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If there is pain in the breast just before periods

पीरियड्स (Periods) के ठीक पहले स्तन में दर्द और असहजता महसूस हो रही है तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के पहले शरीर में यह दिक्कतें शुरू होती हैं। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट की वजह, संकेतों और लक्षणों को जानने से आपको अपने हालात को सही ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।

If there is pain in the breast just before periods

यह समझना जरूरी है कि फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कोई बीमारी या एक तरह का स्तन कैंसर नहीं है। यह एक नॉन कैंसरस स्थिति है। यह स्थिति है जो इसका अनुभव करने वाली हर महिला में अलग-अलग तरह से लक्षण दिखती है। हालांकि, सामान्य तौर पर यह महिला के पीरियड्स साइकल के नैचुरल के कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज के कारण होता है। चूंकि पूरे साइकल में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, इससे ब्रेस्ट में सूजन और कोमलता हो सकती है और साथ ही गांठ या सिस्ट भी होने लगते हैं।

Breast Feeding

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं पर आमतौर पर एक या दोनों ब्रेस्ट में दर्द या कोमलता शामिल होती है। खासकर आपके मासिक धर्म से ठीक पहले स्तन भारी या सूजे हुए महसूस हो सकते हैं और छूने पर या ब्रा पहनने पर भी उनमें कठोरता महसूस हो सकती है। वे गांठदार भी हो सकते हैं या उनमें छोटे सिस्ट भी हो सकते हैं। जो बारीकी से देखने पर दिखाई दे सकते हैं। कुछ मसलों में जब आप गांठें छूते हैं तो वे आपकी स्किन के नीचे घूम सकती हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का सटीक वजह का अब तक पता नहीं चला है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह महिला के शरीर में हार्मोनल चेंजेज से संबंधित है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को यौवन, गर्भावस्था या पेरिमेनोपॉज़ जैसे हार्मोनल उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान स्तनों में सिस्ट के विकास को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, ज्यादा कैफीन पीना और धूम्रपान शामिल हैं।

If there is pain in the breast just before periods

अगर आपको लगता है कि आपको फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट हो गया है तो आपको इनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करना चाहिए। किसी गांठ या सिस्ट के साथ-साथ अन्य स्तन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक ट्रेनिंग कर सकते हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट खतरनाक या लाइफ थ्रेटिंग के लिए खतरा नहीं है, यह असुविधाजनक लक्षण पैदा कर सकता है जो रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप कर सकता है। आपके चिकित्सक लक्षणों को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव के स्तर को कम करने या कैफीन की मात्रा कम करने की पैरवी करते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी (Silver) के बर्तनों के मद्देनजर मान्यता है कि इसमें छोटे बच्चों को खाना खिलाया जाए तो उनका विकास काफी अच्छे तरीके से होता है। इससे उनके मस्तिष्क का विकास सही तरीके से होता है। इसके बावजूद कुछ महिलाएं पेशोपेश में होती हैं कि ये सच है या सिर्फ पुरानी मान्यता। आइये जानते हैं कि चांदी के बर्तन में शिशु को खाना खिलाने के फायदे हैं या नुकसान और इसे कैसे उपयोग में लाना चाहिए।

सबसे पहले हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि छोटे बच्चों को चांदी के बर्तन में खिलाना सही है या गलत।

चांदी के बर्तन का इस्तेमाल छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित है या नहीं?

दूसरे बर्तनों की तुलना में चांदी के बर्तन में भोजन करना सुरक्षित माना जा सकता है। चांदी में कई औषधीय गुण माने गए हैं। साथ ही चांदी से बने बर्तन जल्दी गंदे नहीं होते। इसलिए माना जाता है कि चांदी के बर्तन इस्तेमाल करने से भोजन और पौष्टिक हो जाता है। जब शिशु ठोस पदार्थ का सेवन शुरू करे, तो उसे चांदी के बर्तन में खिलाया जा सकता है। बस इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि बर्तन में चांदी के अलावा और किसी धातु का इस्तेमाल ना किया गया हो। इसके साथ ही एंटी बैक्टीरियल गुण के कारण चांदी के बर्तन में रखे खाद्य पदार्थ और पानी में सेहत खराब करने वाले बैक्टीरिया नहीं पैदा होते हैं।

शिशु को चांदी के बर्तन में खिलाने के फायदे

वर्षों से छोटे बच्चे को चांदी के बर्तनों में खिलाना शुभ माना गया है। इसलिए शिशु को उपहार स्वरूप चांदी के बर्तन भेंट किए जाते हैं। आइए, जानते हैं कि चांदी के बर्तन किस तरह छोटे बच्चों के लिए फायदेमंद है।

एंटी-माइक्रोबियल प्रभाव: प्लास्टिक या दूसरे धातु के बर्तन में खाना रखने से खाद्य पदार्थ में विषैले जीवाणु पैदा होने की आशंका होती है। वहीं, चांदी में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाया जाता है। इसकी पुष्टि वैज्ञानिक शोध में भी होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांदी बैक्टीरिया, फंगस व किसी भी तरह के वायरस को पनपने नहीं देता। यही कारण कि प्राचीन समय में चांदी का इस्तेमाल औषधी की तरह किया जाता था। इसलिए, चांदी के बर्तन में रखा खाना लंबे समय तक खराब नहीं होता।

रखरखाव में आसान: ऐसा माना जाता है कि अन्य बर्तन के मुकाबले चांदी के बर्तन को साफ करना आसान है। इसे किसी भी अच्छे डिश वॉशर व गर्म पानी से धोकर रखा जा सकता है। साथ ही इसे कुछ देर गर्म पानी में डालकर रखा जा सकता है। उसके बाद बाहर निकालकर सूखने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है।

नॉन टॉक्सिक: विभिन्न रिसर्च में कहा गया है कि चांदी के बर्तन में हानिकारक जीवाणु न के बराबर होते हैं। शरीर के नुकसान पहुंचाने वाले मरकरी और लीड के मुकाबले चांदी बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद है। अगर गलती से चांदी का थोड़ा-सा अंश खाने के साथ शरीर में चला भी जाए, तो उससे नुकसान होने की आशंका कम ही होती है। इसके पीछे मुख्य कारण यह माना गया है कि शरीर के टिश्यू चांदी को आसानी से अवशोषित नहीं कर पाते हैं (3)।

केमिकल रहित: शिशु के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तनों में बीपीए और फ्थालेट जैसे हानिकारक केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास को कई तरह से प्रभावित करते हैं। वहीं, बच्चों के लिए चांदी से बर्तन इन दोनों केमिकल से फ्री होते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए : दरअसल चांदी के बर्तन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। दूसरे धातुओं के बर्तन में खाना गर्म करने से उसके हानिकारक तत्व खाने में मिल जाते हैं, जो बच्चों की सेहत के लिए यह सही नहीं है। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है।

दवा के साथ रिएक्शन नहीं : दवाएं किसी भी बर्तन के साथ बहुत तेजी के साथ रिएक्शन करती हैं। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है। इसलिए दवा देने के लिए चांदी का बर्तन अच्छा हो सकता है।

घबराने की समस्या दूर करे : चांदी की तासीर ठंडी मानी गई है। इसलिए, चांदी के बर्तन में भोजन करने से शरीर का तापमान संतुलित रह सकता है। साथ ही मन शांत होता है और बेचैनी व घबराहट कुछ हद तक कम हो सकती है।

याद्दाश्त बढ़ाने में सहायक : कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में बच्चों को खाना खिलाना से उनके मानसिक विकास में मदद मिलती है। यह दिमाग को शांत रखकर याददाश्त को बढ़ाने में मदद कर सकता है। साथ ही आंखें भी स्वस्थ रह सकती हैं।

आइए अब जानते हैं कि बाजार में बच्चों के लिए किस-किस प्रकार के चांदी के बर्तन उपलब्ध हैं।

बाजार में बच्चों के लिए खाने-पीने व दवा खिलाने समेत हर जरूरत के लिए चांदी के बर्तन मिल जाएंगे। यहां हम कुछ ऐसे ही बर्तनों के बारे में बताने जा रहे हैं।

केमिकल रहित: शिशु के लिए इस्तेमाल होने वाले बर्तनों में बीपीए और फ्थालेट जैसे हानिकारक केमिकल पाए जाते हैं। ये केमिकल शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास को कई तरह से प्रभावित करते हैं। वहीं, बच्चों के लिए चांदी से बर्तन इन दोनों केमिकल से फ्री होते हैं।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए: दरअसल चांदी के बर्तन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। दूसरे धातुओं के बर्तन में खाना गर्म करने से उसके हानिकारक तत्व खाने में मिल जाते हैं, जो बच्चों की सेहत के लिए यह सही नहीं है। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है।

दवा के साथ रिएक्शन नहीं : दवाएं किसी भी बर्तन के साथ बहुत तेजी के साथ रिएक्शन करती हैं। चांदी के बर्तन के साथ ऐसा नहीं होता है। इसलिए दवा देने के लिए चांदी का बर्तन अच्छा होता है।

चांदी की थाली : खाना सर्व करने के लिए चांदी की थाली बाजार में मिल जाएंगी। कांच या प्लास्टिक की प्लेट की जगह इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी की कटोरी : ठंडे और गर्म दोनों तरह के खानों के लिए चांदी की कटोरी बेहतर विकल्प हो सकती है। कई आकार में ये बाजार में मिल जाएंगे। बच्चे की जरूरत के हिसाब से इसका चुनाव किया जा सकता है।

चांदी की चम्मच : बच्चों को कुछ भी खिलाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल चम्मच का होता है। स्टेनलेश स्टील या प्लास्टिक के चम्मच की जगह चांदी का चम्मच बेहतर विकल्प हो सकता है। बाजार में कई डिजाइन में ये मिल सकते हैं।

चांदी का बना गिलास: पानी, जूस, दूध या दूसरे तरल खाद्य पदार्थ देने के लिए चांदी का गिलास सबसे अच्छा है। बाजार में छोटे से लेकर बड़े साइज तक में यह मिलता है।

बोंदला या संकू : बच्चा छोटा है, तो उसे दवा और दूध देने के लिए चांदी का बोंदला या संकू खरीद सकती हैं। यह छोटी कटोरी की तरह होता है, लेकिन किनारे पर शंख की तरह बना होता है। छोटे बच्चों को दवा और दूध देने में इससे आसानी होती है।

चांदी के बर्तन उपयोग करने के टिप्स

छोटे बच्चों के लिए चांदी के बर्तन काफी गुणकारी होते हैं। यह कई तरह से छोटे बच्चों को फायदा पहुंचाते हैं। यहां हम जानते हैं कि चांदी के बर्तन छोटे बच्चों के लिए इस्तेमाल करने के टिप्स।

चांदी के बर्तन में पानी दें : बच्चे का शरीर हमेशा गरम रहता है, तो चांदी के बर्तन में उसके पीने का पानी रखिए। उस पानी को ही हमेशा पिलाएं। इससे बच्चे का तापमान सामान्य हो सकता है।

खाना चांदी के बर्तन में रखें : अगर बच्चे का खाना बच गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में रखकर फ्रिज में स्टोर करें। चांदी के बर्तन में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने की आशंका कम ही होती है।

benefits of feeding in silver utensils for small children

चांदी के बर्तन में खाना करें गर्म : कुछ गर्म करके बच्चे को खिलाना हो तो चांदी के बर्तन में ही गर्म करें। दूसरे बर्तनों के हानिकारक पदार्थ गर्म करते समय खाने में मिल जाते हैं, लेकिन चांदी के साथ ऐसा नहीं होता है।

पित्त दोष से बचाए : चांदी के गिलास में पानी पीने और बर्तनों में खाना खाने से सर्दी-जुकाम से काफी हद तक बचा जा सकता है। पित्त दोष में भी कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में खाना और पानी पीना लाभदायक होता है।

चिड़चिड़ापन दूर करे : बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में खाना खिलाएं और पानी पिलाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से दिमाग शांत होता है और चिड़चिड़ापन दूर होता है।

चांदी के बर्तन में खाना देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

शिशु के लिए चांदी के बर्तन इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।

चांदी के बर्तन में अंडा नुकसानदेह : चांदी के बर्तन में कभी भी अंडा नहीं देना चाहिए। अंडे के पीले भाग में सल्फर होता है। चांदी से क्रिया करके यह काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

पित्त दोष से बचाए : चांदी के गिलास में पानी पीने और बर्तनों में खाना खाने से सर्दी-जुकाम से काफी हद तक बचा जा सकता है। पित्त दोष में भी कहा जाता है कि चांदी के बर्तन में खाना और पानी पीना लाभदायक होता है।

चिड़चिड़ापन दूर करे : बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा हो गया है, तो उसे चांदी के बर्तन में खाना खिलाएं और पानी पिलाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से दिमाग शांत होता है और चिड़चिड़ापन दूर होता है।

छोटे बच्चों को चांदी के बर्तन में खाना देते समय बरती जाने वाली सावधानियां

शिशु के लिए चांदी के बर्तन इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं।

अंडा न दें : चांदी के बर्तन में कभी भी अंडा नहीं देना चाहिए। अंडे के पीले भाग में सल्फर होता है। चांदी से रिक्शन कर के यह काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाता है, जो शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

सुबह सवेरे टहलने से लेकर ये तमाम व्यायाम आपकी मेंटल हेल्थ को बनाए रखने का काम करती है। जानते हैं वो एक्सरसाइज़ जो आपको मेंटल तौर पर रखती है फिट और फाइन।

तन और मन को हेल्दी रखने के लिए खान पान के अलावा व्यायाम भी बेहद ज़रूरी है। नियमित व्यायाम हमारे माइंड को डिप्रेशन और एंग्जाइटी से दूर रखता है। डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक विश्वभर में साल 2016 में सुसाइड के 7,93,000 मामले सामने आए। दरअसल, दिनभर काम में व्यस्त रहने की वजह से मांइड हर समय एक दबाव में रहता है। जब मस्तिस्क उस प्रेशर को झेलने में सक्षम नहीं होता है, तो लोग मेंटल तौर पर अस्वस्थ्य होने लगते हैं। ऐसे में मार्निंग वॉक से लेकर ये तमाम एक्सरसाइज़ आपकी मेंटल हेल्थ को बनाए रखने का काम करती है। जानते हैं वो एक्सरसाइज़ जो आपको मेंटल तौर पर रखती है फिट एंड फाइन।

इन एक्सरसाइज़ को रूटीन में करें शामिल और मेंटल हेल्थ को करें इंप्रूव

1. योग का अभ्यास

Yoga

योग हमारे मन को शांति का अहसास कराता है। ध्यान लगाने से हम सभी दुश्चिंताओं से मुक्त होने लगते हैं। इससे हमारे माइंड में सेरोटोनिन का लेवल बढ़ने लगता हैं। इससे मांइड रिलैक्स होने लगता है और हम खुशहाली का अनुभव करने लगते हैं। योग करने से शरीर में हल्कापन महसूस होने लगता है। मूड बूस्टर के तौर पर काम करने वाला योग हमें क्रोध और तनाव रहित रखता है। इस बारे में डिवाइन सोल योग के डायरेक्टर डॉ. अमित खन्ना के मुताबिक योग मुद्राओं की मदद से तनावग्रस्त जीवन से मुक्ति मिल जाती है और हमारा माइंड फ्रेश फील करता है। सुबह उठकर कुछ देर ध्यान करने के अलावा कुछ खास योग मुद्राएं आपको फिट एंड फाइन रखने का काम करती है। इसके लिए सुखासन, अधो मुख श्वानासन, उर्ध्व मुख श्वानासन और बालासन बेहद फायदेमंद योग हैं।

2. बॉक्सिंग से माइंड रिलैक्स रहता है

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक बॉक्सिंग हमारे शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को कम करके शरीर को तनाव मुक्त रखने में सहायक है। इसकी मदद से बॉडी एग्रेशन अपने आप कम हो जाता है। आपका माइंड रिलैक्स और हेल्दी फील करता है। दरअसल, हर बार पंचिंग बैग पर मुक्केबाज़ी करने से आपका माइंड एंडोर्फिन का प्रोडक्शन बढ़ाने लगता है। इससे न्यूरोट्रांसमीटर से पॉजिटिव थिकिंग का विकास होता है। इसके अलावा पंचिंग मांसपेशियों के तनाव को दूर करने में मदद करता है। आप जैसे जैसे पंच मारते हैं आपका ध्यान एक जगह पर केंद्रित होने लगता है। इससे आपकी एकाग्रता में बढ़ोतरी होने लगती है। बॉक्सिग को रूटीन में शामिल करने से मानसिक स्वास्थ्य के अलावा कैलोरी बर्न करने में भी मदद मिलती है। इसे रोज़ाना करने से सैगी आर्म्स और बैली फैट की समस्या हल हो जाती है।

3. पिलेट्स शरीर को ऐसे करता है बूस्ट

पिलेट्स एक ऐसी एक्सरसाइज़ जो माइंड और बॉडी दोनों को रिलैक्स और बूस्ट करती है। इसकी मदद से शरीर में फ्लैक्सिबिलिटी और मज़बूती दोनों ही बढ़ने लगते हैं। पिलेट्स एक्सरसाइज़ करने से समस्त शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव का अनुभव होता है। इससे शरीर में होने वाले दर्द से भी मुक्ति मिल जाती है। पिलेट्स का संबध शारीरिक फिटनेस के साथ मानसिक फिटनेस से भी है। इसे करने से शरीर में एंडोमॉर्फिन यानी प्रोटीन न्यूरोट्रांसमीटर बढ़ने लगते हैं। इससे हम सकारात्मक रहते है और मेंटल स्ट्रेस दूर होने लगता है।

इनहे इस्तेमाल करे:

दो प्रकार के पिलेट्स

मैट बेस्ड पिलेट्स

इस व्यायाम को ज़मीन पर लेटकर किया जाता है। इससे शरीर की मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन से मुक्ति मिलती है। इसे नियमित तौर पर करने से शरीर हेल्दी रहता है और शारीरिक शक्ति का विकास होता है।

इक्विपमेंट्स बेस्ड पिलेट्स

कुछ पिलेट्स एक्सरसाइज़ उपकरणों की मदद से की जाती है। बॉल, चेयर, एंकल वेट और स्लाइडिंग डिस्क की मदद से पिलेट्स एक्सरसाइज़ करते है। इससे बॉडी में स्टेमिना बिल्ड होता है और तनाव से शरीर मुक्त हो जाता है।

मेंटल हेल्थ इंप्रूव करने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

8 से 10 घंटे की पूरी नींद लें। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोस रिलीज़ होते हैं और माइंड रिलैक्स रहता है।

दोस्तों के साथ आउटडोर एक्टीविटीज़ के लिए जाएं।

सेल्फ हैप्पीनेस के लिए पसंदीदा एक्टीविटीज़ को करने में समय बिताएं।

खान पान का पूरा ख्याल रखें। इससे शरीरिक और मेंटल हेल्थ दोनों की हेल्दी होने लगते हैं।

Sexual intimacy helps in recovering from loneliness and depression

फोरप्ले (Fore Play) के दौरान अपने पार्टनर के नर्व एंडिंग यानी की वासनोत्तेजक क्षेत्र पर आइस क्यूब्स का स्पर्श देने से उन्हें ठंडक और आराम पहुंचेगा। साथ ही यह उत्तेजना को भी बढ़ावा दे सकता है।

गर्मी में अक्सर लोगों की सेक्स फ्रीक्वेंसी कम हो जाती है। बढ़ता तापमान लो लिबिडो का कारण हो सकता है। यदि आप इस गर्म मौसम में अपनी इंटिमेसी को एन्जॉय करना चाहती हैं तो समर सेक्स टिप्स को ध्यान में रखें साथ ही कुछ नया ट्राई कर सकती हैं। अपने सेक्सुअल एक्टिविटी में आईसी ट्रिक्स को शामिल करना एक अच्छा आईडिया रहेगा। आइस क्यूब्स की कूलिंग इफ़ेक्ट (Icy Tricks for Summer Sex) आपकी इंटिमेसी को ज्यादा मजेदार बना देंगी।

Some Natural Ways To Spice Up Your Sex Life

फोरप्ले के दौरान अपने पार्टनर के नर्व एंडिंग यानी की वासनोत्तेजक क्षेत्र पर आइस क्यूब्स का स्पर्श देने से उन्हें ठंडक और आराम पहुंचेगा। साथ ही यह उत्तेजना को भी बढ़ावा दे सकता है। दोनों पार्टनर एक दूसरे को इसका आनंद दे सकते हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसेही कुछ खास आईसी ट्रिक्स जो आपके समर सेक्स को एक्सिटिंग बना देगी। आप बेफिक्र होकर इसे अपनी इंटिमेसी का हिस्सा बना सकती हैं।

हेल्थ शॉट्स ने सेक्सुअल एक्टिविटी और फोरप्ले के दौरान आइस के इस्तेमाल को लेकर ऑरा क्लिनिक, गुड़गांव की डायरेक्टर एवं क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, गुड़गांव की सीनियर कंसलटेंट डॉ रितु सेठी से सलाह ली। उन्होंने आइस के इस्तेमाल को पूरी तरह से सुरक्षित बताया है। जिस प्रकार सेक्स के दौरान हाइजीन पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी जाती है, ठीक उसी प्रकार आइस का प्रयोग करते वक़्त भी हाइजीन का ध्यान रखना जरुरी है।

सेक्स सेशन को और भी मजेदार बना सकते हैं ये 4 आईसी ट्रिक्स (Icy Tricks)

1. आईसी किस

हम सभी Sex या फिर किसी भी प्रकार की रोमांटिक गतिविधियों की शुरुआत किस के साथ करते हैं। तो क्यों न शुरुआत को अधिक सेंसेशनल बनाया जाए। तो क्यों न इस गर्मी अपने किस को आईसी किस में बदला जाए। इसके लिए आपको हल्के पिघले हुए आइस क्यूब को अपने होठों में दबाना है और उसके बाद अपने पार्टनर को किस करना है। मुंह की गर्माहट और बर्फ की ठंडक पुरे स्पाइन को शिवर करती है और यह उत्तेजना को भी बढ़ा देती है।

2. रबिंग गेम

Fore Play शुरू करने से पहले अपने फ्रीजर से कुछ आइस क्यूब्स निकाल कर उन्हें अपने बेड के बगल में रख लें। फिर अपने पार्टनर को कहें की वे बर्फ के एक टुकड़े को लेकर धीरे-धीरे आपकी त्वचा पर रगड़ें।

होठों को बर्फ के टुकड़ों से छुएं साथ ही पेट के निचला हिस्से, निप्पल, आर्मपिट, क्लिटोरी, जांघों के बिच और अन्य वासनोत्तेजक क्षेत्रों (इरोजेनस स्पॉट) पर बर्फ के टुकड़ों का स्पर्श दें। क्लिटोरी पर पिघलते बर्फ का पानी डालने से उत्तेजित होना आसान हो जाता है इसके अलावा यह काफी रिलैक्सिंग हो सकता है।

इरोजेनस स्पॉट पर जाएं। इससे पुरुषों को भी उत्तेजित होने में मदद मिलती है।

3. पआईसी ओरल सेक्स ट्राई करें

आ Icy ओरल सेक्स भी ट्राई कर सकती हैं। पार्टनर को मुंह में एक आइस क्यूब रखने को कहें और अपने सामान्य ओरल सेक्स को अधिक एक्साइटिंग बनाएं। ऐसा करने से एक ही समय में आइस क्यूब की ठंडक और सांसों की गर्मी महसूस होगी। यह कामोत्तेजना को बढ़ावा देता है।

ओरल सेक्स के दौरान आनंद को बढ़ाने के लिए अपने पार्टनर को नाक का इस्तेमाल करने के लिए कह सकती हैं। यह योनि को ठंडक पहुॅचाता है और आपको रिलैक्स रहने में मदद करता है। ठीक इसी प्रकार महिला पार्टनर भी अपने मुंह में आइस क्यूब रखकर ब्लो जॉब दे सकती हैं जिससे की पुरुषों को भी आराम मिलता है।

4. Sex Toys को दें आईसी इफेक्ट

अगर आप सेक्स टॉय का इस्तेमाल करती हैं तो अपने Sex Toys को ठंडा कर के इस्तेमाल कर सकती हैं। खासकर गर्मी में ठंडे टॉयज का इस्तेमाल करना आपको केवल प्लेजर ही नहीं बल्कि आपके वेजाइना को पर्याप्त ठंडक भी प्रदान करता है। पार्टनर के साथ सेक्स करते हुए यदि टॉयज का इस्तेमाल करती हैं तो अपने पार्टनर से इन्हे ठंडा करने को कह सकती हैं। हालांकि, इन्हे इस्तेमाल करने से पहले अपने हाथ पर रख कर देख लें ताकि आपको आइस बर्न से न जुजरना पड़े।

अपने स्टेनलेस स्टील और रबर टॉयज को अच्छे से क्लीन कर लें और साफ़ पानी में आइस क्यूब्स डाल दें, फिर टॉयज को पानी में डालें और जब ये ठंडा हो जाएं तो इन्हे इस्तेमाल करें।

Happy Mothers डे: मां, जब छोटी थी ना मां ,तब समझ नहीं पाई कि तुम मेरी परवरिश में अपने आप को भूले बैठी हो। मेरे लिए तुम रात भर जाग जाती थी, मुझे खिलाने के चक्कर में ना जाने तुम खुद कितनी बार बिना खाए सो जाती थी।

बहुत हसीन दौर था वो, जब मैं तुम्हारे लिए और तुम सिर्फ मेरे लिए होती थी। एक अलग ही दुनिया थी वो,  जिंदगी की हकीकतों से परे एक सपनों की दुनिया जैसी। उस दौर में मुझे कभी किसी चीज से डर नहीं लगा, क्योंकि जानती थी कि तुम हो मेरे साथ मुझे खरोच भी नहीं आने दोगी। मुझे कभी नहीं समझ आया कि मुझे क्या पसंद है और क्या नापसंद , बस यह पता था कि मुझसे बेहतर तुम मुझे जानती हो तो मुझे सिर्फ वही दोगी जो मेरे लिए अच्छा है।

समय हमेशा एक जैसा क्यों नहीं रह सकता मां , पता है तुम्हारी उंगली पकड़ते ही मैं शेरनी बन जाती थी,  लगता था जैसे अब मेरा मुकाबला कोई नहीं कर सकता 7वें आसमान पर होती थी।

उस दौर में हर दिन अपने आप में बहुत अलग था । दुनिया सिर्फ इतनी ही थी जिसमें मैं और तुम होते थे। तुमने अपने प्यार के साथ साथ मुझे जिंदगी की तल्ख हकीकतों का आइना भी दिखाना चाहा, पर उस समय सुनकर भी अनसुना कर देती थी मैं, पता नहीं क्यों हमेशा यह लगता था कि मां मुझे यह सब क्यों सिखाना चाहती है यहीं तो हूं मैं, मां के पास और जब मां सब संभाल लेती हैं, तो आगे भी संभाल लेगी।

Mother's Day

ना जानती थी कि कुछ रातों के सवेरे थोड़ी जल्दी हो जाते हैं।

ना जानती थी कि तुमसे एक पल दूर रहना मुमकिन न था लेकिन अब इस आजमाइश से भी गुजरना पड़ेगा ।

पता है अब मुझे बहुत डर लगता है जब अकेले कदम बढ़ाती हूं, तो लगता है कि अगर लड़खड़ा गई तो मां नहीं होगी मेरी उंगली पकड़ने को।  अब बहुत ध्यान से तवे  के पास जाती हूं मां,  क्योंकि पता है अगर हाथ जला तो मां वो ठंडी फुंके मारने के लिए नहीं होगी । तुम्हारे बिना तो आइसक्रीम खाते वक्त भी इस ठंडक का अहसास नहीं होता, जो तुम्हारे मेरे सिर पर हाथ रखने से होता था।

कभी कभी सोचती थी कि मां इतना संतोष, इतना धैर्य कहा से लाती है कि वो कभी भी कोई फर्माइश नहीं करती, न जाने कितने ही त्यौहार एक ही साड़ी में बीता दिए। कभी उन चीजों को खाने की इच्छा ज़ाहिर नहीं करती को उन्हें अच्छी लगती है। लेकिन मां, मुझे अब जाकर समझ आया है की तुम मेरी फरमाइशो के तले दबी हुई थी, इसलिए कभी अपने बारे में नहीं सोचा।

मुझे त्यौहार पर कपड़े दिलाने के चक्कर में खुद नई साड़ी को दरकिनार कर दिया।

कुछ चीज़ें वक्त रहते क्यों समझ नहीं आती मां।

मैं नहीं जानती कि मैं एक अच्छी बेटी बन पाई या नहीं, लेकिन तुम्हें ये जानकर खुशी होगी कि अब अगर मैं अपने आप को तुम्हारी वाली परिस्थितियों से घिरा पाती हूं, तो ठीक वैसे ही उनसे दो चार होती हूं, जैसे तुम होती थी।

जो सबक मुझे किताबों में नहीं सिखाए, वो तुमने हंसते खेलते सीखा दिए मां।

शुकिया मां, मुझे इस दुनिया में लाने के लिए।

शुकिया मां, मुझे जिंदगी की तल्ख़ हकीकतों से निपटने को लेकर सबक सिखाने के लिए।

शकिया मां, मुझे इस काबिल बनाने के लिए कि मैं समझ पाऊं कि मां और भगवान में कोई फर्क नही है।

हैप्पी मदर’स डे मां, लव यू सो मच।
भगवान तुम्हें मेरी उम्र भी लगा दे।

Breast Feeding

अक्सर लड़कियां अपने ब्रेस्ट साइज को लेकर फ़िकरमंद रहती हैं। फिर चाहे वे छोटे हों, बड़े या बहुत बड़े। एक्सपर्ट मानते हैं कि हर ब्रेस्ट साइज सुंदर है, बशर्ते कि वे स्वस्थ हों।

महिलाएं अपने ब्रेस्ट के आकार को लेकर अक्सर असहज महसूस करती हैं। कुछ महिलाएं इसे बढ़ाना चाहती हैं, तो कुछ घटाना। असल में ब्रेस्ट साइज का कोई पैमाना सही नहीं है। आकार से ज्यादा जरूरी है ब्रेस्ट हेल्थ पर ध्यान देना। आपके ब्रेस्ट की जो भी साइज़ है, उसके साथ सहज रहना जरूरी है। कई योगासन हैं जो ब्रेस्ट को होने वाली बीमारियों के जोखिम को दूर रखकर स्वस्थ रखती हैं। यहां ब्रेस्ट हेल्थ के लिए ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे में जानें डॉक्टर से-

ब्रेस्ट हेल्थ के लिए फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना आवश्यक

डॉ. स्मृति अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में कहती हैं, ‘ब्रेस्ट साइज़ बढ़ाने या घटाने के स्थान पर आप यह सोचें आपके अंग कितने स्वस्थ हैं? आपका ब्लड कितना साफ रहता है? अपने गट हेल्थ पर ध्यान दें। अपने मंकी माइंड (Monkey mind) पर कंट्रोल करें। मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) पर काम कर मानसिक रूप से स्थिर बनें। अपने शरीर से प्यार करें। जिस दिन शारीरिक रूप से किसी और की तरह दिखना बंद कर देंगी, उस दिन आपका अपना शरीर और ब्रेस्ट साइज़ भी सर्वश्रेष्ठ लगने लगेगा।’

डॉक्टर के बताये योगासन, जो ब्रेस्ट हेल्थ के लिए सभी महिलाओं के लिए जरूरी हैं 

1. भुजंगासन (Bhujangasana or Cobra pose)

भुजंगासन दर्द दूर करने के लिए कंधों और गर्दन को खोलता है। पेट को टोन करता है। पूरी पीठ और कंधों को मजबूत बनाता है। ब्रेस्ट को सही आकार में लाता है। ब्लड फ्लो में सुधार लाकर थकान और तनाव कम करता है।

कैसे करें भुजंगासन (How to do Bhujangasana)

पेट के बल लेट जाएं। कंधों और हथेलियों को अपनी जगह रखते हुए सांस लें।
सिर, छाती और पेट को उठाएं।

कोहनी पर झुके हुए हाथ धीरे-धीरे गर्दन की ओर झुकाएं। ऊपर की ओर देखें।
पेट के बल लेट जाएं। कंधों और हथेलियों को अपनी जगह रखते हुए सांस लें।
सिर, छाती और पेट को उठाएं।

2. सेतुबंधासन (setubandhasana or Bridge Pose)

Yoga for women

सेतु बंधासन करते समय गर्दन, ब्रेस्ट, फ्लेक्सर मांसपेशियों और जांघों के पिछले हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। यह इन मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद कर सकता है। यह हिप्स की मांसपेशियों को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है।

कैसे करें सेतुबंधासना (how to do setu bandhasana)

पीठ के बल लेट कर दोनों घुटनों को मोड़ें।
पैरों को हिप्स की चौड़ाई पर फर्श पर सपाट रखें।
पैरों को फर्श पर दबाएं। सांस लें और हिप्स को ऊपर उठाएं।
रीढ़ को फर्श से ऊपर उठाएं।
चेस्ट को ऊपर उठाने के लिए बाहों और कंधों को नीचे दबाएं।
सांस लें और 4-8 सांसों तक रोकें।
ऊपर जाते समय सांस लें और नीचे आते समय सांस छोड़ें। सरवाइकल पेन हो तो अधिक नहीं करें।

3 उष्ट्रासन (Ustrasana or Camel Pose)

उष्ट्रासन चेस्ट, पेट और क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों को मजबूत करता है। ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग (जांघ के पीछे) की मांसपेशियों को टोन करता है। उष्ट्रासन बैकबेंड में गर्दन को खींचते हुए सर्वाइकल स्ट्रेस को कम कर सकता है। यह कंधों, बाहों, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में (yoga asanas for breast health) भी मदद कर सकता है।

कैसे करें उष्ट्रासन (how to do Ustrasana)

Yoga for women

घुटनोंसीधा के बल खड़ी हो जाएं। जांघों को पूरी तरह सीधा रखें।
पीछे की दिशा में झुकें।
हिप्स को आगे की दिशा में धकेलें।

सिर और बैक बोन को बिना तनाव के जितना हो सके पीछे की ओर झुकाएं।
शरीर और पीठ की मांसपेशियों को आराम दें।
सेंटर में रहते हुए सांस लें। साइड की तरफ रहते हुए सांस छोड़ें और फिर नॉर्मल सांस लें। सरवाइकल दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होने पर एक हाथ से करें।

 

these two types of face packs will give new life to your face

गर्मी के मौसम में त्वचा की देखभाल ना की जाए तो चेहरा बेजान सा हो जाता है, जलन और खुजली जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। ऐसी परेशानियों से बचने के लिए आप नेचुरल चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

यहां आपको दो तरह से बनने वाले फेस पैक के बारे में बता रहे हैं। जिसे लगाने पर स्किन मोती की तरह चमक उठेगी। साथ ही जब आप धूप में जाएंगी तो सनबर्न से भी बचाव होगा।

पुदीना से फेस पैक

पुदीना स्किन के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है। इसका असर ठंडा होता है। ऐसे में चेहरे पर ठंडक बनाए रखने के लिए पुदीने का इस्तेमाल कर सकते हैं। सभी स्किन टाइप के लिए पुदीना कारगर होता है। गर्मी में धूप की वजह से स्किन पर होने वाली जलन और खुजली से भी राहत मिलती है। यह त्वचा की ड्रायनेस को भी कम करने में मदद करता है। इस पैक को लगाने के लिए पुदीने को मैश करें और इसमें शहद मिलाएं। फिर इसे चेहरे और गर्दन पर लगाएं। इसे 15 मिनट के लिए लगाएं और फिर इसे साफ पानी से धो लें।

अजब तरबूज के गजब फेस पैक

गर्मियों में तरबूज भरपूर मिलता है। इसे खाने से स्किन हाइड्रेट होती है। इसे आप चेहरे पर भी लगा सकते हैं। इसे लगाने पर स्किन में नमी बनी रहची है। धूप में जाने से पहले जब आप इसे लगाते हैं तो स्किन सनबर्न से बची रहती है। इसी के साथ स्किन पर ठंडक और तरोताजगी बनी रहती है। इसकी मदद से फेस पैक बनाने के लिए तरबूज का रस निकाल लें। इसे अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं। 15 मिनट के लिए पैक को लगाए रखें और फिर सर्कुलर मोशन में मसाज करते हुए चेहरे को साफ पानी से धो लें। ये दो तरीके से गर्मियों में आपका चेहरा झुलसने से बचेगा साथ ही साथ स्किन की फ्रेसनेस को कर फील सकेंगी।

Good Friday is not celebrated for happiness but as the sacrifice of Jesus

शुक्रवार यानी 07 अप्रैल को गुड फ्राइडे (Good Friday) मनाया जाएगा। हम जानते हैं कि भारत में सभी पर्व-त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। पर गुड फ्राइडे एक ऐसा पर्व है जिसे प्रभु यीशु के बलिदान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसलिए इसे ब्लैक फ्राइडे भी कहा जाता है और इस दिन लोग प्रभु यीशु के पवित्र बलिदान की याद में शोक जताते हैं।

गुड फ्राइडे के दिन ही प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था। इसलिए लोग इस दिन को शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। यही वजह है कि आम दिनों की तरह गुड फ्राइडे पर चर्च में घंटी ना बजाकर लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं तथा क्रॉस चुनकर प्रभु यीशु को याद करते हैं।

ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और Holy Friday नामों से जाना जाता है

मालूम हो कि गुड फ्राइडे को ब्लैक फ्राइडे, ग्रेट फ्राइडे और Holy Friday जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। यहूदी शासकों ने यीशु को कई शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं। कहा जाता है कि जिस दिन प्रभु यीशु को लकड़ी से क्रॉस बने हुए सूली पर लटकाया गया था उस दिन शुक्रवार था। सूली पर लटकाए जाने और यातनाएं देने के बावजूद भी यीशु ने अपने आखिरी लफ्जों में कहा- ‘हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं। हे फादर! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों में सौंपता हूं।’ मुत्यु के पहले भी यीशु के मुख से आखिरी बार क्षमा और भलाई भरे संदेश ही निकले थे।

जानें सूली पर आखिर क्यों चढ़ाया गया?

Jesus Christ

ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ बाइबल के मुताबिक प्रभु यीशु ने मानव जाति के कल्याण के लिए प्रेम, ज्ञान और अंहिसा का संदेश देते थे। ऐसे में जीजस क्राइस्ट यानी ईसा मसीह के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा था। यीशु की बढ़ती लोकप्रियता से यहूदियों को परेशानी होने लगी और उन्हें ऐसा लगाने लगा कि यीशु की लोकप्रियता की वजह से कहीं उनकी बनी बनाई सत्ता उनसे न छिन जाए। इसलिए यहूदियों ने यीशु को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और इसके बाद उन्हे सूली पर चढ़ा दिया गया। मानव जाति के भलाई के लिए यीशु ने अपने जीवन का बलिदान दे दिया।

ये है गुड फ्राइडे का महत्व

गुड फ्राइडे से पहले ईसाई धर्म के लोग पूरे 40 दिनों तक उपवास रखते हैं। वहीं, कुछ लोग सिर्फ गुड फ्राइडे के दिन ही उपवास रखते हैं। इसे ही लेंट कहा जाता है। गुड फ्राइडे के दिन चर्च को रौशन किया जाता है और खास प्रार्थना होती है। इस दिन लोग काले रंग के लिबास पहनकर चर्च जाते हैं, शोक जताते हैं और यीशु से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। गुड फ्राइडे के बाद आने वाले रविवार के दिन ईस्टर पर्व मनाया जाता है।

Animal first look poster released, Ranbir will be seen in a special avatar

मुंबई: अभिनेता रणबीर कपूर की आगामी फिल्म Animal का फर्स्ट लुक पोस्टर रिलीज हो चुका है। नए साल की पूर्व संध्या पर मेकर्स ने फैंस को खास तोहफा देते हुए इस फिल्म का फर्स्ट लुक पोस्टर साझा किया है। इसमें रणबीर काफी अलग अंदाज में दिखाई दे रहे हैं। मालूम हो कि संदीप रेड्डी वांगा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रणबीर कपूर और रश्मिका मंदाना लीड रोल में नजर आएंगे।

 

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फिल्म का फर्स्ट लुक पोस्टर टी-सीरीज के आधिकारिक इंस्ट्राग्राम अकाउंट से शेयर किया गया है। इस पोस्टर में एक्टर का साइड फेस नजर आ रहा है। पोस्टर जारी करते हुए टी-सीरीज की तरफ से कैप्शन में लिखा है, ‘2023 में तैयार रहें। यह ‘Animal’ का साल है।’

फिल्म Animal के फर्स्ट लुक पोस्टर को मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस पोस्टर को एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना ने भी अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर लगाया है। उन्होंने इसके साथ लिखा है, एनिमल का फर्स्ट लुक सामने आ गया है। मैं बेहद उत्साहित हूं। आप भी देखिए।’ बता दें कि फिल्म के फर्स्ट लुक पोस्टर को यूजर्स की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। एक तरफ कुछ यूजर्स रणबीर के लुक की तारीफ करते नहीं थक रहे तो वहीं कुछ लोग उन्हें ट्रोल करते भी नजर आ रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि ये KGF का रीमेक होगा क्या?’ एक अन्य यूजर ने लिखा कि साउथ के हीरो की कॉपीबाजी हो रही है।’ एक यूजर ने लिखा, ‘बड़ा धमाका होने वाला है। शानदार!’

इस फिल्म के निर्देशन के साथ-साथ संदीप रेड्डी वांगा ने इसे लिखा भी है। यह फिल्म 11 अगस्त, 2023 को दुनियाभर के सिनेमाघरों में नजर आएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह फिल्म 05 भाषाओं में रिलीज होगी। रणबीर कपूर इसमें एकदम अलग रूप में नजर आने वाले हैं। अनिल कपूर, बॉबी देओल और तृप्ति डिमरी भी इस फिल्म में अहम रोल में नजर आएंगे।

'Parents shouldn't have a problem if kids are having sex sensibly'

नई दिल्ली: कंगना रनौत का एक स्टेटमेंट फिर से सुर्खियों में है। साल 2019 में उन्होंने कहा था कि अगर बच्चे समझदारी से फिजिकल रिलेशन बनाएं तो दिक्कत नहीं होनी चाहिए। कंगना ने बताया कि जब उनके पेरेंट्स को मालूम हुआ कि वह सेक्सुअली एक्टिव हैं तो क्या रिएक्शन था। एक इवेंट के समय वह एक शादी के महत्व पर बात कर रही थीं। कंगना ने बहु विवाह पर भड़ास निकाली तो उनका यह बयान फिर से नजरों पर चढ़ गया।

‘बच्चे समझदारी से सेक्स करें तो हर्ज नहीं’

कंगना रनौत ने करीब 03 साल पहले दिल्ली में निजी चैनल के एक प्रोग्राम में सेक्स पर खुलकर बात की थी। उन्होंने कहा था कि जब उनके पेरेंट्स को पता चला कि कंगना सेक्शुअली एक्टिव हैं तो वे दंग रह गए थे। कंगना बोली थीं, मुझे लगता है कि बच्चों के सेक्शुअल पार्टनर्स हों और बच्चे समझदारी से सेक्स कर रहे हों तो पेरेंट्स को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उन्हें प्रोटेक्शन यूज करना चाहिए और मोनोगैमी (एक पार्टनर से संबंध) बहुत जरूरी है। बार-बार पार्टनर बदलना अच्छा नहीं है। इससे आपके सिस्टम पर असर पड़ सकता है।

कंगना के घर की कहानी, उनकी ही जुबानी

कंगना ने आगे कहा था मुझे लगता है जब बच्चा जवान में जाए तो उन्हें अपने आप ही पता होना चाहिए। जैसे मेरे पेरेंट्स को पता चला कि मैं सेक्शुअली ऐक्टिव हूं तो वे दंग रह गए। तो उन्हें क्या उम्मीद थी? मेरी मां जब 19 साल की थीं तब उनकी शादी हो गई, तब मेरे पापा की उम्र महज 21 की थी। तो मुझे नहीं पता कि उनको क्या उम्मीद थी पर पेरेंट्स को थोड़ा सब्र करना चाहिए और बच्चों को सुरक्षित सेक्स के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

जीवन का जरूरी हिस्सा है सेक्स

सेक्स और इसकी इम्पॉर्टेंस के बारे में कंगना ने कहा था कि सेक्स हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा है। जब आपको लगे सेक्स करना है तो जरूर करें। इसके लिए पागल मत हो जाइए। एक समय था जब बचपन में भी बताया जाता था कि ये आपका पति है और आपके इमोशंस उसी इंसान के लिए होते थे। लेकिन आज की जनरेशन में हम सबकी ज्यादातर 30 के बाद शादी होती है। तो जो असल उम्र होती है, आपको हॉर्मोन्स सिर चढ़कर बोलते हैं वो 20 के आसपास की होती है। वह समय बहुत मुश्किल होता है लेकिन उस वक्त लड़का-लड़की शादी नहीं करना चाहते।