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Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

Sleep Separation: आजकल शादीशुदा जिंदगी में एक ‘आदत’ काफी तेजी से फैल रहा है वो है स्लीप सेपरेशन या स्लीप डाईवोर्स। हम जानते है कि शादी के बाद कपल्स कई दिनों तक एक-दूसरे के साथ हर जगह स्पेस साझा करते हैं फिर चाहे वो बेड हो, किचन हो या आउट डोर। अगर वो अचानक एक दिन अपने बेडरूम अलग करने लगते हैं और ‘मी टाइम’ की तलाश में रहते हैं जिसे स्लीप सेपरेशन या स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है। सुकून की नींद, आराम और पर्सनल स्पेस के लिए बहुत सारे लोग इस फॉर्मूला को अपना रहे हैं। इस स्थिति में दोनों पार्टनर अलग-अलग कमरों में सोते हैं। जिन लोगों को देर रात तक काम करना होता है, वे लोग भी पार्टनर की सहुलियत के लिए ऐसा करना चुनते हैं। लेकिन इसके सिर्फ फायदे ही नहीं हैं, कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। जिसका पता आपको काफी देर से लगता है।

पहले जानें स्लीप डाइवोर्स है क्या?

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

जब दो लोग किन्हीं कारणों से अपने बेडरूम अलग अलग कर लें, तो उस परिस्थिति को स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है। कोई लाइट जलाकर सोना चाहता है, तो कोई देर तक काम करने का आदी है। ऐसे में दूसरा व्यक्ति हर बार अपनी नींद से समझौता करने लगता है। पर लंबे वक्त इस समस्या से दो चार होने के बाद अक्सर पार्टनर नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अलग सोने का फैसला करते हैं। अब वे अपने लिए अलग बेडरूम की तलाश करते हैं, जिसे स्लीप डाइवोर्स कहा जाता है।

वहीं, इंटरनेशनल हाउसवेयर एसोसिएशन के मुताबिक शादी या रिलेशन के कुछ सालों बाद हर 05 में से 01 कपल अलग-अलग सोने लगता है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार एक तिहाई लोग घर खरीदने से पहले दोहरे मास्टर बेडरूम की तलाश करते हैं। अलग-अलग सोना कुछ समय के लिए तो फायदेमंद है लेकिन लंबे वक्त तक अगर इसी रूटीन को फॉलो किया जाए, तो इसका खामियाजा आपके रिश्तों को उठाना पड़ सकता है।

आखिर क्यों बढ़ने लगे हैं स्लीप डाइवोर्स के केस

इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि नींद हमारे मानसिक स्वास्थ्य की बुनियाद है। नींद की गुणवत्ता में सुधार लाने से व्यक्ति तनाव, चिंता और डिप्रेशन से बचा रहता है। अगर आप पूरी नींद लेते हैं, तो उससे पार्टनर के साथ व्यवहार में भी बदलाव आने लगता है। न केवल कम्यूनिकेशन बेहतर होने लगता है बल्कि व्यक्ति को पर्सनल स्पेस मिलने लगता है। मगर कहीं न कहीं इससे रिलेशनशिप में चेंजिज़ आने लगते हैं। जहां सेक्सुअल लाइफ पर विराम लग जाता है, तो वहीं इमोशनल कनेक्शन लॉस होने लगता है। व्यक्ति इनसिक्योर फील करने लगता है।

जानें स्लीप डाइवोर्स के साइड इफे्क्टस

1 आपस में इमोशनल कनेक्शन का लॉस होना

Sleep Separation: Separation of bedroom for a long time causes distance in relationships

बढ़िया नींद पाने के लिए स्‍लीप डिवोर्स इन दिनों खूब ट्रेंड में हैं लेकिन दिनभर की दौड़भाग के बाद व्यक्ति अपने पार्टनर से अपनी दिनचर्या को साझा करता है और अपने अनुभव भी शेयर करता है। अकेले सोने से व्यक्ति उन सभी चीजों से वंचित रह जाता है। दरअसल, आपको सुनने वाला व्यक्ति आपके आसपास नहीं रहता है। इससे दो लोगों के मध्य बनने वाला इमोशनल कनेक्शन लॉस होने लगता है।

2 रिश्तों में इंटिमेसी की कमी

टचिंग, किसिंग, कडलिंग और स्पूनिंग पार्टनर के साथ रिश्ते को मज़बूत बनाते हैं। सेपरेट स्लीप के दौरान व्यक्ति पहले पहल पार्टनर को मिस करने लगता है और फिर उसी रूटीन को फॉलो करने लगता है। इससे सेक्सुअल लाइफ प्रभावित होती है, जिससे कुछ लोग तनाव का सामना करने लगते हैं।

3 अकेलेपन में इजाफा

स्लीप क्वालिटी को बढ़ाने के लिए अक्सर कपल्स स्लीप डाइवोर्स को अपनाते हैं। मगर दूर दूर सोने से व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करने लगता है। इससे संबधों में दूरियां बढ़ने लगती है और ये मिसअंडरस्टैंडिग का कारण भी बन जाता है। दरअसल, स्लीप डाइवोर्स में लोग खुद को इनसिक्योर समझने लगते हैं।

4 टूट भी सकता है रिश्ता

कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो जोड़े एक साथ बिस्तर शेयर करते हैं, उनमें मनमुटाव या विवाद के सुलझने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। जबकि अलग-अलग सोने वाले जोड़े एक ही मुद्दे पर लंबे समय तक झगड़ते रह सकते हैं। ऐसे में रिश्ता टूटने या किसी एक या दोनों के कहीं ओर स्पेस तलाशने का जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है।

अच्छी नींद और कम्फर्ट के लिए अलग सो रहे हैं, तो इन बातों का रखें खास ध्यान

  • एक साथ समय कब बिताना है, इस बारे में जरूर बात करें और उस रुटीन को फॉलो करें।
  • मी टाइम के साथ-साथ वी टाइम के महत्व को समझते हुए उसे साथ बिताने के बारे में भी प्लान करें। इससे साथ का अहसास बना रहता है।
  • वीकेण्ड पर स्लीप डाइवोर्स से ब्रेक लें। इससे रिश्तों में संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है और फिज़िकल इंटिमेसी बनी रहती है।
  • अलग-अलग कमरों में सोते हैं और किसी मसले पर विवाद है, तो उस पर बात करने का समय निकालें। उसे जल्द से जल्द सुलझाने का प्रयास करें।
  • गैजेट्स को बेडरूम से बाहर रखें। यह आपकी नींद और रिश्ते दोनों के लिए ही अच्छा है।
If you don't want to invite diseases then stop using sodium immediately

Sodium: शरीर को हेल्दी रखने के लिए संतुलित आहार का होना अहम है। इसके लिए सभी न्यूट्रिएंट्स का होना जरूरी है। किसी भी एक न्यूट्रिएंट की कमी या ज्यादा कई तरह के स्वास्थ्य प्रोब्लम्स को आमंत्रित करता है। ऐसा ही एक पोषक तत्व सोडियम है। सोडियम का इजाफा कई बीमारियों की वजह बन सकती है। यह हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसलिए हमें इसके इस्तेमाल पर पूरा ध्यान देन की जरूरत है।

कितना सोडियम हेल्द के लिए ठीक है, डॉक्टर से यह सलाह आवश्य लें-

  • 14 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्ति : प्रतिदिन 2,300 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 9 से 13 साल की आयु के बच्चे:                     प्रतिदिन 1,800 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 4 से 8 साल की आयु के बच्चे:                      प्रतिदिन 1,500 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं
  • 1 से 3 साल की आयु के बच्चे:                       प्रतिदिन 1,200 मिलीग्राम से ज़्यादा नहीं

जानें भोजन में सोडियम को कम करने के तरीके

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1. कम सोडियम वाले भोजन

हम जो सोडियम खाते हैं, उसका ज़्यादातर हिस्सा हमारे नमक के डिब्बे से नहीं आता। सोडियम लगभग सभी प्रोसेस्ड और तैयार खाद्य पदार्थों में होता है, जिन्हें हम खरीदते हैं। यहां तक कि ऐसे खाद्य पदार्थ भी, जिनका स्वाद नमकीन नहीं होता, उनमें भी सोडियम मौजूद होता है। जैसे ब्रेड या टॉर्टिला।
जब आप खरीदारी कर रही हैं, तो इन खाद्य पदार्थों को सीमित करें। जिनमें सोडियम की मात्रा ज़्यादा होती है, उन्हें एवॉइड करें। प्रोसेस्ड मीट, सॉसेज, पेपरोनी, सॉस, ड्रेसिंग, इंस्टेंट फ्लेवर्ड फ़ूड, जैसे फ्लेवर्ड चावल और नूडल्स खरीदना कम कर कर दें। उनके स्थान पर लो सोडियम वाले खाद्य पदार्थों की तलाश करें।

2. लेबल की जांच करें

खाद्य पदार्थों में सोडियम की मात्रा की जांच करने और विभिन्न विकल्पों की तुलना करने के लिए न्यूट्रिशन फैक्ट लेबल का उपयोग करें।”कम सोडियम” या “नमक नहीं मिलाया गया” लेबल वाले खाद्य पदार्थों की तलाश करें।

ध्यान रखें कि कुछ सोडियम वाले खाद्य पदार्थों पर ये लेबल भी नहीं होते हैं। इसलिए सुनिश्चित करने के लिए न्यूट्रिशन फैक्ट लेबल की जांच करनी होगी। सोडियम की जांच करने के लिए पोषण तथ्य लेबल का उपयोग करना सीखें।

3. हेल्दी विकल्प चुनें

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अधिक सोडियम वाले खाद्य पदार्थों को स्वस्थ विकल्पों से बदलें। नमकीन प्रेट्ज़ेल या चिप्स की बजाय बिना नमक वाले नट्स खाएं।
डेली मीट या सॉसेज खरीदने की बजाय ताज़ा चिकन, लीन मीट या सी फ़ूड पकाने का प्रयास करें। ताज़ी सब्जियां, सॉस के बिना फ्रोजेन सब्जी या कम सोडियम वाली डिब्बाबंद सब्जियां खाएं।

4. घर का खाना ज़्यादा खाएं

अपना भोजन खुद बनाना सोडियम कम खाने का एक बढ़िया तरीका है। आप अपने भोजन में क्या डालती हैं, इस पर आपका नियंत्रण होता है। खाना बनाते वक्त कुछ बातों को ध्यान में रख सकती हैं।

अगर कैन फ़ूड का उपयोग करती हैं, तो खाने या पकाने से पहले उन्हें धो लें। इससे नमक की कुछ मात्रा निकल जाएगी। ऐसे मसाले और स्प्रेड चुनें, जो बिना नमक वाले हों या जिनमें सोडियम कम हो। अगर आप नियमित स्प्रेड का उपयोग करती हैं, तो कम इस्तेमाल करें। अपने भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए नमक की जगह अदरक या लहसुन जैसी अलग-अलग हर्ब और मसाले काम में लाएं।

5. बाहर खाने पर लो सोडियम फूड का चुनाव

अगर किसी रेस्तरां में खाना खाने आई हैं, तो पूछें कि मेनू में कोई कम सोडियम वाला व्यंजन है या नहीं। जब आप ऑर्डर करें, तो उनसे बोले कि वे आपके खाने में नमक ना डालें। ड्रेसिंग और सॉस अलग से लें ताकि आप ज़रूरत के हिसाब से ही नमक डालें।

6. आहार में अधिक पोटैशियम शामिल करें

हाई सोडियम वाले खाद्य पदार्थों की जगह हाई पोटेशियम वाले खाद्य पदार्थ लें। पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ खाने से ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिल सकती है।

पोटैशियम के अच्छे स्रोतों में शामिल हैं-

आलू
खरबूजा
केला
बीन्स
दूध
दही

फोटो सौजन्य- गूगल

Surya Tilak

Surya Tilak: आयोध्या में रामलला विराजमान हो चुके हैं। जनवरी महीने से ही भक्तों का भीड़ उमड़ रही है। आयोध्या में राम मंदिर तैयार होने के बाद पहली बार श्री रामनवमी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर रामलला का सूर्याभिषेक किया गया। रामलला के माथे पर करीब 04 मिनट तक सूर्य की किरणें उन्हें चूमती रहीं। इस खास नजारे को देखकर हर कोई अचंभित था। देखा जाए तो वैज्ञानिक तरीके से उनका सूर्य तिलक किया गया। इस मौके पर करीब 10 वैज्ञानिकों की टीम मंदिर परिसर में मौजूद रही।

सूर्य की किरणें जैसे ही रामलला के माथे पर पड़ी तो उनकी मूर्ति रोशनी से जगमगा गई। यह सूर्य तिलक करीब 2 से 2.50 मिनट तक चला। भगवान राम का सूर्य तिलक करने के लिए आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों की टीम को शामिल किया गया था। इस भव्य, दिव्य और अलौकिक सूर्य तिलक का 100 एलईडी स्क्रीन से पूरे अयोध्या में लाइव टेलिकास्ट हुआ। इस अद्भुत नजारे का पूरा वीडियो सामने आया है।

रामलला का हुआ सूर्य तिलक

दरअसल, IIT की टीम ने दर्पण और लेंस से युक्त एक विशेष उपकरण बनाया है। ताकि सूर्य की किरणों को सीधे रामलला के माथे पर पड़ें। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सूर्य किरण को ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम के तहत इसे अंजाम दिया गया है। मंदिर की तीसरी मंजिल पर ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम स्थापित किया गया। फिर हाई क्वालिटी मिरर, एक लेंस और खास कोणों पर लगे लेंस के साथ वर्टिकल पाइपिंग लगाए गए। मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर दो मिरर और एक लेंस फिट किए गए। तीसरे फ्लोर पर जरूरी उपकरण लगाए गए। सूर्य की रोशनी तीसरे फ्लोर पर लगे पहले दर्पण पर गिरी। फिर तीन लेंस और दो अन्य मिरर से होते हुए सीधे ग्राउंड फ्लोर पर लगे आखिरी मिरर पर पड़ी। इससे रामलला की मूर्ति के मस्तक पर सूर्य किरणों का एक तिलक होने लगा।

वहीं, पाइप के भीतरी सतह को काले पाउडर से रंगा गया ताकि सूर्य की किरणें बिखरने ना पाएं। सूर्य की गर्मी को रोकने के लिए इन्फ्रारेड फिल्टर ग्लास का भी प्रयोग किया गया है। सूर्य अभिषेक के रामनवमी के दिन सफल बनाने के लिए इसका ट्रायल भी किया गया था।

क्योंकि भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे..

CSIR-CBRI रुड़की के वैज्ञानिक ने कहा कि हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है। उन्‍होंने कहा कि विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री रामनवमी की तिथि हर 19 साल में दोहरायी जाती है। बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीराम सूर्यवंशी थे, इसलिए उन्हें सूर्य तिलक किए जाने की परंपरा है।

Lemon: After knowing the benefits of lemon peels

Lemon: वैसे तो नींबू गर्मी के मौसम का बेहतरीन फूड माना जाता है। जानलेवा गर्मी में बस एक गिलास नींबू का शरबत यानी नींबू पानी काफी राहत भरा हो सकता है। इसमें पाये जाने वाला विटामिन- C आपकी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। लेकिन नींबू के प्रयोग के बाद अगर आप उसके छिलके फेंक देती हैं तो अब से ऐसा करना छोड़ दें।

गर्मी में बार-बार आने वाला पसीना, बदन की दुर्गंध और चिपचिपापन को बढ़ावा देता है। शरीर को तरोताजा बनाए रखने के लिए लेमन पील बॉडी वॉश काफी कारगर साबित होता है। असल में, नींबू का रस निकालने के बाद अक्सर लोग नींबू के छिलकों को कचरे के ढेर में फेंक देते हैं। विटामिन सी से भरपूर नींबू का रस स्वास्थ्य के लिए जितना फायदेमंद हैं, उतना ही इसका छिलका भी लाभदायक है। स्किन संबंधी प्रोब्लम्स को दूर करने के लिए नींबू के छिलकों से तैयार बॉडी स्क्रब स्किन को क्लीन और ताजगी से भरपूर रखता है। जानतें हैं कि कैसे करें नींबू के छिलकों से बॉडी स्क्रब तैयार और क्या है इसके फायदे-

कैसे रखते हैं नींबू के छिलके स्किन का ख्याल

Lemon: After knowing the benefits of lemon peels

नींबू के छिलकों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंटस पाए जाते हैं, जो स्किन को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से बचाने में मदद करते हैं। इसमें डी लिमोनीन और विटामिन C प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की स्टडी के मुताबिक इसमें मौजूद डी. लिमोनेन एंजाइम की गतिविधि को बढ़ाता है जो स्किन में ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस को कम करने में मदद करता है।

इससे एजिंग साइंस की समस्या रिवर्स होने लगती है और स्किन में लचीलापन बढ़ने लगता है। एंटी माइक्रोबियल और एंटी फंगल गुण भी पाए जाते हैं। इससे मुहांसों की समस्या हल होने लगती है।

जानते हैं लेमन पील स्क्रब के फायदे

1. टैनिंग से मुक्ति

गर्मी के मौसम में यूवी किरणों का प्रभाव बढ़ने से त्वचा पर टैनिंग की समस्या बढ़ने लगती है। इसके कारण पैरों, बाजूओं और गर्दन पर बढ़ने वाली टैनिंग से राहत मिल जाती है। इसके नियमित इस्तेमाल से स्किन हेल्दी बनी रहती है।

2. स्क्नि इंफेक्शन के खिलाफ कारगर

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार नींबू के छिलके में एंटी बैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। रिसर्च के अनुसार नींबू के छिलके के इस्तेमाल से एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया को बढ़ने से रोका जा सकता है। इसे इस्तेमाल करने से किसी भी तरह के रैशेज से राहत मिलती है।

3. एंटी एजिंग है नीबूं का छिलका

नींबू के छिलकों में पाई जाने वाली एंटीऑक्सीडेंटस की मात्रा स्किन में बढ़ने वाली फाइन लाइंस की समस्या हल होने लगती है। इसमें पाए जाने वाले एंजाइम्स से ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस से मुक्ति मिल जाती है। इससे स्किन में लचीलापन बना रहता है।

इस तरह तैयार करें बॉडी स्क्रब

Let us know why the skin becomes lifeless in summer and why does one feel tired

Step 1

सबसे पहले नींबू के छिलकों की पतली परत उतारकर उसे एक बाउल में डालकर रख दें और पल्प का अवॉइड करें।

Step 2

छिलकों को 02 से 03 दिन तक धूप में सुखा लें या फिर माइक्रोवेव को प्रीहीट करके उसमें रख दें। जब नींबू के छिलके सूख कर कुरकुरे हो जाएं, तब उन्हें पूरी तरह से क्रश कर दें और पाउडर की फॉर्म में लाने के लिए छिलकों को ग्राइंड कर लें।

Step 3

दरदरे पिसे हुए लेमन पील को बारीक पाउडर बनाने के लिए उसे छलनी की मदद से छान लें और बारीक पाउडर इकट्ठा कर लें। इस पाउडर को ढक्कन वाले कंटेनर में डालकर फ्रिज में रख दें। इससे उसका अरोमा और क्वालिटी उचित बनी रहेगी।

Step 4

जब आपको बॉडी स्क्रब करना हो, तब एक बाउल में 02 चम्मच पिसी हुई चीनी लेकर उसमें बराबर मात्रा में नींबू के छिलके का पाउडर मिला दें। इसके बाद इसमें 01 चम्मच नारियल का तेल और कुछ बूंद एसेशियल ऑयल की मिलाएं। इसके बाद 1/2 चम्मच शहद मिला लें।

Step 5

सभी चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करने के बाद नहाने से पहले बॉडी पर अप्लाई करें और कुछ देर तक लगे रहने दें। मिश्रण को कोहनियों, पैरों, बाजुओं और गर्दन पर अच्छी तरह से लगाएं। इससे टैनिंग की समस्या हल होने लगती है।

Step 6

05 से 07 मिनट तक लगे रहने के बाद सामान्य पानी से नहा लें। इससे स्किन मॉइश्चराइज़ रहती है।

can have a negative effect on your health

Magnesium: पूरे शरीर के लिए पोषक तत्व बेहद जरूरी होता है। ये पोषक तत्व विटामिन, मिनरल के रूप में मौजूद होते हैं। मिनरल के रूप में मैग्नीशियम हेल्थ के लिए अहम है। ये हमारे शरीर में दिल-दिमाग और दूसरे अंगों के लिए जरूरी होते हैं। अगर इसकी कमी हो जाती है तो कई तरह के स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है, साथ-साथ शरीर में इसकी मात्रा का इजाफा सही नहीं होता। इसलिए सही मात्रा में मैग्नीशियम का इस्तेमाल सबसे ज्यादा आवश्यक है।

सबसे पहले जाने मैग्नीशियम के बारे में-

जानकारी की कमी के कारण हम मैग्नीशियम के महत्व को समझ नहीं पाते हैं। 07 एसेंशियल मिनरल में से एक है मैग्नीशियम। यह शरीर के फंक्शन में मदद करता है और बेहतर हेल्थ बनाए रखने में अहम रोल निभाता है। मैग्नीशियम की कमी से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। मैग्नीशियम 300 से ज्यादा एंजाइम की एक्चिविटी में मौजूद होता है। यह हमारे शरीर में बायोलॉजिकल केमिकल एंजाइम्स को संतुलित करने में सहायता करता है।

यहां हैं मैग्नीशियम से पहुंचने वाले फायदे

1. दिल और दिमाग के लिए फायदेमंद

WHO warning: Long working hours increase the risk of heart disease and heart attack

हर्ट मसल्स सहित मैग्नीशियम नर्व और मसल्स फंक्शन को रेगुलेट करने में मदद करता है। मैग्नीशियम हृदय को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है। यह ब्लड प्रेशर को रेगुलेट करने और कोलेस्ट्रॉल प्रोडक्शन में शामिल होता है।

2. बोन हेल्थ के लिए है खास

स्केलेटल फंक्शन के लिए मैग्नीशियम जरूरी है। यह बोन स्ट्रक्चर (bone structure) और उम्र बढ़ने के साथ बोन डेंसिटी बनाये रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

3. ब्लड शुगर बैलेंस करने में मदद

यह एसिड और प्रोटीन के पाचन को बनाए रखता है और ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करता है।

4. अच्छी नींद में मददगार

good sleep

मैग्नीशियम कुछ न्यूरोट्रांसमीटर की गहराई तक जाकर आरामदेह नींद लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह नर्वस सिस्टम को शांत करता है और ब्रेन को आरामदायक स्थिति में लाने में मदद करता है।

5. स्ट्रेस का प्रबंधन

शरीर मेंस्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल लेवल को कम करने में मदद करता है जिससे कि स्ट्रेस लेवल मेंटेन रहता है।

शरीर को कितनी चाहिए मैग्नीशियम-

शरीर में मैग्नीशियम का उत्पादन नहीं होता है। इसलिए इसे बाहरी तत्वों से मिलना चाहिए। यह या तो खाये जाने वाले भोजन से मिलना चाहिए या सप्लीमेंट से।

  • 19-51 वर्ष की महिलाओं के लिए- 310-320 एलपीजी प्रति दिन
  • 19-51 वर्ष की आयु पुरुषों के लिए – 400-420 एलपीजी प्रति दिन
  • गर्भवती महिलाओं के लिए – 350-360 एलपीजी प्रति दिन
  • 51 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को अपने लिंग के अनुसार हाई सीमा का लक्ष्य रखना चाहिए

मैग्नीशियम लेवल के लिए खाद्य पदार्थ

ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जिनहीं भोजन में शामिल करने से ज्यादा मैग्नीशियम लेवल पाया जा सकता है। सबसे अधिक मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ में शामिल हैं:

ब्राज़ील नट्स – 250 मिली ग्राम आधा कप साबुत
पालक – 157 मिली ग्राम
कद्दू के बीज – 150 मिली ग्राम
ब्लैक बीन्स – 120 मिली ग्राम
बादाम – 80 मिली ग्राम
काजू – 72 मिली ग्राम

डार्क चॉकलेट – 64 मिली ग्राम
एवोकाडो – 58 मिली ग्राम
टोफू – 53 मिली ग्राम
सैल्मन – 53 मिली ग्राम
केला – 37 मिली ग्राम
रास्पबेरी/ब्लैकबेरी – 28 मिली ग्राम

ज्यादा मैग्नीशियम लेना है नुकसानदायक

बहुत ज्यादा मैग्नीशियम मतली, दस्त, उल्टी और पेट में ऐंठन की वजह बन सकता है। गंभीर मामलों में यह सांस लेने में परेशानी, तेज़ या अनियमित दिल की धड़कन, ट्रॉमा और कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। याद रखना जरूरी है कि ना सिर्फ मैग्नीशियम की कमी, बल्कि मैग्नीशियम की अधिक मात्रा भी शरीर के लिए हानिकारक है।

फोटो सौजन्य- गूगल

4 fitness exercises in your routine to burn armpit fat

Armpit Fat: गर्मी के मौसम में ज्यादातर लोग स्लीवलेस लिबास पहनना पसंद करते हैं लेकिन आर्मपिट पर नजर आने वाला फैट उनकी समस्या की वजह बनने लगता है। शरीर में जमा होने वाले कैलोरीज बाहों और आर्मपिट पर जमा फैट्स का कारण होते हैं। इससे राहत पाने के लिए लोग कई तरह की हाई इंटैंसिटी एक्सरसाइज करने लगते हैं। जानिए आर्मपिट फैट से जुड़ी समस्या के निदान के लिए कुछ जरूरी 4 एक्सरसाइज के बारे में-

इस बारे में जिम सर्टिफाइड फिटनेस ट्रेनर बताते हैं कि आर्मपिट में उम्र के साथ बढ़ने वाले फैटस और स्टिफनेस को दूर करने के लिए एक्सरसाइज़ बहुत ज़रूरी है। उम्र के साथ आर्मपिट के नज़दीक की स्किन लटकने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए दिनभर में जब भी समय मिले तो आर्म सर्कल और बाहों की स्ट्रेचिंग समेत कुछ आसान एक्सरसाइज़ से बाजूओं और बगल में बढ़ने वाले फैट्स को बर्न करने में काफी मदद मिलती है। साथ ही चेस्ट और कंधों के मसल्स को भी मज़बूती मिलती है।

जानें आर्मपिट फैट बर्न करने के लिए एक्सरसाइज़

आर्म सर्कल एक्सरसाइज

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बाहों पर जमी चर्बी को दूर करने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद फायदेमंद है। इससे बाहों की मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है और बाहों में बढ़ने वाला दर्द भी कम होने लगता है।

जानें कैसे करें-

इसके लिए बैड पर बैठ जाएं और दोनों टांगों को जमीन पर टिका लें। अब अपनी दोनों बाजूओं को कोहनी से मोड़ लें और बाजूओं को आगे से पीछे की ओर लेकर जाएं और राउंड शेप में घुमाएं। आर्म सर्कल को तीन सेट में 15 से 20 बार करें।

माउनटेन क्लाइंबर्स एक्सरसाइज

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बदन की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करने के लिए एक्सरसाइज़ बेहद आवश्यक है। इससे पेट की चर्बी के अलावा बाजूओं पर जमा फैट्स से भी मुक्ति मिल जाती है। नियमित तौर पर माउनटेन क्लाइंबर्स का एक्सरसाइज बाजूओं को मज़बूत बनाता है।

जानें कैसे करें-

इस एक्सरसाइज़ को करने के लिए मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं और दोनों बाजूओं को जमीन पर टिका लें। अब शरीर को ऊपर की ओर उठाएं और पैरों को सीधा कर लें। पैरों और बाजूओं के मध्य शोल्डर्स से अधिक दूरी बनाकर रखें। अब दाईं टांग को आगे करें और बाएं घुटने को मोड़ते हुए चेस्ट के पास लेकर आएं। फिर बाई टांग से भी आसन दोहराएं।

ऐसे करें पुश अप्स

कंधों और बाहों में बढ़ने वाली स्टिफनेस को दूर करने के लिए पुश अप्स बेहद फायदेमंद साबित होते हैं। इससे बाजूओं के दर्द से राहत मिलती है और अतिरिक्त चर्बी की समस्या भी दूर होने लगती है। इसके अनियमित अभ्यास से शरीर के पोश्चर में सुधार आने लगता है। रोज़ाना पुश अप्स एक्सरसाइज करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन नियमित बना रहता है।

जानें कैसे करें-

पेट के बल मैट पर लेट जाएं। अब दोनों हाथों को मज़बूती से जमीन पर टिका लें। इसके बाद पैरों को सीधा कर लें और दोनों बाजूओं को कंधे की चौड़ाई से ज्यादा फैलाएं। इससे पुश अप्स करने में आसानी होती है। पुश अप्स को दो सेट में 15 से 20 बार दिन में तीन बार दोहराएं। इससे बाजूओं और गर्दन पर बढ़ने वाली हंप की समस्या से राहत मिल जाती है।

जंपिग जैक्स एक्सरसाइज

शरीर की मांसपेशियों में बढ़ने वाली ऐंठन को दूर करने के लिए जंपिग जैक्स बेहद कारगर एक्सरसाइज़ है। इसे करने से कंधों, बाहों और टांगों में बढ़ने वाले फैट्स को बर्न करने में मदद मिलती है। शरीर स्वस्थ रहता है और स्टेमिना बूस्ट होने लगता है।

जानें कैसे करें-

जंपिग जैक्स के लिए दोनों पैरों के मध्य गैप मेंटेप कर लें और एकदम सीधे खड़े हो जाएं। अब टांगों और बाजूओं को खोलें और फिर एक साथ ले आएं। इस दौरान सांस पर ध्यान अवश्य केंद्रित करें। 02 से 03 सेट्स में 15 बार जंपिग जैक्स को दोहराने से वेटलॉस में मदद मिलती है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Holika Dahan: प्राचीन त्योहारों की यही खूबसूरती है कि इनके पीछे छुपे पौराणिक कथा हमें अक्सर आकर्षित करते हैं. आईये जाने होलिका दहन क्यों मनाते हैं और क्या है इसका इतिहास. होलिका दहन का पर्व हमें संदेश देता है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं.

होलिका दहन, होली त्योहार का पहला दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसके अगले दिन रंगों से खेलने की परंपरा है जिसे धुलेंडी, धुलंडी और धूलि वगैरह नामों से भी जाना जाता है। होली बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाई जाती है। होलिका दहन (छोटी होली) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का परंपरा है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर और गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है।

भारत में मनाए जाने वाले बेहतरीन त्योहारों में से एक है होली। दीवाली की तरह ही इस त्योहार को भी अच्छाई की बुराई पर जीत का त्योहार माना जाता है। हिंदुओं के लिए होली का पौराणिक महत्व भी है। इस त्योहार के मद्देनज़र सबसे प्रचलित है प्रहलाद, होलिका और हिरण्यकश्यप की कहानी। पर होली की सिर्फ यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है। वैष्णव परंपरा मे होली को, होलिका-प्रहलाद की कहानी का प्रतीकात्मक सूत्र मानते हैं।

होलिका दहन का शास्त्रों के अनुसार नियम

Why do we celebrate Holika Dahan

फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने ज़रूरी होते हैं-

पहला, उस दिन ‘भद्रा’ न हो। भद्रा का दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।

दूसरी बात, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए.

पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं जपता, तो वह क्रोधित हो उठा और आखिर में उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुंचा सकती। लेकिन हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी तरह ईश्वर अपने सभी भक्तों की रक्षा के लिए सदा मौजूद रहते हैं। होली की केवल यही नहीं बल्कि और भी कई कहानियां प्रचलित है।

कामदेव को किया था भस्म 

होली की एक कहानी कामदेव की भी है। पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी तरफ गया ही नहीं। ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया। तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।

महाभारत से जुड़ी कहानी

महाभारत की एक कहानी के अनुसार युधिष्ठर को श्री कृष्ण ने बताया कि एक बार श्री राम के एक पूर्वज रघु, के शासन में एक असुर महिला थी। उसे कोई भी नहीं मार सकता था, क्योंकि वह एक वरदान द्वारा सुरक्षित थी। उसे गली में खेल रहे बच्चों के अलावा किसी से भी डर नहीं था। एक दिन, गुरु वशिष्ठ, ने बताया कि उसे मारा जा सकता है, अगर बच्चे अपने हाथों में लकड़ी के छोटे टुकड़े लेकर, शहर के बाहरी इलाके के पास चले जाएं और सूखी घास के साथ-साथ उनका ढेर लगाकर जला दें। फिर उसके चारों ओर परिक्रमा दें, नृत्य करें, ताली बजाएं, गाना गाएं और नगाड़े बजाएं। फिर ऐसा ही किया गया। इस दिन को एक उत्सव के रूप में मनाया गया, जो बुराई पर एक मासूम मन की जीत का प्रतीक है।

श्रीकृष्ण और पूतना से जुड़ी कहानी

होली का श्रीकृष्ण से गहरा रिश्ता है। जहां इस त्योहार को राधा-कृष्ण के प्रेम के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। वहीं, पौराणिक कथा के अनुसार जब कंस को श्रीकृष्ण के गोकुल में होने का पता चला तो उसने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल में जन्म लेने वाले हर बच्चे को मारने के लिए भेजा। पूतना स्तनपान के बहाने शिशुओं को विषपान कराना था। लेकिन कृष्ण उसकी सच्चाई को समझ गए। उन्होंने दुग्धपान करते समय ही पूतना का वध कर दिया। कहा जाता है कि तभी से होली पर्व मनाने की मान्यता शुरू हुई।

ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी उल्लेख

विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ जमकर होली खेली थी।

Roze ki Dua: Dua for fasting in Ramzan

Roza Rakhne or Kholne Ki Dua: मुस्लिमों के लिए रमजान के महीने में रोजा रखना और कुरान शरीफ को पढ़ना जरूरी माना गया है। इस्लामिक धार्मिक मान्यताओं मुताबिक रमजान महीना सबसे पाक महीना माना जाता है। कहते हैं इस दौरान जो भी दुआएं की जाती हैं वो जरूर पूरी होती हैं। इस महीने में मुस्लिम लोग अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त अल्लाह की इबादत में बिताते हैं।

कहते हैं कि रमज़ान के महीने में अल्लाह की खूब रहमत बरसती है। बुराई पर अच्छाई हावी हो जाती है। इस महीने मुसलमान अपनी चाहतों पर कंट्रोल करके केवल अल्लाह की इबादत करते हैं। इस महीने को सब्र और बरकत का महीना भी कहा जाता है।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दुआएं भी पढ़ते हैं पर अगर आप दुआएं भूल गए हैं तो आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम रमज़ान में पढ़ी जाने वाली दुआओं के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे आप अपने रूटीन में शामिल कर रमज़ान की रहमत हासिल कर सकते हैं। यहां आप जानेंगे रोजा रखने और खोलने की दुआ-

रोजा रखने की दुआ

Roze ki Dua: Dua for fasting in Ramzan

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अनुसार जब भी कोई रोजा रखता है, तो उसे सहरी खाने के बाद यानि फज्र की अज़ान से पहले इस दुआ को पढ़ना चाहिए।

हिंदी में रोजा रखने की दुआ

‘व बि सोमि गदिन नवई तु मिन शहरि रमज़ान’

मतलब- इस दुआ का अर्थ यह है कि मैं रमज़ान के इस रोजे की नियत करता/करती हूं।

रोजा खोलने की दुआ

जिस तरह से रोजा रखते समय दुआ पढ़ी जाती है ठीक वैसे ही रोजेदार को रोजा खोलने से पहले यह दुआ जरूर पढ़नी चाहिए। कहा जाता है इस दुआ को पढ़ने से खाने में बरकत होती है। ध्यान रखें कि यह दुआ खजूर खाने से पहले पढ़नी चाहिए और दुआ खत्म होने के बाद ही कुछ खायें।

हिंदी में रोजा खोलने की दुआ

‘अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुमतु, व-बिका आमन्तु, व-अलयका तवक्कालतू, व- अला रिज़क़िका अफतरतू’

इस दुआ का मतलब है- ऐ अल्लाह मैंने तेरी रज़ा के लिए रोजा रखा है और तेरे ही कहने पर रोजा खोल रहा/रही हूं।

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Ramzan 2024: When the moon of Ramzan knocked

नई दिल्ली: माह-ए-मुबारक रमजान ने दस्तक दे दिया है। सोमवार को चांद दिखने के साथ ही मंगलवार यानी 12 मार्च से रमजान शुरू हो जाएगा। रमजान की आहट से रोजे और इबादत का सिलसिला शुरू होने के साथ ही कुरआन की तिलावत की आवाजें मस्जिदों से आने लगती है। रहमतों और बरकतों का महीना रमजान मुबारक शुरू होने वाला है। ऐसे में मुस्लिमों में पाक महीना रमजान को लेकर तैयारियां काफी जोश के साथ शुरू हो चुकी हैं।

चांद के दीदार के बाद पहला रोजा 12 मार्च से

भारत के कई हिस्सों में आज चांद नजर आया। रमजान के अर्धचंद्र के दीदार होते ही मस्जिदों से 12 मार्च से पाक महीने रमजान का ऐलान कर दिया गया।

अरब देशों में एक दिन पहले रमजान या ईद का चांद नजर आता है। सऊदी अरब में 10 मार्च को रमजान का चांद देखा गया। ऐसे में भारत में भी आज यानी 11 मार्च को रमजान का चांद दिखा है। चांद नजर आने के बाद ही आधिकारिक तौर पर रमजान की घोषणा कर दी गई।

रमजान करीम क्यों कहते हैं

रमजान करीम का अर्थ होता है, रमजान का पाक महीना आपके लिए उदार हो और इस महीने आपको किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े।

जानें रमजान में तरावीह क्या होती है?

रमजान के पूरे महीने में हर दिन 05 वक्त की नमाज के अलावा रात के समय एक विशेष तरह की नमाज पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहा जाता है। रमजान का चांद नजर आने के बाद से तरावीह पढ़ना शुरू हो जाता है।

आंख, जुबान और कान के लिए भी होता है रोजा

सिर्फ भूखे-प्यासे रहना ही रोजा नहीं होता, बल्कि रोजा आंख, जुबान और कान का भी होता है। इसलिए रमजान में रोजेदार रोजा के दौरान भूखा-प्यासा रहने के साथ ही गलत काम से दूर रहें, झूठ बोलने से बचें और किसी की बुराई न करें। रोजा में गलत चीजें देखने, सुनने और बोलने से भी रोजा टूट सकता है।

Those 5 most beautiful places in India

Beautiful Places: भारत में वैसे तो कई घूमने की जगहें हैं लेकिन कुछ ऐसी खूबसूरत जगहें हैं जहां बार-बार जाने का मन होता है। बसंत के इस खास मौसम में हर कोई घूमने की ख्वाहिश रखता है तो आइये जानते हैं विस्तार से इन शानदार जगहों के बारे में-

हमलोग अक्सर अपना हॉलिडे मनाने के लिए या फिर मूड रिफ्रेश करने के लिए बाहर घूमने जाते हैं। वैसे तो कई लोग फॉरेन ट्रिप पर भी जाना पसंद करते हैं पर इन लोगों को ये नहीं मालूम होता है कि हमारे अपने देश में भी बहुत सारी खूबसूरत जगहें मौजूद हैं।

भारत में कई ऐसी जगहें हैं जो अपनी खास खूबसूरती के लिए जानी जाती हैं। ये ऐसी जगह है जहां अक्सर लोग घूमने के लिए जाते रहते हैं। हमें विश्वास है आप इन जगह के बारे में जानने के लिए काफी एक्साइटेड होंगे।

एक नजर देश की फेमस जगहों पर-

सबसे पहले हम बात करेंगे युमथांग घाटी के बारे में-

Those 5 most beautiful places in India

ये घाटी सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 148 किमी की दूरी पर स्थित है। इस घाटी को ‘फूलों की घाटी’ के नाम से भी जानते हैं। इस जगह पर काफी रंग के फूल देखने को मिलते हैं जिसमें लाल, पीले, सफेद, ऑरेंज, वॉयलेट आदि रंग शामिल हैं। आपको ये जानकर खुशी होगी कि यह घाटी हिमालय पर्वतों से घिरी हुई है। ये बात सुनने में जितनी अच्छी लग रही है उससे कहीं ज्यादा देखने में हसीन है। बताता चलूं कि बर्फबारी की वजह से इस घाटी को दिसंबर से मार्च के बीच बंद कर दिया जाता है।

मणिपुर का लोकटक झील-

Those 5 most beautiful places in India

ये झील मणिपुर ही नहीं, दुनिया की खूबसूरत झीलों में से एक है। यह अपनी सतह पर तैरते हुए वनस्पति और मिट्टी से बने द्वीपों के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। इस झील के पानी पर सबसे बड़ा तैरता द्वीप ‘केयबुल लामजाओ’ है जिसका क्षेत्रफल 40 वर्ग किलोमीटर है। इसकी खूबसूरती वाकई देखने लायक है।

मेघालय का नोहकलिकाई फॉल्स

Those 5 most beautiful places in India

भारत के सबसे ऊंचे और खूबसूरत झरनों में से एक झरना है जो वाकई में बेहतरीन है हम बात कर रहे हैं मेघालय का नोहकलिकाई फॉल्स की। इसकी ऊंचाई के बारे में बात करें तो ये करीब 1,100 फुट है। बता दें कि इस झरने के नामकरण के पीछे एक खास कहानी फेमस है। खबरों के मुताबिक ये बताया गया है कि यहां सीधी खड़ी चट्टान से कभी एक स्थानीय लड़की ने छलांग लगा दी थी जिसका नाम लिकाई था। उसी के नाम पर इस झरने का नाम नोहका-लिकाई रखा गया।

कश्मीर का पहलगाम

Those 5 most beautiful places in India

कश्मीर यकीन स्वर्ग से कम नहीं है और कश्मीर की हर जगह वाकई खूबसूरत है लेकिन फिर भी कश्मीर में पहलगाम थोड़ा ज्यादा ही प्रकृति की जादुई छटा को अपने में समेटे हुए है। अनंतनाग जिले में स्थित सारा शहर बर्फ की चादर से ढके हिमालय और घने जंगलों वाले देवदार के पेड़ों से पटा हुआ है। यह जगह रोमांच और नेचर प्रेमियों के लिए एक खास सौगात से कम नहीं है।

केरल का टी-गार्डन

Those 5 most beautiful places in India

आखिर में केरल अपनी खूबसूरती के लिए पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। पर मुन्नार के टी गार्डन को यहां के सबसे ज्यादा खूबसूरत जगहों में से एक माना जाता है। यह जगह समुद्री तट से करीब 07 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की बेपनाह खूबसूरती हर किसी को भाति है।

फोटो सौजन्य- गूगल