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Mountain Man

कभी- कभी इंसान का हौसला और उसका जुनून उसे वह करने पर मजबूर कर देता है जो उसने करने का कभी सोचा भी नहीं होता और ना ही सोच सकता है कि इसका क्या परिणाम होगा। परिणाम रूपी नदी को भूलकर वह सिर्फ अपनी प्यास पर फोकस करने लगता है, और फिर वह होता है जिसकी उसने कल्पना नहीं की होती। ऐसा ही हुआ भारत के ‘माउंटेन मैन’ के साथ। जी हां, माउंटेन मैन यानी दशरथ मांझी।।

दशरथ मांझी वह इंसान हैं जिन्होंने एक छैनी और हथौड़ी की मदद से अपने हौसलों की उड़ान को मंजिल दी है। दरअसल, हुआ यूं कि दशरथ मांझी एक ऐसे गांव से ताल्लुक रखते हैं , जहां इंसान को अपनी छोटी से छोटी जरूरत को पूरा करने के लिए एक पहाड़ को पार करना पड़ता था। इसी वजह से एक बार दशरथ मांझी जब अपने काम पर गए थे, तो उनकी पत्नी उनके लिए दोपहर का भोजन लेकर जा रही थी, तभी उस पहाड़ को पार करते हुए उनका पैर फिसल गया और वह गिर गई। इसके पश्चात समय पर इलाज ना मिलने के कारण उनकी मौत हो गई । इस हादसे का दशरथ मांझी पर बहुत गहरा असर हुआ और उन्होंने ठान लिया कि जिस तरह उस विशालकाय पहाड़ ने उनकी पत्नी के जीवन को खत्म कर दिया उसी तरह वह भी उसको खत्म कर देंगे।

छैनी और हथौड़ी से सिर्फ पहाड़ के गुरूर को जमीन में मिलाया

फिर इन्होंने उस पहाड़ को काटकर रास्ता बनाने का संकल्प लिया। एक छोटी सी छैनी और हथौड़ी के साथ उन्होंने पहाड़ काटना शुरू किया। गांव वालों के लिए यह केवल एक मूर्खता भरा फैसला था लेकिन दशरथ मांझी कुछ अलग ही सोच बैठे थे। हालांकि, गांव वालों ने उनको पत्नी को मौत के सदमे के कारण पागल करार दे दिया था लेकिन इस शख्स ने कभी भी किसी की परवाह नहीं की और लगातार 22 साल इस काम में लगे रहे और उन्होंने कर दिखाया कि अगर हौसले बुलंद हो तो एक पहाड़ को काटकर 360 फुट लंबा, 25 फीट गहरा और 30 फीट चौड़ा रास्ता बनाना मुश्किल काम नहीं है।

रास्ते का नाम पड़ा- 

उनके द्वारा बनाए गए रास्ते का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया। दशरथ मांझी के फैसले का भले ही पहले मजाक उड़ाया गया हो लेकिन यह भी हकीकत है कि उनकी कोशिश ने जालौर के लोगों का जीवन सरल बना दिया। जिस तरह दशरथ मांझी ने दृढ़ संकल्प को जीवन का आधार साबित किया, उसी तरह यह भी साबित किया कि किसी के प्रेम को अर्थ देने के लिए ताजमहल बनाना जरूरी नहीं है उनकी तरह रास्ते की बाधाओं को दूर करना भी प्रेम और समर्पण को दर्शाता है।।