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Tag Archives: Shubh Muhurt

KARWA CHAUTH: Karwa Chauth has special significance for married women

KARWA CHAUTH: सुहागिनों महिलाओं के लिए महापर्व है करवा चौथ। बता दें कि कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। करवा चौथ पर सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य के लिए सुबह से ही निर्जला व्रत रखती हैं।

सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर निर्जला व्रत रखते हुए शाम को शुभ मुहूर्त में करवा माता की पूजा और कथा सुनती हैं, फिर रात को चंद्रमा के निकलने पर अर्ध्य देकर व्रत खोलती हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक करवा चौथ का व्रत सुबह से लेकर रात को चांद के दर्शन और पूजन के बाद समाप्त हो जाता है। आइये जानते हैं करवा चौथ व्रत का क्या है महत्व? पूजा का शुभ मुहूर्त और दिल्ली एनसीआर में चांद निकलने के समय के बारे में..

करवा चौथ के मौके पर चंद्रोदय का समय

KARWA CHAUTH: Karwa Chauth has special significance for married women

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार 20 अक्टूबर को करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय शाम 07 बजकर, 53 मिनट पर होगा। देशभर के अलग-अलग शहरों में चांद के निकलने के समय में कुछ बदलाव हो सकता है। दिल्ली में चांद 7:53 बजे, नोएडा में 7:52, गाजियाबाद में 07:52 और गुरुग्राम में 7:55 बजे चांद दिखाई देगा।

करवा चौथ 2024 शुभ तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ पर चतुर्थी तिथि 20 अक्तूबर को सुबह 06 बजकर 46 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन 21 अक्तूबर को सुबह 04 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी।

करवा चौथ 2024 पूजा शुभ मुहूर्त

सुहागिन महिलाएं करवा चौथ पर दिनभर निर्जला व्रत रखते हुए शाम को सोलह श्रृंगार करते हुए एक खास जगह पर एकत्रित होकर करवा माता की पूजा और कथा सुनती हैं। करवा चौथ पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 20 अक्तूबर को शाम 05 बजकर, 46 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर, 54 मिनट तक रहेगा।

फोटो सौजन्य- गूगल

Dhanteras 2023: Know the 'Golden Muhurta' of shopping on Dhanteras

धनतेरस (Dhanteras) पर सोना-चांदी और बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस वर्ष 10 नवंबर को धनतेरस के दिन सोना और चांदी खरीदने का सबसे गोल्डन टाइम यानी शुभ समय दोपहर 02 बजकर, 35 मिनट से 11 नवंबर की सुबह 06 बजकर 40 मिनट के बीच है। अलावा इसके अगर आप इस वक्त खरीदारी से चूक जाते है तो 11 नवंबर को सुबह 06 बजकर, 40 मिनट से दोपहर 01 बजकर, 57 मिनट के बीच सामान परचेज कर सकते हैं।

दिवाली रोशनी का महापर्व है। यह हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में सबसे खास त्योहार है। हर किसी को इस महापर्व का साल भर इंतजार रहता है। दीपोत्सव का यह पर्व पूरे 05 दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। धनतेरस का पर्व छोटी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। पंचांग के मुताबिक धनतेरस का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन धन्वंतरि देव, लक्ष्मी जी और कुबेर महाराज की पूजा कर की जाती है। साथ ही किसी भी वस्तु की खरीदारी के लिए यह दिन उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है। यही कारण है कि लोग इस दिन बर्तनों की खरीदारी के अलावा सोने-चांदी की चीजें भी खरीदते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल धनतेरस पर खरीदारी और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है-

साल 2023 में धनतेरस तिथि

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 10 नवंबर को दोपहर 12 बजकर, 35 मिनट से आरम्भ हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन 11 नवंबर की दोपहर 01 बजकर, 57 मिनट पर होगा। धनतेरस के दिन पूजा प्रदोष काल में होती है, इसलिए धनतेरस 10 नवंबर को मनाई जाएगी।

पूजा मुहूर्त और शुभ मुहूर्त

इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 47 मिनट से रात 07 बजकर 47 मिनट तक है।

धनतेरस पर पूजा की ये है विधि

  • धनतेरस के दिन शाम के वक्त यानी प्रदोष के दौरान काल शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर कुबेर और धन्वंतरि देव की प्रतिमा स्थापित करें।
    साथ ही मां लक्ष्मी व गणेश जी की भी प्रतिमा या चित्र स्थापित करें, फिर दीप प्रज्वलित करें और विधिवत पूजी शुरू करें।
  • सभी देवों को तिलक लगाएं। इसके बाद पुष्प, फल आदि चीजें अर्पित करें।
  • कुबेर देवता को सफेद मिष्ठान और धन्वंतरि देव को पीले मिष्ठान का भोग लगाएं।
  • पूजा के दौरान ‘ऊँ ह्रीं कुबेराय नमः’ इस मंत्र का जाप करते रहें।
  • भगवान धन्वंतरि को खुश करने के लिए इस दिन धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

ये है धनतेरस का खास महत्व

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन उनका पूजन किया जाता है। धनतेरस के दिन धन की देवी लक्ष्मी जी, धन कोषाध्यक्ष कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से घर में धन की कमी नहीं होती है।