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Category Archives: Lifestyle

What to do on Diwali so that Maa Lakshmi's grace remains on you..

आपको और आपके परिवार को Masakalii Team की और से दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।

ये तो सभी जानते है कि दिवाली देश का मुख्य त्यौहार है। यह कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार इस दिन अर्ध रात्रि के समय लक्ष्मी जी सद्गहस्थों के घरों में विचरण करती है। इस दिन लोग अपने घर और बाहर को साफ करते है व सजाते है। इस दिन की गई पूजा से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सद्गहस्थो के घरों में निवास करती हैं।
तो चलिए फिर जानते है कुछ ऐसी बातें जिससे लक्ष्मी जी आप से प्रसन्न होगी और उनका आशीर्वाद आप पर बना रहेगा:
1. सुबह उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. अब दिन भर के उपवास का संकल्प लें।
3. दिन में पकवान बनाएं व घर को और पूजा घर को पुष्पों से सजाएं।
4. मिठ्ठा अवश्य बनाएं व बड़ों को खिलाकर उनका आशीर्वाद लें।
5. इस दिन पूरा दिन सक्रिय रहें और दिन में न सोएं।
6. शाम को पुन: स्नान कर मां लक्ष्मी व दिवाली पर क्या करें जिससे मां लक्ष्मीकी मूर्ति की स्थापना करें।
7. भोग के लिए प्रसाद बनाएं।
8. लक्ष्मी जी कि चौकी लगाएं।
9. दोनों को तिलक लगाएं।
10.चौकी के आसपास 26 दीपक जलाएं।
11. मौली, चावल, फल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप और मिठाई आदि से विधिवत पूजा करें।
12. पूजा के बाद दीपक घर के हर कोने में रखें।
13. मां लक्ष्मी, गणेशजी व कुबेर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण करें व भोग लगाएं।
14. लक्ष्मी पूजन रात 12 बजे करने का विशेष महत्व है।
15. रात्रि में जागकर मां लक्ष्मी का आवाहन करें तथा सुबह कूड़ा फेंकने जाते समय बोले ‘लक्ष्मी लक्ष्मी आओ, दरिद्र-दरिद्र जाओ’।।
The in-laws' bets got stuck in the screw... Papa's angel

अभी पिछले हफ्ते ही अपनी एक दोस्त से मिली, बहुत खुश हुई वो मुझसे मिलकर लेकिन उसके गोरे गालों पर जो लाली हुआ करती थी, उसकी आखों में जो भविष्य को लेकर उम्मीदें और चमक हुआ करती थी। उसकी आवाज में जो खनक हुआ करती थी वो आज कहीं गुम सी थी। बहुत टटोला मैंने उसे, बहुत पूछने की कोशिश कि लेकिन एक ही ज़वाब था कि “मैं बिल्कुल ठीक हूं”। फिर जब मैंने कड़ाई से पूछा तो रो पड़ी और रूंधे गले से बताया कि ससुराल के दांव-पेंच में फंसी है । मैंने पूछा कि “मतलब”, तो बोली कि यार एक गरीब बाप की बेटी हूं ये सब तो होगा ही… बस फिर मैं सारा माजरा समझ गई और शायद आप लोग भी समझ गए होंगे।

दोस्तों, आज भी हमारे बीच ऐसे बहुत से लोग है जो एक गरीब इंसान को इंसानों की तरह नहीं बल्कि जानवरों की तरह समझते है। अगर घर में एक बहु ज्यादा धन लेकर आ जाए और दूसरी ना लाए तो ये शायद वही जान सकती है कि उसपर क्या बीत रही होती है। उसके साथ हर बात में फर्क किया जाता है। कई बार तो उसके अस्तित्व को ही सिरे से नकार दिया जाता है। कई बार इन्हीं सब परिस्थितियों से हार कर ये गरीब परिवार की बेटियां या तो खुद ही सोसाइड कर लेती है या फिर ससुराल वाले मौत के घाट उतार देते है।
तो आज मैं आपके लिए उस गरीब बाप की बेटी का दर्द कुछ पंक्तियों में व्यक्त करना चाहूंगी लेकिन उससे पहले मैं कहना चाहूंगी कि बेटियां सबकी एक जैसी होती हैं चाहे वो गरीब की हो या अमीर की तो जीतना हो सके उनको प्यार दे, सम्मान दे, उन्हें बहू नहीं बेटी बनाकर रखें, आखिरकार वो वही शख्स होती है जो परिवार के वंश को आगे ले जाती है। वो जिंदगी के हर दर्द में भी मुस्कुरा रही होती है।
इन पंक्तियों के माध्यम से समझने की कोशिश कीजिएगा:
कोई बोल ले अगर प्यार से तो पल में पिगल जाती हूं, इन ऊंचे लोगों की महफिल में, मैं किसी कोने में नजर आती हूं,
किसी के बेवजह कुछ कहने पर भी ना जाने क्यों अपनी चुप्पी नहीं तोड़ पाती हूं,
हां, मैं वही गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
लोग कहते हैं जमाने के साथ बदलो लेकिन मैं आज भी सूट पर वही छोटी सी बिंदी लगती हूं,
अपना सा जानकर लोगों पर मैं फिर भरोसा कर जाती हूं,
फिर टूटती हूं थोड़ा, फिर थोड़ा संभल जाती हूं,
हां, मैं वही गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
लोग मेरा होना नकार देते है, और मैं फिर भी सह जाती हूं,
सब को सब नया मिलता है यहां, और मैं हमेशा बचा हुआ ही पाती हूं,
कोई गलत होकर भी सही है यहां, और मैं सही होकर भी बहुत बुरी हो जाती हूं,
क्योंकि हां, मैं वहीं गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
मां ने कहा था कि वहां सब अपने है तेरे लेकिन यहां तो मैं अपनेपन को तरस जाती हूं,
कितनी ही कोशिश कर लूं, दिलों में जगह कहां बना पाती हूं,
“गाड़ी लेकर भी आई ” हमारा घर नहीं भरा” उनके अनकहे शब्दों में अक्सर मैं यही सुन पाती हूं
हां, मैं वही गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
कभी कभी सोचती हूं कि खुद को खत्म कर लूं, लेकिन फिर मैं थोड़ा रुक जाती हूं,
मां-पापा की तस्वीर को फिर में कस के गले लगाती हूं,
हां, पापा संस्कारी हूं, पर कमज़ोर नहीं हूं मैं,
इस दुनिया से निपटना भी मैं अच्छे से जानती हूं,
यहां संस्कारों की कोई अहमियत नहीं हैं पापा, इन्हें तो दिखावा चाहिए जो मैं कर नहीं पाती हूं,
इनकी इस दिखावटी दुनिया को मैं, फिर सिरे से नकारती हूं,
इसलिए सब के लिए मैं बुरी हूं पापा,
लेकिन जानती हूं कि आज भी आपके लिए मैं आपकी परी हूं पापा।
ये जिंदगी के अंधेरे है, ये सबको काटने होते है ,
इसलिए समझाकर दिल को अपनी लड़ाई अब मैं खुद ही लड़ती हूं,
सपने देखने लगी हूं खुद के लिए लेकिन किसी से कोई उम्मीद नहीं करती हूं,
और हां पापा मैं गर्व से कहती हूं कि हां, मैं वही गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
Nine days festival, worshiping different forms of Maa every day..

अक्टूबर का महीना अपने साथ साथ वो मनमोहक कपूर की खुशबू भी लेकर आया है जो न सिर्फ हमारे घरों को पवित्र करती है, बल्कि घरों के साथ साथ हमारे मन को भी पाक कर देती है। आप बिलकुल सही समझे है, हम बात कर रहे है हिंदुओं के पवित्र त्योहार नवरात्रि कि। हम सब जानते है नवरात्रि हिंदुओं के पवित्र और मुख्य त्योहारों में से एक है। वैसे तो नवरात्रि पूरे साल में चार बार आते है लेकिन शुक्ल पक्ष के नवरात्रि अपने आप में खास है।

ये नौ दिनों का त्योहार है, जिसमें हर दिन मां आदि शक्ति के अलग अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। जी हां, 9 स्वरूपों का अपना अलग ही महत्व है।

तो चलिए और ज्यादा वक्त न लेते हुए हम आपको मां के और करीब ले जाते है और आपको बताते है मां के प्रथम स्वरूप मां शैल पुत्री के बारे में और इसी तरह हम आगे भी आपको इनके 9 स्वरूपों की चर्चा करते रहेंगे और मां की भक्ति और शक्ति की श्रद्धा भाव से स्तुति करेंगे।

तो सबसे पहले हम मां शैल पुत्री के बारे में आपको कुछ मुख्य बातें बताते है-

नवरात्रि का आरंभ मां शैल पुत्री की पूजा अर्चना से शुरू होता है।
मां शैलपुत्री को राजा हिमालय की बेटी भी माना जाता है। इनको मां सती और मां पार्वती का ही स्वरूप कहा जाता है। मां शैलपुत्री नंदी नमक बैल की सवारी करती है।इनके माथे पर चंद्रमा सुशोभित है, तथा इनके हाथों में कमल का फूल होता है।
मां शैलपुत्री को सफेद रंग बहुत पसंद है।
इनकी पूजा में भी सफेद रंग के फूल और सफेद रंग की मिठाई चढ़ाई जाती है। इनकी पूजा करते समय पीले वस्त्र धारण किए जाते है।

तो चलिए अब जानते है की मां शैलपुत्री को कैसे प्रसन्न करे-

मां शैलपुत्री भक्तों को उनकी भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न होकर मन मुताबिक फल प्रदान करने वाली है।

तो नीचे दिए गए कुछ नियमो का पालन कर आप भी मां से अपनी मुराद मांग सकते है:

1. प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
2. मिट्टी से मां की वेदी बनाएं।
3. मां की वेदी बनाकर उसमें गेहूं और जौ मिलाकर बोएं।
4. कलश स्थापना करें।
5. इसके बाद सर्व प्रथम गणेश की पूजा करें।
6. मां शैल पुत्री की विधिवत पूजा करें।
7. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

तो आज के लिए बस इतना ही अगले लेख में करेंगे मां के अगले स्वरूप की चर्चा।
तब तक आप लोग मां की भक्ति में लीन रहें, मां जरूर सबकी मनोकामना पूरी करेंगी।

Motherhood

मां बनना हर महिला के जिंदगी में एक खास मुकाम रखता है। लेकिन कई बार नई माताएं खुद को खो भी देती हैं। हालांकि ये वक्त भी काफी कठिनाइयों भरा होता है पर उससे भी ज्यादा यह एक खूबसूरत अहसास होता है।

अक्सर नई माताएं खुद के लिए वक्त नहीं निकाल पाती हैं जिसकी वजह से वह परेशान हो जाती है। आइये जानते हैं कुछ खास तरीकों के बारे में जिनकी सहायता से आप खुद को खोए बिना इन आसान तरीकों की मदद से मां बनने के अहसास को एंजॉय कर सकती हैं।

बच्चों के साथ बिताए समय

आप बच्चों के साथ कुछ फन एक्टिविटी कर सकती हैं। अपने रोजाना के कामों से समय निकाल कर अपने बच्चे के साथ वक्त बिताएं। ऐसा करने से ना सिर्फ आपको आराम मिलेगा बल्कि आपको अपने बच्चे के साथ स्ट्रॉन्ग बॉन्ड बनाने में भी मदद करेगा।

परफेक्ट बनने की दौड़ में ना रहें

सभी नई मम्मियां हर चीज को पूरी तरह से परफेक्ट करने की खूब कोशिश करती हैं। हालांकि यह कई बार ये संभव नहीं होता है। हम अक्सर गलतियां करते हैं तथा उन्हीं से सीखते हैं, ऐसे में हमें परफेक्ट बनने की दौड़ में नहीं पड़ना चाहिए।

घूमना भी जरूरी है

जरूरी नहीं है कि आप हफ्ते भर घूमने का प्लान बनाएं लेकिन आप एक या दो दिन घूमने-फिरने की योजना बना सकती हैं। आप आस पास किसी मनचाहे जगह पर घूमने जा सकती हैं। यह आपके लिए काफी रिलेक्सिंग की लिहाज से अच्छा हो सकता है।

अपने बॉडी को समझें

ये बात आम है कि नई माताएं पूरी परिवार की फिक्र करती हैं, जिसमें आपके लिए जरूरी है कि आप अपने शरीर की भी थोड़ा सुनें। एक्सरसाइज या योगा रूटीन को पूरी तरह से अपनाएं। अपने परिवार को समझाती रहे कि आपको खुद के लिए एक या दो घंटे की आवश्यकता है। आप अपने बच्चे के सोने के समय को फिक्स जरूर करें और उस बीच खुद को समय दे सकती हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Alia makes everyone crazy with her style, learn basic tips for a stylish look

स्टाइलिश लगना कौन नहीं चाहता, हर कोई चाहता है जमाने के हिसाब से खुद को अपडेट रखाना तो आपके वार्डरोब में कुछ पैटर्न के आउटफिट जरूर होने चाहिए। जैसे- फ्लोरल प्रिंट की सबसे स्पेशल बात यह होती है कि कैजुएल वेयर, ट्रिप और कुछ फैशनेबल एक्सेसरीज के साथ पार्टी में भी पहन सकते हैं।

हाल फिलहाल आलिया भट्ट ने फ्लोरल प्रिंट मिनी स्कर्ट पहनकर नजर आई। हाल ही में मुंबई के रेस्टोरेंट के सामने आलिया भट्ट को स्पॉट किया गया। आउटिंग के लिए आलिया ने हैंडमेड कॉटन मिनी ड्रेस पहनी हुई थी। जिसमें आलिया बेहद खूबसूरत नजर आ रही थी। फ्लोरल पेस्टल ड्रेस में अभिनेत्री आलिया मिनिमल लुक में भी बेहद स्टाइलिश लग रही थी।

ये है आलिया के ड्रेस की कीमत

आलिया की ड्रेस की बात करें तो समर समवेयर लेबल की है। ऑफिशियल वेबसाइट पर इस ड्रेस का नाम Sintra Mini है, जिसकी कीमत 5,590 रुपये है।

अभिनेत्री आलिया का फ्लोरल प्रिंट लव

Alia makes everyone crazy with her style, learn basic tips for a stylish look

अभिनेत्री आलिया भट्ट को इससे पहले कई मौकों पर फ्लोरल प्रिंट ड्रेस पहने हुए देखा जा चुका है। आलिया पार्टी, फ्रेंड्स के साथ के आउटिंग, इवेंट्स और शो में भी फ्लोरल प्रिंट ड्रेस कैरी कर चुकी हैं। इसी बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि आलिया को फ्लोरल प्रिंट आउटफिट से कितना प्यार है।

फ्लोरल प्रिंट के लिए खास टिप्स

फ्लोरल प्रिंट के साथ पर्ल जूलरी बहुत अच्छी शानदार है। इसलिए पर्ल नेकलेस और इयररिंग इस तरह के आउटफिट के साथ बहुत अच्छी लगेगी।फ्लोरल प्रिंट ड्रेसेस के साथ आप जैकेट कैरी करना चाहती हैं तो कोई लाइट या डार्क कलर सिंपल जैकेट पहनें, जिससे ड्रेस के प्रिंट खूबसूरती के साथ हाईलाइट हो सके।

आप इवेंट के मुताबिक फ्लोरल प्रिंट के साथ बूट्स, हील्स या कैजुअल फुटवेयर पहन सकती हैं।अपने लुक को ज्यादा हेवी होने से रोकने के लिए फ्लोरल प्रिंट के साथ हमेशा मिनिमल लुक रखें क्योंकि हेवी जूलरी या मेकअप से आपकी ड्रेस मिसमैच लग सकती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

पति और पत्नी के रिश्ते

यूं तो शादी जिंदगी का वह पड़ाव हैं जहां दो जिंदगियां ही नहीं, दो परिवारों का मिलन होता है लेकिन कई लोग शादी के बाद भी अकेलापन महसूस करते हैं। कई अध्ययनों से यह साफ हुआ है कि 45 साल से अधिक उम्र के तीन विवाहित लोगों में से एक व्यक्ति अकेलेपन का शिकार होता है। एएआरपी राष्ट्रीय सर्वेक्षण के मुताबिक शादी में अकेलापन महसूस कराना इस बात का संकेत है कि रिश्ते में या आपके निजी जीवन में किसी ना किसी को परेशानी जरूर है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस अकेलेपन को कैसे दूर किया जाए?

शादी के बाद अगर आपको अकेलापन का एहसास होता है तो यकीन मानें ये टिप्स आपके लिए काफी उपयोगी हो सकती है-

संवाद करें अपने जीवन साथी के साथ-

पति-पत्नी के बीच संवाद जरूरी

हर रिश्ते में कम्युनिकेशन का होना अहम है यानी हर रिश्ते में यह जरूरी है पार्टनर से बात की जाए और जहां कोई भी दिक्कत है उसे जल्द से जल्द हल किया जाए। एक बात समझना जरूरी है कि आपकी तरह आपके पार्टनर भी फील कर रहे हों ये जरूरी तो है नहीं, अब ऐसे में उन्हें आपकी भावनाओं का पता तभी चलेगा जब आप उनसेप अकेला फील कर रहे हैं तो इसका मतलब ये हो गया कि रिश्ते में कोई प्रॉब्लम है। इस वक्त को अपने दोस्तों से मिलने जुलने में लगाएं और चाहें तो कोई क्रिएटिव एक्टिविटी में भी अपना मन लगाएं। खुद के पॉजिटिविटी और क्रिएटिवली इंगेज रखने की हर संभव कोशिश करें।

जानें रिश्ते में बदलाव का कारण

रिश्ते में बदलाव की वजह

अगर आपके रिश्ते में अचानक आए किसी बदलाव से आप दोनों के बीच दूरियां आ सकती है और उसी की वजह से आप अकेला महसूस कर सकती हैं। आप ये समझने में असमर्थ हैं कि क्या बदलाव आया है या कहां एडजस्ट नहीं हो पा रहा है। ऐसी परिस्थिति में मैरिज काउंसलर से बात करें या कोई प्रोफेशनल हेल्प लें। इससे आपको अपने रिश्ते का एक क्लीयर पक्ष जानने और समझने का मौका मिलेगा और एक पॉजिटिव नजरिया भी।

एक-दूजे के प्यार को दें अहमियत

प्यार को समझें

जीवनसाथी से आपका इमोशनल अटैचमेंट जरूरी है। प्यार का एहसास सिर्फ फिजिकल टच, प्यार भरे शब्दों, गिफ्ट देने तक ही नहीं हैं। यह समझना जरूरी है कि आपके पार्टनर क्या चाहते हैं। हो सकता है कि प्यार के मायने उनके लिए दूसरों से थोड़ा हटके हो या फिर शायद उनके प्यार बयां करने का अंदाज औरों से जुदा हो। इमोशनली अटैच रहेंगी तो उन्हें भी समझ पाएंगे और उनके इस अंदाज को भी।

पॉजिटिविट टाइम निकालें

 

पति-पत्नी की आपसी समझ

यह समझना बहुत जरूरी है कि हमें हर चीज के लिए सिर्फ अपने पार्टनर पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। यह बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है कि अगर आप अकेला फील कर रही हैं तो इसका मतलब ये हो गया कि रिश्ते में कोई प्रॉब्लम है। इस वक्त को अपने दोस्तों से मिलने जुलने में लगाएं और चाहें तो कोई क्रिएटिव एक्टिविटी में भी अपना मन लगाएं। खुद के पॉजिटिविटी और क्रिएटिवली इंगेज रखने की हर जरूरी कोशिश करें।

सोशल मीडिया से जरा बचके

सोशल मीडिया से बचें

 

आजकल सोशल मीडिया हम सब की लाइफ में बहुत ज्यादा घुसपैठ करने लगा है। शादी की तैयारी से लेकर बेबी शावर तक लोग अपने पर्सनल मोमेंट सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप भी उन मोमेंट्स को देखकर ठीक वैसा ही अपनी लाइफ में भी एक्सपेक्ट करने लगें और वैसा ना होने पर अपने रिश्ते में खामियां निकालना शुरू कर दें।

रिश्ते को जीना सीखें

रिश्ते को जीना सीखें

पति-पत्नी को एक दूसरे को स्पेस देना और एक दूसरे के रिश्ते को इज्जत देना जरूरी होता है। अगर पति या पत्नी शादी से पहले रहे किसी दोस्त से मिलते हैं तो ना तो पत्नी को पति पर शक करना चाहिए और ना ही पति को अपने पत्नी के दोस्ती पर। शादी के बाद भी चाहे पति हो या पत्नी दोनों अपने पूराने दोस्त से मिलने का हक रखते हैं, ये समझना दोनों के लिए जरूरी है। जब हम एक दूसरे के रिश्ते को अहमियत देंगे तो खुद बा खुद रिश्तों में गरमाहट आ जाएगी और रिश्ते को जीना सीख जाएंगे।

फोटो साभार- गूगल

मां और बेटी

पिछले कुछ सालों से याद ही नहीं कि कब मैं सुकून के दो पल बैठकर महसूस कर पाई हूं। बस भागती जा रही हूं, ना तो ये पता है कि रास्ता सही है नहीं  और ना ये पता है कि और कितना बचा है।

ये भी नहीं पता कि खुद के लिए भाग रही हूं या जिंदगी मुझे भगा रही है।

जब स्कूल में थे तो दिल करता था कि जल्दी से जल्दी बड़े हो जाए। अपने फैसले खुद ले पाएं लेकिन जब से बड़े हुए है जिंदगी सिर्फ भगाए जा रही है।

दरअसल जिंदगी की इस जिद्दी दिल से ठनी हुई है, जिंदगी मुझे अपने हिसाब से चलाना चाहती है और दिल अपने हिसाब से।

सच में वो बचपन वाली जिंदगी बहुत हसीन हुआ करती थी जो दिल करता था वो किया करते थे। जब भी कोई दिक्कत परेशानी हुआ करती थी तो मां हुआ करती थी पास, बस एक बार प्यार से सिर पर हाथ रख देती थी तो लगता था कि पूरी दुनिया बस हमारे ही इर्द गिर्द घूम रही है। और कभी प्यार से गोदी में उठाकर माथा चूम लेती थी तो ये दिल 7वें आसमान पर होता था।

उस समय समझ नहीं थी फिर भी सुकून था। आज इस समझदारी ने सारा चैन छीन लिया है।

मां और बेटी

बड़े हो गए,  शादी हो गई, सेटल हो गए लेकिन ये दिल आज भी उन पुराने दिनों में लौटना चाहता है, जहां मां और उसका ढेर सारा प्यार हुआ करता था।

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए,

काफी समय बीत गया नई दुनिया बसाए हुए,

पर ना जाने क्यों शाम ढलते ही ये दिल उस घर पहुंच जाता है,

मां की आवाज़ सुनने को ये दिल यूंही मचल जाता है,

महक वो मां के खाने की महसूस करना चाहता है,

वो हर त्यौहार उनका बहुत चाव से मनाना,

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए।

वो हर रोज सुबह जल्दी उठ जाना,

हम सब को खिलाकर फिर खुद खाना,

शाम को पापा के ऑफिस से आने का इंतजार करना,

हर जन्मदिन पर हमें नए कपड़े दिलाना,

और खुद कई त्यौहार उसी पुरानी लाल साड़ी में बिताना,

हमारे बीमार पड़ने पर उनका वो रात भर जागना,

हर बार पापा की डांट से हमें बचाना,

हमारी तकलीफ में खुद आंसू बहाना,

बहुत याद आता है वो घर जहां सिर्फ और सिर्फ अपनापन होता था,

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए।।

बहुत मुश्किल से दिल को समझाती हूं कि वो दिन बीत गए,

अब उन दिनों को तुम सपने में जी लिया करो,

उन दिनों को याद कर मैं कुछ इस तरह जी पाती हूं,

आज भी मां से किए वो सारे वादे निभाती हूं,

सबको खुश रखने कि कोशिश में मैं खुद को भूल जाती हूं,

मैं भी अब मां की तरह सब को खिलाकर फिर खुद खाती हूं,

चाहे कितना ही लेट सोना हो फिर भी हर सुबह 5 बजे उठ जाती हूं,

अपने अरमानों को अब में दिल के किसी कोने में दफनाती हूं,

कभी-कभी मां की ही तरह मैं हालात से समझौते भी कर जाती हूं।

जानती हूं कि वो दिन अब लौट कर नहीं आयेंगे,

इसलिए मैं इस अड़ियल दिल को कई बार समझाती हूं,

जानती हूं कि वो सिर्फ मां नहीं भगवान है मेरी,

इसलिए अब भी तकलीफ होने पर सिर्फ उनको बताती हूं,

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए।।

फोटो सौजन्य- गूगल

अमीरी का दिखावा

समाज में बहुत से लोग होते हैं जिनसे मिलकर आपको लगेगा कि वो बहुत ज्यादा जिद्दी है  या बहुत ज्यादा गुस्से वाले है… या कभी-कभी हम उन्हें घमंडी भी समझ लेते है लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि हम कभी-कभी लोगों को बहुत ज्यादा जल्दी जज कर लेते हैं… और ये मान लेते है कि हमें उनसे कोई वास्ता नहीं रखना चाहिए।

लेकिन कई बार वो नहीं बल्कि उनके बारे में हम गलत होते है। दरअसल हमें सब को एक जैसा देखने की आदत हो गई है इसलिए हम उन अलग से लोगों को पचा नहीं पाते। क्योंकि वो लोग हमारी दिखावे की दुनिया का हिस्सा नहीं होते, झूठ से उन्हें नफरत होती है, धोखा से वो कोसों दूर होते है, और अपने फायदे के लिए उन्हें किसी को नीचा दिखाना नहीं आता… हां थोड़े सडू हो सकते है… गुस्सा भी नाक पर हो ये भी हो सकता है.. लेकिन दोस्तों मेरे हिसाब से ऐसे इंसान हमारे समाज के लिए ज्यादा अच्छे है…क्योंकि इन्हें अपने फायदे के लिए गिरगिट बनना नहीं आता…. लेकिन आज समाज में इस तरह के लोग बहुत ज्यादा अकेलापन और पिछड़ा हुआ महसूस करते हैं।

क्योंकि आज कल के दिखावे से ये लोग कोसो दूर होते हैं और समाज में आज वही अपना पैर जमा लेता है जो दिखावे से भरा हुआ है। आज कल लोगों को सच सुनने की आदत नहीं रही लेकिन ये लोग तो सिर्फ और सिर्फ सच बोलते है। आज कल लोगों को अपनी निंदा सुनने की आदत नहीं रही  लेकिन ये लोग तो जो बोलना होता है वो मुंह पर बोल देते है। आज कल लोगों को झूठी तारीफों से बड़ा मोह है, लेकिन ये लोग ऐसा कर पाने में असमर्थ होते हैं।

अमीरी का दिखावा

सबसे बड़ी परेशानी इनको यही होती है कि आजकल का समाज इनको स्वीकार नहीं पाता और न ये इस दिखावे वाले और दोगले समाज का हिस्सा बनना चाहते है। इसलिए कभी कभी ये लोग ऐसी स्थिति का सामना करते है जब ये अपने आपको दुनिया से बिल्कुल कटा हुआ महसूस करते है। बाकी आप इन पंक्तियों से भी समझ सकते है जो किसी ऐसे ही इंसान पर लिखी गई हैं-

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,

जब कभी सोचती हूं कि मैं पिछड़ गई हूं,

हर उस इंसान से जो दिखावा करता है,

मन दुखी हो जाता है, जब कभी मैं उस दिखावे का हिस्सा नहीं बन पाती,

लोगों की तरह बाहर कुछ और अंदर कुछ नहीं हो पाती।

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,

जब कभी ये पाती हूं कि अकेली रह गई हूं,

दूर हो गई हूं हर उस इंसान से जो धोखा करता है,

बहुत परेशान हो जाती हूं, जब किसी को धोखे मे नहीं रख पाती,

हां, जब लोगों की तरह किसी की पीठ में छुरा नहीं घोंप पाती।।

 

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,

जब कभी सोचती हूं की मैं कितनी गरीब हो गई हूं,

लोगो को देखा है पैसे के लिए कुछ भी करते हुए,

मन उदास हो जाता है जब कभी मैं इस मुहिम का हिस्सा नहीं बन पाती,

हां, मैं पैसों के लिए किसी के तलवे नहीं चाट पाती।।

 

भर जाती हूं आत्मग्लानि से,

जब कभी सोचती हूं कि दुनिया से बहुत अलग रह गई हूं,

हर उस इंसान से अलग जो किसी को नीचा दिखाना चाहता है,

मन बैचेन हो जाता है, जब मैं किसी को नीचा नहीं दिखा पाती,

हां, दुनिया की इन उम्मीदों पर मैं खरा नहीं उतर पाती।।

 

हां बहुत जिद्दी हूं, हर किसी की हां में हां नहीं मिला पाती,

दिमाग़ है मेरे पास इसलिए किसी और के हिसाब से नहीं चल पाती,

मुझे गलत के लिए बोलना आता है,

इसलिए आखें बंद किए चैन से बैठ नहीं पाती।।

 

मेरे लिए वो हर इंसान गलत है जो गलत को बढ़ावा दे,

लेकिन मैं गलत के खिलाफ बोले बिना रह नहीं पाती,

इसलिए बहुत कम लोग है मेरी जिंदगी में जो पसंद करते है मुझे,

बाकियों के लिए तो बहुत बुरी हूं मैं क्योंकि झूठ, धोखा, दिखावा, फरेब मैं पचा नहीं पाती।

फोटो सौजन्य- गूगल

मां

“मां” हां ये वही है जिसको सुनते ही एक 60 साल का बुजुर्ग व्यक्ति भी अपने आप को छोटा बच्चा समझने लगता है। दरअसल ये शब्द ही इतना ज्यादा प्यारा है कि कभी हमें कुछ हो तो भी सबसे पहले मुंह से निकलने वाला शब्द मां ही होता है..और हम परेशान हो, दर्द में हो तब भी मां ही सबसे पहले याद आती हैं।

“वो किसी ने कहा है ना कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते थे इसलिए उन्होंने मां को बनाया”

बिल्कुल सही कहा है, जिंदगी में सब कुछ हो और मां ना हो तो सब अधूरा सा हो जाता है। मां है तो दुनिया की सारी खुशियां हमारी हो जाती है।

आज भी हमारे बीच कुछ लोग है जो अपने मां-पापा को इज्जत नहीं देते..उन्हें वो मान-सम्मान नहीं देते जिनके वो हकदार हैं। बहुत ज्यादा गुस्सा, बुरा व्यवहार और अत्याचार करते हैं वो अपने मां-बाप पर… उनको लगता है कि उन्होंने उनके लिए कुछ नहीं किया और अगर किया भी है तो वो उनकी ड्यूटी थी। सच में कितने बेवकूफ़ हैं वो.. जिस चीज को वो ड्यूटी समझते है वो उनकी ममता होती है और रही बात ड्यूटी की तो …फिर कुछ ड्यूटी बच्चों की भी तो होती है… तो क्या वो उन्हें पूरा कर रहे हैं, अगर इसका जवाब मिल जाए तो खुद सोचना कि उन्होंने अपने मां-बाप के लिए क्या किया है?

मै ऐसे लोगों से सिर्फ़ इतना ही कहना चाहती हूं  कि जिनके साथ तुम रह रहे हो ना, जिन्होंने तुम्हें चलना-फिरना सिखाया है, कंधे पर बैठा कर दुनिया दिखाई है वो सिर्फ़ मां-बाप नहीं हैं .. वो भगवान है। तुम खुशनसीब हो जो यहीं उनके दर्शन हो गए। इसलिए उन्हें वो सब दो जिसके वो हकदार हैं। आज का ये लेख उन लोगों के लिए ख़ास तौर पर लिखा गया है जिनको अपने मां-बाप की कोई अहमियत समझ नहीं आती। हर पल उन्हें सिर्फ यही लगता है कि उनके मां-बाप उनके लिए जो कुछ भी कर रहे हैं वो कोई अहसान नहीं है बल्कि ये तो उनका फर्ज है जो हर मां- बाप करते हैं।

मां

बहुत नासमझ हैं वो लोग जिनको कभी समझ ही नहीं आता कि मां-बाप भगवान का दिया हुआ वो तोहफ़ा होते है, जो सब के नसीब में नहीं होते। इसलिए इनके लिए हम जितना करे उतना कम है।

ये मेरी एक कोशिश थी उन लोगो को समझने की जिनको मां बाप सिर्फ और सिर्फ अपने ऐशो आराम का साधन लगते है। अगर अभी भी कुछ लोगो को समझ नहीं आया तो मैं कुछ पंक्तियों के माध्यम से एक कोशिश और करना चाहूंगी। तो गौर फरमाएं शायद समझ आ जाए:-

एक छोटा सा घर है हमारा, मगर उसे बनाने में खूब पसीने बहाए है,

चूल्हे की आंच पर रोटियां पकाते हुए, कई बार मां ने अपने हाथ भी जलाए है,

ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है कि वर्षों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए हैं।।

दो समय की रोटी के लिए, मां ने कई दिन सिर्फ पानी पीकर बिताए है,

बच्चे भूखे ना सो जाए इसलिए भारी-भारी बोझ भी उठाए है,

जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है कि वर्षों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

बहुत मुश्किल था वो दौर, उस दौर में शायद ही दो पैसों की बचत हो पाए लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके मां ने वो बचाए है,

मेरे बच्चों का भविष्य बहुत सुनहरा हो, रातों को जाग कर मां ने ये सपने सजाए है,

जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है कि वर्षों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

एक बार यूहीं देखे मैंने उनके हाथ, उनके हाथों में बहुत सारी दरारें हैं,

हमारी परवरिश के लिए  बेशर्त उन्होंने अपने सुंदर हाथ भी बिगड़े है,

हमारे सारे सपने पूरे हो, इसलिए उसने अपने सारे सपने दांव पर लगाए है,

अपनी पसंद, अपने शौक सब छोड़ दिया उसने, कहती है कि मुझे मेरे बच्चे उन सब से प्यारे है,

जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है कि वर्षों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

जिंदगी की इस तपती राह पर हमारे लिए, उसने अपने पांव जलाए है,

पीठे की वो मिठाई जो उन्हें बहुत पसंद है, उसके लिए बचाए पैसे भी हमारे आने वाले कल के लिए बचाए है

जी हां,  ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है कि सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

जब जब मैंने खुद को मुश्किलों से घेरा है, तब तब मैंने अपनी मां को मेरे साथ खड़ा हुआ पाया है,

भगवान को देखा नहीं कभी मैंने लेकिन, वो मेरी मां ही है जिसने उनके होने का अहसास कराया है,

बहुत किया है उन्होंने मेरे लिए, लेकिन अब मुझे उनके लिए कुछ करके दिखाना है,

जो कुछ भी छोड़ा उन्होंने मेरे लिए वो उन्हें वापिस भी तो दिलाना है…

इन्हीं जिम्मदारियों के कारण ऐसा होता आया है कि सालों तक हर त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाया है।।

फोटो सौजन्य- गूगल

डिप्रेशन

दोस्तों कई बार हमारे जीवन में कुछ ऐसे क्षण भी आ जाते है, जब हम बहुत बुरा महसूस कर रहे होते है। इस बैड फिलिंग की वजह चाहे जो हो लेकिन कई बार किसी बात का इतना बुरा लगता है कि हम बहुत कोशिश करते है इस बैड फिलिंग से बाहर निकलने की लेकिन हम ये करने में सक्षम नहीं हो पाते।
तो दोस्तों, सबसे पहले तो हमें ये जान लेना जरूरी है कि ये बैंड वाली फिलिंग हमें होती क्यों है:

  • क्या इसका कारण हम खुद है या कोई दूसरा व्यक्ति इसका कारण है?
  • क्या ये हमारी गलतियों के कारण है या किसी और की गलती की सजा हमें मिल रही होती है?

दोस्तों, हम सब इंसान है और हमारे दिलों में भावनाएं होना स्वाभाविक है और इन्ही भावनाओं को जब कोई चोट पहुंचाता है तो हमें बुरा लगना भी स्वाभाविक है।
लेकिन आपको अपने आप को ज्यादा परेशान करने की जरूरत नहीं है, आपने आप को बुरा महसूस न होने दें।

इसके लिए आज मैं आपके लिए कुछ ऐसे सुझाव लेकर आई हूं जिससे आप अपनी इस बैंड वाली फिलिंग से चुटकियों में छुटकारा पा सकते है।

तो चलिए सबसे पहले हम जान लें कि हमें बुरा क्यों लगता है:

1. दुखी होने के कारण: कभी कभी हम किसी बात को लेकर बहुत दुखी होते है। वजह चाहे जो भी हो लेकिन हमें इस परिस्थिति में बहुत बुरा महसूस हो रहा होता है ।

2. हानि होने के कारण: कई बार हमारा कोई नुकसान होने पर हम बहुत परेशान हो जाते हैं। दुखी हो जाते हैं। मन ही मन खुद को और दूसरों को कोस रहे होते है। चाहे कैसा भी इंसान हो वह किसी भी तरह की हानि को आसानी से पचाने में असमर्थ होता है। यही कारण है कि उस हालत में भी हम बैड फिलिंग का शिकार हो रहे होते हैं।

3. डिप्रेशन होने के कारण: कई बार बहुत बुरा महसूस होने का एक मुख्य कारण होता है डिप्रेशन। इसकी वजह से इंसान खुद को अकेला और पिछड़ा हुआ महसूस करने लगता है। जिससे बैड फिलिंग होना स्वाभाविक हो जाता है।

4. SAD(सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर) के कारण: जी हां, ये एक प्रकार का डिसऑर्डर है जो मौसम के परिवर्तन के कारण हो सकता है। इसकी वजह से हम चिड़चिड़े हो जाते है। हर बात पर गुस्सा आने लगता है। किसी से बात करने का मन नहीं करता। इस कारण हम खुद को दूसरों से अलग कर लेते है, जिस कारण हम बुरा महसूस करने लगते है।

अब हम जानते है कि अगर बुरा महसूस हो तो हम कैसे इससे छुटकारा पा सकते है:

1. संगीत सुनें- जी हां, संगीत बहुत से मनोरोगों का एक मात्र घरेलू उपचार है। संगीत सुनने से हम अच्छा महसूस करने लगते है। तथा मन और दिमाग का तनाव भी दूर होता है। जब कभी आपको बुरा महसूस हो तो आप अपनी पसंद का संगीत सुने, और फिर देखे कैसे ये आपको अच्छा महसूस करवाता है।

संगीत सुनती लड़की

2. कुछ देर रोएं- अगर कभी आपको बुरा महसूस हो रहा है और आपको रोने का मन है तो कुछ देर रोएं। इससे आपके अंदर का अवसाद बाहर आ जायेगा और आप अच्छा महसूस करेंगे और इसके ठीक विपरीत अगर आप अपने आप को रोने से रोकेंगे तो तनाव कम होने की बजाय बढ़ जायेगा।

3. अपने विचार और भावनाएं सांझा करे- जी हां, आप अगर किसी भी वजह से बुरा महसूस करते है तो आपने किसी करीबी के साथ अपनी भावनाओं की साझा करे, उन्हें अपनी भावनाएं बताए, उन्हें बताएं कि इस वक्त आप कैसा महसूस कर रहे है। आप पाएंगे कि आपका मन हल्का हो गया है और आप पहले से बेहतर महसूस कर रहे है।

4. बाहर घूमने जाएं- अगर आपको बुरा महसूस हो रहा है तो अपने आपको थोड़ा समय दे, अच्छा महसूस करने के लिए आप बाहर घूमने जा सकते है।

5. पार्टी या कोई फंक्शन अटेंड करें- जी हां, कई बार हम जब भी बुरा महसूस करते है तो अपने आप को दुनिया से कट लेते है लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि जितना आप लोगों से मिलेंगे उतनी जल्दी आप उन बातों को भूलेंगे जो आपको परेशान कर रही है। इसके लिए आप पार्टी या फंक्शन अटेंड करें।

6. साकारात्मक रहें- सबसे ज़रूरी बात जो आपको कभी भी किसी भी अवसाद या डिप्रेशन से बचाएगी वो है आपका साकारात्मक रहना। हमेशा पॉजिटिव रहे और और अपने आप को नकारात्मक विचारों से दूर रखें। हर चीज को सकारात्मक नजरिया से देखें। और फिर देखिए कैसे ये दुनिया आप के इशारों पर गोल गोल घूमेगी।

आज के लिए इतना ही, फ़िर मिलते है एक नए विषय के साथ। अपना तथा अपनों का ख्याल रखें।