अभी पिछले हफ्ते ही अपनी एक दोस्त से मिली, बहुत खुश हुई वो मुझसे मिलकर लेकिन उसके गोरे गालों पर जो लाली हुआ करती थी, उसकी आखों में जो भविष्य को लेकर उम्मीदें और चमक हुआ करती थी। उसकी आवाज में जो खनक हुआ करती थी वो आज कहीं गुम सी थी। बहुत टटोला मैंने उसे, बहुत पूछने की कोशिश कि लेकिन एक ही ज़वाब था कि “मैं बिल्कुल ठीक हूं”। फिर जब मैंने कड़ाई से पूछा तो रो पड़ी और रूंधे गले से बताया कि ससुराल के दांव-पेंच में फंसी है । मैंने पूछा कि “मतलब”, तो बोली कि यार एक गरीब बाप की बेटी हूं ये सब तो होगा ही… बस फिर मैं सारा माजरा समझ गई और शायद आप लोग भी समझ गए होंगे।
अक्टूबर का महीना अपने साथ साथ वो मनमोहक कपूर की खुशबू भी लेकर आया है जो न सिर्फ हमारे घरों को पवित्र करती है, बल्कि घरों के साथ साथ हमारे मन को भी पाक कर देती है। आप बिलकुल सही समझे है, हम बात कर रहे है हिंदुओं के पवित्र त्योहार नवरात्रि कि। हम सब जानते है नवरात्रि हिंदुओं के पवित्र और मुख्य त्योहारों में से एक है। वैसे तो नवरात्रि पूरे साल में चार बार आते है लेकिन शुक्ल पक्ष के नवरात्रि अपने आप में खास है।
ये नौ दिनों का त्योहार है, जिसमें हर दिन मां आदि शक्ति के अलग अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। जी हां, 9 स्वरूपों का अपना अलग ही महत्व है।
तो चलिए और ज्यादा वक्त न लेते हुए हम आपको मां के और करीब ले जाते है और आपको बताते है मां के प्रथम स्वरूप मां शैल पुत्री के बारे में और इसी तरह हम आगे भी आपको इनके 9 स्वरूपों की चर्चा करते रहेंगे और मां की भक्ति और शक्ति की श्रद्धा भाव से स्तुति करेंगे।
तो सबसे पहले हम मां शैल पुत्री के बारे में आपको कुछ मुख्य बातें बताते है-
नवरात्रि का आरंभ मां शैल पुत्री की पूजा अर्चना से शुरू होता है।
मां शैलपुत्री को राजा हिमालय की बेटी भी माना जाता है। इनको मां सती और मां पार्वती का ही स्वरूप कहा जाता है। मां शैलपुत्री नंदी नमक बैल की सवारी करती है।इनके माथे पर चंद्रमा सुशोभित है, तथा इनके हाथों में कमल का फूल होता है।
मां शैलपुत्री को सफेद रंग बहुत पसंद है।
इनकी पूजा में भी सफेद रंग के फूल और सफेद रंग की मिठाई चढ़ाई जाती है। इनकी पूजा करते समय पीले वस्त्र धारण किए जाते है।
तो चलिए अब जानते है की मां शैलपुत्री को कैसे प्रसन्न करे-
मां शैलपुत्री भक्तों को उनकी भक्ति और श्रद्धा से प्रसन्न होकर मन मुताबिक फल प्रदान करने वाली है।
तो नीचे दिए गए कुछ नियमो का पालन कर आप भी मां से अपनी मुराद मांग सकते है:
1. प्रात: काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र पहनने चाहिए।
2. मिट्टी से मां की वेदी बनाएं।
3. मां की वेदी बनाकर उसमें गेहूं और जौ मिलाकर बोएं।
4. कलश स्थापना करें।
5. इसके बाद सर्व प्रथम गणेश की पूजा करें।
6. मां शैल पुत्री की विधिवत पूजा करें।
7. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
तो आज के लिए बस इतना ही अगले लेख में करेंगे मां के अगले स्वरूप की चर्चा।
तब तक आप लोग मां की भक्ति में लीन रहें, मां जरूर सबकी मनोकामना पूरी करेंगी।