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5 very important questions that every woman has to ask her gynecologist..

क्या आप उन लोगों में से हैं जिन्होंने कभी एक लेडी डॉक्टर से मिलने की जरूरत नहीं समझी? आप कहेंगी मेरी तो शादी ही नहीं हुई, मुझे क्या जरूरत Gynecologist से कुछ भी पूछने की.. तो आप यहां गलती कर रही हैं।

क्या आपको नहीं लगता कि आप अपने शरीर के कुछ हिस्सों को लेकर बहुत कुछ नहीं जानतीं? आपके मन में कभी कभार या चाहे जब ऐसे कुछ सवाल पैदा होते हैं जिन्हें आप कभी पूछ नहीं पातीं। इनके जवाब आपको मालूम भी नहीं हैं पर कुछ उलझने लगातार कायम रहती हैं।

कभी आपने इंटरनेट पर सर्च कर जवाब खोजने का प्रयास किया भी… तो जानकारी काफी ज्यादा मौजूद होने भी और आपकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया होगा। अगर आपके मन में कुछ सवाल हैं ऐसे हैं जिनकी जानकारी होना आपके अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक हैं। इन सवालों के जवाब से ना सिर्फ आप बीमारियों से बची रहेंगी बल्कि आपके जीवन के कई अहम हिस्सा और खास रिश्ते को भी बेहतर तरीके से निभा पाएंगी। इसके लिए आप भी अपनी लेडी डॉक्टर से मिलें और इन प्रश्नों को पूछना ना भूलें।

1. खांसी, छींक या हंसने पर कई बार पेशाब क्यों निकल जाती है

अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो पूछिए अपनी डॉक्टर से कि क्या है इसकी असल वजह। यह यूरिनरी इनकांटिनेंस (यूआई) यूरिन कंट्रोल खोने की वजह से होता है। जिस पर चर्चा की जा सकती है। अनदेखा करना नुकसानदेह साबित हो सकता है और अपने डॉक्टर से सलाह लें।

2. खुद से ही ब्रेस्ट कैंसर का पता कैसे लगाएं

बता दें कभी कभी जानकारी होना भी जरूरी होता है। अगर खतरनाक बीमारी से बचने का रास्ता इतना आसान है तो क्यों ना इसकी जानकारी रखी जाएं। खुद के ब्रेस्ट टच कर कैसे पता करें कि कैंसर तो नहीं पनप रहा, ब्रेस्ट में गांठ तो नहीं बन रहा, इसका पता हर स्त्री को होना चाहिए।

3. पीरियड में ज्यादा खून का आना

कभी बर्दाश्त से बाहर होने वाला दर्द, कभी एकदम से कम और कभी बेहद ज्यादा ब्लड बहाव। इस तरह के अनुभव आसानी से नजरअंदाज कर दिए जाते हैं। आप अलग हैं आपके पीरियड का व्यवहार अलग है। अपनी डॉक्टर से पीरियड के अनुभव जरूर शेयर करें और सवाल पूछें।

4. बर्थ कंट्रोल के कितने तरीके हैं, मेरे लिए कौन सा फिट है

क्या आप सिर्फ गोलियां खाकर गर्भघारण से बच रही हैं। इतने तरीके हैं जो आपको पता नहीं । बेहतर होगा अपनी डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें। आपके लिए सबसे बेहतर क्या है इस बात को समझें और जानें।

5. एसआईटी के लक्षण क्या हैं

आप लेडीज डॉक्टर के पास इसलिए ही गई है कि आपको किसी तरह की अनभिज्ञता न रहे। यहां हर सवाल करें जो जरूरी है। आप विवाहित हैं या नहीं कोई फर्क नहीं। आपने पूछा है तो जवाब जरूर मिलेगा। डॉक्टरों का कहना है कि एसआईटी यानी सेक्‍सुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्‍शन से ग्रसित कई महिलाओं में यह रोग पकड़ में नहीं आता लेकिन उन्हें पीएमएस लक्षणों का सामना अधिक करना पड़ता है। यह अध्ययन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में किया गया है। मासिक धर्म महिलाओं के जीवन को बहुत प्रभावित करता है। यह उनके मूड, ऊर्जा के लेवल, खानपान संबंधी पसंद और यहां तक कि यौन जीवन को भी प्रभावित करता है। फिर भी महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी शोधों में इसे वैज्ञानिक कारक नहीं माना जाता है।

Even today in this male dominated society woman is the only object of consumption..!

हाज़िर हूं जिंदगी से जुड़ी कुछ बेहतरीन बातों औ सच्चाई के साथ। जी हां, कुछ ऐसा जो कड़वा है लेकिन सच है। हो सकता है आप सभी मेरी बात से सहमत ना हो लेकिन आज जो मैं आपके लिए लाई हूं वो एक वर्ग की रोज़ की कहानी है जहां आज भी पुरुष प्रधान समाज का ही राज है। आज भी उस समाज में औरतों को सिर्फ घर संभालने वाली समझा जाता है। आज भी उस समाज में औरतें अपने अस्तित्व ढूंढते हुए अपनी उम्र गुजार देती है। आज भी उस समाज में औरतों को सिर्फ उपभोग की वस्तु समझा जाता है।

कड़वा है लेकिन सच है:

‘दम घुट रहा है, शायद औरत होने की सजा है’

आप लोगों ने तो सिर्फ सुना है एक औरत तो रोज इन परिस्थतियों से रोज़ दो चार होती है, कभी सोचा है उसे कैसा लगता होगा। बचपन से सिखाना शुरू कर दिया जाता है कि अच्छी लड़की वहीं होती है जो सब का अच्छा सोचकर चले। अपने से पहले अपनों का सोचे। लेकिन कभी किसी ने उसके बारे में सोचा? पहले मां-बाप के घर उनके अनुसार रहे, जैसा वो बोले वैसा किया, फिर शादी के बाद तो ये नौबत आ जाती है कि अगर अपने पैरेंट्स से मिलना है तो पहले घर में सबसे आज्ञा लो फिर जाओ।

आज लड़कियां किसी काम में पीछे नहीं है, वो घर और ऑफिस दोनों आराम से चला रही है लेकीन कोई इस पुरुष प्रधान समाज से पूछे कि क्या किसी पुरुष ने ऑफिस से आकर एक ग्लास पानी भी खुद से लिया है। तो जब आज भी लड़कियों के लिए ये समाज पहले जैसा ही है तो ये बराबर के हक़ देने का डोंग क्यों? इससे अच्छा ये है कि आप एक औरत की खूबियों में से उसकी कमियां निकालना बन्द करें और अपनी कमियों पर ध्यान दें।

वैसे, अपनी कमियां खुद निकालना बहुत मुश्किल काम है, इसलिए अगर आपसे ये ना हो तो फिर छोड़ दीजिए औरतों को उनके हाल पर, क्योंकि वो अपने लिए कल भी सक्षम थी, आज भी है, और कल भी होगी।

बस गलती उसकी ये है कि वो आप लोगो की तरह जता नहीं पाई, की आप उसके बिना अधूरे हो और आप लोग तो साहब है, खुद से कभी ये बात समझ नहीं पाओगे। औरतों के लिए कुछ बदल तो नहीं पाया अब तक लेकिन वो अपने आप को बदल सकती है, तो मेरी कोशिश है उन्हें थोड़ा समझाने की…ज़रा गौर फरमइएगा:-

हां, मान लिया अब तुम अपनी जगह बनाना जानती हो,
हां, मान लिया की कढ़ाई में कलछी चलाने के साथ अब तुम लैपटॉप चलना भी जानती हो,
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद कि,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।।
दो मीठे बोल बोले जाए तुम्हें, तो तुम फूल सी खिल उठती हो,
जो भी दिया जाए तुम्हें, तुम हमेशा उसका डबल ही देती हो,
सब कर लोगी तुम, बात फिर भले ही चार काम एक साथ करने की हो,
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद कि,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।।
बीमार हो जाए अगर घर में कोई अपना, तो तुम उसका पूरा ख्याल रखती हो,
फिर होती हो अगर कभी खुद बीमार, तो किसी के स्नेह भरे हाथ को अपने माथे पर ढूंढती हो,
एक जोड़ी पायल गिफ्ट में पा लेने पर, तुम दिन भर ठुमकती हो,
इस दिखावटी प्यार के जाल में, तुम हर बार फंसती हो,
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद कि,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।।
किसी का वंश आगे बढ़ाने की तुम सिर्फ एक कड़ी हो,
वारिस दोगी उन्हे तुम, इसलिए उस घर से जुड़ी हो,
इतने सारे काम के बदले सिर्फ दो रोटी ही तो खाती हो,
उसपर भी कोई कहे की ” सारा दिन क्या किया” तो तुम बिना कुछ कहे सब सुन लेती हो,
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद कि,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।।
सुबह उठ कर पांच बजे तुम रात ग्यारह बजे तक लगी रहती हो,
अपने परिवार के आस पास अपनी पूरी दुनिया बसा लेती हो,
तुम्हारी भी एक ज़िन्दगी है, हर बार ना जाने तुम ये कैसे भूल जाती हो,
सबकी खुशी की खातिर तुम अपना सर्वस्व दांव पर लगा देती हो
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद कि,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।
अपने अंदर भावनाओं को ज़िंदा रखने के लिए तुम रोज खुद को झूठी तसल्ली भी देती हो,
उन सड़े गले रिश्तों के बिना तुम्हारा कोई अस्तित्व नहीं तुम ये मान कर बैठी हो,
उड़ सकती हो खुले आसमान में, तो क्यों तुम खुली हवाओं से कतराती हो,
एक दिन वो दिया खुद के लिए भी रोशन करो, जो रोज तुम दूसरों के अंधेरे मिटाने के लिए जलाती हो।।
लेकिन पगली तुम भूल गई हो शायद कि,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।
लगाकर मेंहदी हाथों में उसपर तुम लाल चूड़ा सजाती हो,
किसी की लंबी उम्र के लिए तुम करवाचौथ भी रखती हो,
बड़ी बिंदी पसंद ना हो उसे, तो उसके लिए तुम छोटी लगाती हो,
लेकिन मौका मिले तो उससे भी पूछ लो कभी कि उसकी ज़िन्दगी में तुम क्या अहमियत रखती हो।।
मानो मेरी बात कुछ अपने लिए भी करो खास,
क्योंकि तुम भूल गई हो शायद कि,
सब करने के बाद भी तुम, इस पुरुष प्रधान समाज में आज भी सिर्फ एक उपभोग की वस्तु हो।।

फोटो सौजन्य- गूगल