IVF: किसी भी फिमेल के लिए एक मां बनने की राह काफी व्यक्तिगत और अक्सर टफ होता है। इसमें कई महिलाओं को गर्भधारण के लिए ऐसे प्रोब्लम्स का सामना करना पड़ता है जिसके निदान के लिए मे़डिकल हेल्प की जरूरत पड़ सकती है। हाल के दिनों में प्रजनन से जुड़ी टेक्नोलॉजी में हुई प्रगति, विशेष रूप से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), उन महिलाओं के लिए आशा की किरण बनकर आई है, जो पहले यह मानती थीं कि मातृत्व उनकी पहुंच से काफी बाहर है।
अक्सर एक प्रश्न जो सामने आता है वह यह है कि क्या मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति (मासिक चक्र का बंद होना) की अवस्था से गुजर रही महिलाएं सफलतापूर्वक IVF करवा सकती हैं और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं?
मेनोपॉज और प्रेगनेंसी के बीच संबंध
मेनोपॉज एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है, जो किसी महिला के मासिक चक्र के अंत को दर्शाती है। यह आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र की होती है। हालांकि, यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि मेनोपॉज एक धीरे-धीरे होने वाली प्रक्रिया है, जो पेरिमेनोपॉज से शुरू होती है। इस दौरान हार्मोनल बदलाव शुरू होते हैं, जिससे मासिक चक्र अनियमित हो जाता है और अंततः माहवारी बंद हो जाती है।
पेरिमेनोपॉज है मेनोपॉज का फर्स्ट स्टेप
जो महिलाएं मेनोपॉज के शुरुआती चरण में होती हैं, जिसे आमतौर पर पेरिमेनोपॉज कहा जाता है।उनके लिए गर्भधारणा के लिए आईवीएफ एक व्यवहार्य विकल्प हो सकता है। इस समय के दौरान, भले ही अंडाशय में अंडाणुओं का नंबर (ओवेरियन रिजर्व) कम हो रहा हो, फिर भी हार्मोन की सक्रियता और अंडाणुओं की गुणवत्ता पर्याप्त हो सकती है, जिससे IVF के माध्यम से सफल गर्भधारणा हो सके। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अंडाणुओं की उपलब्धता होनी चाहिए, चाहे वह प्राकृतिक रूप से हो या दान किए गए अंडाणुओं के माध्यम से।
प्रारंभिक मेनोपॉज में आईवीएफ की सफलता
स्टडी से पता चला है कि जो महिलाएं मेनोपॉज़ की प्रारंभिक अवस्था में होती हैं, उन्हें आईवीएफ उपचार के सफल परिणाम मिल सकते हैं। खासकर जब वे दान किए गए अंडाणुओं का उपयोग करती हैं। कई अध्ययनों में दिखाया गया है कि 50 साल से कम उम्र की महिलाएं जो प्रारंभिक मेनोपॉज में थीं, उनके गर्भधारणा की दर युवा महिलाओं के समान थीं, जब उन्होंने दान किए गए अंडाणुओं का उपयोग किया।
इस आयु वर्ग में आईवीएफ की सफलता दर आमतौर पर 40-50 फीसदी के आसपास होती है। यह दर्शाती है कि उम्र और मेनोपॉज की स्थिति किसी महिला के सफल गर्भधारणा में बाधा नहीं बनती।
अलावा इसके IVF तकनीकों में हुई प्रगति, जैसे प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT), ने स्वस्थ गर्भधारणा की संभावनाओं को काफी हद तक बढ़ा दिया है। यह तकनीक उन भ्रूणों का चयन करना सुगम बनाती है, जिनमें सफलता की संभावना सबसे ज्यादा होती है।
मेनोपॉज के बाद की चुनौतियां
हालांकि, जब एक महिला पूरी तरह से मेनोपॉज में प्रवेश कर जाती है, यानी मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाता है, तो स्थिति बदल जाती है। इस चरण में, अंडाशय अंडाणु बनाना पूरी तरह से बंद कर देते हैं, और शरीर में महत्वपूर्ण हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे प्राकृतिक गर्भधारणा असंभव हो जाता है। जबकि आईवीएफ एक विकल्प बना रहता है, लेकिन यह लगभग पूरी तरह से दान किए गए अंडाणुओं पर निर्भर होता है।
अलावा इसके मेनोपॉज की अवस्था में पहुंच चुकी महिलाएं गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने का प्रयास करते वक्त अतिरिक्त जोखिम और चुनौतियों का सामना करती हैं। इनमें गर्भकालीन मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और अन्य गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं का ज्यादा खतरा शामिल है, जो ज़्यादा उम्र की महिलाओं में अधिक सामान्य होते हैं। इसके साथ ही, इस श्रेणी में आईवीएफ की सफलता दर भी काफी कम हो जाती है, जो लगभग 5-10 फीसदी तक गिर जाती है।
प्रारंभिक मेनोपॉज में सफल संतान प्रसव
इन चुनौतियों के बावजूद, यह बताना महत्वपूर्ण है कि मेनोपॉज के शुरुआती चरण में महिलाएं फिर भी आईवीएफ के माध्यम से सफलतापूर्वक संतान को जन्म दे सकती हैं। खासकर जब वे दान किए गए अंडाणुओं का उपयोग करती हैं। जिन महिलाओं का मासिक धर्म पूरी तरह से बंद नहीं हुआ था, उनमें सफलता की दर अधिक पाई गई, और कई मामलों में यह देखा गया कि गर्भधारणा सफल रहा और स्वस्थ संतान का जन्म हुआ।
हालांकि, जो महिलाएं पूरी तरह से मेनोपॉज में प्रवेश कर चुकी हैं, उनके लिए सफल प्रसव की संभावना काफी कम हो जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रारंभिक हस्तक्षेप और प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श लेना कितना महत्वपूर्ण है।
गर्भधारण और गर्भावस्था के लिए मेनोपॉज़ कुछ चुनौतियां पेश करता है, लेकिन यह मातृत्व की संभावना को पूरी तरह से समाप्त नहीं करता। मेनोपॉज के शुरुआती चरण में प्रवेश करने वाली महिलाएं अभी भी आईवीएफ के सफल परिणाम प्राप्त कर सकती हैं, विशेष रूप से जब दान किए गए अंडाणुओं का उपयोग किया जाता है।
जरूरी बातें
एक बार जब मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाता है, तो सफल आईवीएफ और संतान प्रसव की संभावना काफी कम हो जाती है। जो महिलाएं मेनोपॉज के दौरान या बाद में आईवीएफ पर विचार कर रही हैं, उनके लिए यह आवश्यक है कि वे एक योग्य प्रजनन विशेषज्ञ से सलाह लें ताकि वे अपने विकल्पों और संबंधित जोखिमों को समझ सकें।
प्रजनन से जुड़ी टेक्नोलॉजी में हुई तरक्की कई महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद है। लेकिन इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किए गए इलाज तभी सफल हो पाते हैं जब यह प्रारंभिक अवस्था में किया जाए, उम्मीदें वास्तविक हों और व्यक्तिगत रूप से देखभाल उपलब्ध कराई जाए।
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