एक आर्टिकल पढ़ने के बाद एक बार फिर ये एहसास हुआ कि हमारी जिंदगी में बहुत सारी चीज़ें ऐसी होती है जो हमारे पापा मम्मी , हमारे पड़ोसी हमें चाह कर भी नहीं सीखा पाते…लेकिन उन्हीं चीज़ों को कोई अगर अप्रत्यक्ष रूप से सीखा सकता है वो होता है शिक्षक।
जी हां, शिक्षक ही तो है जो हमारे बच्चों को 07 घंटे अपनी छत्र छाया में रखकर वो हर सबक सिखाता है, जिससे जिंदगी जीना आसान ही नहीं बल्कि सहज हो जाता है। पाठशाला में वो उन्हें उन सारे कर्तव्यों को बताते हैं जो उन्हें एक काबिल नागरिक बनाने में मदद करता है।
जी हां, एक बच्चे के जीवन में शिक्षक का क्या महत्व होता है ये आप और मैं भली भांति जानते हैं।
एक बच्चे के जीवन में शिक्षक की क्या भूमिका है….इसे मैं इस आर्टिकल के माध्यम से समझना चाहूंगी।
“अब्राहम लिंकन का पत्र अपने पुत्र के शिक्षक के नाम”
हे शिक्षक, मैं जानता हूं और मानता हूं..
कि ना तो हर व्यक्ति सही होता है और ना ही होता है सच्चा,
किन्तु तुम्हें उसे सिखाना होगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा।
समय भले ही लग जाए, लेकिन
अगर सीखा सको तो उसे सिखाना
कि पाये हुए पांच रुपये से अधिक मूल्यवान है
स्वयं एक रुपया कमाना।
पायी हुई हार को कैसे झेले, उसे यह भी सिखाना
और साथ ही सिखाना, जीत की खुशी को मनाना।
उसे सिखाना कि सबकी बातें सुनते हुए अपने मन की भी सुन सके,
यदि सिखा सकते हो तो सिखाना कि दुःख में भी मुस्कुरा सके,
घनी वेदना से आहत हो, पर खुशी के गीत गा सके ।।
उसे यह भी सिखाना आंसू बहते हो तो उन्हें बहने दे,
इसमें कोई शर्म नहीं…कोई कुछ भी कहता हो … कहने दें ।
उसे साहस देना ताकि वक़्त पड़ने पर अधीर बने,
सहनशील बनाना ताकि वह वीर बन सके।
उसे सिखाना की वह स्वयं पर असीम विश्वास करे,
ताकि समस्त मानव जाति पर भरोसा व आस धरे।
यह एक बड़ा लंबा सा अनुरोध है,
पर तुम कर सकते हो, क्या इसका तुम्हे बोध है?
मेरे और तुम्हारे…दोनों के साथ उसका रिश्ता है;
सच मानो मेरा बेटा एक प्यारा सा नन्हा फरिश्ता है।।
फोटो सौजन्य- गूगल