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Tag Archives: World Heart Day

WHO warning: Long working hours increase the risk of heart disease and heart attack

भारत में युवाओं में हार्ट अटैक के केस लगातार बढ़ रहे हैं। जिसके पीछे निष्क्रिय जीवनशैली ,शराब, जंक फूड का सेवन माना जा रहा है। धूम्रपान की वजह से हृदय की मांसपेशियां वक्त के साथ सख्त हो जाती है। इसके कारण यह खून को पंप करने में असमर्थ हो जाती है, जिससे बॉडी के अहम अंगों में OXYGEN और पोषक तत्वों की मात्रा सीमित हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक लंबे समय तक काम से ह्दय रोग और स्ट्रोक से होने वाली मौतें बढ़ रही हैं। जिसे देखते हुए हमें वक्त रहते सतर्क होने की जरूरत है।

विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड- 19 महामारी की शुरुआत के बाद से दुनिया भर में ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे हैं। यह उपाय वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने में सहयोग करने के लिए महत्वपूर्ण रहा है पर इसके कुछ बैड इफेक्ट भी हैं।

इस महामारी में यह एक अहम मुद्दा बन गया है क्योंकि घर से काम करने से लोगों को अपने कंप्यूटर स्क्रीन के सामने लंबे समय तक बैठे रहना पड़ता है। इससे ना सिर्फ काम के घंटे ज्यादा लंबे हो जाते हैं बल्कि काम पर तनाव तेजी से बढ़ रही है। काम के लिए अधिक वक्त अक्सर स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। काम के लिए विश्व स्तर पर एक दूसरे से जुड़े लोग निर्धारित समय के बाद भी घंटों काम में बिजी रहते हैं। यह सब बॉडी में नुकसानदेह एक्टिविटी को बढ़ावा देता है। मालूम हो कि कामों का ज्यादा प्रेशर कई तरह की अन्य बीमारियां भी साथ लाता है।

डॉक्टरों का मानना है कि गतिहीन जीवन शैली, हाई ब्लड प्रेशर, बढ़ता तनाव, हाई कॉलेस्ट्रोल, तंबाकू का सेवन, डाईबिटीज और प्रदुषण भारत में ज्यादा से ज्यादा लोगों को हृदय रोगों की चपेट में ले रहा है। तनाव परीक्षण, कोरोनरी कैल्सीफिकेशन या सीटी, एडवांस्ड लिपिड का टेस्ट सीआरपी आदि जांचों की मदद से हार्ट अटैक होने की पता लग सकता है। लोगों को अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए तीन नियम-

  • 30-40 मिनट दैनिक व्यायाम,
  • बैलेंस आहार
  • सकारात्मक मानसिकता का पालन

World Heart Day हर साल 29 सिंतबर को मनाया जाता है, जिसका मकसद हार्ट रोगों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा और ह्दय रोगों को नियंत्रित करना है। लेकिन हार्ट की बीमारी (CVD) विश्व स्तर पर मृत्यु का सबसे आम वजह बन चुकी है। साल 2016 में सीवीडी से अनुमानित 1.79 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई जो विश्व स्तर पर हुई कुल मौतों का 31 फीसदी था और इनमें से 85 फीसदी मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक की वजह से हुईं।