Search
  • Noida, Uttar Pradesh,Email- masakalii.lifestyle@gmail.com
  • Mon - Sat 10.00 - 22.00

Tag Archives: Teacher

There is a lot of crowd here but we cannot call anyone our own.

हाल ही में एक खबर सुनी, जिसमें बताया गया कि एक शिक्षक का तबादला होने के बाद उसके शिष्य फूट-फूट कर रोए। क्या हुआ ? सुनने में अजीब लगा ना ?

लगना स्वाभाविक भी है क्योंकि आजकल इतनी भावुकता दिखाता कौन है? वह भी किसी अन्य के लिए। आज के समाज में लोग अपने अपनो के लिए समर्पित नहीं है, जितना ये शिष्य अपने शिक्षक के लिए हो रहे हैं । सच ही तो है, आजकल जिंदगी फेसबुक सी हो गई है, जिसमें भीड़ तो बहुत है, लेकिन हम किसी को अपना नहीं कह सकते। इस फेसबुक, इंस्टा और व्हाट्सएप ने हमें हमारे अपने अपनों से इतना दूर कर दिया है। आलम यह है कि एक साथ बैठे हुए भी हम एक दूसरे से ना बात कर पा रहे हैं, ना उसे महसूस कर पा रहे हैं।

अंदर की भावनाएं तो जैसे मर सी गई है। ना किसी को अपनी कहनी है, ना किसी की सुननी है ।

कभी-कभी हम अपने से इस हद तक दूर हो जाते हैं कि बहुत परेशानी में हम अपने दिल का गुबार तक नहीं निकाल पाते। ऐसे में शुरू होता है डिप्रेशन का दौर।

इस डिप्रेशन में फिर हम अपनी दिखावटी दुनिया(सोशल मीडिया) से भी दूर होने लगते हैं।
डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या जारी रखने में अक्षम कर देती है।

इसके लक्षण इस प्रकार है:

1. दिन भर उदासी महसूस करते रहना।

2. थकावट और कमजोरी महसूस करना।

3. डिप्रेशन होने पर इंसान हर समय अपने आप को गुनहगार सा महसूस करने लगता है।

4. वह अपने फैसले खुद नहीं ले पाता।

5. नींद पूरी या अच्छी तरह से नहीं ले पाता।

6. उस को हमेशा आत्महत्या का विचार आने आता है।

7. बेचैनी महसूस करते हैं ।

8. दिनचर्या की हर गतिविधि में नीरसता होती है।

वैसे तो यह एक मानसिक स्थिति है, लेकिन यह व्यक्ति को शारीरिक तौर पर प्रभावित करती हैं।
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में लगभग 30 करोड लोग डिप्रेशन से ग्रस्त हैं । भारत में इसकी संख्या 5 करोड़ से ज्यादा है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितनी व्यापक बीमारी का रूप ले चुकी है। लेकिन दिनचर्या में बदलाव, आदतों में बदलाव के साथ हम इस पर काबू पा सकते हैं। चलिए जानते हैं इसके बचाव के उपाय:

1. इससे बचाव का सबसे पहला तरीका यही है कि इंसान 08 घंटे की नींद पूरी लें। इसे उसका दिमाग तरोताजा रहेगा।

2. मन में कभी भी नकारात्मक विचार ना आने दे। हमेशा अपने आप को मोटिवेट करते रहें।

3. 10 मिनट रोजाना सूरज की रोशनी में रहें। इससे आपका डिप्रेशन जल्दी हटेगा।

4. सुबह-शाम बाहर टहलने जाए।

5. योग और ध्यान भी आपको इसमें मदद कर सकता है।

6. अपनी हॉबीज को समय दें। जो आपको पसंद हो वो करे।।

7. अपने आप को हमेशा व्यस्त रखें।

8. इससे छुटकारा पाने के लिए आप संगीत भी सुन सकते हैं।

9. हमेशा प्रकृति के साथ समय बिताएं।

10. परिवार के साथ बाहर घूमने जाएं।

11. नियमित अंतराल पर बाहर खाना खाने का प्लान बनाएं।

12. सबसे अहम, कभी भी किसी भी एंटी डिप्रेशन पिल की आदत ना डालें।

Life is not easy but becomes easy when the teacher teaches the lesson of good and bad

एक आर्टिकल पढ़ने के बाद एक बार फिर ये एहसास हुआ कि हमारी जिंदगी में बहुत सारी चीज़ें ऐसी होती है जो हमारे पापा मम्मी , हमारे पड़ोसी हमें चाह कर भी नहीं सीखा पाते…लेकिन उन्हीं चीज़ों को कोई अगर अप्रत्यक्ष रूप से सीखा सकता है वो होता है शिक्षक

जी हां, शिक्षक ही तो है जो हमारे बच्चों को 07 घंटे अपनी छत्र छाया में रखकर वो हर सबक सिखाता है, जिससे जिंदगी जीना आसान ही नहीं बल्कि सहज हो जाता है। पाठशाला में वो उन्हें उन सारे कर्तव्यों को बताते हैं जो उन्हें एक काबिल नागरिक बनाने में मदद करता है।

जी हां, एक बच्चे के जीवन में शिक्षक का क्या महत्व होता है ये आप और मैं भली भांति जानते हैं।
एक बच्चे के जीवन में शिक्षक की क्या भूमिका है….इसे मैं इस आर्टिकल के माध्यम से समझना चाहूंगी।

“अब्राहम लिंकन का पत्र अपने पुत्र के शिक्षक के नाम”

हे शिक्षक, मैं जानता हूं और मानता हूं..
कि ना तो हर व्यक्ति सही होता है और ना ही होता है सच्चा,

किन्तु तुम्हें उसे सिखाना होगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा।

समय भले ही लग जाए, लेकिन
अगर सीखा सको तो उसे सिखाना
कि पाये हुए पांच रुपये से अधिक मूल्यवान है
स्वयं एक रुपया कमाना।

पायी हुई हार को कैसे झेले, उसे यह भी सिखाना
और साथ ही सिखाना, जीत की खुशी को मनाना।
उसे सिखाना कि सबकी बातें सुनते हुए अपने मन की भी सुन सके,

यदि सिखा सकते हो तो सिखाना कि दुःख में भी मुस्कुरा सके,
घनी वेदना से आहत हो, पर खुशी के गीत गा सके ।।

उसे यह भी सिखाना आंसू बहते हो तो उन्हें बहने दे,
इसमें कोई शर्म नहीं…कोई कुछ भी कहता हो … कहने दें ।

उसे साहस देना ताकि वक़्त पड़ने पर अधीर बने,
सहनशील बनाना ताकि वह वीर बन सके।

उसे सिखाना की वह स्वयं पर असीम विश्वास करे,
ताकि समस्त मानव जाति पर भरोसा व आस धरे।
यह एक बड़ा लंबा सा अनुरोध है,

पर तुम कर सकते हो, क्या इसका तुम्हे बोध है?
मेरे और तुम्हारे…दोनों के साथ उसका रिश्ता है;
सच मानो मेरा बेटा एक प्यारा सा नन्हा फरिश्ता है।।

फोटो सौजन्य- गूगल