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Tag Archives: द्रौपदी

Friendship with books will never let you feel alone.

पापा अक्सर कहा करते थे कि जिंदगी में अगर दोस्त (Friendship ) बनाना है तो आपका सबसे अच्छा दोस्त किताबें ही कहलाएंगी, जो जिंदगी के किसी भी मोड़ पर आपका साथ नहीं छोड़ेंगी। जब कभी आप जिंदगी के किसी मुश्किल दोराहे पर खड़े होंगे, उस समय में भी यह आपको सही रास्ता दिखाने में मदद करेंगी। किताबों से दोस्ती के बाद आप खुद को कभी अकेला नहीं पाएंगे।

तब तो यह सिर्फ पापा की दी हुई सीख समझकर सुन ली जाती थी, लेकिन बचपन में कभी उनकी इस सीख पर अमल नहीं किया, लेकिन अब जब भी खुद को अकेला महसूस करती हूं, तो किताबों के और करीब चली जाती हूं। और आप यकीन मानो पापा की दी हुई सीख बिल्कुल सटीक थी । उसी की बदौलत आज आपको ऐसी 05 किताबों के बारे में बताती हूं, जो मेरे अनुसार हर महिला को जरूर पढ़नी चाहिए बेशक चाहे वह कामकाजी हो या घरेलू। तो चलिए जानते हैं:

1. हजारों दमकते ख्वाब:

यह दो साधारण सी अफगानी महिलाओं की कहानी है। इसमें इनकी जिंदगी के दर्द और हजारों तकलीफ आपको भावनात्मक रूप से इन से जुड़ने को मजबूर कर देंगी। यह कहानी आपको जिंदगी की असल अहमियत जानने में मदद करेंगी। इस कहानी को पढ़ने के बाद आप समझ पाएंगे, कि आपको भगवान का शुक्रगुजार होना चाहिए कि आप और लोगों से बेहतर स्थिति में हैं।

2. कोई अच्छा सा लड़का:

यह एक ऐसी प्रेम कहानी है जो विभाजन के समय की स्थिति को दर्शाती है। जो स्त्रियां प्रेम जैसी पवित्र भावना में विश्वास करती हैं उनके लिए यह किताब एक उपहार से कम नहीं है।

3. मुझे चांद चाहिए:

यह किताब सुरेंद्र वर्मा ने लिखी है, इस किताब की नायिका वर्षा एक बहुत महत्वकांक्षी लड़की है। जो अपने जीवन में बहुत कुछ करना चाहती है, वह अभिनेत्री बनना चाहती हैं। ये कहानी उसके सपनों और जीवन की हकीकतो के बीच के द्वंद को दर्शाती है। ये कहानी आपको जरूर पढ़नी चाहिए।

4. द्रौपदी की महाभारत:

इस किताब में महाभारत को द्रौपदी की नजरों से दिखाया गया है। द्रौपदी हमारे पुराणों के अनुसार सबसे धैर्यवान महिलाओं में से एक थी। इस किताब के माध्यम से लेखक बताना चाहता है कि औरतों को कभी हार नहीं माननी चाहिए ।

5. मामूली चीजों का देवता:

यह किताब दो बहनों की जिंदगी के सफर को दर्शाती है, इसमें बताया गया है कि कैसे समाज के दायरों के बीच फंसकर बहुत बार हम वह हासिल नहीं कर पाते जो हम डीजर्व करते हैं। इस किताब को लिखने में पूरे 04 साल लगे।