हम सभी जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। यह हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रों में जो लोग व्रत रखते हैं , उन्हें साफ सफाई के सारे नियमों का पालन कठोरता से करना होता है। जैसा कि बताया गया है कि यह व्रत कन्याओं और महिलाओं के लिए विशेष फलदायी है ऐसे में उन्हें भी इन व्रत के सभी नियमों का पालन करना होता है लेकिन कुछ चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं।
कई बार नवरात्रों की शुरुआत में, मध्य में या अंत में महिलाएं मासिक धर्म से पीड़ित हो जाती हैं। ऐसे में वे दुविधा महसूस करती हैं कि वह पूजा-अर्चना व व्रत में कैसे प्रतिभागी बने। नवरात्रों के यह 9 दिन सबसे शुद्ध और पवित्र माने जाते हैं, और शक्ति की आराधना की दृष्टि से यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष फलदायी है।
नवरात्रों में कलश स्थापना की जाती है जिसमें 5 या 7 साल के लिए नवरात्रों के व्रत का संकल्प लिया जाता है, तो ऐसे में व्रत को छोड़ना भी संभव नहीं होता तो फिर मासिक धर्म की स्थिति में व्रत कैसे पूर्ण किया जाए?
इस स्थिति में साफ सफाई के नियमों का कैसे पालन किया जाए, चलिए जानते हैं कि ऐसी स्थिति में मां की आराधना के लिए क्या विशेष करें कि नियमों का पालन करते हुए अपना व्रत भी पूर्ण हो जाए।
1. अगर किसी महिला को नवरात्रि की शुरुआत में मासिक धर्म आ जाए तो वह किसी पंडित से कलश या घट स्थापना करा सकती है या अपने घर में किसी और सदस्य के माध्यम से वह यह कार्य करा सकती हैं ।
2. ऐसी स्थिति में भी आप व्रत कर सकते हैं क्योंकि माना जाता है कि अगर कोई महिला अशुद्ध अवस्था में है तो भी वह मानसिक तौर पर पूजा कर सकती है । व्रत का संपूर्ण फल आपको जरूर मिलेगा।
3. अगर आपको नवरात्रों के मध्य में मासिक धर्म हो जाए तो 4 दिनों तक पूजा नहीं करनी चाहिए और ना ही पूजा की किसी सामग्री को स्पर्श करना चाहिए 5वें दिन आप सिर धो कर नहा कर पूजा में सम्मिलित हो सकती हैं।
4. अगर अंत में आप मासिक धर्म से ग्रस्त होती हैं तो आप कन्या पूजन और हवन नहीं कर सकती इसके लिए आपको घर के किसी अन्य सदस्य की सहायता लेनी होगी।
5. कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान चक्कर आना, भूख ना लगना और कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं तो ऐसे में उन्हें पहला और आखरी व्रत रखने की सलाह दी जा सकती है।
6. माता की प्रतिमा को स्पर्श किए बिना आप सच्चे श्रद्धा भाव से व्रत कर सकती हैं भगवान के लिए भक्तों के मन में सच्चा भाव होना जरूरी है, शारीरिक शुद्धता उसके बाद आती है।
7. आप व्रत के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं इसमें आपका साथ आपका फोन देगा। इंटरनेट ऑन करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। बिना पूजा पाठ के समान को स्पर्श करें।
तो इस तरीके से कभी इंटरनेट की मदद लेकर या कभी घर वालों की सहायता से आप अपने श्रद्धा भाव से यह व्रत रख सकती हैं और उन मुश्किल दिनों में भी भक्ति में लीन हो सकती हैं।
फाइल फोटो- गूगल