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Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

Pollution का बढ़ता खतरनाक स्तर सांस से जुड़ी समस्याओं के अलावा हार्ट डिजीज के खतरे को भी बढ़ा रहा है। हवा में मौजूद हानिकारक पार्टिकल्स सांस के जरिए शरीर के भीतर प्रवेश करने के बाद हृदय रोग, सांस की बीमारी और कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ा देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक हर वर्ष पॉल्यूशन से 70 लाख लोगों की मौत होती है। खराब एयरक्वालिटी के कारण हृदय की ब्लड को पंप करने की क्षमता पर असर पड़ता है, जिससे हृदय रोगों का संकट काफी बढ़ जाता है। आइये जानते हैं एयर पॉल्यूशन किस तरह से बढ़ाता है हृदय रोगों का जोखिम-

पॉल्यूशन का हृदय पर असर

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिसर्च के मुताबिक वायु प्रदूषण एथेरोस्क्लेरोसिस की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे आर्टरीज़ की वॉल्स में प्लाक बनने लगता है। कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और वसा से प्लाक बनने लगता है, जो हृदय में रक्त के प्रवाह को बाधित कर देता है। इससे हृदय गति प्रभावित होती है और हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और अन्य हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। प्रदूषण से हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंचने के अलावा डायबिटीज़ का खतरा भी बना रहता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हवा में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड हेल्थ रिस्क को बढ़ाती हैं। इसके अलावा हवा में घुले जहरीले कण फेफड़ों में पहुंचकर रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं। इससे टिशूज़ और रेड ब्लड सेल्स को नुकसान का सामना करना पड़ता है। लंबे वक्त तक महीन पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में रहने से व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है।

इस बारे में एक सीनियर डॉक्टर ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर हार्ट पर दिखता है। PM, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषक जो गाड़ियों के धुएं फैक्ट्रियों और ईंधन जलाने से निकलते हैं, शरीर में जाकर दिल की सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

कैसे हृदय स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है प्रदूषण

Increasing pollution in the air can be fatal for the heart

1. हार्ट अटैक का जोखिम

ये प्रदूषक सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर खून में मिल जाते हैं। ये नसों पर असर डालते हैं, जिससे सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ने लगता है। यह नसों में फैट जमा होने का कारण बनता है, जो दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक की वजह बन सकता है। लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

2. दिल की धड़कन का बढ़ना

नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सेहत पर बुरा असर डालते हैं। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, जो गाड़ियों और पावर प्लांट से निकलती है। फेफड़ों को कमजोर करती है और दिल पर अधिक दबाव बनाए रखती है। वहीं, कार्बन मोनोऑक्साइड खून में ऑक्सीजन पहुंचाने की क्षमता को कम कर देती है, जिससे दिल और शरीर के अन्य हिस्सों को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह दिल की धड़कन को अनियमित कर सकता है और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है।

3. कोलेस्ट्रॉल का लेवल असंतुलित हो जाना

एक अध्ययन के मुताबिक लगातार धुएं और धूल मिट्टी के संपर्क में रहने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने लगता है। प्रदूषण के कारण शरीर में हाई डेंसिटी लिपो प्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल में कमी आने लगती है। इससे हृदय संबंधी अनय समस्याओं के अलावा बैड कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढ़ने लगता है।

4. ब्लड वेसल्स को करता है संकुचित

If you get such signs, then understand that heart problems have started

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार एयरबॉर्न पार्टिक्यूलेट मैटर से हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इससे ब्लड वेसल्स संकुचित होने लगती है और रक्त का प्रवाह असंतुलित हो जाता है। इसके अलावा ब्लडप्रेशर में वृद्धि, रक्त के थक्के जमना, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज और स्ट्रोक का खतरा बना रहता हैं। बच्चे, बुजुर्ग और हार्ट के मरीज वायु प्रदूषण के असर से ज्यादा प्रभावित होते हैं।

इन सुझावों की मदद से समस्या को दूर किया जा सकता है

  • गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना गले की सूजन को कम करता है और राहत देता है। दिन में दो बार गरारे करने से गले में मौजूद संक्रमण को दूर किया जा सकता है।
  • अदरक और शहद की चाय पीने से गले में आराम मिलता है और कफ साफ होता है। इससे फेफड़ों में बढ़ने वाले संक्रमण से बचाव होता है और म्यूक्स का उत्पादन कम होने लगता है।
  • इनडोर पॉल्यूशन से खुद को बचाव करनेअ के लिए घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और इनडोर प्लांटस भी लगाएं। अलावा इसके बाहर निकलते समय मास्क लगाना न भूलें।
  • अपने शरीर को निर्जलीकरण से बचाने का प्रयास करें। इससे गले में दर्द और खराश कम होती है। ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं ताकि गला और फेफड़े नम बने रहें और सेहत ठीक रहे।

फोटो सौजन्य- गूगल

Heart Blockage: Abnormal changes in the body mean the risk of heart blockage

Heart Blockage: गलत खाने-पीने की आदतें शरीर में कोलेस्ट्रोल के लेवल को काफी बढ़ा देती हैं। इससे आर्टरीज में प्लाक जैसे पदार्थ जमा होने लगते हैं, जो हार्ट में ब्लड के दबाव को कम कर देता है। इससे शरीर को हार्ट संबंधी प्रोब्लम्स का सामना करना पड़ता है। गलत खानपान के अलावा नींद की कमी और दिनों दिन बढ़ रहा स्ट्रेस भी हार्ट ब्लॉकेज की वजह बनने लगता है। आर्टरीज में बढ़ने वाली ब्लॉकेज को कम करने के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी है लेकिन उससे पहले जानते हैं शरीर में दिखने वाले वो साइन जो हार्ट ब्लॉकेज की ओर इशारा करते हैं।

कैसे होता है हार्ट ब्लॉकेज

If you get such signs, then understand that heart problems have started

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक जब प्लाक रूपी चिपचिपा पदार्थ हार्ट को ब्लड पहुंचाने वाली आर्टरीज में जमा हो जाता है तो उस स्थिति को हार्ट ब्लॉकेज कहा जाता है। ये प्लाक अनहेल्दी फैट्स, कॉलेस्ट्रॉल, सेलुलर वेस्ट प्रॉडक्ट्स, कैल्शियम और फाइब्रिन नाम के क्लॉटिंग सबस्टांस से बना होता है। इस बारे में बातचीत करते हुए इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट का कहना है कि कोरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज के कारण ब्लड पूरी तरह से हार्ट तक नहीं पहुंच पाता है। शरीर में किसी भी तरह का असामान्य बदलाव महसूस होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज यानी सीएडी हार्ट डिजीज का सबसे आम वजह है। जब हार्ट में ब्लड की आपूर्ति करने वाली आर्टरीज़ समय के साथ संकुचित होने लगती हैं और बल्ड सप्लाई में बाधा आने लगती है। ये रुकावटें फैट्स के निर्माण के कारण बढ़ने लगती हैं। आर्टरीज़ में ब्लॉकेज से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बना रहता है। इस्केमिक स्ट्रोक उस समस्या को कहते हैं, जब रक्त वाहिका में रूकावट आती है जो ब्रेन को ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई करती है।

आइये जानते हैं हार्ट ब्लॉकेज़ के क्या हैं संकेत-

1. थकान और कमज़ोरी का अनुभव

नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के मुताबिक आर्टरीज़ में ब्लॉकेज के कारण ब्लड फ्लो की अनियमितता बढ़ने लगती है। इससे ऑक्सीजन का प्रवाह भी प्रभावित होने लगता है। ऐसे में सिरदर्द, थकान और काम करने में असमर्थता का सामना करना पड़ता है। किसी कार्य को करने के दौरान ये थकान तेज़ी से बढ़ने लगती है।

2. सीने में दर्द या एंजाइना

WHO warning: Long working hours increase the risk of heart disease and heart attack

सीने में उठने वाला दर्द और किसी भी प्रकार की असुविधा धमनियों में जमने वाले प्लॉक का संकेत देती हैं। ये दर्द छाती से होता हुआ बाहों के नीचे, गर्दन या जबड़े तक पहुंच जाता हैं। इसके कारण सीने में जकड़न महसूस होने लगती है। ये समस्या कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक बनी रहती है। ऐसे में स्वैटिंग और सांस फूलने का सामना करना पड़ता है।

3. सांस लेने में दिक्कत

हार्वर्ड हेल्थ के मुताबिक सीढ़िया चढ़ने या कोई अन्य कार्य करने के दौरान सांस फूलने की समस्या का सामना करना पड़ता है। ये समस्या हृदय रोग को दर्शाती है। इससे एंजाइना, हार्ट अटैक और हार्टफेलियर का खतरा बढ़ने लगता है। दरअसल, जब हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की प्राप्ति नहीं होती है, तो उस समय सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में शरीर तेज़ी से सांस लेने का प्रयास करता है।

4. पैरों के निचले हिस्से में सूजन

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिसर्च के अनुसार टांगों के निचले हिस्से में सूजन दिल की समस्या का एक मुख्य संकेत है। शरीर में रक्त का प्रवाह धीमा होने से पैरों की नसों में वापिस लौटने लगता है। इससे टिशूज़ में तरल पदार्थ का निर्माण होने लगता है। हार्ट डिजीज से ग्रस्त होने पर पैरों के अलावा पेट में भी सूजन हो सकती है, जिससे वेटगेन का सामना पड़ता है।

5. खांसी का बढ़ना

जब हृदय ब्लड को पूरी तरह से पंप नहीं कर पाता है, तो ऐसे में बॉडी में खासतौर से फेफड़ों में फ्लूइड बनने लगता है, जो म्यूकस की शक्ल में शरीर से बाहर निकलता है। इस तरह के म्यूकस का रंग गहरा होता है। इसके चलते बार-बार खांसी का सामना करना पड़ता है।

हार्ट ब्लॉकेज से बचने के लिए इन सुझावों का करें पालन

1. स्वस्थ आहार लें

आहार में विटामिन, मिनरल और फाइबर की भरपूर मात्रा लें। इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा नट्स और सीड्स का सेवन भी फायदा पहुंचाते हैं। साथ ही मछली का सेवन करने से शरीर को ओमेगा-3 फैटी एसिड की प्राप्ति होती है। इससे ब्लॉकेज को रेगुलेट किया जा सकता है।

2. स्मोकिंग करने से बचें

नियमित रूप से स्मोकिंग करने से ब्लड वेसल्स डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है और प्लाक बिल्डअप होने लगता है। ऐसे में शरीर में ब्लड का प्रवाह प्रभावित होता है। हृदय रोगों से बचने के लिए स्मोकिंग से दूरी बनाकर रखें।

3. रेगुलर एक्सरसाइज़ करें

किसी फिटनेस एक्सपर्ट की मदद से हृदय रोगों से बचने के लिए व्यायाम के अलावा मेडिटेशन करें। इससे शरीर में बढ़ने वाले तनाव और वसा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। दिनभर में कुछ देर वॉक करने से शरीर को फायदा मिलता है और ब्लॉकेज से राहत मिलती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

If you get such signs, then understand that heart problems have started

देश में हार्ट अटैक (Heart Attack) के केस में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। पिछले कुछ समय में आए दिन एक के बाद एक कई जानीमानी हस्तियों को दिल का दौरा पड़ने की खबरें आई थी जिसमें कई लोगों ने अपनी जान भी गंवा दी। दिल का मर्ज और उससे होने वाली मौत ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया। और सबसे अहम बात यह है कि हार्ट अटैक की कई घटनाओं में जान गंवाने वाले लोग यंग और पूरी तरह स्वस्थ्य थे। हार्ट अटैक रोकने के लिए सबसे आवश्यक है कि हमें पता होना चाहिए कि हमारे दिल की नसों में कोई मेजर रुकावटें आ रही हैं।

दिल की धमनियां आपके शरीर की प्रमुख रक्त वाहिकाएं हैं जो आपके दिल तक ब्लड की आपूर्ति करती हैं। अगर इनमें कुछ गड़बड़ी होती है या इनमें किसी वजह से ब्लॉकेज आ जाता है तो यह अमुमन आपको हार्ट अटैक के कई चेतावनी संकेत देती हैं।

जानें इस चेतावनी के बारे में

दिल की नसें ब्लॉक होने पर आपको सीने में भारीपन हो सकता है। थोड़ी सी मेहनत करने पर भी आप हांफने लगते हैं या आपको सीने में दर्द, घुटन, बेचैनी और अस्वस्थ महसूस होता है, तो यह हार्ट अटैक आने के लक्षण हो सकते हैं। थकान, सांस फूलना, दिल की धड़कन का अचानक तेज हो जाना भी हार्ट अटैक आने का संकेत है जो आपकी धमनियां आपको दे रही हैं।अलावा इसके दिल के रोग, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को सीने में होने वाला दर्द या दबाव हार्ट अटैक की निशानी हो सकता है।

हार्ट में गड़बड़ी के संकेत मिलने पर जरूरी अहतियात

If you get such signs, then understand that heart problems have started

अगर किसी मरीज को ये लक्षण महसूस होते हैं तो उन्हें तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट यानी दिल के डॉक्टर को दिखाना चाहिए। खासकर अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी बीमारियों की फैमिली हिस्ट्री है तो आपको अपने दिल का कंप्लीट चेकअप करवाना चाहिए।

क्या है इलाज?

ऐसे मरीज जिन्हें 70 फीसदी से कम ब्लॉकेज है, उनका इलाज दवाओं से हो जाता है। लक्षणों के साथ 75 फीसदी से अधिक ब्लॉकेज वाले रोगियों का इलाज या तो एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी के जरिए किया जाता है।

दिल को कैसे रखें हेल्दी

  • तंबाकू का सेवन करें बंद।
  • शराब से करें परहेज
  • ताजा फूड खाएं और नमक, फैट और चीनी से बनें खाद्य पदार्थों से बचें। मिठाई, जंक फूड और स्ट्रीट फूड से दूर रहना जरूरी।
  • वजन नियंत्रित रखें।
  • नियमित तौर पर व्यायाम करें।
  • स्वस्थ और फिट रहने के लिए आप सप्ताह में कम से कम 5 दिन 35-45 मिनट की ब्रिस्क वॉक कर सकते हैं।
  • डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों को काबू में रखें जिसके लिए इनकी नियमित जांच करानी चाहिए।
  • तनाव से रहे दूर।
  • हर दिन कम से कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें।
WHO warning: Long working hours increase the risk of heart disease and heart attack

Omega 3 Fatty Acid अच्छे स्वास्थ्य के लिए: शरीर को हेल्दी रहने के लिए विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों का सेवन जरूरी होता है। अगर आप अपने आहार पर ध्यान नहीं दे रहे हैं तो शरीर में कई तरह की कमी हो सकती है और परेशान करने वाले लक्षण हो सकते हैं। ऐसी ही एक समस्या है ओमेगा- 3 की कमी, ब्ल्ड के धक्के जमने के साथ-साथ हार्मोन बनाने के लिए शरीर द्वारा ओमेगा-3 फैटी एसिड की जरूरत होती है। ओमेगा- 3 में पाए जाने वाले ईपीए और डीएचए आपकी स्किन के स्वास्थ्य और आंखों की रोशनी में भी मदद करते हैं।
यहां कुछ संकेत दिए गए हैं जो शरीर में ओमेगा- 3 की कमी के साइन दे सकते हैं-

नाखून टूटना और रूखी त्वचा इसके संकेत हो सकते हैं

आपकी त्वचा, बालों और नाखूनों को दुरुस्त रखने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की आवश्यकता पड़ती है। इस स्वस्थ वसा की कमी से शुष्क त्वचा के साथ-साथ त्वचा पर चकत्ते भी हो सकते हैं। सूखे, टूटे और कमजोर नाखून भी ओमेगा-3 की कमी के लक्षण हो सकते हैं। आपके नाखून और सूजन को कम करने के लिए ओमेगा -3 फैटी एसिड जरूरी हैं। ओमेगा-3 वसा आपके बालों को पोषण देने और घने बालों को सहारा देने के लिए आवश्यक हैं। इसलिए कमी से त्वचा की कोशिकाओं और बालों के रोम के कुपोषित होने के कारण बालों का झड़ना हो सकता है। इस कमी के अन्य सामान्य लक्षणों में नींद में कमी और थकान शामिल हैं।

Heart Disease और Heart Attack का होता है खतरा

लॉन्ग-चेन ओमेगा-3 फैटी एसिड आपके दिल को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक ओमेगा-3 की कमी से हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड आपके शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में भी मदद करता है, जिसके उच्च स्तर आपको हृदय रोग और स्ट्रोक के खतरे में डाल सकते हैं। शरीर में ओमेगा -3 फैटी एसिड की खपत बढ़ाने के लिए आप कुछ खाद्य पदार्थ खा सकते हैं जिनमें शामिल हैं: वनस्पति तेल, अलसी के बीज, भांग के बीज, चिया के बीज, पालक और अखरोट, समुद्री भोजन भी एक बड़ा स्रोत है जिसमें तैलीय मछली जैसे सामन, सार्डिन, हेरिंग और एंकोवी शामिल हैं।

अगर आपमें कमी है तो क्या करें?

अगर आपको लगता है कि आपको ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी हो सकती है तो डॉक्टर से सलाह लें। अपने आहार में ओमेगा-3 से भरपूर तत्वों की मात्रा बढ़ाने से कमी के लक्षण कम हो सकते हैं। अगर आप ओमेगा-3 सप्लीमेंट लेने की योजना बना रहे हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें.

KK lost his life due to non-functioning of heart, post-mortem report cleared

लोकप्रिय और हर दिल अजीज गायक KK की मौत दिल के सही तरीके से काम ना करने के कारण हुई थी। इस बात का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ। ऐसे हालत को मेडिकल की भाषा में ‘मायोकार्डियल इनफार्कसन’ के नाम से जाना जाता है। मीडिया खबरों के अनुसार पोस्टमार्टम में मौत से कुछ वक्त पहले केके का दिल ब्लड को पर्याप्त मात्रा में पंप नहीं कर पा रहा था, जिसकी वजह से शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रहा था।

पर्याप्त बल्ड पंप नहीं कर पाने के कारण केके को पहले से दिल संबंधी समस्याएं थीं। उनकी धमनियों में पीली-सफेज पट्टिया या वसा जम गई थी। कोलेस्ट्राल जमने की वजह से पोस्टेरियर इंटरवेंट्रिकुलर धमनी का खतरनाक रूप से संकुचन हुआ था। बाईं कोरोनरी धमनी के कई हिस्सों में एथेरोस्क्लेरोसिस या फैट्स जमा होने के कारण रुकावट देखा गया। न्यू मार्केट थाने की पुलिस ने अस्वाभाविक मौत का केस दर्ज किया था, हालांकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। खबर है कि केके को लंबे वक्त से गैस की समस्या थी। वह अक्सर इसकी मेडिसीन लिया करते थे। 30 मई को उन्होंने अपनी पत्नी से फोन पर बात की थी और उन्हें अपने कंधे और हाथ में दर्द होने की बात बताई थी।

वहीं, दूसरी तरफ कोलकाता पुलिस ने नजरुल मंच में केके की जिंदगी के आखिरी कंसर्ट के दौरान दिखी अव्यवस्था के मद्देनजर कॉलेज के रंगारंग प्रोग्राम के आयोजन पर अतिरिक्त शर्ते लागू करने का फैसला किया है। एक पुलिस अफसर ने कहा कि पहली और प्राथमिक शर्त ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के समय ऑडिटोरियम परिसर में कम से कम एक एबुंलेंस और एक्सपर्ट डॉक्टर की व्यवस्था करने की होगी ताकि अचानक बीमार पड़े व्यक्ति को फौरन पास के अस्पताल भेजा जा सके।

दूसरी शर्त यह है- ऑडिटोरियम के अंदर व बाहर पंजीकृत सुरक्षा एजेंसी के सुरक्षाकर्मियों की तैनाती करनी होगी। देखा जाता है कि छात्र संघ भीड़ को संभालने का जिम्मा कॉलेज के ही छात्रों को वोलेंटियर बनाकर सौंपता है। उन लोगों को भीड़ संभालने का कोई प्रशिक्षण मिला नहीं होता है।

तीसरी शर्त यह होगी- कार्यक्रम का आयोजन करने वाले छात्र संघ को पुलिस को यह सूचित करना होगा कि वे किस कलाकार को ला रहे हैं और उनके साथ कितने लोग होंगे। चौथी व आखिरी शर्त यह है कि कार्यक्रम के आयोजकों को लिखित तौर पर यह बताना होगा कि कार्यक्रम के लिए फ्री पास होंगे या उसके लिए भुगतान करना होगा। आयोजकों को बांटे जाने वाले पास की संख्या भी बतानी होगी।

फोटो सौजन्य- गूगल

WHO warning: Long working hours increase the risk of heart disease and heart attack

भारत में युवाओं में हार्ट अटैक के केस लगातार बढ़ रहे हैं। जिसके पीछे निष्क्रिय जीवनशैली ,शराब, जंक फूड का सेवन माना जा रहा है। धूम्रपान की वजह से हृदय की मांसपेशियां वक्त के साथ सख्त हो जाती है। इसके कारण यह खून को पंप करने में असमर्थ हो जाती है, जिससे बॉडी के अहम अंगों में OXYGEN और पोषक तत्वों की मात्रा सीमित हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक लंबे समय तक काम से ह्दय रोग और स्ट्रोक से होने वाली मौतें बढ़ रही हैं। जिसे देखते हुए हमें वक्त रहते सतर्क होने की जरूरत है।

विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड- 19 महामारी की शुरुआत के बाद से दुनिया भर में ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे हैं। यह उपाय वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने में सहयोग करने के लिए महत्वपूर्ण रहा है पर इसके कुछ बैड इफेक्ट भी हैं।

इस महामारी में यह एक अहम मुद्दा बन गया है क्योंकि घर से काम करने से लोगों को अपने कंप्यूटर स्क्रीन के सामने लंबे समय तक बैठे रहना पड़ता है। इससे ना सिर्फ काम के घंटे ज्यादा लंबे हो जाते हैं बल्कि काम पर तनाव तेजी से बढ़ रही है। काम के लिए अधिक वक्त अक्सर स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। काम के लिए विश्व स्तर पर एक दूसरे से जुड़े लोग निर्धारित समय के बाद भी घंटों काम में बिजी रहते हैं। यह सब बॉडी में नुकसानदेह एक्टिविटी को बढ़ावा देता है। मालूम हो कि कामों का ज्यादा प्रेशर कई तरह की अन्य बीमारियां भी साथ लाता है।

डॉक्टरों का मानना है कि गतिहीन जीवन शैली, हाई ब्लड प्रेशर, बढ़ता तनाव, हाई कॉलेस्ट्रोल, तंबाकू का सेवन, डाईबिटीज और प्रदुषण भारत में ज्यादा से ज्यादा लोगों को हृदय रोगों की चपेट में ले रहा है। तनाव परीक्षण, कोरोनरी कैल्सीफिकेशन या सीटी, एडवांस्ड लिपिड का टेस्ट सीआरपी आदि जांचों की मदद से हार्ट अटैक होने की पता लग सकता है। लोगों को अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए तीन नियम-

  • 30-40 मिनट दैनिक व्यायाम,
  • बैलेंस आहार
  • सकारात्मक मानसिकता का पालन

World Heart Day हर साल 29 सिंतबर को मनाया जाता है, जिसका मकसद हार्ट रोगों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा और ह्दय रोगों को नियंत्रित करना है। लेकिन हार्ट की बीमारी (CVD) विश्व स्तर पर मृत्यु का सबसे आम वजह बन चुकी है। साल 2016 में सीवीडी से अनुमानित 1.79 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई जो विश्व स्तर पर हुई कुल मौतों का 31 फीसदी था और इनमें से 85 फीसदी मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक की वजह से हुईं।