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Tag Archives: जिंदगी

First of all free yourself from the clutches of the society

हमारी आंखे अक्सर चेहरे की सुंदरता को ही देख पाती हैं, काश कि मन की सुंदरता को भी इसी तरह से देखा जा सकता।
अगर हम चेहरा देखने की जगह मन के विचारों की सुंदरता देख पाते तो शायद सुंदरता की परिभाषा अलग होती।।

दो सहेलियों ने एक जॉब के लिए इंटरव्यू दिया, और एक को चुन लिया गया और जिसको चुना गया उसने दूसरे को यह कहते हुए ताना मारा कि काबिलियत की किसे परवाह है? मुझे तो मेरा चेहरा देखकर ही चुन लिया गया।

इस तरह की बातों को देखकर सुनकर अक्सर दिल में ख्याल आता है, कि क्या सुंदर ना होना वास्तव में एक अपराध है? हर दिन न जाने कितने ही लड़के और लड़कियां सुंदरता के नाम पर किए जाने वाले इस भेदभाव के शिकार होते हैं। समाज की इस दुत्कार की वजह से हीन भावना का शिकार होते हैं।

दोस्तों, हम समाज की परिभाषा नहीं बदल सकते पर अपनी बदल सकते हैं। खुद को समाज के इस तराजू में तौलना बंद कर दीजिए।
याद रखिए, यह आपका अपना शरीर है और यही सब कुछ है। दरअसल, जिनके पास जो नहीं है, वह उसी को पाना चाहता है। फिर चाहे पैसा हो , सफलता हो, संबंध हो या फिर सुंदरता।।

हम सुंदर होने के लिए इसलिए बेचैन होते हैं क्योंकि हम मान लेते हैं कि हम सुंदर नहीं हैं।
आपने सुना होगा मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। तो बस फिर आज से ही मानना शुरू कर दीजिए कि आप बहुत सुंदर हैं।
सबसे पहले अपने आपको समाज के चुंगल से छुड़ाए और अपनी चिंता करें।

1. सुंदरता को समाज नहीं बल्कि आप तय कीजिए। यह समाज कभी भी अपनी राय आपके लिए बदल सकता है लेकिन उससे पहले आपको अपने बारे में सोच बदलनी पड़ेगी।।

2. आपको एक ही जीवन मिला है और एक ही शरीर। यही शरीर आपका अंत तक साथ देगा इसलिए यह आपके लिए साधना का स्रोत है। इसका आभार व्यक्त करें ,इसे प्यार करें और स्वीकार करें।

3. हमारे लिए विचारों की सुंदरता अहम होती हैं। समाज चेहरे से आकर्षित हो सकता है, लेकिन प्यार गुणों से ही होता है। अपनी सेहत का ध्यान रखें और अपने साथ मुस्कुराहट को जरूर रखें।

4. कभी भी अपने आप को कोसिए मत। आपने अपने को जानने की कोशिश कीजिए ,आपको क्या पसंद है, आप किस वजह से खुश होती हैं। यह सब अपने बारे में जानिए और उसी तरीके से आप अपने जीवन को बिताएं।

5. खुद को प्रकृति से जोड़ना सीखे ।आईने में दिखने वाले से नहीं , अपनों के हंसते-मुस्कुराते चेहरों में खुद को देखने की कोशिश करें।।

Whatever happens, take care of your happiness..
जिंदगी में हर इन्सान सुखी रहना चाहता है। चाहे वह धन, शक्ति या फिजिकल सुख हो। लोग इसमें सुख के लिए लिप्त होते हैं। कुछ लोग दुख से भी आनंद हासिल करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें प्रसन्नता मिलती है।
Life wants to run me according to its own accord and heart at its own pace

पिछले कुछ सालों से याद ही नहीं कि कब मैं सुकून के दो पल बैठकर महसूस कर पाई हूं। बस भागती जा रही हूं.. ना तो ये पता है कि रास्ता सही भी है और ना ये पता है कि रास्ता अब और  कितना बचा है। ये भी नहीं पता कि खुद के लिए भाग रही हूं या जिंदगी मुझे भगा रही है। जब स्कूल में थे तो दिल करता था कि जल्दी से जल्दी बड़े हो जाए। अपने फैसले खुद ले पाएं लेकिन जब से बड़े हुए है जिंदगी सिर्फ भगाए जा रही है।

दरअसल, जिंदगी और इस जिद्दी दिल की ठनी हुई है, जिंदगी मुझे अपने हिसाब से चलाना चाहती है और दिल अपने हिसाब से।
सच में वो बचपन वाली जिंदगी बहुत हसीन हुआ करती थी। जो दिल करता था वो किया करते थे। जब भी कोई दिक्कत परेशानी हुआ करती थी तो मां हुआ करती थी पास, बस एक बार प्यार से सिर पर हाथ रख देती थी तो लगता था कि पूरी दुनिया बस हमारे ही इर्द गिर्द घूम रही है।
और कभी प्यार से गोदी में उठाकर माथा चूम लेती थी तो ये दिल सातवें आसमान पर होता था।
उस समय समझ नहीं थी फिर भी सुकून था। आज इस समझदारी ने सारा चैन छीन लिया है।
बड़े हो गए, शादी हो गई, सेटल हो गए लेकिन ये दिल आज भी उन पुराने दिनों में लौटना चाहता है, जहां मां और उसका ढेर सारा प्यार बिना मांगे मिलता था।

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए,
काफी समय बीत गया नई दुनिया बसाए हुए
पर ना जाने क्यों शाम ढलते ही ये दिल उस घर पहुंच जाता है
मां की आवाज़ सुनने को ये दिल यूंही मचल जाता है
महक वो मां के खाने की महसूस करना चाहता है
वो हर त्यौहार उनका बहुत चाव से मनाना,
वो हर रोज सुबह जल्दी उठ जाना,
हम सब को खिलाकर फिर खुद खाना,
शाम को पापा के ऑफिस से आने का इंतजार करना,
हर जन्मदिन पर हमें नए कपड़े दिलाना,
और खुद कई त्यौहार उसी पुरानी लाल साड़ी में बिताना,
हमारे बीमार पड़ने पर उनका वो रात भर जागना,
हर बार पापा की डांट से हमें बचा लेना,
हमारी तकलीफ में खुद आंसू बहाना,
बहुत याद आता है वो घर जहां सिर्फ और सिर्फ अपनापन की ही बहार थी।

बहुत मुश्किल से दिल को समझाती हूं कि वो दिन बीत गए, अब उन दिनों को तुम सपने में जी लिया करो।

उन दिनों को याद कर मैं कुछ इस तरह जी पाती हूं,
आज भी मां से किए वो सारे वादे निभाती हूं,
सबको खुश रखने कि कोशिश में मैं खुद को भूल जाती हूं।
मैं भी अब मां की तरह सब को खिलाकर फिर खुद खाती हूं,
चाहे कितना ही लेट सोना हो फिर भी प्रात: काल उठ जाती हूं,
अपने अरमानों को अब में दिल के किसी कोने में दफनाती हूं,
कभी कभी मां की ही तरह मैं हालात से समझौते भी कर जाती हूं।

जानती हूं कि वो दिन अब लौट कर नहीं आयेंगे,
इसलिए मैं इस अड़ियल दिल को कई बार समझाती हूं,
जानती हूं कि वो सिर्फ मां नहीं भगवान है मेरी,
इसलिए अब भी तकलीफ होने पर सिर्फ उनको ही बताती हूं।।

 

...but even after lakhs of efforts, we could not get anyone's 'Ji-huzoori'.

दोस्तों, आज मैं आपकी होस्ट और दोस्त आपके लिए लेकर आई हूं जिंदगी से जुड़ी अनछुए पहलू जो उन पलों से जुड़ा हुआ जब हम अचानक बड़े हो जाते है और महसूस करते है कि जो दिखता है अक्सर उसके उल्ट होता है। वो बचपन में परिवार, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से सीखी हुई रिश्तों की A, B, C.. अचानक से हम भूलने लगते है। ऐसा लगता है मानो जो जिंदगी हमने पहले जी है वो अब वाली जिंदगी से तो मेल ही नहीं खाती। तो क्या जो पहले सीखा वो सब बेबुनियाद था? क्यों उस वक्त किसी ने ये नहीं सिखाया कि आगे की जिंदगी सिर्फ और सिर्फ समझौते से भरी होगी।

कभी-कभी हम ज़िन्दगी के उस मोड़ पर होते है, जहां ठहरना कुछ ज़रूरी सा हो जाता है और उस वक्त हमारे पास यह मौका होता है जब हम अपनी आंखों पर बंधी पट्टियां उतार सकते है, अपने आपको झूठी तसल्लीयों की जो घुट्टी पिलाई होती है, उनको बाहर निकाल कर सकते है, दूसरों की अच्छाइयों की जो परतें खुद पर चढ़ाई हैं उन्हें धो सकते है।

दरअसल, आजकल हर चीज़ में मिलावट हो गई है, यहां तक कि लोगो ने रिश्तों को भी नहीं छोड़ा। अब ये बात हम सब को पता है लेकिन हम इसे हज़म नहीं कर पाते, हां भई, करें भी तो कैसे? रिश्ते तो सबको चाहिए अब कोई अकेले कैसे जी सकता है। बस, यही से शुरू होता वो दौर खुद को झूठी तसल्ली देने का, अगर किसी ने दिल दुखाया तो हम सेकंड नहीं लगाते खुद को ये बात समझाने में कि…उसने जान बूझ कर नहीं किया।

कोई धोखा दे …तो उसकी कोई मजबूरी रही होगी।
कोई फायदा उठाए… तो कोई नहीं अगली बार नहीं करेगा।
कोई बर्बाद करने पर भी उतारू हो.. तो कोई नहीं, भगवान देख रहा है।
फिर जब कभी इन सब से थक कर, किसी अंधेरी रात में किसी कोने में खुद को अकेला पाते है तब समझ आता है इन गलतफहमियों के साथ से तो अकेला रहना ज्यादा अच्छा है। तब समझ आता है जब मन ऊपर तक भर जाए और बहुत अकेला महसूस हो, तो खुद को दी गई झुठी तसल्ली भी कोई राहत नहीं पहुंचा सकती…उस रात को जो समझ आता है, उस पर ज़रा ग़ौर फरमाए:-

ज़िन्दगी तेरे रंगों से रंगदारी ना हो पायी,
लम्हा-लम्हा कोशिश की हमने, मगर यारी ना हो पायी,
गुनाह तो किए बहुत दूसरों को आबाद करने के,
मगर अफसोस कि किसी भी गुनाह से गिरफ्तारी ना हो पायी,
खुशियां हमने भी बेशुमार लुटाई सब पर,
पर गलती से भी वो खुशियां हमारी ना हो पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमने, मगर यारी ना हो पायी।।

इम्तहान बहुत दिए हमने, मगर कभी वो कामयाबी हासिल ना हो पायी,
ज़िन्दगी के इन मुश्किल इम्तहानों की हमसे कभी तैयारी ना हो पायी,
मौके बहुत दिए कुछ शातिर दिमाग़ लोगों ने, हमें पास कराने के,
लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी हमसे किसी की ‘जी- हुजूरी’ ना हो पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमने, मगर यारी ना हो पायी।।
अपने उसूलों पर जिए हम, इसलिए किसी से गद्दारी ना हो पायी,
लोगों की तरह ‘बाहर से कुछ अंदर से कुछ’ जैसी अदाकारी ना हो पायी,
जानते हैं जनाब, बहुत मुफलिसी में गुजारे है दिन हमने,
मगर फिर भी गुलाबी नोटों के लिए हमसे, किसी की गुलामी ना हो पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमनें मगर यारी ना हो पायी।

एक बार टूट जाने के बाद वो सुनहरे सपनों की कड़ी हमसे ना जुड़ पायी,
ओस की तरह गिर तो गए किसी के लिए, मगर फिर भी ये ज़िन्दगी चमकता मोती ना हो पायी,
हां, कभी सूखे पत्तों की तरह ठंड मिटाने को किसी की, जला तो दिया खुद को,
लेकिन चाह कर भी किसी के दिए की बाती ना बन पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमने मगर यारी ना हो पायी।।
दूसरों को मुस्कुराने की वजह देते देते, ये ज़िन्दगी कभी अपनी गिरेबान में ना झांक पायी,
उस चांद को पाने की चाह में ये आंखें ठीक से कभी सो ना पायी,
सोचा था कभी कि एक दिन अपने लिए भी सब सहेज लूंगी,
लेकिन आज ज़रा ठहरी हूं कुछ पल के लिए तो समझ आया कि अपने लिए तो मैं कभी कुछ कर ही नहीं पायी,
लम्हा लम्हा कोशिश की हमने मगर यारी ना हो पायी।।

Remember, whatever person comes in your life, he leaves only after learning something.

आपने बहुत बार सुना होगा कि
Fate choose your relations,
You choose your friends..

ये लाइनें हम सब की ज़िन्दगी में बहुत सटीक बैठती है।। रोज रोज की इस भागमभाग में हम बहुत से लोगो से मिलते हैं और ये स्वभाविक है कि वो सब अलग अलग व्यक्तित्व के होते है। लेकिन उनमें से कई हमें इतना प्रभावित करते है जिसकी हमने पहले कभी कल्पना भी नहीं की होती।

शायद आपको इस टॉपिक में कोई खास इंटरेस्ट ना आए लेकिन फिर भी मैं बोलना चाहूंगी-

हाल ही में एक ऐसी शख्सियत से सामना हुआ, जिनका Helpful Nature मुझे ये सिखाने में कामयाब रहा कि हर इनसान एक जैसा नहीं होता। अगर आप किसी नए इनसान से मिलते हो तो किसी और के बर्ताव के कारण उसे कड़वा मत बोलो। क्योंकि ये बिल्कुल ज़रूरी नहीं कि किसी पुराने शख्स के बर्ताव से जो आपको परेशानी हुई है ,उसी तरह का बर्ताव आपको इस नए इनसान से भी मिले।

याद रखिए आपकी ज़िंदगी में जो भी इनसान आता है, आपको कुछ ना कुछ सीख देकर जाता है लेकिन वो आप पर निर्भर है कि आप उसे सकारात्मक लेते है या नकारात्मक। तो अगली बार आप किसी से मिले तो पहले उसको Observe करे, हो सकता है वो आपको जीवन जीने के तरीके और दूसरे के प्रति आपके नज़रिए को पूरी तरह बदल दे।

और हां, आप अपने आप को भी इन लोगो में शामिल कर सकते हैं, लेकिन उससे पहले कुछ बातों पर ग़ौर करना होगा:-

1. मुस्कुराए: हर इनसान की जिंदगी में परेशानियां आती ही है, और हम सब ये भी जानते है की हर टाइम एक सा नहीं रहेगा । बुरा वक्त भी बीत जाता है , इसलिए हमेशा किसी से भी मिले तो मुस्कुरा के मिले। इससे सामने वाला थोड़ा सहज महसूस करेगा।

2. अच्छा सोचें: अच्छा सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि सबके लिए। दरअसल, हमारी सोच पर निर्भर है कि हम अपनी जिंदगी में कितनी सफलता हासिल करेंगे और कितने अच्छे नागरिक बनेंगे। वो आपने सुना होगा ना, “मन के हारे हार है, मन के जीते जीत” जी हां, ठीक ऐसा ही है आप अच्छा सोचेंगे , सकारात्मक सोचेंगे तो आपके साथ भी सब अच्छा ही होगा।

3. प्रशंसा करना सीखे: अगर किसी ने आपके लिए कुछ किया या कुछ ऐसा किया जो आपको अच्छा लगा तो बेझिझक उसकी प्रशंसा कीजिए। इससे उसको भी आत्मबल मिलेगा।

4. विन्रम रहें: आज कल लोग बहुत जल्दी अपना धैर्य खो बैठते हैं। उन्हें किसी भी बात को लेकर बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है। लेकिन कई बार इसकी वजह से वो अपना ही नुकसान करवा बैठते है। इसलिए कोशिश करें कि विन्रम रहें।

5. अपना 100 प्रतिशत दें: हमेशा अपना 100 प्रतिशत देनी की कोशिश करें फिर चाहे वो रिश्ता हो, पढ़ाई हो, नौकरी हो या फिर जिंदगी। क्योंकि जब आप अपना 100 प्रतिशत देते है तो जो सुकून आपको हासिल होता है उससे बड़ा कुछ नहीं है दुनिया में।

These are great tips to live life to the fullest..
हमें बहुत आसान  लगता है, बल्कि हम इसके आदि हो चुके है ऐसे कामों में लगे रहने के जिन्हें हम कभी करना ही नहीं चाहते। मैं चाहती हूं कि आपके पास ऐसी जिंदगी का अनुभव हो, जो अपने आप में ख़ास हो। हमेशा याद रखें जब हम दुनिया के लिए या खुद के लिए सब बदलना चाहते है तो सबसे पहले हमें ये पता होना चाहिए कि हमारा अगला कदम क्या होगा। बहुत सारे लक्ष्यों को एक साथ लेकर चलने की बजाए बेहतर है कि हम अपनी प्राथमिकताओं को जानें और पहचाने।
जानते है कुछ ऐसी बातों के बारे में जो आपकी जिंदगी को शानदार जीने में मदद करेगा:
1. खुद का सम्मान करे: जी हां, एक सफल जिंदगी की रह में आपको खुद को सम्मान देना सीखना होगा। अपनी कमियों को जाने, अपनी खूबियों को पहचाने, और अपनी कमियों के लिए अपने आप से नफरत करने की बजाए हर दिन उनको दूर करने की कोशिश करे। आपके जीवन के जो भी उद्देश्य है उनके प्रति सम्मान व्यक्त कीजिए। सपने देखने और उनको पूरा करने के लिए आपको अपना 100 परसेंट देना होगा।
Happy-Life
2. अपनी ताकत को पहचाने: जी हां, जब आप अपने लक्ष्यों की तरफ बढ़ रहे होंगे तो आपके सामने लाख चुनौतियां आएंगी। लेकिन फिर भी आपको अपनी जगह पर अडिग रहना होगा। अपनी रह में आप बेशक कई बार गिरे, लेकिन आपको गिरकर फिर उठना होगा।
3. अपने रिश्तों के प्रति ईमानदार रहें: हमारे रिश्ते हमारी जिंदगी  को बेहतर और सफल बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। इसलिए हमेशा अपने रिश्तों के प्रति ईमानदार रहें। अगर आपने किसी रिश्ते को अपनाया है तो अपने दिल से अपनाए और उसे अपना 100 परसेंट दें। अक्सर ऐसा भी हो सकता है कि वो आपकी उम्मीदों पर खरा न उतरे लेकिन फिर भी उसके लिए अपने मान में गलत भावनाएं ना लाए। अपनी जिंदगी की मायूसियों को सहना सीखें।
4. रिस्क लेना सीखें: हम जानते है कि हम अक्सर कुछ नया करना चाहते है लेकिन मन हमें डराता है की कही कोई जोखिम ना हो पर आपको जोखिम लेना सीखना होगा। चीजों से बिना डरें डील करें। खुद पर अपनी हिम्मत पर भरोसा रखें।
5. विनम्रता के साथ पेश आएं: कई बार जब हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर रहे होते हैं तो अक्सर ये हमारे ऊपर हावी हो जाता है। ध्यान रखें अपनी सफलता को सिर पर ना चढ़ने दें।
6. लोगों की मदद करें: जी हां, आप माने या ना माने लेकिन आप सफल तभी माने जाते है जब आप अपने साथ-साथ दुनिया के लिए भी कुछ किया हो। अपनी सफलता की रह में आने वाले लोगों को अपने साथ लेकर चलें और जरूरत पड़ने पर उनकी हरसंभव मदद करें।
7. जिंदगी को भरपूर जिएं: अपने लक्ष्यों को प्राथमिकता दें, मेहनत करें, अपने आप को रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखें। ढेर सारी किताबें पढ़ें, अपने दोस्तों और अपने अपनों के साथ जोर से हंसे, अच्छा खाना खाएं और जहां तक हो से प्रकृति के साथ समय बिताएं। इससे आप जमीन से जुड़े रहेंगे। हर दिन अपना 100 फीसदी देने की कोशिश करें। फिर देखें जिंदगी कितनी शानदार लगती है।
मां और बेटी

पिछले कुछ सालों से याद ही नहीं कि कब मैं सुकून के दो पल बैठकर महसूस कर पाई हूं। बस भागती जा रही हूं, ना तो ये पता है कि रास्ता सही है नहीं  और ना ये पता है कि और कितना बचा है।

ये भी नहीं पता कि खुद के लिए भाग रही हूं या जिंदगी मुझे भगा रही है।

जब स्कूल में थे तो दिल करता था कि जल्दी से जल्दी बड़े हो जाए। अपने फैसले खुद ले पाएं लेकिन जब से बड़े हुए है जिंदगी सिर्फ भगाए जा रही है।

दरअसल जिंदगी की इस जिद्दी दिल से ठनी हुई है, जिंदगी मुझे अपने हिसाब से चलाना चाहती है और दिल अपने हिसाब से।

सच में वो बचपन वाली जिंदगी बहुत हसीन हुआ करती थी जो दिल करता था वो किया करते थे। जब भी कोई दिक्कत परेशानी हुआ करती थी तो मां हुआ करती थी पास, बस एक बार प्यार से सिर पर हाथ रख देती थी तो लगता था कि पूरी दुनिया बस हमारे ही इर्द गिर्द घूम रही है। और कभी प्यार से गोदी में उठाकर माथा चूम लेती थी तो ये दिल 7वें आसमान पर होता था।

उस समय समझ नहीं थी फिर भी सुकून था। आज इस समझदारी ने सारा चैन छीन लिया है।

मां और बेटी

बड़े हो गए,  शादी हो गई, सेटल हो गए लेकिन ये दिल आज भी उन पुराने दिनों में लौटना चाहता है, जहां मां और उसका ढेर सारा प्यार हुआ करता था।

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए,

काफी समय बीत गया नई दुनिया बसाए हुए,

पर ना जाने क्यों शाम ढलते ही ये दिल उस घर पहुंच जाता है,

मां की आवाज़ सुनने को ये दिल यूंही मचल जाता है,

महक वो मां के खाने की महसूस करना चाहता है,

वो हर त्यौहार उनका बहुत चाव से मनाना,

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए।

वो हर रोज सुबह जल्दी उठ जाना,

हम सब को खिलाकर फिर खुद खाना,

शाम को पापा के ऑफिस से आने का इंतजार करना,

हर जन्मदिन पर हमें नए कपड़े दिलाना,

और खुद कई त्यौहार उसी पुरानी लाल साड़ी में बिताना,

हमारे बीमार पड़ने पर उनका वो रात भर जागना,

हर बार पापा की डांट से हमें बचाना,

हमारी तकलीफ में खुद आंसू बहाना,

बहुत याद आता है वो घर जहां सिर्फ और सिर्फ अपनापन होता था,

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए।।

बहुत मुश्किल से दिल को समझाती हूं कि वो दिन बीत गए,

अब उन दिनों को तुम सपने में जी लिया करो,

उन दिनों को याद कर मैं कुछ इस तरह जी पाती हूं,

आज भी मां से किए वो सारे वादे निभाती हूं,

सबको खुश रखने कि कोशिश में मैं खुद को भूल जाती हूं,

मैं भी अब मां की तरह सब को खिलाकर फिर खुद खाती हूं,

चाहे कितना ही लेट सोना हो फिर भी हर सुबह 5 बजे उठ जाती हूं,

अपने अरमानों को अब में दिल के किसी कोने में दफनाती हूं,

कभी-कभी मां की ही तरह मैं हालात से समझौते भी कर जाती हूं।

जानती हूं कि वो दिन अब लौट कर नहीं आयेंगे,

इसलिए मैं इस अड़ियल दिल को कई बार समझाती हूं,

जानती हूं कि वो सिर्फ मां नहीं भगवान है मेरी,

इसलिए अब भी तकलीफ होने पर सिर्फ उनको बताती हूं,

काफी समय बीत गया उस घर से विदा हुए।।

फोटो सौजन्य- गूगल

ख्वाहिशें

आज हम कुछ ऐसी परिस्थितियों पर बात करने जा रहे है जो हमारे ऊपर इस कदर हावी हो जाती है कि हम उनकी ऊंगली पकड़े सब पीछे छोड़ उनके साथ हो लेते है। वैसे सच कहूं तो हमारे सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं होता इसलिए हम कुछ नहीं कर पाते।

तो मैं आपका ज्यादा समय ना लेते हुए आपको उलझनों में न डालते हुए शुरू करती हूं तो चलिए…

भागमभाग के इस दौड़ में हम उस ज़िन्दगी से बहुत दूर निकल आए है  जिसे कभी हमने भरपूर जिया होता है हर लम्हें को पास से छू कर देखा होता है, शोर के साथ अपनी आवाज़ मिलाकर दिल के तार छेड़े होते है, खामोशियों के साथ अपनी अलग ही कोडिंग की होती है।

हवा के झोंके के साथ बहना सीखा होता है, कड़ी धूप में भी अपनी मस्ती के साथ छांव का अहसास किया होता है, रात भर आखों से गुम हुई नींद को छत पर बैठकर तारों से बातें करते हुए आवाज़ लगाई होती है…हर पल को कुछ इस तरह से जिया होता है जैसे वो हमारी ज़िन्दगी का आखिरी पल हो।

लेकिन कहते है ना “जब सिर पर जिम्मेदारियां बढ़ जाती है तो ख्वाहिशें खुदकुशी कर लेती है” बस कुछ यही होता है जब ज़िन्दगी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही होती है और हम उसी रफ्तार से पीछे छूट रहे होते है…पर फिर भी कभी कभी उस पीछे छूटी ज़िन्दगी को दिल बिल्कुल वैसे ही दोबारा अपनी मुट्ठी में दबाना चाहता है जैसे वो अपनी मां का दिया हुए एक रुपये का सिक्का ये समझ कर दबा लेता है कि ये सिर्फ उसका है और इसपर सिर्फ उसका हक है…फिर कितनी कोशिश करनी होती है उसे समझने के लिए देखिए:-

बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती है।

वो ज़िन्दगी रहती ही नहीं अब उस पते पर आकर वो जिसकी डोर बेल  बजाती है।।

समझती नहीं वो की समझदारी आते ही, मासूमियत अपनी सीट छोड़े जाती है, लफ्ज़ जब तक समझ आते है ठीक से, तब तक बातें बेअसर हो जाती है। समझती ही नहीं वो की अब वो सुकून भरी रात कहां आती है।

जब तक उस लम्हें तक पहुंचते है हम, तब तक ज़िन्दगी दोबारा रफ्तार भरे जाती है। बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती हैं, वो ज़िंदगी रहती ही नहीं अब उस पते पर, आकर वो जिसकी डोर बेल बजाती है।

समझती नहीं वो की सर्दियों की वो गरम धूप अब मेरी ठिठुरन और बढ़ाती है, जब तक ज़िम्मेदारियों से फारिक़ होते है हम, तब तक वो भी अपने घर लौट जाती है।

कैसे समझाऊं इसे कि ये बारिश मेरे कपड़ों की बजाए, अब मेरी रूह को भिगोती है, नहीं समझती वो कि ज़िन्दगी अब एक साबुन सी हो गई है जितना जीने कि कोशिश करो उतना घिसती चली जाती है।

आती है अब भी वो पुरानी यादें, और मेरे कंधे पर सिर रखकर अपना मन हल्का किए जाती है,

जो कुछ छूट गया है पीछे उन सब की लिस्ट मुझे थमा जाती है,

कैसे समझाऊं उसे कि इन सब बातों को दिल पर ना ले,

ये ज़िन्दगी है यूंही कट जाती है,

कभी हम ख्वाहिशों को छोड़ देते है और कभी ख्वाहिशें हमें छोड़ जाती है..।

बहुत समझाया मैंने ख्वाहिशों को फिर भी मुंह उठाए चली आती हैं,

वो ज़िंदगी रहती ही नहीं अब उस पते पर, आकर वो जिसकी डोर बेल बजाती है।

दोस्ती के रिश्ते

हां, सच ही तो है…”कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते, 

                      कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।”

इन दो पंक्तियों में रिश्तों की पूरी व्याख्या कर दी गई है। और वाकई जिंदगी में हर पड़ाव एक सा नहीं होता और न ही स्थितियां एक सी होती है, हां लेकिन जिंदगी का हर पड़ाव हमारी ऊंगली पकड़ कर हमें किसी ऐसे रास्ते की तरफ़ मोड़ देता है, जहां से हमें सामने का रास्ता साफ देखने में आसानी हो जाती है। इन दो तरह के रिश्तों से हम बहुत कुछ सीख जाते है… गिरकर संभलना… रो कर हंसना… हार कर जीतना…और बिखर कर सिमटना।

ये दो तरह के रिश्ते हमें बहुत सारे अहसास एक साथ करवा देते है …तो देखिए फिर कि अक्सर क्या क्या करते है ये हमारे लिए:-

कुछ हमें देने के लिए अपना सब दांव पर लगा देते है,
कुछ हमारा भी लेने की फिराक में रहते है,

कुछ हमारी सफलता के गुब्बारे में रोज हवा भरते है,
कुछ उसी गुब्बारे में पिन चुभने की कोशिश में लगे रहते है,

जी सही समझा, मेरा यकीन मानिए कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।

कुछ हमारे लिए चट्टान से खड़े होते है, तो कुछ हम पर हथौड़ा चलाने के लिए तैयार रहते है।

कुछ की दुआओं में सिर्फ हमारा नाम होता है, कुछ हमारी बर्बादी का कलमा रोज पढ़ते है।

यकीनन, कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते, और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।।

तुम्हारे पास ज्यादा है मुझसे, ये शिकायतें वो तमाम करते है।

उनके सामने हम कुछ भी नहीं, इसका जिक्र भी वो सरेआम करते है।

गिर जाए उनके कदमों में किसी दिन, ये दुआ वो सुबह शाम करते है।

लेकिन कुछ है अपनों से भी अपने जो बिन बोले ही हमारा ख्याल रखते है..

यकीनन, कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते और कुछ रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है।।

उपर लिखी हर एक पंक्ति आपको आज के समय से रूबरू करवाएगी, पर दोस्तो जिंदगी बहुत छोटी है, मैं मानती हूं कि इसमें आपको दोनों तरह के लोग मिलेंगे और ऐसा भी हो सकता है “जो रिश्ते सिर्फ नाम के ही होते है” ऐसे लोग आपको ज्यादा मिले लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है, कि आपका “कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते” वाली कैटेगरी से भी विश्वास उठ जाए।

बल्कि मैं तो कहूंगी की आप सिर्फ उन रिश्तों पर ध्यान दें जो आपकी सफलता के गुब्बारे में हवा भरते है… पिन चुभने वालों से आपको कुछ हासिल नहीं होगा…!

रिश्तों को निभाने के भी कुछ नियम होते है..कुछ जरूरत होती है..कुछ कायदे होते है…।

और अगर आपने इन सब को निभा लिया तो यकीनन आप दुनिया के सबसे खुशकिस्मत इंसान होंगे:-

1. रिश्तों में कुछ भी एकतरफा नहीं होता, दोनो तरफ़ से बराबर भावना होगी तभी अपनापन पनपेगा।

2. रिश्तों में कभी भी किसी को भी नीचा दिखाने की कोशिश मत करें। 

3. रिश्तों में कभी भी किसी की हैसियत देख कर अच्छे आचार व्यवहार की नियत मत रखो, बल्कि सभी का सम्मान करें।

4. रिश्तों में स्वार्थ भाव रखना सही नहीं।

5. रिश्तों में कभी भी गलत को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

6. रिश्तों में एक दूसरे के मुश्किल वक्त में साथ खड़ा होना चाहिए।

7. रिश्तों में कभी भी कोई भी फ़ैसला थोपना नहीं चाहिए.. हर हालात से निपटने के लिए एक दूसरे से सलाह कर लेनी चाहिए।

8. रिश्तों में एक दूसरे को वक्त देना भूत ज़रूरी है।

9. रिश्तों में मिठास बढ़ाने के लिए अगर आपको कुछ समझौता भी करना पड़ जाए तो पीछे न हटें।

10. और हां याद रखिए “सॉरी” और “थैंक्यू” जैसे शब्दों का इस्तेमाल आपको रिश्तों में रंग भरने का काम बहुत आसानी से कर सकते है।

तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही.. फिर मिलेंगे किसी अन्य विषय के साथ .. तब तक अपना और अपनों का ख्याल रखिए, हंसते और हंसाते रहिए।

फोटो सौजन्य- गूगल