Hajj Yatra 2024: इस्लाम धर्म के 5 स्तंभों में से एक अहम स्तंभ हैं हज यात्रा। जी हां, यह हज यात्रा हर सक्षम मुसलमान के लिए जिंदगी में एक बार करना अनिवार्य होता है। यह यात्रा इस्लामी महीने जिल हिज्जा के 8वें से 12वें दिन के बीच सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का और उसके आसपास के पवित्र स्थलों पर की जाती है। हज का मकसद अल्लाह को खुश करना और गुनाहों की माफी हासिल करना है।
यह यात्रा न सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करने का मौका देता है, बल्कि सामुदायिकता, सहयोग और भाई-चारे का भी प्रतीक होती है। हज यात्रा की विधियों और नियमों का सही तरीके से पालन करके मुसलमान अल्लाह की प्रसन्नता और बरकत हासिल कर सकते हैं. इस अवसर पर आइए जानते हैं हज यात्रा के विभिन्न चरणों और खास नियमों के बारे में।
कब तक है पवित्र हज यात्रा
हज की शुरुआत इस्लामिक महीने की 08 तारीख से होती है जो इस साल 14 जून को पड़ रही है, इसलिए इस साल 2024 में हज यात्रा 14 जून से शुरू हो रही है। हज यात्रा करने में 05 दिन लगते हैं इसलिए यह यात्रा 19 जून तक चलेगी और ईद उल अजहा( बकरीद) के साथ पूरी होती है।
हज यात्रा के 5 दिन होते हैं ये खास नियम
हज यात्रा के लिए कुछ नियम होते हैं, जिनका हाजी को पालन करना होता है। हज यात्रा के दौरान हर दिन का विशेष महत्व होता है और हर दिन अलग-अलग गतिविधियां होती है।
पहला दिन: 8वीं जिल हिज्जा
इहराम धारण करना
हाजी मक्का में इहराम धारण करते हैं और नियत (इरादा) करते हैं। इहराम धारण करने के बाद तलबिया (लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक) का उच्चारण करते हैं।
मीना की ओर प्रस्थान
हाजी मक्का से मीना की पहाड़ी ओर प्रस्थान करते हैं और मीना में पहुंचकर पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं और रात मीना में ही बिताते हैं।
दूसरा दिन: 9वीं ज़िल हिज्जा
अराफात की ओर प्रस्थान
हाजी सुबह मीना से अराफात पहाड़ी की ओर प्रस्थान करते हैं। अराफात का दिन हज का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
मुजदलिफा की ओर प्रस्थान
सूर्यास्त के बाद हाजी अराफात से मुजदलिफा की ओर प्रस्थान करते हैं। मुजदलिफा में पहुंचकर मजरीब और ईशा की नमाज एक साथ अदा करते हैं और रात भर वहीं ठहरते हैं। मुजदलिफा में हाजी 49 कंकड़ियां इकट्ठा करते हैं, जिनका इस्तेमाल अगले दिनों में जमरात यानी शैतानों को मारने के लिए किया जाता है।
तीसरा दिन: 10वीं ज़िल हिज्जा
जमरात को कंकर मारना
हाजी सुबह मुजदलिफा से मीना की ओर प्रस्थान करते हैं और मीना में पहुंचकर सबसे बड़े जमरा (शैतान) को 7 कंकड़ियां मारते हैं।
कुर्बानी
कंकड़ मारने के बाद हाजी कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी देने के बाद पुरुष अपने सिर के बाल मुंडवाते हैं या छोटे करते हैं और महिलाएं अपने बालों का एक छोटा हिस्सा काटती हैं।
वापसी
तवाफ और सई के बाद हाजी वापस मीना लौट आते हैं और वहां रात बिताते हैं।
चौथा दिन: 11वीं ज़िल हिज्जा
जमरात को कंकर मारना
हाजी तीनों जमरात (शैतानों) को 7-7 कंकड़ियां मारते हैं। सबसे पहले छोटे जमरा, फिर मंझले जमरा और अंत में बड़े जमरा को कंकड़ियां मारी जाती है।
मीना में ठहराव
हाजी दिन भर मीना में रहकर इबादत करते हैं और रात वहीं बिताते हैं।
5वां दिन: 12वीं ज़िल हिज्जा
जमरात को कंकड़ मारना
हाजी एक बार फिर से तीनों जमरात (शैतानों) को 7-7 कंकड़ियां मारते हैं। सबसे पहले छोटे जमरा, फिर मंझले जमरा और अंत में बड़े जमरा को कंकड़ियां मारी जाती हैं।
मीना से मक्का की ओर प्रस्थान
कंकड़ मारने के बाद हाजी मीना से मक्का की ओर प्रस्थान करते हैं फिर हाजी विदाई तवाफ (तवाफ-ए-विदा) करते हैं।
छठा दिन: 13वीं ज़िल हिज्जा
जमरात को कंकर मारना
अगर हाजी चाहें तो वे 12वीं ज़िल हिज्जा यानी पांचवे दिन मिना से मक्का लौट सकते हैं, नहीं तो 13वीं ज़िल हिज्जा के दिन एक बार फिर से तीनों जमरात को 7-7 कंकड़ियां मारने का नियम हैं। इसके बाद वे मक्का की ओर प्रस्थान करते हैं और विदाई तवाफ (तवाफ-ए-विदा) करते हैं।
हज यात्रा की धार्मिक अहमियत
इस्लाम के 05 फर्ज़ में से एक फर्ज हज है। अलावा इसके चार फर्ज हैं कलमा, रोज़ा, नमाज़ और जकात। माना जाता है हज एक ऐसा फर्ज है जिसे हर सक्षम मुसलमान को अपनी जिंदगी में एक बार जरूर करना चाहिए।
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