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Post Abortion Care

Post Abortion: गर्भवती महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आना लाजमी है। लेकिन कई बार वही बदलाव गर्भपात की वजह बन जाते हैं। वहीं, अनवांटेड प्रेगनेंसी भी अबॉर्शन का मुख्य कारण बन जाता है। यदि आप अबॉर्शन पर विचार कर रही हैं तो फिजिकली और मेंटली तैयार कर लेना जरूरी है, फिर चाहे वो सर्जिकल हो या मेडिकल। आइये जानते हैं अबॉर्शन के बाद महिलाओं को किस तरह से अपना ख्याल रखना चाहिए।

अबॉर्शन दो प्रकार का होता है

1. मेडिकल अबॉर्शन

महिलाओं को मेडिकल अबॉर्शन के लिए दवाएं लेने की सलाह दी जाती है। इससे गर्भावस्था को विकसित होने से रोका जा सकता है। दवाओं को निगलकर या फिर योनि में रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है। गोली रखने के 24 घंटों के भीतर ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है।

2. सर्जिकल अबॉर्शन

Post Abortion Care

सर्जिकल अबॉर्शन के दौरान डॉक्टर ऑपरेशन से भ्रूण को हटाते हैं। गर्भ की समय अवधि बढ़ने के अनुसार डॉक्टर सर्जिकल अवॉर्शन का सुझाव देते हैं। ये डॉक्टर और अन्य स्टाफ की देखरेख में किया जाता है। इस प्रकार के अबॉर्शन में ज्यादा ऐंठन का सामना करना पड़ता है।

अबॉर्शन के बाद शरीर को कैसे स्वस्थ रखें

इस बारे में डॉक्टर का कहना है कि अगर अर्ली प्रेगनेंसी में बच्चे की ग्रोथ नहीं हो रही है, तो अबॉर्शन की सलाह दी जाती है। मगर पांचवें महीने के बाद अगर अबॉर्शन किया जाता है, तो उस वक्त स्थिति गंभीर हो सकती है। सही जांच और इलाज ना मिलने से स्वास्थ्य पर उसका नकारात्मक असर दिखता है।

दरअसल, अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग का खतरा बना रहता है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयरन और मल्टी विटामिन लेने की सलाह दी जाती है। इस अलावा हाई इंटैसिटी एक्सरसाइज़ भी हेल्थ को नुकसान पहुंचाती है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक सर्जिकल अबॉर्शन की तुलना में मेडिकल अबॉर्शन में ब्लीडिंग का खतरा अधिक बढ़ जाता है और ये ब्लीडिंग 10 दिन तक रहती है। वहीं, सर्जिकल अबॉर्शन में ब्लीडिंग धीरे-धीरे कम हो जाती है और वो ऑफ एंड ऑन रहती है। वहीं, एक रिसर्च के मुताबिक 78.4 फीसदी महिलाओं ने सर्जिकलअबॉर्शन में ज्यादा दर्द का सामना किया है।

अबॉर्शन के बाद इस तरह से रखें अपना ख्याल

Post Abortion Care

1. आयरन रिच डाइट और सप्लीमेंट आवश्यक

अवॉर्शन के दौरान महिलाओं को हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। इससे खून की कमी होने का खतरा बना रहता है। शरीर में खून की कमी को पूरा करने के लिए आयरन रिच डाइट और सप्लीमेंट्स अवश्य लें। इस के अलावा विटामिन सी का सेवन करने से भी शरीर में आयरन का एब्जॉर्बशन बढ़ने लगता है। इससे शबीटरूटरीर का इम्यून सिस्टम भी बूस्ट होता है। आहार में पालक, बीटरूट, कद्दू और खजूर को शामिल करें।

2. शरीर में पानी की कमी ना होने दें

बार-बार होने वाली वॉमिटिंग और डायरिया के लक्षणों से शरीर में थकान और कमज़ोरी बढ़ती है। दरअसल, शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी इस समस्या को बढ़ा देती है। ऐसे में शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीएं।

3. भारी सामान न उठाएं

महिलाओं को अबॉर्शन के बाद भारी सामान को उठाने से मना किया जाता है। भारी बाल्टी हो या बच्चे को गोद में उठाना हो, इन सभी चीजों से परहेज करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, ब्लडलॉस के चलते शरीर में कमज़ोरी बढ़ जाती है और पीठ दर्द की भी समस्या बनी रहती है। ऐसे में 2 सप्ताह तक वर्कआउट न करने की सलाह दी जाती है। वेटलिफ्टिंग से ब्लीडिंग का खतरा बना रहता है। इसके अलावा किसी भी भारी सामान को उठाने से भी बचना चाहिए और शारीरिक क्षमता के अनुसार ही कार्य करें।

4. बॉडी को रिलैक्स रखें

पीठ में दर्द व क्रैप्स से निपटने के लिए डॉक्टर की बताई दवाएं लें। दरअसल, ब्लीडिंग के दौरान क्रैप्स बढ़ जाते हैं। ऐसे में हीटिंग पैड व हॉट वॉटर बॉटल का प्रयोग करें। इसके अलावा पोस्ट अबॉर्शन बॉडी मसाज भी फायदेमंद साबित होती है।

5. परिवार के लोगों का सपोर्ट है ज़रूरी

अवॉर्शन के बाद महिलाओं को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इस समसया से निपटने के लिए परिवार के सदस्यों को साथ देने की सलाह दी जाती है। ताकि वे तनाव की स्थिति से बाहर आ पाएं। शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण डिप्रेशन, सैडनेस और एंग्ज़ाइटी बढ़ जाती है। इस समस्या से बाहर आने के लिए दवाओं के अलावा पार्टनर का साथ भी बेहद ज़रूरी है।

6. मेडिकल चेकअप कराते रहना जरूरी

महिलाओं को अबॉर्शन के बाद शरीर में शारीरिक और मानसिक कई प्रकार के बदलाव महसूस होने लगते हैं। ऐसे में महिलाओं को चेकअप के दौरान न केवल सप्लीमेंटस लेने की सलाह दी जाती है बल्कि गर्भनिरोधक के इस्तेमाल संबधी जानकारी भी दी जाती है। दरअसल, अबॉर्शन के बाद कंसीव करने के लिए जल्दबाज़ी स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है।

7. पीरियड और प्रेगनेंसी पर रखें नजर

ज्यादातर महिलाओं को अबॉर्शन के 4 से 8 हफ्ते के बाद दोबारा पीरियड साइकल की शुरुआत होती है। वहीं, अबॉर्शन के दो हफ्ते के बाद वेजाइनल सेक्स करने की सलाह दी जाती है। पर अगली प्रेगनेंसी ओवुलेशन पर निर्भर करती है। महिलाओं में ओव्युलेशन पीरियड के 14 दिनों के बाद होता है। अबॉर्शन के एकदम बाद सेक्स करने से बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, शरीर का इम्यून सिस्टम वीक होने से संक्रमण शरीर में फैल सकता है।

फोटो सौजन्य: गूगल

Why the demand for this new process increased to prevent unwanted pregnancy

मां बनना किसी भी महिला के लिए सुखद एहसास से कम नहीं होता है पर अगर आप प्रेग्नेंसी नहीं चाहती तो फिर आपकी परेशानियां काफी बढ़ जाती हैं। प्रेग्नेंसी ना चाहने वाली महिलाओं के लिए बाजार में कई तरह की गर्भ निरोधक मेडिसिन उपलब्ध हैं। इन सारी मेडिसिन का सेवन महिलाओं को इंटरकोर्स के बाद करना होता है लेकिन सोचिए कि कोई ऐसी बर्थ कंट्रोल मेडिसिन हो जिससे सेक्स से पहले खाया जाए और जिससे आने वाले 03 से 05 दिनों में प्रेग्नेंसी को रोका जा सके। एक नए अध्ययन के मुताबिक आने वाले दिनों में यह संभावना हकीकत का अमलीजामा पहन सकती है।

इमरजेंसी के लिए गर्भ निरोधक दवाइयों में अभी यूलिप्रिस्टल एसीटेट ट्रस्टेड सोर्स (UA) लेवोनोजेस्ट्रेल और साइक्लो-ऑक्सीगैनीज- 2 (COX- 2) का इस्तेमाल होता है, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए हालिया क्लीनिकल ट्रायल के दौरान यूए और मेलॉक्सिकैम से बनी नई गर्भनिरोधक मेडिसिन को सुरक्षित और कारगर पाया गया है। ये स्टडी ‘बीएमजे सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ’ जर्नल में प्रकाशित हुई है।

पारंपरिक गर्भनिरोधक मेडिसिन की बात करें तो इसका सेवन डेली करना पड़ता है जबकि इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सेवन सेक्स के बाद किया जाता है। अभी तक प्रेग्नेंसी रोकने की ऐसी कोई दवाई नहीं है जिसे सेक्स के दौरान खाया जाए। इस एक्सपेरिमेंटल गर्भनिरोधक में शामिल यूलीप्रिस्टल एसीटेट और मेलोक्सीकैम उस समय ओव्यूलेशन को रोकता है जब गर्भधारण की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

इस अध्ययन की ऑथर और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रसूति-स्त्री रोग एक्सपर्ट डॉ. एरिका काहिल ने कहा कि ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी कॉन्ट्रासेप्टिव जरूरतें पूरी नहीं हो पाती। कई महिलाएं चाहती हैं कि वो जब सेक्सुअली एक्टिव हों तभी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना पड़े। उन्हें डेली गर्भनिरोधक मेडिसिन ना लेनी पड़े।

महिलाओं पर की कई स्टडी को लेकर डॉ. कहिला ने कहा कि ऑन-डिमांड कॉन्ट्रासेप्शन की सख्त जरूरत है। लोग पहले से ही पेरिकोइटल कॉन्ट्रासेप्शन जैसी इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, बहुत से लोग ऐसे उपायों में भी रुचि ले रहे हैं जिसमें उन्हें इंजेक्शन और इंप्लांट प्लेसमेंट के लिए क्लिनिक बार-बार ना जाना पड़े। अध्ययन के मुताबिक ऑन-डिमांड कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स प्रेग्नेंसी को रोकने में काफा उपयोगी साबित हो सकती है लेकिन इसके लिए और भी शोध किए जाने की आवश्यकता है।