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Tag Archives: पीरियड्स

Hormonal balance may deteriorate in teenagers

शरीर में हार्मोन का घटना-बढ़ना किसी भी उम्र में महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। यहां तक की Teenagers लड़कियों में भी हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है। अमुमन टीनएज में लोगों को हार्मोन से जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं होती, इसलिए लड़कियां हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षण को नहीं समझ पाती हैं। ऐसे में सभी माताओं को मालूम होना चाहिए कि आखिर कौन से लक्षण हार्मोनल इंबैलेंस की ओर इशारा करते हैं।

हार्मोनल इंबैलेंस सभी को अलग-अलग रूपों में प्रभावित कर सकता है, इस स्थिति में नजर आने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कौन से हार्मोंस और ग्लैंड सही से कार्य नहीं कर रहे। हार्मोनल इंबैलेंस के लक्षण से जुड़ी जानकारी सभी को होनी चाहिए, ताकि उन्हें समय रहते समझा जा सके और उनके लिए ट्रीटमेंट लिया जा सके। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ लक्षण जो हार्मोनल इंबैलेंस के दौरान टीनेजर लड़कियों में दिखाई देते हैं।

टीनएजर लड़कियों में इन हार्मोंस का बिगड़ सकता है बैलेंस

Hormonal balance may deteriorate in teenagers

1. प्रोजेस्टेरोन

यह हार्मोन ओवरी द्वारा निर्मित होता है और ओव्यूलेशन के दौरान इसका उत्पादन बढ़ जाता है। कम प्रोजेस्टेरोन सिरदर्द, एंजायटी और अनियमित पीरियड्स की वजह बन सकता है। प्रोजेस्टेरोन एस्ट्रोजन को संतुलित करने में भी अहम भूमिका निभाता है, इसलिए जब प्रोजेस्टेरोन कम होता है, तो प्रमुख एस्ट्रोजन अपनी तरह की कई समस्याएं पैदा कर सकता है।

2. एस्ट्रोजन

एस्ट्रोजन असंतुलन एक युवा लड़की के जीवन के कई पहलू को प्रभावित कर सकता है। बहुत ज्यादा एस्ट्रोजन के कारण आपका वजन बढ़ सकता है, आपकी सेक्स ड्राइव कम हो सकती है, स्तन कोमल हो सकते हैं, मूड स्विंग और PMS हो सकता है। बहुत कम एस्ट्रोजन के कारण हॉट फ्लैश, बार-बार यूटीआई, थकान, शरीर में दर्द और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है।

3. कोर्टिसोल

कोर्टिसोल को आमतौर पर ‘स्ट्रेस हार्मोन’ कहा जाता है। अतिरिक्त कोर्टिसोल यंग लड़कियों में वेट गेन, एंजायटी और डिप्रेशन का कारण बन सकता है। कम कोर्टिसोल एडिसन रोग, थकान और वजन घटाने का कारण बनता है।

4. थायराइड हार्मोन

हाइपरथायरायडिज्म, या बहुत अधिक थायराइड हार्मोन अन्य लक्षणों के अलावा एंजाइटी, वेट लॉस, रैपिड हार्टबीट, अनियमित पीरियड्स और थकान का कारण बन सकते हैं। हाइपोथायरायड, या कम थायरॉयड हार्मोन का स्तर भी थकान, वजन बढ़ना, अवसाद, शुष्क त्वचा और बाल के साथ अनियमित पीरियड्स का कारण बन सकता है।

5. टेस्टोस्टेरोन

टीनएजर लड़कियों में भी टेस्टोस्टेरोन होता है और यह पीसीओएस के कारणों में से एक है, पर यह अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चेहरे पर काले बाल आना और एक्ने की समस्या पैदा कर सकता है।

टीनएजर लड़कियों में हार्मोनल इंबैलेंस में ये समान लक्षण नजर आ सकते हैं-

  • हैवी, इरेगुलर और पेनफुल पीरियड
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • हॉट फ्लैश और रात को पसीना आना
  • वेजाइनल ड्राइनेस
  • ब्रेस्ट में दर्द महसूस होना
  • कब्ज की समस्या
  • पीरियड्स के पहले पिंपल्स आना

कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं

  • डिप्रेशन
  • किसी भी कार्य को करने में मन न लगना
  • ध्यान केंद्रित करने में परेशानी आना
  • हर समय थकान का अनुभव होना
  • सेल्फ डाउट

जानें टीनएजर लड़कियों में हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने के क्या हैं टिप्स

Hormonal balance may deteriorate in teenagers

1. पर्याप्त प्रोटीन लें : प्रोटीन अमीनो एसिड प्रदान करते हैं, इस पोषक तत्व को आपका शरीर खुद नहीं बना सकता है। वहीं ये पेप्टाइड हार्मोन बनाने के लिए आवश्यक होते हैं। ये हार्मोन कई शारीरिक प्रक्रियाओं को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें ग्रोथ, एनर्जी मेटाबॉलिज्म, भूख, तनाव और बहुत कुछ शामिल है।

2. एक्सरसाइज करने से मिलेगी मदद : रोजाना उचित समय के लिए शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने से आपके हार्मोनल स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह हार्मोन रिसेप्टर सेंसटिविटी को बढ़ाता है, पोषक तत्वों और हार्मोन संकेतों के वितरण में मदद करता है।

3. सीमित मात्रा में चीनी लें : अतिरिक्त चीनी का सेवन कम करने से हार्मोन को संतुलित करने में मदद मिल सकती है। अधिक चीनी लेने से इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा मिलता है, और फ्रुक्टोज का सेवन आंत के माइक्रोबायोम को असंतुलित कर देता है, जिससे अंततः हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।

4. स्ट्रेस मैनेज करें : स्ट्रेस कई तरह से आपकी बॉडी हार्मोंस को नुकसान पहुंचा सकता है। नियमित तनाव को कम करने का प्रयास करें और स्ट्रेस मैनेजमेंट टेक्निक पर ध्यान दें।

5. वेट मैनेजमेंट पर ध्यान दें : वजन बढ़ना सीधे तौर पर हार्मोनल असंतुलन से जुड़ा होता है। मोटापा महिलाओं में ओव्यूलेशन की कमी से संबंधित होता है। अपनी डाइट में सीमित कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ लें, इससे हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

6. गट हेल्थ पर ध्यान दें: आपका पेट कई मेटाबोलाइट्स बनाता है, जो हार्मोनल हेल्थ को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए फाइबर से भरपूर खान पान और प्रयाप्त मात्रा में पानी पिएं, इससे आंतों की सेहत बरकरार रहती है।

7. पर्याप्त नींद लें : ज्यादातर बच्चे रात को देर से सोते हैं, जिसकी वजह से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। नींद हार्मोनल असंतुलन में एक महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। रात को 7 से 8 घंटे की नींद लें, इस तरह आपको हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।

फोटो सौजन्य- गूगल

How can you take care of your wife or girlfriend during periods?

Periods में महिलाओं को कई बार सामान्य तो कई बार असहनीय दर्द से दो-चार होना पड़ता है। क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? हालांकि प्रत्येक महिला अलग होती है और पीरियड्स का उसका अनुभव भी अलग होता है लेकिन कई बार इसके लिए हमारी खुद की रोजाना की रुटीन की गलतियां जिम्मेदार होती हैं। कुछ ऐसी गतिविधियां हैं जिसे आप पीरियड्स के कुछ दिन पहले या पीरियड्स के दौरान दोहराती हैं, पीरियड्स में दर्द बढ़ सकती है।

आइये जानते हैं दर्द के लिए जिम्मेदार गलतियां-

अब आप सोच रही होगी कि यह कौन सी ऐसी गलतियां हैं, जो पीरियड्स के दर्द को बढ़ा देती हैं। तो ज्यादा ना सोचे क्योंकि ये कुछ कॉमन मिस्टेक्स हैं, जिसे आप अपनी नियमित दिनचर्या में दोहराती हैं। विशेषज्ञ ने पेनफुल पीरियड्स का कारण बनने वाली कुछ आम गलतियों के बारे में बताया है।

जानें कौन सी आदतें पीरियड्स को बना देती हैं अधिक पेनफुल

1. कम पानी पीना

डॉक्टर्स के मुताबिक अपर्याप्त पानी पीने से ब्लोटिंग हो सकता है, और पीरियड्स के दर्द को बढ़ा सकता है। ऐसे में प्रयाप्त हाइड्रेशन मेंटेन रखना जरूरी है। केवल पीरियड्स के दौरान ही नहीं बल्कि हर रोज बॉडी को पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए हाइड्रेशन मेंटेन रखें। आप इसके लिए पानी के अलावा हाइड्रेटिंग फल एवं अन्य हेल्दी ड्रिंक्स की मदद ले सकती हैं।”

2. अनहेल्दी डाइट

शुगर, प्रोसेस्ड फूड्स और अनहेल्दी फैट्स से भरपूर आहार लेने से सूजन पैदा होती है, इससे पीरियड्स के दौरान दर्द और ज्यादा बढ़ सकता है। मैग्नीशियम, ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन- D जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी पीरियड्स में ऐंठन और क्रैंप्स को अधिक बढ़ा देती हैं।

3. अधिक तनाव लेना

unbearable pain in lower back during periods

अत्यधिक तनाव मासिक धर्म के दर्द को बढ़ा सकता है और हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है। हार्मोंस के असंतुलित होने पर पीरियड्स में गड़बड़ी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा पीरियड्स में नजर आने वाले शारीरिक संकेत भी अधिक गंभीर नजर आ सकते हैं। ऐसे में योग, ध्यान या डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइ करने से तनाव को कम करने में मदद मिलेगी।

4. वेट मैनेजमेंट पर नजर नहीं रखना

डॉक्टर के अनुसार अत्यधिक वचन बढ़ना या वजन का घटना आपके हार्मोन को असंतुलित कर देता है, और पीरियड्स को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यदि आप अपने वजन पर ध्यान नहीं दे रही हैं, तो यह अनियमित पीरियड का कारण बन सकता है। जिसकी वजह से आपको पीरियड्स साइकिल के दौरान अत्यधिक दर्द का अनुभव होता है। इस स्थिति में संतुलित आहार और व्यायाम के माध्यम से आपको हेल्दी वेट मेंटेन करने में मदद मिलेगी।

5. अनहेल्दी स्लीप

मेलाटोनिन और कोर्टिसोल जैसे पीरियड साइकिल को नियंत्रित करने में मदद करने वाले हार्मोन खराब नींद के पैटर्न के परिणामस्वरूप असंतुलित हो सकते हैं। अपर्याप्त नींद के परिणामस्वरूप तनाव का स्तर बढ़ता है, जिससे पीरियड्स में अधिक दर्द का अनुभव होता है और पीरियड्स असुविधाजनक लगता है।

अलावा इसके बहुत कम नींद लेने से इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, जिससे सूजन और पीरियड्स का दर्द बढ़ जाता है। अच्छी नींद को प्राथमिकता देने से मासिक धर्म के दर्द को कम करने और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

6. शराब और कैफीन का ज्यादा सेवन

डॉक्टर के मुताबिक पीरियड्स के कुछ दिन पहले या पीरियड्स के दौरान शराब पीने से कई गंभीर प्रभाव देखने में आ सकते हैं। शराब और कैफीन दोनों ही शरीर को डिहाइट्रेट कूरते हैं और सूजन पैदा कर सकते हैं, जिससे Periods के वक्त पेट दर्द और ऐंठन बढ़ सकता है।

डॉक्टर के अनुसार पीरियड्स के कुछ दिनों पहले या पीरियड्स के दौरान शराब पीने से कई गंभीर प्रभाव नजर आ सकते हैं। शराब और कैफीन दोनों ही शरीर को डिहाइड्रेट करते हैं, और सूजन पैदा कर सकते हैं। जिससे पीरियड्स के दौरान ऐंठन और पेट दर्द बढ़ सकता है।

फोटो सौजन्य- गूगल

unbearable pain in lower back during periods

Periods के समय महिलाओं को पेट में पेन का एहसास होता है, वहीं कुछ महिलाओं को पेट से अधिक थाइज और पीठ के निचले हिस्से यानी कि लोअर बैक में दर्द महसूस होता है। कुछ महिलाओं में लोअर बैक का पेन सामान्य होता है लेकिन कुछ महिलाओं में यह दर्द असहनीय होता है। ऐसे हालात में कुछ महिलाओं को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

अक्सर हम सभी पीरियड्स में होने वाले पेट दर्द के उपाय पर बात करते हैं लेकिन कभी भी लोअर बैक पेन पर कोई चर्चा तक नहीं करते, ऐसे में इस दर्द के निदान के मद्देनजर उन सभी महिलाओं के लिए इनसे निपटने के कुछ खास तरीके बताएं गए हैं-

विशेषज्ञ के मुताबिक पीरियड्स के दौरान पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द के कारण और इन्हें कम करने के उपाय बताएं हैं। तो चलिए जानते हैं, इनसे किस तरह से डील करना है।

पीरियड के दौरान लोअर बैक में दर्द को समझना है जरूरी

1. यूटेराइन कांट्रेक्शन

मेंस्ट्रुएशन के दौरान यूट्रस कॉन्ट्रैक्ट होता है और इसकी लाइनिंग खून के माध्यम से निकल जाती हैं। यह कांट्रेक्शन कई बार काफी तेज होता है और यूटराइन मसल्स पर मेंस्ट्रूअल ब्लड को बाहर निकालने में प्रेशर बनता है, जिसकी वजह से लोअर बैक में दर्द का अनुभव हो सकता है।

2. इन्फ्लेमेशन

पेल्विक रीजन में ब्लड और टिशु की मौजूदगी होने से बॉडी में इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस ट्रिगर हो जाता है, जिसकी वजह से आपको लोअर बैक में असहनीय दर्द का अनुभव हो सकता है।

3. हार्मोनल बदलाव

These foods play an important role in controlling hormones

मेंस्ट्रुएशन के दौरान शरीर के हार्मोन में कई सारे बदलाव आते हैं, खास कर एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन के स्तर में तेजी से बदलाव आता है, जिसकी वजह से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को दर्द का अनुभव होता है। वहीं जिन महिलाओं में इस प्रकार के हार्मोनल फ्लकचुएशन होते हैं, उनमें पेट में दर्द के साथ-साथ कमर के निचले हिस्से में दर्द का खतरा बढ़ जाता है।

4. एंडोमेट्रियोसिस

एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव हो सकता है। यदि यह चिंता का विषय है, तो आप इस निदान और उचित उपचार विकल्पों के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर चाह सकती हैं।

5. फाइब्रॉएड

यूटराइन फाइब्रॉएड गर्भाशय की गैर-कैंसरयुक्त वृद्धि है जो भारी मासिक धर्म रक्तस्राव, श्रोणि दबाव और पीठ दर्द का कारण बन सकती है। फाइब्रॉएड का स्थान और आकार भी लक्षणों की गंभीरता को प्रभावित करता है।

6. पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज

यह प्रजनन अंगों का संक्रमण है जो पैल्विक और पीठ दर्द की वजह बन सकता है, खासकर पीरियड्स के दौरान। इसके अन्य लक्षण में शामिल हैं बुखार, योनि स्राव और सेक्स के दौरान दर्द का एहसास।

जानें पीरियड्स में पीठ के दर्द से राहत पाने के कुछ आसान उपाय

1. हीट थेरेपी

अगर पीरियड्स के दौरान पीठ के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव होता रहता है, तो हिट अप्लाई करने से इससे राहत पाने में मदद मिल सकती है। गर्म कपड़े से सिकाई करें इससे मांसपेशियां रिलैक्स रहती हैं और दर्द कम करने में मदद मिलता है।

अलावा इसके आप चाहे तो हॉट वॉटर बोतल और हीटिंग पैड का इस्तेमाल कर सकती हैं। साथ ही साथ गुनगुने पानी से शॉवर लेना भी एक अच्छा आईडिया है। हिट ब्लड फ्लो को बढ़ा देता है और मांसपेशियों के दर्द से राहत प्रदान करता है।

2. हाइड्रेटेड रहें और हेल्दी डाइट लें

सेहत के डायट

हेल्दी और बैलेंस आहार तमाम परेशानियों का एक प्रभावी उपचार है। अगर आपको पीरियड्स के दौरान लोअर बैक में अत्यधिक दर्द का अनुभव होता है, तो आपको अपनी डाइट में विटामिन-B और मैग्नीशियम की मात्रा को बढ़ाने की जरूरत है।

अलावा इसके ओमेगा-3 फैटी एसिड भी इन्फ्लेमेशन और मांसपेशियों के दर्द को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। कैफीन और नमक का सेवन कम करें। इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर शरीर को हाइड्रेटेड रखने से मांसपेशियों में दर्द का अनुभव नहीं होता।

3. बैक मसाज है बेहतर

अगर आपको पीरियड्स के दौरान पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द का अनुभव होता है, तो बैक मसाज आपको इससे राहत पाने में मदद कर सकता है। हां, यह कोई स्थाई इलाज नहीं है, परंतु फिर भी इससे आपको काफी बेहतर महसूस होगा और आप खुद को एक्टिव रख पाएंगी। गुनगुने तेल की मदद से प्रभावित मांसपेशियों को मसाज करने से मांसपेशियां एक्टिव हो जाती है, और ब्लड फ्लो बढ़ता है, जिससे कि दर्द से राहत प्राप्त होती है।

4. ओवर द काउंटर मेडिसिंस

नॉन प्रिसक्रिप्शन पेन रिलीवर्स आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं, इसलिए इन्हें लेने से बचें। अगर आपको हर बार पीरियड्स में पीठ के निचले हिस्से में असहनीय दर्द का अनुभव होता है, तो गाइनेकोलॉजिस्ट से मिलें और उनसे सलाह लें। उनके जरिए प्रिसक्राइबड दवाइयों का सीमित सेवन कर सकती हैं। हो सकता है कि आपको यह परेशानी किसी मेडिकल कारण की वजह से हो रही हो, ऐसे में डॉक्टर की प्रिसक्राइब दवाइयां ही आपकी मदद कर सकती हैं। फिजूल में पेन रिलीवर्स लेने से बचें।

5. Exercise स्ट्रेचिंग और योग में लें भाग

Exercise

अगर आपको पीरियड्स के वक्त पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द का एहसास होता है, तो आपको स्थाई नहीं बैठना चाहिए। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने के अलावा पीरियड्स में भी आसान अभ्यासों में भाग लें, खासकर योग, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज, वॉकिंग आदि इस दौरान ज्यादा प्रभावी साबित हो सकते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

If there is pain in the breast just before periods

पीरियड्स (Periods) के ठीक पहले स्तन में दर्द और असहजता महसूस हो रही है तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा। लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के पहले शरीर में यह दिक्कतें शुरू होती हैं। फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट की वजह, संकेतों और लक्षणों को जानने से आपको अपने हालात को सही ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।

If there is pain in the breast just before periods

यह समझना जरूरी है कि फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट कोई बीमारी या एक तरह का स्तन कैंसर नहीं है। यह एक नॉन कैंसरस स्थिति है। यह स्थिति है जो इसका अनुभव करने वाली हर महिला में अलग-अलग तरह से लक्षण दिखती है। हालांकि, सामान्य तौर पर यह महिला के पीरियड्स साइकल के नैचुरल के कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज के कारण होता है। चूंकि पूरे साइकल में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, इससे ब्रेस्ट में सूजन और कोमलता हो सकती है और साथ ही गांठ या सिस्ट भी होने लगते हैं।

Breast Feeding

फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं पर आमतौर पर एक या दोनों ब्रेस्ट में दर्द या कोमलता शामिल होती है। खासकर आपके मासिक धर्म से ठीक पहले स्तन भारी या सूजे हुए महसूस हो सकते हैं और छूने पर या ब्रा पहनने पर भी उनमें कठोरता महसूस हो सकती है। वे गांठदार भी हो सकते हैं या उनमें छोटे सिस्ट भी हो सकते हैं। जो बारीकी से देखने पर दिखाई दे सकते हैं। कुछ मसलों में जब आप गांठें छूते हैं तो वे आपकी स्किन के नीचे घूम सकती हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट का सटीक वजह का अब तक पता नहीं चला है लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह महिला के शरीर में हार्मोनल चेंजेज से संबंधित है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को यौवन, गर्भावस्था या पेरिमेनोपॉज़ जैसे हार्मोनल उतार-चढ़ाव की अवधि के दौरान स्तनों में सिस्ट के विकास को ट्रिगर करने के लिए जाना जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे- तनाव, ज्यादा कैफीन पीना और धूम्रपान शामिल हैं।

If there is pain in the breast just before periods

अगर आपको लगता है कि आपको फाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट हो गया है तो आपको इनके लक्षणों और चिंताओं के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करना चाहिए। किसी गांठ या सिस्ट के साथ-साथ अन्य स्तन से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक ट्रेनिंग कर सकते हैं।

फ़ाइब्रोसिस्टिक ब्रेस्ट खतरनाक या लाइफ थ्रेटिंग के लिए खतरा नहीं है, यह असुविधाजनक लक्षण पैदा कर सकता है जो रोजमर्रा की जिंदगी में हस्तक्षेप कर सकता है। आपके चिकित्सक लक्षणों को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव के स्तर को कम करने या कैफीन की मात्रा कम करने की पैरवी करते हैं।

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Never ignore unresolved problems related to Ladies' health

पीरियड्स (Periods) के दौरान कुछ महिलाओं को हर घंटे पैड बदलने की आवश्यकता पड़ती है। इस तरह की हैवी ब्लीडिंग महिलाओं को बहुत ज्यादा परेशान कर देती है। वहीं, इस समस्या के कारण महिलाओं के हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है। हेवी ब्लीडिंग की दिक्कत होने के कई वजह हो सकते हैं। कई बार कुछ विटामिंस और मिनेरल्स की कमी हैवी ब्लीडिंग का कारण होती है तो कई बार कुछ और मेडिकल कंडीशन। अगर आपको भी हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है तो कुछ आयुर्वेदिक तरीकों से राहत पाई जा सकती है।

क्यों होने लगती है हैवी ब्लीडिंग

Say goodbye to heavy bleeding by adopting these tips during periods

पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होने का एक मेन वजह फाइब्रॉएड्स होता है। जिसकी वजह से शरीर से खून ज्यादा निकलने लगता है। वहीं, कई बार हार्मोनल इंबैलेंस के कारण से भी हैवी ब्लीडिंग होती है। अगर शरीर में विटामिन E और मैग्नीशियम की कमी है तो महिलाएं हैवी ब्लीडिंग से परेशान हो सकती है। अगर पीरियड्स 07 दिनों से ज्यादा दिन तक जारी रहता है और मासिक चक्र 21 दिनों से कम का होता है तो जरूरी है कि डॉक्टर की मदद ली जाए। अगर 02 दिनों में हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है या जनरल मासिक चक्र के दिनों में ब्लीडिंग ज्यादा होती है तो कुछ घरेलू तरीकों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

हल्दी वाला दूध करेगा हेल्प

हैवी ब्लीडिंग होती है तो हल्दी वाला दूध पीने से राहत मिलती है। दूध में दालचीनी पीने से भी पीरियड्स के हैवी ब्लीडिंग को कम किया जा सकता है।

गाजर और अदरक का ऐसे करें इस्तेमाल

हैवी ब्लीडिंग की समस्या है तो अदरक को कुचलकर उसमें शहद मिलाएं। इस मिश्रण को खाने से काफी राहत मिलती है। साथ ही गाजर को पीरियड्स के दौरान खाएं। हैवी फ्लो होने पर गाजर के रस में अदरक के रस को मिलाकर पीने से दर्द और फ्लो में राहत मिलती है।

हमेशा रहें हाईड्रेटेड

5 very important questions that every woman has to ask her gynecologist..

हैवी फ्लो की समस्या बनी रहती है तो खुद को हाईड्रेटेड रखना जरूरी है। पानी ढेर सारा पीएं और लिक्विड वाली चीजों को डाइट में इस्तेमाल करें। इससे शरीर में एनर्जी की कमी नहीं होगी। हैवी फ्लो की वजह से कई बार महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हो जाती है। ऐसे में पीरियड्स के दौरान खानपान का ध्यान रखना जरूरी है।

ऐसे समय में विटामिन्स और मिनेरल्स है जरूरी

हैवी ब्लीडिंग होती है तो विटामिन C,E के साथ मैग्नीशियम से भरपूर चीजों को खाएं। कीवी, ब्रोकली, टमाटर, स्ट्राबेरी, तिल के बीज, खरबूज के सीड इन विटामिन्स और मैग्नीशियम से भरपूर फूड्स को खाएं। जिससे कि शरीर में ज्यादा थकान महसूस ना हो।

Foreplay

शादी दो आत्माओं का मिलन होता है। शादी में सिर्फ प्यार और लगाव ही नहीं होता बल्कि इसमें इंटिमेसी भी काफी जरूरी होती है। शादी में सब कुछ अच्छा चलने के लिए प्यार और लगाव के साथ Physical Relation का होना भी काफी अहम माना जाता है। एक हेल्दी रिलेशन के लिए यह काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में बहुत से कपल्स बीच शादी के इंटिमेसी या तो बेहद कम होती है या ना के बराबर होती है।

अगर आप भी ऐसे कपल हैं जिनकी फिजिकल लाइफ बिल्कुल ठीक नहीं है तो हम आपको इसके नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं। आपको बता रहे हैं कि किस प्रकार इंटिमेट ना होना आपकी सेहत को भारी नुकसान का सबब बन सकता है।

आइये समझें-

कम होने लगती है रोग प्रतिरोधक क्षमता-

जिस कपल्स के बीच इंटीमेसी नहीं होती है उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण आपको छोटी-छोटी समस्याएं बीमार कर सकती है।

घबराहट की शिकायत-

लंबे वक्त फिजिकल रेलेशन ना बनाने से कपल्स को घबराहत का शिकार होना लाजमी है। वहीं, जो लोग नियमित रूप से फिजिकल रिलेशन बनाते हैं उन्हें इस समस्या का सामाना नहीं करना पड़ता।

लूब्रिकेशन में कमी-

लंबे समय तक कोई फिजिकल रिलेशन ना बनाने से महिलाओं को वजाइना में ड्राइनेस की समस्या हो सकती है। वहीं, अधिक उम्र की महिलाएं अगर फिजिकल रिलेशन नहीं बनाती हैं तो लूब्रिकेशन की कमी की वजह से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

पीरियड्स में दिक्कत-

फिजिकल रिलेशन से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है। वहीं, जो महिलाएं लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन नहीं बनाती उन्हें पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द सहना पड़ता है।

These symptoms of pregnancy start appearing only 3 to 4 days after conceiving, pregnancy is confirmed even before the period is missed

आज के समय में हर तरह के दबाव, जॉब का प्रेशर और लॉकडाउन की वजह से बिगड़ा लाइफस्‍टाइल रिप्रोडक्शन सिस्टम पर गहरा असर डाल रहा है। जिसका नतीजा यह है कि महिलाओं को कंसीव करने में दिक्‍कत आ रही है। इसलिए डॉक्‍टरों का कहना हैं कि अगर कोई कपल कंसीव करता है तो उन्‍हें इसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। जो लोग बेसब्री से पेरेंट्स बनाना चाहते हैं उनके लिए पीरियड मिस होने तक इंतजार करना बहुत मुश्किल भरा हो जाता है पर आपको अपनी प्रेग्‍नेंसी पता करने के लिए रिलेशन बनाने के बाद एक महीने तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है। बल्कि आपको 03 से 04 दिनों में ही पता चल जाएगा कि आप प्रेगनेंट हैं या नहीं। आज हम आपको प्रेगनेंसी के कुछ ऐसे शुरुआती लक्षण बता रहे हैं जो कंसीव करने के 3-4 दिनों बाद ही दिख जाते हैं।

पहला लक्षण होता है ब्‍ल‍ीडिंग

जब फर्टिलाइज्‍ड एग आपकी बच्‍चेदानी की लाइनिंग से चिपकने लगता है तो उस प्रोसेस में कुछ ब्‍लड वेसल्‍स फट जाते हैं, जिससे हल्‍की ब्‍लीडिंग महसूस हो सकती है। इसे आप पीरियड्स के साथ कन्‍फ्यूज न करें, क्‍योंकि पीरियड्स की ब्‍लीडिंग में ब्‍लड फ्लो के साथ निकलता है और पेट या कमर में तेज दर्द होता है। लेकिन इस प्रोसेस में ब्‍लड बहुत हल्‍का आता है और यूट्रस में थोड़ी बहुत क्रैम्पिंग महसूस हो सकती है, हालांकि ये लक्षण हर किसी में नहीं दिखता है।

Vaginal Discharge का होना

These symptoms of pregnancy start appearing only 3 to 4 days after conceiving, pregnancy is confirmed even before the period is missed

ये लक्षण भी कन्‍सीव करते के तुरंत बाद ही दिख जाता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि जब एक महिला कन्‍सीव करती है तो उसके बाद बॉडी में हॉर्मोनल चेंजेज होने लगते हैं। इसकी वजह से वजाइना की वॉल मोटी हो जाती है जिसके कारण वजाइना के सेल्‍स बहुत तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसकी वजह से थोड़ा बहुत डिस्चार्ज हो सकता है। लेकिन अगर आपको डिस्चार्ज के साथ वजाइना में दर्द, जलन या बदबू महसूस हो तो आपको डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए। ये इंफेक्‍शन का लक्षण हो सकता है।

ब्रेस्‍ट में बदलाव दिखना

जब एक महिला कंसीव कर लेती है तो ब्रेस्‍ट में भी कई तरह के बदलाव महसूस किए जाते हैं। जैसे कि ब्रेस्‍ट में भारीपन या झनझनाहट महसूस होना, या फिर छूने पर दर्द भी हो सकता है।

थकान का एहसास

कंसीव करने के बाद महिलाओं की बॉडी में हॉर्मोनल चेंजेज होने लगता है जिसके कारण थकान होती है। इसमें थोड़ा सा काम करने के बाद आराम करने का मन करता है और महिलाओं को ज्‍यादा देर खड़े होने में भी दिक्‍कत होती है।

मॉर्निंग सिकनेस का होना

हालांकि ये लक्षण पहले पीरियड के मिस होने के कुछ दिन पहले दिखता है। मॉर्निंग सिकनेस कुछ महिलाओं को सुबह की बजाय दोपहर या शाम में भी हो सकती है। इसमें उल्‍टी होना, जी मचलना या सब्‍जी छौंकने से बदबू महसूस होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल