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Tag Archives: मां-बाप

you are the only one who really stands together, 'Papa'

Papa मेरी मां के अलावा वो पहले इंसान है, जिसने मुझे हमेशा महसूस कराया कि मैं कितनी ख़ास हूं । आपने मुझे हमेशा ऐसे रखा है, जैसे मैं कोई राजकुमारी हूं। हां, जानती हूं आपके लिए मैं किसी राजकुमारी से कम भी नहीं हूं।

पापा हर इंसान अपने बच्चे को ऐसे ही रखता है ना, लेकिन ना जाने क्यों दुनिया को सिर्फ मां की देखभाल, प्यार , ममता और परवाह नजर आती हैं। लेकिन मुझे याद है पापा, जब बचपन में आप मुझे कहीं घुमाने ले जाते थे और भीड़ होने पर आप मुझे गोद में उठा लेते थे , मेरा हाथ कस के पकड़ लेते थे और जब कभी आप मंदिर लेकर जाते थे और मुझे कंधे पर उठाकर भगवान के दर्शन कराते थे। सच कहूं, तो वह दर्शन किसी वीआईपी दर्शन से कम नहीं थे। उस समय शायद नहीं लेकिन बड़े होते होते समझ आ गया कि उन मंदिरो में मेरे भगवान ही मुझे कंधे पर बिठा, अपने भगवान के दर्शन करा रहे हैं।

जब मैं चलते-चलते अक्सर गिर जाया करती थी, तो मेरे घुटनों की खरोच ने मुझसे ज्यादा तकलीफ आपको दी है। मुझे आज भी याद है, मेरी गलतियों पर मुझे प्यार से समझाने वाले सिर्फ आप थे। आपने कभी मुझ पर हाथ नहीं उठाया। मेरी किसी भी चोट ने मुझसे ज्यादा आपको रुलाया है। मैंने अक्सर लोगों को कहते सुना है” कि बाप एक ऐसा इंसान है जिस के साए में बेटियां राज करती हैं।” जब भी मैंने आपसे कुछ मांगा है, आपने मुझे लाकर दिया चाहे आपकी जेब खाली ही क्यों ना हो।

आपने कभी एहसास नहीं होने दिया कि हम गरीब है। मैंने सब देखा है पापा कि हमारे लिए आपने कभी खुद की सुध नहीं ली। घर में दो रोटी होती तो भी आप पहले अपनी प्रिंसेस को खिलाते थे।

you are the only one who really stands together, 'Papa'

कभी जब आप जिंदगी के सबक सिखा रहे होते थे, तब लगता था कि क्यों मुझे ऐसे बता रहे हैं लेकिन आज मुझे आपके सिखाए सारे सबक याद हैं और हर सबक के साथ महसूस होता है कि, पापा इन जिंदगी के छोटे-छोटे हर पल में, मेरी परवरिश में, मेरे संस्कारों में, मेरे अच्छे में, मेरे बुरे में, हमेशा मेरे साथ खड़े होने वाले पहले और आखिरी इंसान हैं।
वैसे तो आसपास लोगों की भीड़ है पापा, लेकिन सच में साथ खड़े होने वाले सिर्फ आप हो।

मेरे परवरिश में, पालन पोषण में आप सब भूल गए पापा, आप भूल गए कि आपकी भी एक जिंदगी है, आपके भी सपने हैं, पसंद है, ना पसंद है, और आप तो यह तक भूल गए कि आज आपका जन्मदिन है ।

‘हैप्पी बर्थडे पापा’ भगवान करे मेरी आखरी सांस तक आप मेरे साथ हो।

पता है इस वाली बात पर लोग मुझे स्वार्थी कहेंगे लेकिन कहते हैं तो कहते रहे मैं आपके बिना कुछ भी नहीं हूं, मैं जिंदगी के किसी भी मोड़ पर आपको खोना नहीं चाहती और उस इंसान को तो बिल्कुल नहीं, जिसने मुझे उंगली पकड़कर चलना सिखाया, सही के लिए लड़ना सिखाया, जो जिंदगी के हर मुश्किल दौर में मेरे साथ डट कर खड़ा रहा ।

आपने अपने लाड और प्यार के बदले कभी कुछ नहीं चाहा। यह दुनिया बहुत कुछ देने का दावा तो करती है, लेकिन हर रिश्ते को बदले में कुछ ना कुछ चाहिए पापा। मैं यही चाहती हूं कि हर लड़की को मेरे पापा जैसे पिता मिले और मुझे हर जन्म में आप मिलें, ताकि हर जन्म दुनिया के सितम से बच जाऊं।।

If you have everything in life and if you do not have a mother, then everything seems deserted.

‘मां’ हां ये वही है जिसको सुनते ही एक 60 साल का बुजुर्ग व्यक्ति भी अपने आप को छोटा बच्चा महसूस करने लगता है। दरअसल ये शब्द ही इतना ज्यादा प्यारा है सब को कि कभी हमें कुछ हो जाए तो भी सब से पहले मां ही निकलता है मुंह से..और हम परेशान हो, दर्द में हो तब भी मां ही सबसे पहले याद आती हैं।

“वो किसी ने कहा है ना कि भगवान हर जगह नहीं हो सकते थे इसलिए उन्होंने मां को बनाया”
बिल्कुल सही कहा है, जिंदगी में सब कुछ हो और मां ना हो तो सब अधूरा सा हो जाता है। मां है तो दुनिया की सारी खुशियां हमारी हो जाती है।
आज भी हमारे बीच कुछ लोग है जो अपने मां-बाप को इज्जत नहीं देते..उन्हें वो मान सम्मान नहीं देते जिनके वो हकदार है। बहुत ज्यादा गुस्सा, बुरा व्यवहार और अत्याचार करते है वो अपने मां बाप पर… उनको लगता है कि उन्होंने उनके लिए कुछ नहीं किया और अगर किया भी है तो वो उनकी ड्यूटी थी।। सच कहा जाए तो वैसे लोग कितने बेवकूफ़ है वो.. जिस चीज को वो ड्यूटी समझते है वो उनकी ममता होती है और रही बात ड्यूटी की तो …फिर कुछ ड्यूटी बच्चों की भी तो होती है… तो क्या वो उन्हें पूरा कर रहे हैं, अगर इसका जवाब मिल जाए तो खुद सोचना कि उन्होंने अपने मां-बाप के लिए क्या किया है?

मैं सिर्फ़ इतना ही कहना चाहती हूं ऐसे लोगों से कि जिनके साथ तुम रह रहे हो ना, जिन्होंने तुम्हे चलना सिखाया, कंधे पर बैठा कर दुनिया दिखाया, वो सिर्फ़ मां बाप नहीं हैं.. वो भगवान का रूप है। तुम खुशनसीब हो जो यही उनके दर्शन हो गए। इसलिए उन्हें वो सब दो जिसके वो हकदार है। आज का ये लेख उन लोगों के लिए ख़ास तौर पर लिखा गया है जिनको अपने मां-बाप की कोई अहमियत समझ नहीं आती। हर पल उन्हें सिर्फ यही लगता है कि उनके मां-बाप उनके लिए जो कुछ भी कर रहे है वो कोई अहसान नहीं है बल्कि ये तो उनकी ड्यूटी है जो हर मां-बाप करते है। बहुत नासमझ हैं वो लोग जिनको कभी समझ ही नहीं आता कि मां-बाप भगवान का दिया हुआ वो तोहफ़ा होते है, जो सब के नसीब में नहीं होते। इसलिए इनके लिए हम जितना करें उतना कम है।

गर अभी भी कुछ लोगों को समझ नहीं आया तो मैं कुछ पंक्तियों के जरिए एक कोशिश और करना चाहूंगी-

एक छोटा सा घर है हमारा, मगर उसे बनाने में खूब पसीने बहाए हैं,
चूल्हे की आंच पर रोटियां पकाते हुए, कई बार मां ने अपने हाथ भी जलाए हैं,
ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं,
कि सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए हैं।।

दो समय की रोटी के लिए, मां ने कई दिन सिर्फ पानी पीकर बिताए हैं,
बच्चे भूखे ना सो जाए इसलिए भारी भारी बोझ भी उठाए हैं,
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

बहुत मुश्किल था वो दौर, उस दौर में शायद ही दो पैसों की बचत हो पाए लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके मां ने वो बचाए है,
मेरे बच्चों का भविष्य बहुत सुनहरा हो, रातों को जाग कर मां ने ये सपने सजाए है,
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
की सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

एक बार यूंही देखे मैंने उनके हाथ, उनके हाथों में बहुत सारी दरारें हैं,
हमारी परवरिश के लिए, उन्होंने अपने सुंदर हाथ भी बिगड़े है,
हमारे सारे सपने पूरे हों, इसलिए उसने अपने सारे सपने दांव पर लगाए हैं,
अपनी पसंद, अपने शौक सब छोड़ दिया, कहती हैं कि मुझे मेरे बच्चे उन सब से प्यारे हैं,
ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं,
कि सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

जिंदगी की इस तपती राह पर हमारे लिए, उसने अपने पांव जलाए है,
पीठे की वो मिठाई जो उन्हे बहुत पसंद है, उसके लिए बचाए पैसे भी हमारे आने वाले कल के लिए बचाए है
जी हां, ज़िम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए है,
कि सालों तक त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाए है।।

जब जब मैंने खुद को मुश्किलों से घेरा है, तब तब मैंने अपनी मां को मेरे साथ खड़ा हुआ पाया है,
भगवान को देखा नहीं कभी मैंने लेकिन, वो मेरी मां ही है जिसने उनके होने का अहसास कराया है,
बहुत किया है उन्होंने मेरे लिए लेकिन अब मुझे उनके लिए कुछ करके दिखाना है,
जो कुछ भी छोड़ा उन्होंने मेरे लिए वो उन्हें वापिस भी तो दिलाना है…
इन्हीं जिम्मदारियों के कारण ऐसा होता आया है,
कि सालों तक हर त्यौहार मां ने एक ही साड़ी में मनाया है।।