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Tag Archives: Ayodhya

Surya Tilak

Surya Tilak: आयोध्या में रामलला विराजमान हो चुके हैं। जनवरी महीने से ही भक्तों का भीड़ उमड़ रही है। आयोध्या में राम मंदिर तैयार होने के बाद पहली बार श्री रामनवमी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर रामलला का सूर्याभिषेक किया गया। रामलला के माथे पर करीब 04 मिनट तक सूर्य की किरणें उन्हें चूमती रहीं। इस खास नजारे को देखकर हर कोई अचंभित था। देखा जाए तो वैज्ञानिक तरीके से उनका सूर्य तिलक किया गया। इस मौके पर करीब 10 वैज्ञानिकों की टीम मंदिर परिसर में मौजूद रही।

सूर्य की किरणें जैसे ही रामलला के माथे पर पड़ी तो उनकी मूर्ति रोशनी से जगमगा गई। यह सूर्य तिलक करीब 2 से 2.50 मिनट तक चला। भगवान राम का सूर्य तिलक करने के लिए आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम को शामिल किया गया था। इस भव्य, दिव्य और अलौकिक सूर्य तिलक का 100 एलईडी स्क्रीन से पूरे अयोध्या में लाइव टेलिकास्ट हुआ। इस अद्भुत नजारे का पूरा वीडियो सामने आया है।

रामलला का हुआ सूर्य तिलक

दरअसल, IIT की टीम ने दर्पण और लेंस से युक्त एक विशेष उपकरण बनाया है। ताकि सूर्य की किरणों को सीधे रामलला के माथे पर पड़ें। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सूर्य किरण को ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम के तहत इसे अंजाम दिया गया है। मंदिर की तीसरी मंजिल पर ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम स्थापित किया गया। फिर हाई क्वालिटी मिरर, एक लेंस और खास कोणों पर लगे लेंस के साथ वर्टिकल पाइपिंग लगाए गए। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर दो मिरर और एक लेंस फिट किए गए। तीसरे फ्लोर पर जरूरी उपकरण लगाए गए। सूर्य की रोशनी तीसरे फ्लोर पर लगे पहले दर्पण पर गिरी। फिर तीन लेंस और दो अन्य मिरर से होते हुए सीधे ग्राउंड फ्लोर पर लगे आखिरी मिरर पर पड़ी। इससे रामलला की मूर्ति के मस्तक पर सूर्य किरणों का एक तिलक होने लगा।

वहीं, पाइप के भीतरी सतह को काले पाउडर से रंगा गया ताकि सूर्य की किरणें बिखरने ना पाएं। सूर्य की गर्मी को रोकने के लिए इन्फ्रारेड फिल्टर ग्लास का भी प्रयोग किया गया है। सूर्य अभिषेक के रामनवमी के दिन सफल बनाने के लिए इसका ट्रायल भी किया गया था।

क्योंकि भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे..

CSIR-CBRI रुड़की के वैज्ञानिक ने कहा कि हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है। उन्‍होंने कहा कि विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री रामनवमी की तिथि हर 19 साल में दोहरायी जाती है। बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे, इसलिए उन्हें सूर्य तिलक किए जाने की परंपरा है।