आपको पहली ही नजर में सामने वाला कैसे अच्छा लगने लगता है? उसकी हर बातें, हरकतें, मुस्कुराहट सबकुछ ऐसा लगता है कि इसे मेरे लिए भगवान ने जमीं पर उतारा है। अगर आप किसी से पहली बार मिल रहे हैं और थोड़ी ही देर में आपको ये लगे कि हम बरसों से एकदूसरे को जानते हैं, मतलब आप दोनों के दिल की धड़कनें एक दूसरे के लिए धड़क रही हैं। हार्ट रेट सिंक्रोनाइज हो जाती है। हथेलियों पर हल्का-हल्का पसीना आने लगता है, जो कि एक सकारात्मक बायोलॉजिकल संदेश है, एक नए रिसर्च से इस पर खुलासा हुआ है।
पहली नजर में पार्टनर का मिलना
यह आपके दिमाग का केमिकल बैलेंस ही तो है जो पहली नजर में किसी को देखने या मिलने पर उसके साथ केमिस्ट्री बिठा लेता है। असल में हर किसी की ख्वाहिश होती है कि उसके दोस्त या पार्टनर में कुछ खास तरह की आदतें होनी चाहिए जो उससे मिलती हों, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि अधिकतर लोग यानी पुरुष और महिला इस बात पर सफलता हासिल नहीं कर पाते, या फिर उनकी केमिस्ट्री धीरे-धीरे बिगड़ जाती है।
‘नेचर ह्यूमन बिहेवियर’ जर्नल में प्रकाशित
यह रिसर्च हाल ही में ‘नेचर ह्यूमन बिहेवियर’ जर्नल में प्रकाशित हुई है। इस रिसर्च को करने वाली प्रमुख वैज्ञानिक और नीदरलैंड्स स्थित लीडेन यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता एलिस्का प्रोशाजकोवा ने कहा- ‘आप ऑनलाइन डेटिंग साइट पर किसी को मिस्टर/मिस परफेक्ट समझ कर सर्च करते हैं पर कई बार वो सफल नहीं हो पाते लेकिन जब आप किसी से असल जिंदगी में मिलते हैं और आपको पहली नजर में ही वो अच्छा लगने लगता है तो मानकर चलिए कि आपकी केमिस्ट्री सही जा रही है।
बस यही है, जो मेरा सबसे प्यारा दोस्त या पार्टनर बन सकता है
एलिस्का ने कहा कि यह सिर्फ बाहरी लुक पर निर्भर नहीं करता। इसके साथ-साथ सामने वाले का बिहेव और सोच भी मायने रखता है। आपके भीतर से एक आवाज आती है- बस यही है, जो मेरा सबसे प्यारा दोस्त या पार्टनर बन सकता है। क्योंकि उस समय आपकी और पहली बार मिलने वाले व्यक्ति की धड़कनें समान धुन में चल रही होती हैं। असल में यह एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो कई तरह के बायोलॉजिकल प्रोसेस के बाद शुरू होता है।
142 हेट्रोसेक्सुअल लड़कों और लड़कियों पर स्टडी की
बायोलॉजिकल प्रोसेस जैसे देखना, छूना, मन के भीतर बातों का असर आदि। इन सबके पीछे हॉर्मोनल लेवल में बदलाव भी मायने रखता है। एलिस्का ने यह प्रक्रिया समझने के लिए 142 हेट्रोसेक्सुअल लड़कों और लड़कियों पर स्टडी की। इनकी उम्र 18 से 38 वर्ष के बीच थी। इन लोगों को एक खास केबिन में 04 मिनट के लिए ब्लाइंड डेट पर भेजा गया। इन केबिन्स के भीतर पार्टिसिपेंट्स को आई-ट्रैकिंग ग्लासेस, हार्ट रेट मॉनिटर्स, पसीना जांच ने वाली मशीनें लगाई गईं थी।
एकदूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहते थे !
कुछ पेयर्स एक दूसरे के प्रति ज्यादा खिंचाव महसूस कर रहे थे। उनकी डेट आगे बढ़ी। कुछ की डेट सफल नहीं हुई। 142 लोगों में से 17 फीसदी पेयर्स ने अगली डेट की मांग की। वो एकदूसरे के साथ ज्यादा वक्त बिताना चाहते थे। उनसे बातें करना चाहते थे, क्योंकि इन जोड़ों ने अपने सामने वाले अट्रैक्टिव पाया और उन्हें ज्यादा रेटिंग भी दी।
..तो वह दूसरे को काफी पसंद आता
ब्लाइंड डेट के दौरान देखा गया कि इन 17 फीसदी पेयर्स के दिल की धड़कनें एकसाथ तेजी से बढ़ती थी, फिर एकसाथ नियंत्रित हो जाती थी। इनकी हथेलियों में पसीना अचानक बढ़ जाता था और अचानक से कम हो जाता था। ये पेयर्स एकदूसरे की आंखों में लगातार देखते रहते, मुस्कुराते, हंसते थे, प्यार से सिर टकराते थे या हाथ पकड़ते थे। यानी अगर जोड़े में से कोई एक किसी तरह की शारीरिक, व्यवहारिक हरकतें करता तो वह दूसरे को काफी पसंद आता था।