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The in-laws' bets got stuck in the screw... Papa's angel

अभी पिछले हफ्ते ही अपनी एक दोस्त से मिली, बहुत खुश हुई वो मुझसे मिलकर लेकिन उसके गोरे गालों पर जो लाली हुआ करती थी, उसकी आखों में जो भविष्य को लेकर उम्मीदें और चमक हुआ करती थी। उसकी आवाज में जो खनक हुआ करती थी वो आज कहीं गुम सी थी। बहुत टटोला मैंने उसे, बहुत पूछने की कोशिश कि लेकिन एक ही ज़वाब था कि “मैं बिल्कुल ठीक हूं”। फिर जब मैंने कड़ाई से पूछा तो रो पड़ी और रूंधे गले से बताया कि ससुराल के दांव-पेंच में फंसी है । मैंने पूछा कि “मतलब”, तो बोली कि यार एक गरीब बाप की बेटी हूं ये सब तो होगा ही… बस फिर मैं सारा माजरा समझ गई और शायद आप लोग भी समझ गए होंगे।

दोस्तों, आज भी हमारे बीच ऐसे बहुत से लोग है जो एक गरीब इंसान को इंसानों की तरह नहीं बल्कि जानवरों की तरह समझते है। अगर घर में एक बहु ज्यादा धन लेकर आ जाए और दूसरी ना लाए तो ये शायद वही जान सकती है कि उसपर क्या बीत रही होती है। उसके साथ हर बात में फर्क किया जाता है। कई बार तो उसके अस्तित्व को ही सिरे से नकार दिया जाता है। कई बार इन्हीं सब परिस्थितियों से हार कर ये गरीब परिवार की बेटियां या तो खुद ही सोसाइड कर लेती है या फिर ससुराल वाले मौत के घाट उतार देते है।
तो आज मैं आपके लिए उस गरीब बाप की बेटी का दर्द कुछ पंक्तियों में व्यक्त करना चाहूंगी लेकिन उससे पहले मैं कहना चाहूंगी कि बेटियां सबकी एक जैसी होती हैं चाहे वो गरीब की हो या अमीर की तो जीतना हो सके उनको प्यार दे, सम्मान दे, उन्हें बहू नहीं बेटी बनाकर रखें, आखिरकार वो वही शख्स होती है जो परिवार के वंश को आगे ले जाती है। वो जिंदगी के हर दर्द में भी मुस्कुरा रही होती है।
इन पंक्तियों के माध्यम से समझने की कोशिश कीजिएगा:
कोई बोल ले अगर प्यार से तो पल में पिगल जाती हूं, इन ऊंचे लोगों की महफिल में, मैं किसी कोने में नजर आती हूं,
किसी के बेवजह कुछ कहने पर भी ना जाने क्यों अपनी चुप्पी नहीं तोड़ पाती हूं,
हां, मैं वही गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
लोग कहते हैं जमाने के साथ बदलो लेकिन मैं आज भी सूट पर वही छोटी सी बिंदी लगती हूं,
अपना सा जानकर लोगों पर मैं फिर भरोसा कर जाती हूं,
फिर टूटती हूं थोड़ा, फिर थोड़ा संभल जाती हूं,
हां, मैं वही गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
लोग मेरा होना नकार देते है, और मैं फिर भी सह जाती हूं,
सब को सब नया मिलता है यहां, और मैं हमेशा बचा हुआ ही पाती हूं,
कोई गलत होकर भी सही है यहां, और मैं सही होकर भी बहुत बुरी हो जाती हूं,
क्योंकि हां, मैं वहीं गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
मां ने कहा था कि वहां सब अपने है तेरे लेकिन यहां तो मैं अपनेपन को तरस जाती हूं,
कितनी ही कोशिश कर लूं, दिलों में जगह कहां बना पाती हूं,
“गाड़ी लेकर भी आई ” हमारा घर नहीं भरा” उनके अनकहे शब्दों में अक्सर मैं यही सुन पाती हूं
हां, मैं वही गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
कभी कभी सोचती हूं कि खुद को खत्म कर लूं, लेकिन फिर मैं थोड़ा रुक जाती हूं,
मां-पापा की तस्वीर को फिर में कस के गले लगाती हूं,
हां, पापा संस्कारी हूं, पर कमज़ोर नहीं हूं मैं,
इस दुनिया से निपटना भी मैं अच्छे से जानती हूं,
यहां संस्कारों की कोई अहमियत नहीं हैं पापा, इन्हें तो दिखावा चाहिए जो मैं कर नहीं पाती हूं,
इनकी इस दिखावटी दुनिया को मैं, फिर सिरे से नकारती हूं,
इसलिए सब के लिए मैं बुरी हूं पापा,
लेकिन जानती हूं कि आज भी आपके लिए मैं आपकी परी हूं पापा।
ये जिंदगी के अंधेरे है, ये सबको काटने होते है ,
इसलिए समझाकर दिल को अपनी लड़ाई अब मैं खुद ही लड़ती हूं,
सपने देखने लगी हूं खुद के लिए लेकिन किसी से कोई उम्मीद नहीं करती हूं,
और हां पापा मैं गर्व से कहती हूं कि हां, मैं वही गरीब बाप की एक संस्कारी बेटी हूं।
Nine days festival, worshiping different forms of Maa every day..

अक्टूबर का महीना अपने साथ साथ वो मनमोहक कपूर की खुशबू भी लेकर आया है जो न सिर्फ हमारे घरों को पवित्र करती है, बल्कि घरों के साथ साथ हमारे मन को भी पाक कर देती है। आप बिलकुल सही समझे है, हम बात कर रहे है हिंदुओं के पवित्र त्योहार नवरात्रि कि। हम सब जानते है नवरात्रि हिंदुओं के पवित्र और मुख्य त्योहारों में से एक है। वैसे तो नवरात्रि पूरे साल में चार बार आते है लेकिन शुक्ल पक्ष के नवरात्रि अपने आप में खास है।

ये नौ दिनों का त्योहार है, जिसमें हर दिन मां आदि शक्ति के अलग अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। जी हां, 9 स्वरूपों का अपना अलग ही महत्व है।

तो चलिए और ज्यादा वक्त न लेते हुए हम आपको मां के और करीब ले जाते है और आपको बताते है मां के प्रथम स्वरूप मां शैल पुत्री के बारे में और इसी तरह हम आगे भी आपको इनके 9 स्वरूपों की चर्चा करते रहेंगे और मां की भक्ति और शक्ति की श्रद्धा भाव से स्तुति करेंगे।

तो सबसे पहले हम मां शैल पुत्री के बारे में आपको कुछ मुख्य बातें बताते है-

नवरात्रि का आरंभ मां शैल पुत्री की पूजा अर्चना से शुरू होता है।
मां शैलपुत्री को राजा हिमालय की बेटी भी माना जाता है। इनको मां सती और मां पार्वती का ही स्वरूप कहा जाता है। मां शैलपुत्री नंदी नमक बैल की सवारी करती है।इनके माथे पर चंद्रमा सुशोभित है, तथा इनके हाथों में कमल का फूल होता है।
मां शैलपुत्री को सफेद रंग बहुत पसंद है।
इनकी पूजा में भी सफेद रंग के फूल और सफेद रंग की मिठाई चढ़ाई जाती है। इनकी पूजा करते समय पीले वस्त्र धारण किए जाते है।

तो चलिए अब जानते है की मां शैलपुत्री को कैसे प्रसन्न करे-

मां शैलपुत्री भक्तों को उनकी भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न होकर मन मुताबिक फल प्रदान करने वाली है।

तो नीचे दिए गए कुछ नियमो का पालन कर आप भी मां से अपनी मुराद मांग सकते है:

1. प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
2. मिट्टी से मां की वेदी बनाएं।
3. मां की वेदी बनाकर उसमें गेहूं और जौ मिलाकर बोएं।
4. कलश स्थापना करें।
5. इसके बाद सर्व प्रथम गणेश की पूजा करें।
6. मां शैल पुत्री की विधिवत पूजा करें।
7. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

तो आज के लिए बस इतना ही अगले लेख में करेंगे मां के अगले स्वरूप की चर्चा।
तब तक आप लोग मां की भक्ति में लीन रहें, मां जरूर सबकी मनोकामना पूरी करेंगी।