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Tag Archives: रोजा

RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

RAMZAN: रमजान इस्लाम धर्म का पवित्र महीना है। इस्लामिक कैलेंडर के इस नौवें महीने में मुसलमान रोजे यानी उपवास रखते हैं। इस दौरान कुरान पढ़ते हैं। पांच बार की नमाज अदा करते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं।

बता दें कि चांद नज़र आने के साथ ही रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है। मुस्लिम समुदाय के लोग आज पहला रोजा रख रहे हैं और कुरआन, नमाज व तरावीह का एहतमाम करते हैं। रमजान इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना है, जिसे बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि इसी महीने 610 ईस्वी में मोहम्मद साहब को लेयलत उल-कद्र की रात पवित्र कुरआन शरीफ का ज्ञान प्राप्त हुआ था, इसलिए इस महीने में रोजा रखने की परंपरा है। यह महीना इबादत, ध्यान और दान-पुण्य के किए जाना जाता है। 30 दिन के रमज़ान के अंत में ईद-उल-फितर मनाया जाता है।

RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

बरकत का महीना माह-ए-रमजान के पूरे महीने मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। रोजा रखने वाले व्यक्तियों की अल्लाह द्वारा उसके सभी गुनाहों की माफी दी जाती है। इसलिए हर एक मुसलमान के लिए रमजान का महीना साल का सबसे विशेष माह होता है। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक रमजान का महीना खुद पर नियंत्रण और शांत रखने का महीना होता है। गरीबों के दुख-दर्द को समझने के लिए रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय द्वारा रोजा रखने की परंपरा है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने में रोजा रखकर दुनिया में रह रहे गरीबों के दुख-दर्द को महसूस किया जाता है। रोजा आत्म संयम व आत्म सुधार का प्रतीक रोजे के दौरान संयम का तात्पर्य है कि आंख, नाक, कान, जुबान को नियंत्रण में रखा जाना क्योंकि रोजे के दौरान बुरा नहीं सुनना, बुरा नहीं देखना और ना ही बुरा बोलना जाता है। इस तरह से रमजान के रोजे मुस्लिम समुदाय को उनकी धार्मिक श्रद्धा के साथ-साथ बुरी आदतों को छोड़ने के अलावा आत्म संयम रखना सिखाते हैं। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि गर्मी में रोजेदारों के पाप धूप की अग्नि में जल जाते हैं तथा मन पवित्र हो जाता है। सारे बुरे विचार रोजे के दौरान मन से दूर हो जाते हैं।

आज रखा गया पहला रोजा

RAMZAN is the month of self-control and self-restraint

अकीदतमंदों ने रविवार को पहला रोजा रखा है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, रमजान नौंवा महीना होता है। रोजा रखने के साथ रात में तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है। पांच वक्त की नमाज के साथ कुरान की तिलावत करते हैं।

तीन भागों में बंटा रमजान

रमजान का यह महीना तीन भागों में बंटा होता है यानी एक से लेकर 10 दिनों तक रहमत का अशरा होता है, तो 11 से लेकर 20 तक बरकत का और 21 से लेकर 30 रोजे तक मगफिरत होता है। पवित्र रमजान माह में इबादत का काफी महत्व होता है। यही वजह है कि लोग इबादत के साथ-साथ जकात भी निकालते हैं। जकात का अर्थ होता है जमा पूंजी का दो अथवा ढाई प्रतिशत जरूरतमंदों में दान करना।

फोटो सौजन्य- गुगल

Roze ki Dua: Dua for fasting in Ramzan

Roza Rakhne or Kholne Ki Dua: मुस्लिमों के लिए रमजान के महीने में रोजा रखना और कुरान शरीफ को पढ़ना जरूरी माना गया है। इस्लामिक धार्मिक मान्यताओं मुताबिक रमजान महीना सबसे पाक महीना माना जाता है। कहते हैं इस दौरान जो भी दुआएं की जाती हैं वो जरूर पूरी होती हैं। इस महीने में मुस्लिम लोग अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त अल्लाह की इबादत में बिताते हैं।

कहते हैं कि रमज़ान के महीने में अल्लाह की खूब रहमत बरसती है। बुराई पर अच्छाई हावी हो जाती है। इस महीने मुसलमान अपनी चाहतों पर कंट्रोल करके केवल अल्लाह की इबादत करते हैं। इस महीने को सब्र और बरकत का महीना भी कहा जाता है।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दुआएं भी पढ़ते हैं पर अगर आप दुआएं भूल गए हैं तो आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम रमज़ान में पढ़ी जाने वाली दुआओं के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे आप अपने रूटीन में शामिल कर रमज़ान की रहमत हासिल कर सकते हैं। यहां आप जानेंगे रोजा रखने और खोलने की दुआ-

रोजा रखने की दुआ

Roze ki Dua: Dua for fasting in Ramzan

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अनुसार जब भी कोई रोजा रखता है, तो उसे सहरी खाने के बाद यानि फज्र की अज़ान से पहले इस दुआ को पढ़ना चाहिए।

हिंदी में रोजा रखने की दुआ

‘व बि सोमि गदिन नवई तु मिन शहरि रमज़ान’

मतलब- इस दुआ का अर्थ यह है कि मैं रमज़ान के इस रोजे की नियत करता/करती हूं।

रोजा खोलने की दुआ

जिस तरह से रोजा रखते समय दुआ पढ़ी जाती है ठीक वैसे ही रोजेदार को रोजा खोलने से पहले यह दुआ जरूर पढ़नी चाहिए। कहा जाता है इस दुआ को पढ़ने से खाने में बरकत होती है। ध्यान रखें कि यह दुआ खजूर खाने से पहले पढ़नी चाहिए और दुआ खत्म होने के बाद ही कुछ खायें।

हिंदी में रोजा खोलने की दुआ

‘अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु, व-बिका आमन्तु, व-अलयका तवक्कालतू, व- अला रिज़क़िका अफतरतू’

इस दुआ का मतलब है- ऐ अल्लाह मैंने तेरी रज़ा के लिए रोजा रखा है और तेरे ही कहने पर रोजा खोल रहा/रही हूं।

फोटो सौजन्य- गूगल

Ramzan: The month of Ramadan is starting

हर वर्ष दुनिया भर के मुसलमान रमजान (Ramzan) के पवित्र महीने में रोजा और इबादत में गुजारते हैं। रमजान इस साल 03 अप्रैल से शुरू हो रहा है। महीने भर की अवधि के दौरान जो रोजा या व्रत रखते हैं उनके लिए रमजान का महीना 03 मई को समाप्त होगा। लोग अपना पहला सहरी या भोजन करने के लिए सुबह जल्दी उठते हैं और शाम को वे इफ्तार साथ अपना उपवास तोड़ते हैं। यह महीना सभी मुसलमानों के लिए बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। रमजान को रमदान भी कहते हैं। रमजान इस्लामी कैलेंडर का 9वां महीना है। इसे माह-ए-रमजान भी कहा जाता है। रमजान के महीने में रोजे (व्रत) रखने, रात में तरावीह की नमाज पढ़ना और कुरान तिलावत करना शामिल है। मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से भी पहले से लेकर डूबने तक कुछ नहीं खाते-पीते हैं। साथ में महीने भर इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रमजान के दौरान व्रत या रोजा इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है।

रमजान के दौरान रोजा रखने के नियम

रोजा रखने का मतलब सिर्फ भूखे-प्यासे रहना नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है यानी ना बुरा देखें, न बुरा सुनें और ना ही बुरा कहें। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाओं पर ठेस ना पहुंचे। रमजान के महीने में कुरान पढ़ने का अलग ही महत्व होता है। हर दिन की नमाज के अलावा रमजान में रात के वक्त एक विशेष नमाज भी पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहते हैं।

रमजान का महत्व

इस बार रमजान की शुरुआत रविवार से हो रही है और यह 03 मई तक चलेगा। इस्लाम में बताया गया है कि रोजा रखने से अल्लाह खुश होते हैं और सभी दुआएं कुबूल होती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है। चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। इसी दिन पहला रोजा रखा जाता है। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है और सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है।