन-थकान कमजोरी की वजह बन जाते हैं। इससे ना सिर्फ हेल्थ संबंधी समस्याएं बढ़ने लगती है बल्कि वर्क प्रोडक्टिविटी पर भी उसका असर देखने को मिलता है। थकान को कम करने के लिए दवाओं के अलावा एक्सरसाइज बेहद कारगर उपाय है। इससे शरीर को मजबूती मिलने के अलावा मानसिक स्वास्थ्य को बूस्ट करने में भी मदद मिलती है। जानते है किन एक्सरसाइज की मदद से थकान से राहत मिल सकती है।

फिटनेस एक्सपर्ट बताते हैं कि डेली व्यायाम करने से शरीर में एंडोर्फिन का रिलीज बढ़ जाता है। इससे ना सिर्फ शरीर में ऊर्जा का लेवल बढ़ता है बल्कि विचारों में भी सकारात्मकता बढ़ने लगती है। अलावा इसके नींद ना आने की समस्या हल हो जाती है। शरीर को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए एक्सरसाइज के अलावा शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है। इसके लिए स्वीमिंग, जॉगिंग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें।

इन एक्सरसाइज़ की मदद से टेंशन-थकान को करें दूर

1. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़

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बॉडी को एक्टिव और हेल्दी बनाए रखने के लिए फुल बॉडी स्ट्रेचिंग जरूरी है। अलावा इसके शोल्डर स्ट्रेच से लेकर लेग्स स्ट्रेचिंग तक शरीर के आवश्यक है। इससे शारीरिक अंगों में ब्लड का उचित फ्लो बना रहता है और आलस्य व थकान अपने आप कम होने लगती है। नियमित रूप से स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज़ करने से शरीर में ऑक्सीजन की उच्च मात्रा बनी रहती है।

2. स्टेबिलिटी एक्सरसाइज़

शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद आवश्यक है। इसके अभ्यास से लिगामेंटस और कोर मसल्स को मज़बूती मिलती है। इसके लिए दिनभर में कुछ वक्त प्लैंक्स, सिंगल लेग बैलेंस, शेडो बॉक्सिंग और स्टेबीलिटी बॉल एक्सरसाइज़ करें। नियमित रूप से इसका अभ्यास शरीर को एक्टिव और हेल्दी बनाए रखता है। इससे अपर बैक, गदर्न, कंधों और काफ मसल्स की मज़बूती बढ़ने लगती है।

3. कुछ समय जॉगिंग के लिए निकालना है जरूरी

Government's alert on the havoc of heat

थकान को दूर करके एकाग्रता को बढ़ाने के लिए कुछ देर जॉगिंग अवश्य करें। इससे शरीर में ब्लढ का फ्लो बढ़ने लगता है, जिससे अलर्टनेस बढ़ जाती है। 5 मिनट के वॉर्मअप के बाद 20 से 25 मिनट की जॉगिंग से शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन का रिलीज़ बढ़ जाता है। इससे टांगों, लंग्स, हृदय और बैक मसल्स को मज़बूती मिलने लगती है। इससे शरीर दिनभर एक्टिव बना रहता है।

4. स्वीमिंग भी है जरूरी

मसल्स को ऑक्सीजनेट करने के अलावा तनाव को दूर करने के लिए स्वीमिंग एक कारगर उपाय है। स्वीमिंग से शरीर रिलैक्स होने लगता है, जिससे शरीर में हैप्पी हार्मोन का रिलीज़ बढ़ जाता है। इसके अभ्यास से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। साथ ही मसल्स ऑक्सीजनेट होते हैं, जिससे हृदय संबधी समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है। तैराकी से स्पाइन को मज़बूती मिलती है, जिससे पीठ दर्द और घुटनों के दर्द से मुक्ति मिल जाती है।

5. योगाभ्यास है फायदेमंद

Yoga for women

योगाभ्यास करने से शरीर का मूवमेंट बढ़ने लगता है, जिससे मांसपेशियों की दर्द और ऐठन कम हो जाती है। अलावा इसके खड़े होकर, बैठकर और लेटकर किए जाने वाले योगासनों से शरीर स्ट्रेच होता है। इसके नियमित अभ्यास से थकान के अलावा शरीर कई समस्याओं से बचा रहता है। साथ ही शरीर में लचीलापन बढ़ने लगता है।

6. पिलेट्स

सांस पर नियंत्रण बनाकर कोर मसल्स की स्ट्रेथनिंग बढ़ाने वाली इस एक्सरसाइज़ से शरीर के पोष्चर में सुधार आने लगता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, जिससे फेफड़ों का स्वास्थ्य उचित बना रहता है और थकान कम होने लगती है। रेजिस्टेंस बैंड और रोप की मदद से की जाने वाली ये एक्सरसाइज़ लो इंटैसिटी एक्सरसाइज़ है। इससे तनाव कम होता है और शरीर चुस्त बना रहता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Breastfeeding

Breast Feeding को लेकर कुछ जरूरी बातें हमें मालूम नहीं होती, जिससे मां और शिशु दोनों को नुकसान होता है। मां का दूध बच्चे के लिए न्यूट्रीशन से भरा वो आहार है जो उसकी समूचे ग्रोथ में मददगार साबित होता है। ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए फायदेमंद है। वैसे तो शिशु के लिए पैदा होने के 06 माह तक ब्रेस्टफीडिंग की सलाह दी जाती है लेकिन कई बार गलत तरीके से फीडिंग मां को तो थका देती ही है साथ-साथ बच्चे को भी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं।

ब्रेस्टफीडिंग के वक्त कुछ बातों का अमल करना जरूरी है ताकि मां और बच्चे का स्वास्थ्य बिल्कुल सही रहे। आइये जानते हैं ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

ब्रेस्टफीडिंग क्यों है ज़रूरी-

breastfeeding

इस बारे में विशेषज्ञ की राय हैं कि ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए अहम है। मां के दूध से नवजात शिशु को सभी जरूरी पोषण मिल जाते हैं, जिससे बच्चे की ग्रोथ में मदद मिलती है। अलावा इसके शिशु को पर्याप्त ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है। पर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखना भी आवश्यक है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक ब्रेस्ट मिल्क में इम्युनोग्लोबुलिन या एंटीबॉडी पाई जाती हैं। इससे मिलने वाला प्रोटीन बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं। अलावा इसके बच्चों में टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज़ का जोखिम भी कम हो जाता है। वहीं, ब्रेस्टफीडिंग करवाने से ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है।

ब्रेस्टफीडिंग कराते समय इन बातों का रखें ध्यान

1. बच्चे की जरूरत का रखें ध्यान

 

Breast feeding

बच्चे को जब भी भूख लगे उसे स्तनपान करवाएं। अपनी तरफ से समय निर्धारित करने का प्रयास न करें। बार-बार स्तनपान कराने से दूध पर्याप्त मात्रा में बनता है और बच्चे को पूरा पोषण मिल पाता है। साथ ही किसी तरह के ब्लॉकेज या थक्का बनने का खतरा भी नहीं रहता। अगर वर्किंग मॉम हैं, तो ब्रेस्ट पंपिंग के जरिये दूध निकालकर भी बच्चे को पिलाया जा सकता है। बच्चा जब बड़ा होने लगे, तब अचानक स्तनपान बंद न करें। फीडिंग धीरे-धीरे छुड़ाने से आपके शरीर को ढलने का समय मिल जाता है और किसी तरह की परेशानी नहीं होती है।

2. क्लीनिंग पर ध्यान देना जरूरी

फीडिंग के समय हाइजीन का ख्याल रखना सबसे महत्वपूर्ण है। ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान रोज नहाना, कपड़ों की साफ सफाई और नियमित रूप से कपड़े बदलना जरूरी है। ब्रेस्ट फीडिंग के लिए कपड़े ढीले पहनें और उनकी बनावट ऐसी हो, जिससे बच्चे को आसानी से स्तनपान कराया जा सके। स्तनों पर बार-बार हाथ लगाने से बचें। हाथ लगाने से संक्रमण का खतरा रहता है। अगर स्तनों की सफाई के लिए वाइप्स का इस्तेमाल करती हैं, तो ध्यान रहे कि वाइप्स में किसी तरह के रसायन का प्रयोग न हुआ हो।

3. सही पोश्चर में कराएं ब्रेस्टफीडिंग

breastfeeding

कुछ महिलाएं जब बच्चा लेटा हुआ होता है, तभी स्तनपान करवाने लगती हैं। ये पोश्चर बच्चे के लिए सही नहीं है। प्रयास करें कि बच्चे को करवट कराते हुए या गोद में लेकर सही तरह से उसे अपने स्तनों के पास लाएं। इससे मां और बच्चे दोनों का पोश्चर सही रहता है। जिससे कई तरह की शारीरिक परेशानियों से बचा जा सकता है। बच्चे को बारी-बारी से दोनों स्तनों से स्तनपान कराएं।

4. स्वयं को हाइड्रेटेड रखें

वॉटर इनटेक का ध्यान ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रखना आवश्यक है। इससे शरीर हाइड्रेट रहता है और दूध न आने की समस्या हल हो जाती है। स्तनपान के दौरान पानी, जूस, शेक्स, हेल्दी सूप और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करे। इससे शरीर में मिनरल्स की कमी पूरी हो जाती है। अलावा इसके शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है।

5. अपने खानपान का रखें ख्याल

हेल्दी और संतुलित आहार करना हमेशा जरूरी होता है। विशेषरूप से स्तनपान के समय यह और भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि मां से ही बच्चे को पोषण मिलता है। खानपान पर ध्यान देते हुए यह समझें कि अगर आपके कुछ खाने से बच्चे को परेशानी होती है, तो ऐसी चीजों से दूर रहें। बहुत भारी और मुश्किल से पचने वाले आहार की तुलना में सुपाच्य आहार ग्रहण करना सही रहता है। पानी भी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।

फोटो सौजन्य – गूगल

Do we have to face the risk of UTI after sex?

UTI मतलब यूरिनरी ट्रैक इन्फेक्शन एक काफी आम समस्या है जिसका सामना महिलाएं अपने लाइफ में एक बार जरूर करती हैं। यूरिनरी ट्रैक में होने वाले इस संक्रमण के पीछे हानिकारक बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं, जो कई कारणों से आपके यूरिनरी ट्रैक में प्रवेश करते हैं। इन्हीं में से एक कारण है ‘SEX’। महिलाएं अक्सर ये सवाल पूछा करती हैं कि आखिर सेक्स के वक्त UTI होने का क्या कारण ? आज हेल्थ शॉट्स आपके इसी प्रश्न का जवाब लेकर आएं हैं। जानेंगे SEX और UTI के बीच क्या संबंध है।

एक्सपर्ट के मुताबिक सेक्स से होने वाले UTI के कुछ सामान्य कारण बताएं हैं। साथ ही उन्होंने कुछ बचाव के नुक्से भी बताएं हैं, जिन्हें याद रख सेक्स के बाद होने वाले UTI के खतरे को कम कर सकती हैं।

समझें सेक्स से यूटीआई होने की वजह

Do we have to face the risk of UTI after sex?

UTI पैदा करने वाले बैक्टीरिया एनस के आस-पास के क्षेत्र में रहते हैं। इंटरकोर्स ही नहीं बल्कि कोई भी अन्य सेक्सुअल एक्टिविटी बैक्टीरिया को यूरिनरी ट्रैक के करीब और ऊपर धकेल सकती है और यूटीआई का कारण बन सकती है। पुरुष और महिला दोनों को सेक्स से यूटीआई हो सकता है, महिलाओं में पोस्ट-कोइटल यूटीआई विकसित होने की संभावना अधिक होती है। डेटा की मानें तो यूटीआई के लक्षण अक्सर सेक्स करने के लगभग 02 दिनों के बाद शुरू होते हैं।

ज्यादातर यूटीआई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) ट्रैक से बैक्टीरिया के कारण होते हैं। 80 फीसदी से ज़्यादा यूटीआई एस्चेरिचिया कोली (ई कोलाई) बैक्टीरिया के कारण होते हैं। ये कीटाणु आंतों के अंदर सामान्य और आम होते हैं, जहां वे आपको बीमार किए बिना पाचन में मदद करते हैं।

1. सेक्सुअल इंटरकोर्स:

सेक्सुअल इंटरकोर्स का मोशन एनस के आस-पास रहने वाले बैक्टीरिया को मूत्रमार्ग की ओर धकेल सकती है। इससे बैक्टीरिया के शरीर में प्रवेश करने और संक्रमण पैदा करने का जोखिम बढ़ जाता है। सेक्स से इंटिमेट एरिया में जलन हो सकता है। यह जलन संक्रमण के जोखिम को बढ़ा देती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पेनेट्रेटिव सेक्स यूटीआई का एकमात्र कारण नहीं है। ओरल और मैनुअल सेक्स भी वेजाइनल ओपनिंग में हानिकारक बैक्टीरिया के प्रवेश का कारण बन सकता है, जिससे संक्रमण हो सकता है।

2. अनसेफ सेक्स:

कई बार लोग बिना प्रोटेक्शन के नियमित सेक्स करते हैं, जिसकी वजह से भी UTI का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप बिना प्रोटेक्शन के सेक्स कर रही हैं, तो हाइजीन के प्रति बरती गई छोटी सी भी लापरवाही आपको UTI का शिकार बना सकती है। इंटरकोर्स के दौरान एक दूसरे के इंटिमेट एरिया पर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया एक्सचेंज हो सकते हैं, जिसकी वजह से UTI हो जता है।

3. एनल सेक्स:

एनल सेक्स के दौरान एनस में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया आपके जेनिटल में पास हो सकते हैं, जिसकी वजह से यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यदि कोई आदमी एनल सेक्स कर रहा है, तो उनमें इसका खतरा अधिक होता है।

4. बर्थ कंट्रोल:

कुछ गर्भनिरोधक, जैसे कि डायाफ्राम और स्पर्मिसाइड लुब्रिकेंट्स, यूटीआई के जोखिम को बढ़ा देते हैं। डायाफ्राम यूरिनरी ट्रैक्ट की ओर पुश होता है, जिससे इसके ब्लैडर में फंसने की संभावना अधिक होती है। जब ऐसा होता है, तो बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं, जिससे संक्रमण हो सकता है। शुक्राणुनाशक (अक्सर लुब्रिकेंट और कंडोम में पाए जाते हैं) इंटिमेट एरिया के बैक्टिरियल बैलेंस को बदल सकते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

सेक्स के बाद UTI के खतरे को कम करने के कुछ प्रभावी तरीके

Do we have to face the risk of UTI after sex?

सेक्स के पहले और सेक्स के बाद यूरिन पास करना बहुत जरूरी है। इससे बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट से बाहर निकल आता है और उन्हें संक्रमण फैलने का समय नहीं मिलता।

सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान प्रोटेक्शन यानी कि मेल और फीमेल कंडोम का इस्तेमाल करें। ताकि एक दूसरे के स्किन पर मौजूद बैक्टीरिया जेनिटल में ट्रांसफर हो कर आपको संक्रमंत न कर सके।

सेक्स से पहले और बाद में हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। अपने इंटिमेट एरिया को आगे से पीछे की ओर अच्छी तरह से क्लीन करें।

अपने जन्म नियंत्रण पर ध्यान से विचार करें। यदि आप डायाफ्राम या शुक्राणुनाशक का उपयोग करती हैं, तो ये स्वस्थ बैक्टीरिया को मार सकते हैं, जो कीटाणुओं को नियंत्रित रखते हैं। इसलिए इनके इस्तेमाल से बचें।

लुब्रिकेंट का उपयोग करें, सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान लगातार फ्रिक्शन होने की वजह से इंटिमेट एरिया के आसपास जलन हो सकती है। वहीं कई बार कट लगने की वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, लुब्रिकेंट आपके इंटरकोर्स को बेहद स्मूद बना देता है।

UTI के रिस्क को अवॉइड करने के लिए इन बातों का भी रखें ख्याल

इंटिमेट एरिया पर डौश, पाउडर या स्प्रे का उपयोग न करें। इससे हेल्दी बैक्टीरिया का प्रभाव कम हो जाता है जिससे की हानिकारक बैक्टीरिया हावी हो कर संक्रमण का कारण बन सकते हैं।

स्टॉल पास करने के बाद अपने एनस को अच्छी तरह से साफ करें, क्योंकि सबसे ज्यादा हानिकारक बैक्टीरिया इसी एरिया में होते हैं, जिनकी वजह से इंटरकोर्स के दौरान संक्रमण के ट्रांसफर होने का खतरा बढ़ जाता है।

नियमित रूप से प्रोबायोटिक जैसे की दही, कंबूजा, अचार आदि का सेवन करें। इससे UTI का खतरा कम होता है, अलावा इसके क्रैनबेरी जूस भी बचाव में आपकी मदद कर सकती है।

Festival List of July

Festival List of July: जुलाई में आषाढ़ महीने के साथ सावन की भी शुरुआत होती है। इस खास माह के दौरान व्रत रखने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। चातुर्मास भी शुरू हो जाता है, जो 04 माह तक रहता है। आइये जानते हैं इस महीने आने वाले सभी व्रत और त्योहारों की तिथि जान लोते हैं।

त्योहारों को लेकर क्यों खास माना जाता है जुलाई का महीना?

इस माह को मानसून के आगमन का प्रतीक भी मानते हैं।

जुलाई महीने में ही शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा।

जुलाई का महीना सभी महीनों में से सबसे खास माना जाता है। इसी महीने से सावन के पवित्र महीने की शुरुआत होगी। साथ ही जगन्नाथ रथ यात्रा भी इसी दौरान शुरू होगी।

जुलाई अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 7वां महीना है, जबकि हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह चौथा है। इसे आषाढ़ माह के नाम से जाना जाता है। इस माह में गुप्त नवरात्र, प्रदोष व्रत, सावन सोमवार और योगिनी एकादशी, विनायक चतुर्थी समेत कई त्योहार मनाए जाने वाले हैं।

सावन माह की शुरुआत

Festival List of July

सावन माह बहुत अहम माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के धार्मिक कार्य किए जाते हैं। इस वर्ष सावन का महीना आषाढ़ पूर्णिमा के बाद शुरू होगा। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक सावन का महीना 22 जुलाई, सोमवार से शुरू होगा। यह 19 अगस्त को समाप्त होगा।

जुलाई माह के व्रत और त्योहार-

  • 02 जुलाई 2024, मंगलवार : योगिनी एकादशी व्रत
  • 03 जुलाई 2024, बुधवार : प्रदोष व्रत
  • 04 जुलाई 2024, गुरुवार : मासिक शिवरात्रि व्रत
  • 05 जुलाई 2024, शुक्रवार : आषाढ़ अमावस्या व्रत
  • 6 जुलाई 2024, शनिवार : गुप्त नवरात्र प्रारंभ
  • 07 जुलाई 2024, रविवार : जगन्नाथ रथ यात्रा
  • 09 जुलाई 2024, मंगलवार : विनायक चतुर्थी व्रत
  • 11 जुलाई 2024, गुरुवार : स्कंद षष्ठी व्रत
  • 14 जुलाई 2024, रविवार : मासिक दुर्गाष्टमी
  • 16 जुलाई 2024, मंगलवार : कर्क संक्रांति
  • 17 जुलाई 2024, बुधवार : देवशयनी एकादशी, गौरी व्रत प्रारंभ
  • 18 जुलाई 2024, शुक्रवार : प्रदोष व्रत
  • 21 जुलाई 2024, रविवार : गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
  • 22 जुलाई 2024, पहला सावन सोमवार
  • 24 जुलाई 2024, बुधवार : गजानन संकष्टी चतुर्थी
  • 28 जुलाई 2024, रविवार : कालाष्टमी
  • 29 जुलाई 2024, दूसरा सावन सोमवार
  • 31 जुलाई 2024, बुधवार : कामिका एकादशी

 

फोटो सौजन्य- गूगल

Hajj Yatra 2024: Holy Hajj pilgrimage has started

Hajj Yatra 2024: इस्लाम धर्म के 5 स्तंभों में से एक अहम स्तंभ हैं हज यात्रा। जी हां, यह हज यात्रा हर सक्षम मुसलमान के लिए जिंदगी में एक बार करना अनिवार्य होता है। यह यात्रा इस्लामी महीने जिल हिज्जा के 8वें से 12वें दिन के बीच सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का और उसके आसपास के पवित्र स्थलों पर की जाती है। हज का मकसद अल्लाह को खुश करना और गुनाहों की माफी हासिल करना है।

यह यात्रा न सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करने का मौका देता है, बल्कि सामुदायिकता, सहयोग और भाई-चारे का भी प्रतीक होती है। हज यात्रा की विधियों और नियमों का सही तरीके से पालन करके मुसलमान अल्लाह की प्रसन्नता और बरकत हासिल कर सकते हैं. इस अवसर पर आइए जानते हैं हज यात्रा के विभिन्न चरणों और खास नियमों के बारे में।

कब तक है पवित्र हज यात्रा

Hajj Yatra 2024: Holy Hajj pilgrimage has started

हज की शुरुआत इस्लामिक महीने की 08 तारीख से होती है जो इस साल 14 जून को पड़ रही है, इसलिए इस साल 2024 में हज यात्रा 14 जून से शुरू हो रही है। हज यात्रा करने में 05 दिन लगते हैं इसलिए यह यात्रा 19 जून तक चलेगी और ईद उल अजहा( बकरीद) के साथ पूरी होती है।

हज यात्रा के 5 दिन होते हैं ये खास नियम

हज यात्रा के लिए कुछ नियम होते हैं, जिनका हाजी को पालन करना होता है। हज यात्रा के दौरान हर दिन का विशेष महत्व होता है और हर दिन अलग-अलग गतिविधियां होती है।

पहला दिन: 8वीं जिल हिज्जा

इहराम धारण करना

हाजी मक्का में इहराम धारण करते हैं और नियत (इरादा) करते हैं। इहराम धारण करने के बाद तलबिया (लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक) का उच्चारण करते हैं।

मीना की ओर प्रस्थान

हाजी मक्का से मीना की पहाड़ी ओर प्रस्थान करते हैं और मीना में पहुंचकर पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं और रात मीना में ही बिताते हैं।

दूसरा दिन: 9वीं ज़िल हिज्जा

अराफात की ओर प्रस्थान

हाजी सुबह मीना से अराफात पहाड़ी की ओर प्रस्थान करते हैं। अराफात का दिन हज का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।

मुजदलिफा की ओर प्रस्थान

सूर्यास्त के बाद हाजी अराफात से मुजदलिफा की ओर प्रस्थान करते हैं। मुजदलिफा में पहुंचकर मजरीब और ईशा की नमाज एक साथ अदा करते हैं और रात भर वहीं ठहरते हैं। मुजदलिफा में हाजी 49 कंकड़ियां इकट्ठा करते हैं, जिनका इस्तेमाल अगले दिनों में जमरात यानी शैतानों को मारने के लिए किया जाता है।

तीसरा दिन: 10वीं ज़िल हिज्जा

Hajj Yatra 2024: Holy Hajj pilgrimage has started

जमरात को कंकर मारना

हाजी सुबह मुजदलिफा से मीना की ओर प्रस्थान करते हैं और मीना में पहुंचकर सबसे बड़े जमरा (शैतान) को 7 कंकड़ियां मारते हैं।

कुर्बानी

कंकड़ मारने के बाद हाजी कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी देने के बाद पुरुष अपने सिर के बाल मुंडवाते हैं या छोटे करते हैं और महिलाएं अपने बालों का एक छोटा हिस्सा काटती हैं।

वापसी

तवाफ और सई के बाद हाजी वापस मीना लौट आते हैं और वहां रात बिताते हैं।

चौथा दिन: 11वीं ज़िल हिज्जा

जमरात को कंकर मारना

हाजी तीनों जमरात (शैतानों) को 7-7 कंकड़ियां मारते हैं। सबसे पहले छोटे जमरा, फिर मंझले जमरा और अंत में बड़े जमरा को कंकड़ियां मारी जाती है।

मीना में ठहराव

हाजी दिन भर मीना में रहकर इबादत करते हैं और रात वहीं बिताते हैं।

5वां दिन: 12वीं ज़िल हिज्जा

जमरात को कंकड़ मारना

हाजी एक बार फिर से तीनों जमरात (शैतानों) को 7-7 कंकड़ियां मारते हैं। सबसे पहले छोटे जमरा, फिर मंझले जमरा और अंत में बड़े जमरा को कंकड़ियां मारी जाती हैं।

मीना से मक्का की ओर प्रस्थान

कंकड़ मारने के बाद हाजी मीना से मक्का की ओर प्रस्थान करते हैं फिर हाजी विदाई तवाफ (तवाफ-ए-विदा) करते हैं।

छठा दिन: 13वीं ज़िल हिज्जा

जमरात को कंकर मारना

अगर हाजी चाहें तो वे 12वीं ज़िल हिज्जा यानी पांचवे दिन मिना से मक्का लौट सकते हैं, नहीं तो 13वीं ज़िल हिज्जा के दिन एक बार फिर से तीनों जमरात को 7-7 कंकड़ियां मारने का नियम हैं। इसके बाद वे मक्का की ओर प्रस्थान करते हैं और विदाई तवाफ (तवाफ-ए-विदा) करते हैं।

हज यात्रा की धार्मिक अहमियत

इस्लाम के 05 फर्ज़ में से एक फर्ज हज है। अलावा इसके चार फर्ज हैं कलमा, रोज़ा, नमाज़ और जकात। माना जाता है हज एक ऐसा फर्ज है जिसे हर सक्षम मुसलमान को अपनी जिंदगी में एक बार जरूर करना चाहिए।

फोटो सौजन्य- गूगल

Summer season is very special for intimacy

हेल्दी रिेलेशनशिप को बरकरार रखने के लिए इंटीमेसी (Intimacy) काफी जरूरी है। मौसम चाहे कोई भी हो। बता दें कि गर्मी के मौसम में अक्सर पसीना और संक्रमण इंटिमेट एरिया को प्रभावित करता है। ऐसे में इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। जो सेक्सुअल जीवन को भी प्रभावित करने लगता है। मूड को अपलिफ्ट करके सेक्स को स्पाइसी बनाने के लिए कुछ स्पेशल टिप्स को जरूर फॉलो करें। आइये यहां जानते हैं गर्मी के मौसम में सेक्स के फायदे और नुकसान और साथ ही हेल्दी सेक्सुअल लाइफ के लिए मजेदार टिप्स-

क्यों गर्मी का मौसम है बहुत खास

हार्वर्ड मेडिकल स्टडी के मुताबिक गर्मी के मौसम में सेरोटोनिन का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे आप रोमांटिक रिश्ते के लिए ज्यादा उत्साहित होते हैं। यह आपके लिए ज्यादा आनंददायक भी हो सकता है। दरअसल, गर्मी के दिनों में रक्त प्रवाह में बढ़ोतरी होने लगती है, जिससे यौन उत्तेजना बढ़ने लगती है।

Summer season is very special for intimacy

सूरज की तेज़ रोशनी शरीर में विटामिन-D के स्तर को बढ़ाती है। इससे कामेच्छा बढ़ने लगती है और ये मूड बुस्टर साबित होता है। दरअसल, विटामिन-D की कमी से शरीर में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का स्तर प्रभावित होता है, जिसके कारण सेक्स ड्राइव कम हो जाती है।

कुछ असुविधा भी हो सकती है

गर्मी में चिपचिपाहट और वेजाइनल इंफेक्शन इचिंग, दुर्गंध और रैशेज का प्रोब्लम को बढ़ा देते हैं। इस बारे में गायनीकोलॉजिस्ट डॉ सुरभि सिंह बताती हैं कि समर्स में स्वैटिंग के चलते वेजाइना में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। ऐसे में सेक्स के बाद जेनिटल्स की साफ सफाई का ध्यान रखना आवश्यक है।

सेक्स के दौरान खुद को हाइड्रेट रखने के साथ रूम टैम्परेचर को उचित बनाए रखें। समर्स में एलर्जी से बचने के लिए गर्मी से बचें और इंटिमेट हाइजीन को बनाए रखना ज़रूरी है। इससे यौन संबधों के दौरान प्लेजर की प्राप्ति होती है।

होम इंटीमेट हेल्‍थ प्यार के लिए भी खास होता है गर्मी का मौसम, यहां जानिए इसे और भी शानदार बनाने के टिप्स
प्यार के लिए भी खास होता है गर्मी का मौसम, यहां जानिए इसे और भी शानदार बनाने के टिप्स
बढ़ती गर्मी ने सभी का हाल बेहाल कर रखा है। गर्म लू के थपेड़े और पसीने से तर बतर देह। पर क्या आप जानते हैं कि यह मौसम आपकी रोमांटिक रिलेशनशिप के लिए बहुत खास होता है। जी हां, ये बिल्कुल सच है।

गर्मी में सेक्स को हेल्दी बनाने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें

1. हाइड्रेट रहना हैं अहम

गर्मी के मौसम में शरीर को हाइड्रेट रखना आवश्यक है। इससे शरीर का तापमान उचित बना रहता है। सेक्स से पहले ठंडे और हेल्दी पेय पदार्थों का सेवन करें, ताकि शरीर में एनर्जी और ठंडक बनी रहती है। बॉडी हीट को मैनेज करने के लिए दिनभर में उचित मात्रा में पानी पीएं।

2. आइस क्यूब का करें इस्तेमाल

Summer season is very special for intimacy

सेक्स सेशन सिज़लिंग बनाने के लिए आइस क्यूब प्रयोग करें। फिर चाहे आरल सेक्स हो या फिर पार्टनर को प्लेजर देने के लिए रबिंग आइस क्यूब का प्रयोग करें। इससे गर्मी में ठंडक मिलने लगती है। इसके अलावा सेक्स टॉयज को भी ठंडा करके इस्तेमाल करें। इससे ऑर्गेज्म की प्राप्ति होती है।

3. रूम टेम्परेचर को रखें बरकरार

चिपचिपाहट की वजह से सेक्स के दौरान संक्रमण का खतरा बना रहता है। ऐसे में गर्मी को दूर करने के लिए एअर प्यूरी फायर, पंखे और एयरकंडीशनर से कमरे के तापमान को सामान्य बनाएं। इससे उमस का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही इंटरकोर्स के दौरान बढ़ने वाली स्वैटिंग की समस्या भी हल हो जाती है।

4. शावर सेक्स है काफी फायदेमंद

स्वैटिंग से अपना बचाव करने के लिए शावर सेक्स ट्राई करें। इससे सेक्स सेशन स्पाइसी होने लगता है और शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होते हैं। इससे यौन जीवन में नयापन आने लगता है और बॉन्ड मज़बूत हो जाता है। गर्मी के मौसम में सेक्स के दौरान बढ़ने वाला संक्रमण का खतरा कम होने लगता है।

5. हाइजीन का रखें ध्यान

पहले और बाद में बैक्टीरिया इंफेक्शन से बचने के लिए इंटिमेट हाइजीन तो मेंटेन रखना जरूरी होता है। इससे योनि का हेल्थ भी उचित रहता है। अलावा इसके टॉयज का इस्तेमाल करने से भी हाइजीन का ख्याल रखना चाहिए, नहीं तो संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Some special tips about female orgasm

Female Orgasm: महिलाओं में भी सेक्स को लेकर असीम डिजायर होता है लेकिन वो अपने पार्टनर से ऑर्गेज्म के बारे में खुलकर बात नहीं कर पातीं। कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जिन्होंने कभी ऑर्गेज्म का अनुभव नहीं किया। हालांकि, महिलाओं को पहले अपनी बॉडी से जुड़ी हर जानकारी होना अहम है, तब वे अपने पार्टनर को अपनी बॉडी एक्सप्लोर करते समय अपना प्लेजर प्वाइंट से अवगत करा सकती हैं। वहीं, कई बार महिलाओं के काफी प्रयास के बाद भी उन्हें ऑर्गेज्म नहीं आता, या फिर उन्हें ऑर्गेज्म तक पहुंचने में लंबा वक्त लग सकता है। बतां दें कि ऐसा क्यों होता है, क्योंकि महिलाएं अपना प्लेजर प्वाइंट नहीं जानती।

क्या आप जानते हैं ऑर्गेज्म भी अलग-अलग तरह के हो सकते हैं। महिलाओें के ऑर्गेज्म तक पहुंचने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। एक्सपर्ट से जानेंगे कि महिलाएं में कितने प्रकार के ऑर्गेज्म हासिल कर सकती हैं।

यहां जानें अलग अलग प्रकार के फीमेल ऑर्गेज्म

1. G-स्पॉट ऑर्गेज्म

Some special tips about female orgasm

जी स्पॉट वेजिनल वॉल में अंदर की तरफ होता है। यह आपकी वेजाइनल ओपनिंग और सर्विक्स के बीच होता है। कुछ शोधकर्ताओं का तर्क है कि यह एक यौन अंग है, जबकि अन्य मानते हैं, कि यह क्लीटोरिस के नर्व एंडिंग के नेटवर्क का हिस्सा है। जी-स्पॉट सेक्स अन्य तरह के सेक्स की तुलना में काफी तीव्र महसूस होते हैं।

2. ब्लेंडेड ऑर्गेज्म

ब्लेंडेड ऑर्गेज्म वे क्लाइमैक्स है, जो एक समय में एक से अधिक एरोजेनस जोन के उत्तेजित होने पर प्राप्त होती है। क्लिटोरिस, जी-स्पॉट, निप्पल जैसे कामुक क्षेत्रों का कोई भी संयोजन मिश्रित ऑर्गेज्म की ओर ले जा सकता है।

3. वेजाइनल ऑर्गेज्म

क्लिटोरिस के अलावा, योनि में अतिरिक्त उत्तेजक जोन होते हैं। ए-स्पॉट, या एंटीरियर फोर्निक्स, सर्विक्स के ठीक नीचे योनि की उच्च सामने दीवार पर स्थित है। इस क्षेत्र को सही तरीके से छूने पर एक डीप वेजाइनल सेक्स ट्रिगर हो सकता है। कुछ महिलाएं सर्विक्स के स्टिम्युलेट होने से भी ऑर्गेज्म प्राप्त कर लेती हैं। क्योंकि इन क्षेत्रों में नर्वस के साथ लिगामेंट होते हैं, जो अत्यधिक संवेदनशील हो सकते हैं।

4. निप्पल ऑर्गेज्म

Some special tips about female orgasm

आपके ब्रेस्ट और निप्पल ज्यादातर महिलाओं के एरोजेनस जोन होते हैं, इसलिए उन क्षेत्रों को उत्तेजित करके ऑर्गेज्म प्राप्त करना संभव है। निप्पल विशेष रूप से छूने पर प्रतिक्रिया करती है, क्योंकि उनमें कई नर्व एंडिंग होती हैं।

5. क्लिटोरल ऑर्गेज्म

क्लिटोरिस एक यौन अंग है, जो योनि के बाहरी भाग पर एक छोटे से उभरे हुए टिशु की तरह दिखती है, लेकिन यह आपकी योनि में भी आंतरिक रूप से फैली हुई होती है। यह लाखों नर्व एंडिंग से बनी होती है, जो इसे उत्तेजना के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील बनाते हैं। क्लिटोरिस को सीधे उत्तेजित करने या क्लिटोरिस के आस-पास के लेबिया को छूने से उस क्षेत्र में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है, जिससे क्लिटोरिस फूल जाता है और उसे ऑर्गेज्म की आवश्यकता होती है। इस प्रकार आप अपनी क्लिटोरी को स्टिमुलेट कर आर्जेम प्राप्त कर सकती हैं।

6. मल्टीपल ऑर्गेज्म

महिलाएं मल्टीपल ऑर्गेज्म का अनुभव कर सकती हैं, क्योंकि उन्हें ऑर्गेज्म और उत्तेजना के बीच बहुत अधिक समय की आवश्यकता नहीं होती है।

7 common life mistakes that can ruin your sex life

आप भी अपने Partner से जुदा-जुदा रहती हैं क्या? कभी-कभी ऐसा फील होता है क्या कि रिश्ते में कटास आ गई है? आप अगर अपने रिश्ते को परवान चढ़ाते हुए लंबा ले जाने का रास्ता तलाश रही हैं तो आप एकदम सटीक जगह पर हैं। हकीकत में तेज रफ्तार लाइफ में जितनी तेजी से रिश्ते बनते हैं उनके टूटने का भय भी उतना ही अधिक रहता है। खासतौर से लंबे रिलेशनशिप में रहना किसी के लिए भी इमोशनल अत्याचार बन सकता है। जिससे आप मुहब्बत करती हैं उससे इतने लंबे वक्त तक दूर रहना आपको एक इमोशनल रोलरकोस्टर राइड पर ले जाने के लिए काफी है। जिसमें एक समय खुशी और दूसरे समय गम के गुबार हो सकते हैं। इसलिए ऐसे मसले में आपको अपनी भावनाओं और अपने रिश्ते को काफी प्यार और देखभाल के साथ संभालने की आवश्यकता है।

यह सुनिश्चित करना भी बहुत जरूरी है कि आपके बीच की शारीरिक दूरी भावनात्मक दूरी और गलतफहमी में ना तब्दील हो जाए। लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में आप दोनों अलग-अलग वक्त पर चीजें करते हैं क्योंकि कई जगहों पर समय का भी अंतराल होता है। ऐसे में एक दूसरे से संपर्क में रहना भी मुश्किल हो जाता है। तो चलिए जानते हैं कि आप अपने लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप को कैसे बेहतर बना सकते है।

आईये जानें कैसे लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप को मजबूत और आनंददायक बनाया जा सकता है-

1. रोमांटिक वर्चुअल डेट नाइट्स का करें प्लान

सिर्फ जन्मदिन या सालगिरह पर कभी-कभार डेट करने के बजाय, अक्सर अपने प्यार का जश्न मनाए। एक वर्चुअल डेट रखें। ऐसा दिन और समय चुनें जो आप दोनों के लिए सुविधाजनक हो और अपना खास ध्यान अपने विशेष व्यक्ति पर उसी तरह लगाएं जैसे आप फिजिकल डेट पर करते हैं। थोड़े से प्रयास से वर्चुअल डेट को खास बनाया जा सकता है।

सुनिश्चित करें कि आपका इंटरनेट कनेक्शन अच्छा है ताकि आपकी डेट नाइट में कोई बाधा ना आ सके। क्योंकि बाधा आप दोनों के मूड को चेंज कर सकती है।

2. इंटिमेट मैसेज से उन पल का लें मजा

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

अगर आप अपने प्यार का इज़हार आपस में जुड़े होठों और आपस में उलझी उंगलियों से नहीं कर सकते तो निराश न हों। इंटिमेट मेसेज भेजना उन चीज़ों को महसूस करने में आपकी मदद करता है।

अपने पिछले इंटिमेट अनुभव पर बात कर सकते हैं और उसे फिर से जी सकते हैं, धीरे-धीरे अपना ध्यान अपनी कल्पनाओं पर फोकस कर सकते हैं।

3. एक सरप्राइज विजिट प्लान कर सकते हैं

आप अपने पार्टनर से मिलने के लिए एक सरप्राइज़ यात्रा कर सकते हैं उन्हें बिना बताए आप उन्हें मिलने के लिए उनके घर पहुँच सकते हैं। जिससे देख कर वह काफ़ी ख़ुश हो सकते हैं। इसके लिए आप एक योजना बनाएं जिसमें आपके पार्टनर को ये पता न चले कि आप उनसे मिलने आ रही है।

इस तरह के सरप्राइज़ आपके पार्टनर को यह महसूस करा सकते हैं कि वे आपके लिए ज़रूरी है कि इससे उन्हें खास फ़ील करने में भी मदद मिल सकती है। क्योंकि आप एक दूसरे से काफ़ी समय से दूर हैं जिसकी वजह से इमोशनल कनेक्शन ख़त्म हो सकता है। इस तरह के सरप्राइज़ विज़िट उन्हें फिर से इमोशन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

4. उन्हें सरप्राइज़ देने के लिए कोई स्किल सीखें

आप गिटार पर एक रोमांटिक गाने की दिल को गुनगना देने वाली धुन बजाना सीख सकते हैं और अपने अगले वीडियो कॉल पर अपने पार्टनर को सरप्राइज़ कर सकते हैं। एक नृत्य, एक पेंटिंग, या एक स्केच भी आपको उनकी आँखों में चमक देखने में मदद कर सकता है। अपने साथी को बताएं कि वे आपके लिए एक प्यारी आदत की तरह हैं और आप उनसे कितना प्यार करते है।

5. एक-दूसरे से बातें शेयर करते रहें

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहने पर ये समझना बहुत ज़रूरी है कि आप एक दूसरे से अपनी हर एक बात शेयर करें क्योंकि आप एक दूसरे के साथ नहीं रह रहे हैं या समय समय पर एक दूसरे से नहीं मिल रहे हैं। इसलिए पार्टनर ख़ुद देख कर उसके मूड का पता नहीं लगा सकता हैं। इसलिए लॉन्ग डिस्टेंस में रहने पर एक दूसरे से बातें शेयर करना और उन्हें ये बताना कि आप ख़ुश हैं या या नहीं है बहुत ज़रूरी है।

जब आप पार्टनर के साथ होते हैं तो ये अपेक्षाएं कर सकते हैं कि वो आपको देखकर समझ जाएं कि आपको कोई बात परेशान कर रही है या नहीं, लेकिन जब दूर होते हैं तो आपको ये समझना चाहिए कि वो आप ख़ुद देख नहीं पा रहे हैं और न ही मिल पा रही है जिससे वो आपके मूड को खुद नहीं समझ पाएंगे उसके लिए आपको उन्हें बताना ही होगा।

6. छोटी बातों को तूल न दें

जब आप लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहते हैं तो छोटी छोटी बातों को ज़्यादा तूल देने से या बड़ा बनाने से बचना चाहिए। ऐसी लड़ाई से बचना चाहिए जिसकी कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि जब आप दूर रहते हैं तो गलतफहमियां अधिक हो सकती है क्योंकि उस समय न आप एक दूसरे से मिलते हैं और न ही बहुत ज़्यादा बात हो पाती है।

7. इसे समझने की कोशिश करें कि आप वाकई दूर हैं

इस बात को एक्सेप्ट और समझना बहुत ज़रूरी है कि आप लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में है इसलिए वो चीज़ें आपके रिश्ते में नहीं हो सकती जो साथ में रहते हुए एक रिलेशनशिप में हो सकती है। इसलिए उन चीज़ों को लेकर शिकायतें करने से बचना चाहिए जो लॉग डिस्टेंस रिलेशनशिप में संभव नहीं है।

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Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

Sleep Separation: आजकल शादीशुदा जिंदगी में एक ‘आदत’ काफी तेजी से फैल रहा है वो है स्लीप सेपरेशन या स्लीप डाईवोर्स। हम जानते है कि शादी के बाद कपल्स कई दिनों तक एक-दूसरे के साथ हर जगह स्पेस साझा करते हैं फिर चाहे वो बेड हो, किचन हो या आउट डोर। अगर वो अचानक एक दिन अपने बेडरूम अलग करने लगते हैं और ‘मी टाइम’ की तलाश में रहते हैं जिसे स्लीप सेपरेशन या स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है। सुकून की नींद, आराम और पर्सनल स्पेस के लिए बहुत सारे लोग इस फॉर्मूला को अपना रहे हैं। इस स्थिति में दोनों पार्टनर अलग-अलग कमरों में सोते हैं। जिन लोगों को देर रात तक काम करना होता है, वे लोग भी पार्टनर की सहुलियत के लिए ऐसा करना चुनते हैं। लेकिन इसके सिर्फ फायदे ही नहीं हैं, कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। जिसका पता आपको काफी देर से लगता है।

पहले जानें स्लीप डाइवोर्स है क्या?

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

जब दो लोग किन्हीं कारणों से अपने बेडरूम अलग अलग कर लें, तो उस परिस्थिति को स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है। कोई लाइट जलाकर सोना चाहता है, तो कोई देर तक काम करने का आदी है। ऐसे में दूसरा व्यक्ति हर बार अपनी नींद से समझौता करने लगता है। पर लंबे वक्त इस समस्या से दो चार होने के बाद अक्सर पार्टनर नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अलग सोने का फैसला करते हैं। अब वे अपने लिए अलग बेडरूम की तलाश करते हैं, जिसे स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है।

वहीं, इंटरनेशनल हाउसवेयर एसोसिएशन के मुताबिक शादी या रिलेशन के कुछ सालों बाद हर 05 में से 01 कपल अलग-अलग सोने लगता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार एक तिहाई लोग घर खरीदने से पहले दोहरे मास्टर बेडरूम की तलाश करते हैं। अलग-अलग सोना कुछ समय के लिए तो फायदेमंद है लेकिन लंबे वक्त तक अगर इसी रूटीन को फॉलो किया जाए, तो इसका खामियाजा आपके रिश्तों को उठाना पड़ सकता है।

आखिर क्यों बढ़ने लगे हैं स्लीप डाइवोर्स के केस

इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि नींद हमारे मानसिक स्वास्थ्य की बुनियाद है। नींद की गुणवत्ता में सुधार लाने से व्यक्ति तनाव, चिंता और डिप्रेशन से बचा रहता है। अगर आप पूरी नींद लेते हैं, तो उससे पार्टनर के साथ व्यवहार में भी बदलाव आने लगता है। न केवल कम्यूनिकेशन बेहतर होने लगता है बल्कि व्यक्ति को पर्सनल स्पेस मिलने लगता है। मगर कहीं न कहीं इससे रिलेशनशिप में चेंजिज़ आने लगते हैं। जहां सेक्सुअल लाइफ पर विराम लग जाता है, तो वहीं इमोशनल कनेक्शन लॉस होने लगता है। व्यक्ति इनसिक्योर फील करने लगता है।

जानें स्लीप डाइवोर्स के साइड इफे्क्टस

1 आपस में इमोशनल कनेक्शन का लॉस होना

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

बढ़िया नींद पाने के लिए स्‍लीप डिवोर्स इन दिनों खूब ट्रेंड में हैं लेकिन दिनभर की दौड़भाग के बाद व्यक्ति अपने पार्टनर से अपनी दिनचर्या को साझा करता है और अपने अनुभव भी शेयर करता है। अकेले सोने से व्यक्ति उन सभी चीजों से वंचित रह जाता है। दरअसल, आपको सुनने वाला व्यक्ति आपके आसपास नहीं रहता है। इससे दो लोगों के मध्य बनने वाला इमोशनल कनेक्शन लॉस होने लगता है।

2 रिश्तों में इंटिमेसी की कमी

टचिंग, किसिंग, कडलिंग और स्पूनिंग पार्टनर के साथ रिश्ते को मज़बूत बनाते हैं। सेपरेट स्लीप के दौरान व्यक्ति पहले पहल पार्टनर को मिस करने लगता है और फिर उसी रूटीन को फॉलो करने लगता है। इससे सेक्सुअल लाइफ प्रभावित होती है, जिससे कुछ लोग तनाव का सामना करने लगते हैं।

3 अकेलेपन में इजाफा

स्लीप क्वालिटी को बढ़ाने के लिए अक्सर कपल्स स्लीप डाइवोर्स को अपनाते हैं। मगर दूर दूर सोने से व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करने लगता है। इससे संबधों में दूरियां बढ़ने लगती है और ये मिसअंडरस्टैंडिग का कारण भी बन जाता है। दरअसल, स्लीप डाइवोर्स में लोग खुद को इनसिक्योर समझने लगते हैं।

4 टूट भी सकता है रिश्ता

कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो जोड़े एक साथ बिस्तर शेयर करते हैं, उनमें मनमुटाव या विवाद के सुलझने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। जबकि अलग-अलग सोने वाले जोड़े एक ही मुद्दे पर लंबे समय तक झगड़ते रह सकते हैं। ऐसे में रिश्ता टूटने या किसी एक या दोनों के कहीं ओर स्पेस तलाशने का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है।

अच्छी नींद और कम्फर्ट के लिए अलग सो रहे हैं, तो इन बातों का रखें खास ध्यान

  • एक साथ समय कब बिताना है, इस बारे में जरूर बात करें और उस रुटीन को फॉलो करें।
  • मी टाइम के साथ-साथ वी टाइम के महत्व को समझते हुए उसे साथ बिताने के बारे में भी प्लान करें। इससे साथ का अहसास बना रहता है।
  • वीकेण्ड पर स्लीप डाइवोर्स से ब्रेक लें। इससे रिश्तों में संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है और फिज़िकल इंटिमेसी बनी रहती है।
  • अलग-अलग कमरों में सोते हैं और किसी मसले पर विवाद है, तो उस पर बात करने का समय निकालें। उसे जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास करें।
  • गैजेट्स को बेडरूम से बाहर रखें। यह आपकी नींद और रिश्ते दोनों के लिए ही अच्छा है।
Akshay Tritiya celebrated in the country

Akshay Tritiya 2024: अक्षय तृतीया का पर्व आज देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जा रहा है। आमतौर पर आखा तीज को ही अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। इसे हिंदू और जैन धर्म में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह शुभ अवसर समृद्धि और नई शुरुआत का खास प्रतीक है। अक्षय शब्द का मतलब स्वयं अविनाशी या अमर होता है। यह इस विश्वास को बताता है कि इस खास दिन किए गए किसी भी कार्य को असीम सफलता और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइये देखे कि अक्षय तृतीया का क्या महत्व है, इस वर्ष इसका शुभ मुहूर्त कब है और साथ ही ये भी जानेंगे कि क्यों इस मौके पर लोग सोना की खरीदारी करते हैं।

जानें अक्षय तृतीया का महत्व

हिंदू पंचांग के मुताबिक वैशाख महीने के तीसरी तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। यह वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन के मद्देनजर लोगों में कई मान्यताएं हैं जिसमें से सबसे प्रमुख मान्यता ये है कि इस दिन पंचांग देख कर किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कामों किया जा सकता है। इस दिन धन योग के साथ रवि योग, शुक्रादित्य योग, मालव्य योग जैसे कई शुभ योग बनते हैं। इसलिए इस इस राजयोग में मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से कई गुना ज्यादा फलों की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त

इस वर्ष अक्षय तृतीया शुक्रवार, 10 मई, 2024 को पड़ रहा है।

  • तृतीया तिथि का आरंभ-    10 मई 2024 को सुबह 4:17 बजे
  • तृतीया तिथि का समापन – 11 मई 2024 को रात 2:50 बजे
  • अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त – सुबह 5:33 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक
  • कुल अवधि –                     6 घंटे 44 मिनट

अक्षय तृतीया की शुरुआत 10 मई को सुबह 4 बजकर, 17 मिनट पर होगा। इसका समापन 11 मई को सुबह 2 बजकर 50 मिनट पर होगा। यही कारण है कि इस बार अक्षय तृतीया 10 मई को मनाया जाएगा।

इस दिन क्यों सोना खरीदते हैं लोग?

अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने की परंपरा काफी पुरानी है। लोग इस दिन सोने की दुकान पर सोने के सिक्के, आभूषण खरीदते हैं या फिर सोने में निवेश करते हैं लेकिन सवाल यह है सोना ही क्यों? असल में सोना सिर्फ एक धातु नहीं बल्कि धन-दौलत का प्रतीक माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है और धन का आगमन होता रहता है।

अक्षय तृतीया को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन किया गया कोई भी निवेश अच्छा फल देता है। सोना खरीदने के लिए यह बहुत ही अच्छा दिन माना जाता है। सदियों से अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा चली आ रही है। यह भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा बन चुका है और त्योहार को मनाने का एक शुभ तरीका माना जाता है। भले ही अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने की परंपरा पुरानी है पर आजकल इसके मायने थोड़े बदल गए हैं। अब लोग इसे सिर्फ शुभ निवेश ही नहीं, बल्कि भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा और महंगाई से बचने का तरीका भी मानने लगे हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल