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When do women experience more sexual desire?

Ovulation: पीरियड से पहले के कुछ लक्षण और पीरियड के दरम्यान होने वाली दिक्कतों से हम सभी वाकिफ हैं। जहां किसी को क्रैंप होते हैं तो वहीं किसी को चक्कर आता है, किसी को ब्लोटिंग भी होती है पर पीरियड से पहले और उसके दौरान होने वाली सेक्स की कामना भी पीरियड के लक्षणों की वजह होने वाली एक कंडिशन है। वैसे ऐसा सभी के साथ नहीं होता लेकिन कुछ महिलाएं पीरियड्स के दौरान या उसके बाद बहुत अधिक काम वासना फील करती हैं।

ये है इसकी वजह-

Periods और Sex डिजायर के बीच कोई संबंध है ?

Sex के लिए उत्तेजना का हॉर्मोन से गहरा संबंध है। इसके लिए आपके मेंस्ट्रुअल साइकल के हॉर्मोन सबसे ज्यादा जिम्मेदार होते हैं। मैंस्ट्रुअल साइकल आपके पीरियड के पहले दिन से शुरू होती है और इसमें 2 चरण होते है- फोलिक्युलर फेज़ और ल्यूटियल फेज़।

कब ज्यादा होर्नी महसूस करती है महिलाएं

वर्ष 2019 में एक स्टडी किया गया जिसमें 6,000,00 से ज्यादा महिलाओं के मैंस्ट्रुअल साइकल पर नजर रखी गई। इसे एक ऐप पर दर्ज किया गया और इसमें देखा गया कि ज्यादातर महिलाओं में 14वें दिन ओव्यूलेट नहीं हुआ था। जबकि ओव्यूलेशन के दौरान, यानी जब अंडा ओवरी से बाहर निकलकर ट्यूब में जाता है तब ज्यादातर महिलाएं ज्यादा यौनेच्छा का अनुभव करती हैं। साल 2013 के एक अध्ययन के मुताबिक लगातार सेक्स की तीव्र इच्छा के कारण इस दौरान यौन संचारित संक्रमण (STI) का खतरा भी बढ़ सकता है।

मेंस्ट्रुअल साइकल के वे दिन जब आप कम फर्टाइल होती हैं, तब लिबिडो अपने आप कम होने लगती है। अगर ओव्यूलेशन देरी से होता है, तो महीने में अलग-अलग समय में उत्तेजना चरम पर हो सकती है।

1. ओव्यूलेशन के दौरान

महिलाएं ओव्यूलेशन से ठीक पहले सेक्स की अधिक रुचि दिखाती हैं। साल 2015 में एक समीक्षा की गई, जिसमें यह पाया गया कि इस समय महिलाएं सेक्स की ज्यादा पहल करती हैं।

यह अनुमान लगाया गया कि ओव्यूलेशन के 24 घंटे बाद एस्ट्रोजन का स्तर पीक पर होता है। तीन तरह के एस्ट्रोजन हार्मोन में से एक एस्ट्राडियोल महिलाओं में यौन उत्तेजना बढ़ाता है। इस फैक्ट को एक और चीज पुख्ता करती है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्राडियोल कम हो जाता है जिसके कारण यौन इच्छा में कमी आती है।

2. छुट्टियों के समय

किसी व्यक्ति की सेक्स की इच्छा समय पर भी निर्भर करती है, ऐसा हम नहीं, बल्कि रिसर्च कहते है। एक शोध किया गया जिसमें यह पाया गया कि वीकेंड में कॉलेज की उम्र की महिलाओं में सेक्स उत्तेजना वीक डेज की तुलना में अधिक थी। वीकेंड में एक महिला के सेक्स करने की औसत संभावना 22 फीसदी दर्ज की गई। जबकि अन्य दिनों में 9 फीसदी ही थी। इसलिए समय भी सेक्स की इच्छा और उत्तेजना की वजह हो सकता है।

3 फोलिक्युलर फेज़ में

When do women experience more sexual desire?

मेंस्ट्रुअल साइकल का पहला चरण फोलिक्युलर फेज़ है, जो लगभग 01-14 दिनों तक चलता है। इस चरण के दौरान, एस्ट्रोजन का स्तर प्रोजेस्टेरोन के स्तर से अधिक होता है। जब ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन में वृद्धि होती है, तो महिलाएं फोलिक्युलर फेज़ के अंत में ज्यादा सैक्स के लिए उत्तेजित महसूस करती हैं। यह ओव्यूलेशन की शुरुआत का प्रतीक है और इस समय में प्रेगनेंसी की अधिक संभावना होती है।

लुटिल फ़ेज में कम हो सकती है यौनेच्छा

इसे मेंस्ट्रुअल साइकिल का दूसरा चरण कहा जाता है, ये ओव्यूलेशन के बाद, ल्यूटियल फेज़ है। इस फेज़ में प्रोजेस्टेरोन का स्तर एस्ट्रोजन के स्तर से अधिक होने लगता है। लेकिन जब पीरियड होने होते हैं, तो दोनों में गिरावट शुरू हो जाती है, जो एक नए साइकिल की शुरुआत का संकेत देता है।

इस वक्त सेक्स की कम इच्छा महसूस होती है। हालांकि, हर महिला अपनी भावनाओं को अलग-अलग तरीके से संसाधित करती है। इसलिए यौन आनंद के लिए अपने सही समय और सही भावनाओं को समझने की आवश्यकता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Foreplay

शादी दो आत्माओं का मिलन होता है। शादी में सिर्फ प्यार और लगाव ही नहीं होता बल्कि इसमें इंटिमेसी भी काफी जरूरी होती है। शादी में सब कुछ अच्छा चलने के लिए प्यार और लगाव के साथ Physical Relation का होना भी काफी अहम माना जाता है। एक हेल्दी रिलेशन के लिए यह काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में बहुत से कपल्स बीच शादी के इंटिमेसी या तो बेहद कम होती है या ना के बराबर होती है।

अगर आप भी ऐसे कपल हैं जिनकी फिजिकल लाइफ बिल्कुल ठीक नहीं है तो हम आपको इसके नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं। आपको बता रहे हैं कि किस प्रकार इंटिमेट ना होना आपकी सेहत को भारी नुकसान का सबब बन सकता है।

आइये समझें-

कम होने लगती है रोग प्रतिरोधक क्षमता-

जिस कपल्स के बीच इंटीमेसी नहीं होती है उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण आपको छोटी-छोटी समस्याएं बीमार कर सकती है।

घबराहट की शिकायत-

लंबे वक्त फिजिकल रेलेशन ना बनाने से कपल्स को घबराहत का शिकार होना लाजमी है। वहीं, जो लोग नियमित रूप से फिजिकल रिलेशन बनाते हैं उन्हें इस समस्या का सामाना नहीं करना पड़ता।

लूब्रिकेशन में कमी-

लंबे समय तक कोई फिजिकल रिलेशन ना बनाने से महिलाओं को वजाइना में ड्राइनेस की समस्या हो सकती है। वहीं, अधिक उम्र की महिलाएं अगर फिजिकल रिलेशन नहीं बनाती हैं तो लूब्रिकेशन की कमी की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

पीरियड्स में दिक्कत-

फिजिकल रिलेशन से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है। वहीं, जो महिलाएं लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन नहीं बनाती उन्हें पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द सहना पड़ता है।

Women who do not wear BRA, be careful, be alert to avoid harm

ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जिन्हें ब्रा (BRA) पहनना घुटन का एहसास कराता है। ब्रा पहनने में महिलाओं का कहना है कि उन्हें काफी कसा हुआ लगता है। ब्रा को लेकर अलग-अलग हेल्थ एक्सपर्ट की अपनी अलग ही सोच होती है। वहीं, दूसरी तरफ कुछ का मानना है कि ब्रा पहनने से सेहत को कोई घाटा नहीं होता, जबकि कुछ का मानना है कि महिलाओं के लिए ब्रा पहनना काफी जरूरी होता है। ब्रा पहनना या ना पहनना वैसे तो हर महिला की अपनी पर्सनल च्वॉइस होती है पर आइये जानते हैं कि इस संबंध में हेल्थ एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां ब्रेस्ट को लेकर

Bra के फायदों के बारे में जानने से पहले आपको अपने ब्रेस्ट के बारे में जानना काफी जरूरी होता है। ब्रेस्ट ग्लेंड्यूलर टिशू (ग्रंथि ऊतक) और फैट से बने होते हैं। न्यू जर्सी में प्लास्टिक सर्जरी में बोर्ड-सर्टिफाइड प्लास्टिक सर्जन, एमडी, एलेक्सिस पार्सल्स ने बताया कि ब्रेस्ट को फर्म रखने के लिए एक लिगामेंट होता है, जिसे कूपर लिगामेंट कहते हैं। ब्रेस्ट का शेप ग्लेंड्यूलर टिशू और फैट पर निर्भर करता है।

ब्रा पहनना या बिना ब्रा के रहना हर महिला की अपनी पर्सनल च्वॉइस है। अगर आप Bra नहीं पहनती हैं तो आपको इस बात से डरने की कोई जरूरत नहीं है कि इससे आप अपने ब्रेस्ट को नुकसान पहुंचा रही हैं या ब्रा ना पहनने से कुछ बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है लेकिन कुछ स्पेसिफिक टाइमिंग पर जब आप ब्रा नहीं पहनती तो इससे आपके ब्रेस्ट डैमेज हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं ब्रा पहनने के कुछ फायदे-नुकसान-

गर्दन में हो सकता है Pain

Women who do not wear BRA, be careful, be alert to avoid harm

बोर्ड-सर्टिफाइड प्लास्टिक सर्जन और न्यूयॉर्क सिटी में ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन स्पेशलिस्ट एम चेन के मुताबिक अगर आपका ब्रेस्ट साइज ज्यादा है तो ब्रा ना पहनने से आपको गर्दन में दर्द का सामना करना पड़ सकता है। ‘द जर्नल ऑफ ऑर्थोपेडिक्स’ में पब्लिश एक स्टडी में ब्रेस्ट का लार्ज कप साइज और कंधे या गर्दन में दर्द के बीच एक लिंक पाया गया। स्टडी में पाया गया कि ब्रेस्ट का साइज ज्यादा होने पर ट्रेपेज़ियस मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है जिससे गर्दन के पीछे से कंधों तक दर्द का एहसास होता है। ऐसे में जरूरी है कि ब्रेस्ट को सपोर्ट देने के लिए और गर्दन के दर्द से बचने के लिए आप एक सही साइज की ब्रा पहनें।

आपका पॉश्चर हो सकता है ठीक

बहुत सी महिलाओं को ब्रा पहनना बिल्कुल भी पसंद नहीं होता क्योंकि उन्हें ब्रा पहनने पर काफी असहजता महसूस होती है। इसकी एक ही वजह, सही साइज और फेब्रिक की ब्रा ना पहनना हो सकता है। गलत ब्रा पहनने से आपके ब्रेस्ट में दर्द हो सकता है। ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं जो गलत साइज की ब्रा पहनती हैं।

डॉ. पार्सल्स के मुताबिक गलत साइज की ब्रा पहनने से आपको असहज महसूस होने के साथ ही ब्रेस्ट में दर्द, हवा पास ना होना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है साथ ही इससे आपके पॉश्चर पर भी काफी बुरा असर पड़ता है और ब्रेस्ट मसल्स में भी काफी दिक्कत होती है। डॉ. पार्सल्स ने कहा कि जब आप एक अच्छी फिटेड ब्रा पहनती हैं तो इससे आपको काफी हल्का महसूस होता है और पता भी नहीं चलता कि आपने कुछ पहना है।

ब्रेस्ट झुकने की संभावना रहती है ज्यादा

एक अच्छी ब्रा आपके ब्रेस्ट को सपोर्ट करती है और उन्हें झुकने या लटकने से बचाती है। एनल्स ऑफ प्लास्टिक सर्जरी में हुई एक स्टडी में सुझाव दिया गया है कि उम्र, हाई बीएमआई, प्रेग्नेंसी और स्मोकिंग के कारण भी ब्रेस्ट झुकने या लटकने लगते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर- अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, इंटरनेट पर कई तरह की अफवाहों के चलते माना जाता है कि ब्रा पहनने से ब्रेस्ट कैंसर बढ़ता है। क्योंकि इससे लिंफ फ्लो में बाधा आती है। वैसे यह बिल्कुल भी सही नहीं है। वर्ष 2015 में हुई एक स्टडी के मुताबिक ब्रा पहनने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा नहीं होता।

एक्सरसाइज के दौरान नहीं होना चाहिए Braless

आप अगर एक्सरसाइज करती हैं या रनिंग के लिए जाती हैं तो जरूरी है कि ब्रा जरूर पहनें। एक्सरसाइज और रनिंग करते समय ब्रा आपके ब्रेस्ट को प्रोटेक्ट करती है। वर्कआउट करते समय ब्रेस्ट के लिगामेंट्स खिंच जाते हैं और लंबे समय तक बिना ब्रा के एक्सरसाइज करने से ब्रेस्ट का शेप भी खराब हो जाता है। बिना ब्रा के इंटेंस वर्कआउट करते समय ब्रेस्‍ट के चारों ओर लिंगामेंट में स्‍ट्रेच आ जाते हैं जिससे ब्रेस्ट लटकने लगते हैं।

Navratri: Many times women face menstruation at the beginning or end of Navratras.

हम सभी जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। यह हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रों में जो लोग व्रत रखते हैं , उन्हें साफ सफाई के सारे नियमों का पालन कठोरता से करना होता है। जैसा कि बताया गया है कि यह व्रत कन्याओं और महिलाओं के लिए विशेष फलदायी है ऐसे में उन्हें भी इन व्रत के सभी नियमों का पालन करना होता है लेकिन कुछ चीजें हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं।

कई बार नवरात्रों की शुरुआत में, मध्य में या अंत में महिलाएं मासिक धर्म से पीड़ित हो जाती हैं। ऐसे में वे दुविधा महसूस करती हैं कि वह पूजा-अर्चना व व्रत में कैसे प्रतिभागी बने। नवरात्रों के यह 9 दिन सबसे शुद्ध और पवित्र माने जाते हैं, और शक्ति की आराधना की दृष्टि से यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष फलदायी है।

नवरात्रों में कलश स्थापना की जाती है जिसमें 5 या 7 साल के लिए नवरात्रों के व्रत का संकल्प लिया जाता है, तो ऐसे में व्रत को छोड़ना भी संभव नहीं होता तो फिर मासिक धर्म की स्थिति में व्रत कैसे पूर्ण किया जाए?

इस स्थिति में साफ सफाई के नियमों का कैसे पालन किया जाए, चलिए जानते हैं कि ऐसी स्थिति में मां की आराधना के लिए क्या विशेष करें कि नियमों का पालन करते हुए अपना व्रत भी पूर्ण हो जाए।

1. अगर किसी महिला को नवरात्रि की शुरुआत में मासिक धर्म आ जाए तो वह किसी पंडित से कलश या घट स्थापना करा सकती है या अपने घर में किसी और सदस्य के माध्यम से वह यह कार्य करा सकती हैं ।

2. ऐसी स्थिति में भी आप व्रत कर सकते हैं क्योंकि माना जाता है कि अगर कोई महिला अशुद्ध अवस्था में है तो भी वह मानसिक तौर पर पूजा कर सकती है । व्रत का संपूर्ण फल आपको जरूर मिलेगा।

3. अगर आपको नवरात्रों के मध्य में मासिक धर्म हो जाए तो 4 दिनों तक पूजा नहीं करनी चाहिए और ना ही पूजा की किसी सामग्री को स्पर्श करना चाहिए 5वें दिन आप सिर धो कर नहा कर पूजा में सम्मिलित हो सकती हैं।

4. अगर अंत में आप मासिक धर्म से ग्रस्त होती हैं तो आप कन्या पूजन और हवन नहीं कर सकती इसके लिए आपको घर के किसी अन्य सदस्य की सहायता लेनी होगी।
5. कुछ महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान चक्कर आना, भूख ना लगना और कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं तो ऐसे में उन्हें पहला और आखरी व्रत रखने की सलाह दी जा सकती है।

6. माता की प्रतिमा को स्पर्श किए बिना आप सच्चे श्रद्धा भाव से व्रत कर सकती हैं भगवान के लिए भक्तों के मन में सच्चा भाव होना जरूरी है, शारीरिक शुद्धता उसके बाद आती है।

7. आप व्रत के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं इसमें आपका साथ आपका फोन देगा। इंटरनेट ऑन करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। बिना पूजा पाठ के समान को स्पर्श करें।

तो इस तरीके से कभी इंटरनेट की मदद लेकर या कभी घर वालों की सहायता से आप अपने श्रद्धा भाव से यह व्रत रख सकती हैं और उन मुश्किल दिनों में भी भक्ति में लीन हो सकती हैं।

फाइल फोटो- गूगल

शतावरी महिलाओं के लिए जरूरी
ये जुमला बहुत बार सुना होगा आपने लेकिन एक लड़की को मां बनने की इस प्रक्रिया में बहुत सारे चरणों से गुजरना पड़ता है। राहें कभी कभी बहुत मुश्किल होती है, इस सफ़र की।