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Tag Archives: भारत

What is the opinion of people on sex before and after marriage in India, here came a shocking survey

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की नई रिपोर्ट आज कल बहुत सुर्खियों में है। इस सर्वे में भारतीयों से शादी, सेक्स और सेक्सुअल पार्टनर से जुड़े कई सवाल पूछे गए। रिपोर्ट में शादी की उम्र और पहली बार सेक्स करने की उम्र पूरी तरह अलग पाई गई। सर्वे में यह भी जानने का प्रयास किया गया कि क्या भारतीय लोग शादी से पहले सेक्स नहीं करते हैं? आंकड़ों से मालूम चलता है कि वो शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाते हैं लेकिन सभी समुदायों में इसका एक अलग पैटर्न है।

शादी से पहले कितने भारतीय करते हैं सेक्स- शादी से पहले सेक्स करने का पुरुषों का अनुपात महिलाओें के विपरीत है, जबकि वो किसी भी समुदाय के हों। सर्वे में औसतन 7.4 फीसदी पुरुषों ने और 1.5 फीसदी महिलाओं ने माना कि उन्होंने शादी से पहले शारीरिक संबंध कायम किए।

What is the opinion of people on sex before and after marriage in India, here came a shocking survey

सर्वे में लगभग 12 फीसदी सिख पुरुषों ने कहा कि उन्होंने शादी से पहले यौन संबंध बनाएं। सभी धार्मिक समुदायों में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। वहीं, सिख महिलाओं में ये आंकड़ा सिर्फ 0.5 फीसदी का था, जो सबसे कम था। हिंदू पुरुषों में यह आंकड़ा 7.9 फीसदी, मुस्लिम पुरुषों में 5.4 फीसदी, ईसाई पुरुषों में 5.9 फीसदी था। महिलाओं की बात करें तो हिंदुओं में 1.5, मुस्लिमों में 1.4 फीसदी और ईसाई महिलाओं में 1.5 फीसदी ने माना कि उन्होंने शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाएं।

आर्थिक हालात को भी इस चीज से जोड़ कर देखा गया जैसे कि अमीर पुरुषों और गरीब महीलाओं में शादी से पहले सेक्स करने की सबसे ज्यादा संभावना पाई गई। शादी के बाहर किसी दूसरे शख्स के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कारण महिला और पुरुष दोनों का एक ही व्यावहार देखने को मिला। हालांकि, महिलाएं इसे खुले तौर पर बहुत कम एक्सेप्ट करती हैं। अभी महिलाओं के औसतन सेक्सुअल पार्टनर 1.7 फीसदी हैं जबकि पुरुषों के 2.1 हैं। वर्ष 2006 में हुए NFHS के तीसरे सर्वे की बात करें तो महिलाओं में ये 1.02 और पुरुषों में 1.49 फीसदी था।

पत्नी को सेक्स से इनकार करने का राइट है क्या- शादीशुदा जीवन के अंदर सेक्स पूरी तरह पुरुष प्रधान समाज से जुड़ा हुआ है। सर्वे में 87 फीसदी महिलाओं और 83 फीसदी पुरुषों ने कहा कि पत्नियों का सेक्स से इनकार करना उचित है। हालांकि, सभी स्टेट के बीच यह प्रतिशत अलग अलग है। मेघालय अपने मातृसत्तात्मक समाज के लिए प्रसिद्ध है फिर भी यहां सिर्फ 50 फीसदी पुरुषों ने कहा कि पत्नियां सेक्स से इनकार कर सकती हैं। कई राज्यों में महिलाओं की राय भी यह है। मिसाल के तौर पर, अरुणाचल प्रदेश में लगभग 30 फीसदी महिलाओं ने कहा- जब पति सेक्स करना चाहे तो महिला का मना करना उचित नहीं है।

फोटो सौजन्य- गूगल

Such honeymoon destinations of India where the heat will keep on searching..

गर्मी में नए कपल्स के लिए हनीमून डेस्टिनेशन (Honeymoon Destinations) को चूज करना काफी कठिनाइयों भरा मसला है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ शानदार हनीमून डेस्टिनेशन की जानकारी।

देश में कपल्स इन दिनों शादी से पहले ही हनीमून की योजना और बुकिंग करने में जुट जाते हैं। जिन कपल्स की शादी गर्मी के मौसम में होती है उन्हें हनीमून डेस्टिनेशन चुनने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। जीवन साथी के साथ कुछ पल बिताने के लिए देश में कई फेमस डेस्टिनेशन हैं। पर यहां हम आपको ऐसे हनीमून डेस्टिनेशन के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप गर्मी के सीजन में भी अपने पार्टनर के साथ कुछ खास पल व्यतीत कर सकते हैं।

केरल है कपल्स का पसंदीदा डेस्टिनेशन

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केरल गर्मियों में हनीमून कपल्स के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यहां आपके लिए बीच से लेकर हिल स्टेशन तक मौजूद है। केरल में आप एक तरफ मुन्नार में हरी-भरी पहाड़ियां और चाय-कॉफी के बागान का लुत्फ उठा सकते हैं। वहीं एलेप्पी और कुमाराकॉम के बैकवॉटर्स में अपको सपने का एहसास होगा। साथ ही आप वर्काला के रॉकी क्लिफ और कोवलम के खूबसूरत समुद्र तट को अपनी लिस्ट में जरूर रखना चाहेंगे। केरल में हनीमून मनाकर आपको लाइफटाइम एक्सपीरियंस महसूस होगा। केरल का कोचीन, तिरुवनंतपुरम भारत के सभी प्रमुख शहरों से रेल और हवाई मार्ग से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा आप चेन्नै, बेंगलुरु या मुंबई से आप वाया रोड केरल पहुंच सकते हैं।

अंडमान-निकोबार है कपल्स के लिए सदाबहार

अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह को भारत में हनीमून कपल्स का स्वर्ग कहा जाता है। गर्मी के मौसम में अंडमान आपके लिए परफेक्ट हनीमून डेस्टिनेशन हो सकता है। इसकी वजह है यहां का परफेक्ट मौसम, भीड़भाड़ से दूर समुद्र का शांत किनारा, खूबसूरत बीच और रिजॉर्ट, वॉटर स्पोर्ट्स के ढेरों ऑप्शन्स और टेस्टी फूड। इससे ज्यादा और क्या चाहिए। यहां आप हैवलॉक आइलैंड, एलिफेंटा बीच, नील आइलैंड, सेलुलर जेल जैसी जगहों का आनंद उठा सकते हैं। साथ ही यहां आप स्कूबा डाइविंग, स्नोरकेलिंग के अलावा बीच पर पार्टनर के साथ पैदल घूम सकते हैं और बैठकर शाम को आप यहां के खूबसूरत सनसेट का अदभुत नजारा देख सकते हैं। यहां पहुंचना बेहद आसान है। यहां का नजदीकी एयरपोर्ट पोर्ट ब्लेयर है। आप चाहें तो चेन्नई या कोलकाता से फ्लाइट या फेरी के जरिए भी अंडमान पहुंच सकते हैं।

नैनीताल में हनीमून

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उत्तराखंड का हिल स्टेशन नैनीताल भी गर्मी में हनीमून के लिए बेहतरीन स्थान है। पहाड़ों से घिरा हुआ नैनीताल बेहद खूबसूरत है और दिल्ली से इसकी दूरी सिर्फ 337 किलोमीटर है। इस जगह पर आकर अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक समय बिता सकते हैं। साथ ही यहां मौजूद टिफिन टॉप और खूबसूरत पहाड़ों को देखने के लिए आप नैनीताल को चुन सकते हैं। यहां पहुंचना काफी आसान है। आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग के जरिए यहां पहुंच सकते हैं। नैनीताल से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट पंटानगर है, जिसकी दूरी 50 किलोमीटर है। साथ ही आप सरकारी बस सेवा से यहां पहुंच सकते हैं। रेल रूट की बात करें, तो काठगोदाम यहां से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। दिल्ली और काठगोदाम रेलवे स्टेशन के बीच कई ट्रेन्स मौजूद है।

मनमोहक डेस्टिनेशन मनाली

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पिछले कई दशकों से हिमाचल प्रदेश का शहर मनाली बेस्ट हनीमून डेस्टिनेशन्स में से एक बना हुआ है। धौलाधार और पीर पंजल की पर्वत श्रृंखला और धड़कनें बढ़ा देने वाली अडवेंचर ऐक्टिविटीज़ की वजह से मनाली न सिर्फ हनीमून पर आए लोगों के लिए बल्कि हर तरह के टूरिस्ट के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यहां ध रोहतांग पास, सोलन घाटी, ओल्ड मनाली, कुल्लू में रिवर राफ्टिंग और भृगु लेक जैसी जगहें घूम सकते हैं। देश के सभी बड़े शहरों से पहुंचना बेहद आसान है। मनाली से सबसे नजदीकी एयपोर्ट कुल्लू-मनाली एयरपोर्ट है। दिल्ली और चंडीगढ़ से सीधी फ्लाइट के जरिए आप मनाली पहुंच सकते हैं। साथ ही दिल्ली, चंडीगढ़, राजस्थान या यूपी से पब्लिक ट्रांसपोर्ट साथ-साथ अपनी गाड़ी के जरिए भी मनाली पहुंच सकते हैं।

गंगटोक-दार्जिलिंग में मस्ती भरा हनीमून

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गर्मियों के मौसम में हनीमून के लिए जाने वाली बेस्ट जगहों की लिस्ट में गंगटोक और दार्जिलिंग की शामिल हैं। इन दोनों जगहों को एक ही ट्रिप में कवर किया जा सकता है। इन रोमांटिक स्थानों की सैर करने का आपका एक्सपीरियंस बेहतरीन रहेगा। टाइगर हिल से उगते सूरज को देखने का अनुभव हो या फिर टॉय ट्रेन में घूमने की मस्ती। आप इन अनुभवों को हमेशा याद रखेंगे। इन दोनों शहरों तक देश के किसी भी हिस्से से पहुंचना बेहद आसान है। यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा है। देश के सभी शहरों से बागडोगरा तक सीधी फ्लाइट मौजूद है। आप न्यू जलपाइगुड़ी स्टेशन तक ट्रेन से आ सकते हैं और फिर वहां से सड़क के रास्ते गंगटोक और दार्जिलिंग पहुंच सकते हैं। आप यहां दार्जिंलिंग के चाय बागान, बसिस्ता लूप, मिरिक लेक, नाथू ला, पेलिंग, टाइगर हिल, रुमटेक मोनैस्ट्री देख सकते हैं।

लेह-लद्दाख यानी हनीमून झकास

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भारत के उत्तर में लेह-लद्दाख को हनीमून के लिए एक बेस्ट डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता है। पहाड़ की खड़ी चोटियां, शांत और सौम्य पैंगॉन्ग लेक के साथ यहां का मंत्रमुग्ध कर देने वाला वातावरण लेह-लद्दाख को भारत का बेस्ट समर हनीमून डेस्टिनेशन बनाता है। यहां आकर आपको लगेगा कि इस जगह के हर कॉर्नर में रोमांस भरा है। यहां आप नुब्रा घाटी, जन्स्कार, शांति स्तूप, थिकसे मोनैस्ट्री, नामज्ञाल त्सेमो मोनैस्ट्री जैसी खूबसूरत जगहों की सैर कर सकते हैं। ऐसे पहुंचने के लिए आप हवाई मार्ग, सड़क मार्ग और रेलवे का इस्तेमाल कर सकते हैं। यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट कुशोक बाकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट है। ट्रेन से आने के लिए आपको जम्मू तवी रेलवे स्टेशन उतरना होगा। साथ ही अगर आप दिल्ली से आना चाहते हैं तो आप एसी बस के माध्यम से मनाली के रास्ते भी यहां पहुंच सकते हैं और रोमां से भरे हनीमून का लुत्फ उठा सकते हैं।

फोटो सौजन्य- गूगल

सिक्किम का गंगटोक शहर

भारत में ट्रैवल के लिए वैसे तो कई जगह हैं लेकिन उनमें से कुछ प्लेस काफी खूबसूरत और प्रकृति से घिरे हैं। इन खूबसूरत जगहों पर जाना पॉकेट फ्रेंडली होने के साथ-साथ लोगों की पहली पसंद हुआ करती है। ऐसे में जानते हैं भारत में घूमने के लिए सस्ते हिल स्टेशन के बारे में-

हिमाचल का हिल स्टेशन कसौली

उत्तराखंड का खूबसूरत शहर कसौली

हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन कसौली 1,927 किलोमीटर ऊंचा है। खूबसूरत वादियों से घिरा से हिल स्टेशन बेहद यात्रियों को अपनी ओर खूब आकर्षित करता है। यहां आप कुछ प्रसिद्ध स्थानों जैसे मंकी पॉइंट, लोअर और अपर मॉल, सनावर, सबाथू किला आदि को देखने से नहीं चूक सकते। यहां आप पैराग्लाइडिंग और कैंपिंग का मजा ले सकते हैं।

उत्तर-पूर्वी भारत का लोकप्रिय स्थान गंगटोक

सिक्किम का गंगटोक शहर

सिक्किम की राजधानी होने की वजह से यह सबसे खूबसूरत पहाड़ी है। ये पहाड़ी शहर लोगों को खूब आकर्षित करता है और पूरे उत्तर-पूर्वी भारत में सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। हालांकि, गेंगटोक बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ के रूप में भी जाना जाता है।

उत्तराखंड का चकराता शहर

उत्तराखंड का चकराता शहर

2,118 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह खूबसूरत शहर टोंस और यमुना नदी के बीच ये खूबसूरत जगह छुट्टियों के लिए बेस्ट है। बहुत कम लोग इस जगह को देखने जाते हैं, चकराता शहर कम बजट में अच्छी यादों का ट्रिप होगा। जहां प्रकृति, पक्षी और एडवेंचर के लिए एक महान जगह है। यहां टाइगर फॉल, ग्रेट देवबन की यात्रा जरूर करें। आप यहां से चीन की ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के दृश्य का आनंद ले सकते हैं।

उत्तराखंड का पहाड़ियों से घिरा शहर लैंसडाउन

उत्तराखंड का लैंसडाउन

1,706 किलोमीटर की ऊंचाई, देवदार और घने ओक के जंगलो से भरी, गढ़वाल जिले का छोटा सा पहाड़ी शहर लैंसडाउन आपको खूब पसंद आएगा। अंग्रजों के जमाने से भारत के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक होने के नाते, लैंसडाउन में एक ब्रिटिश छावनी भी है। सस्ते होने के कारण इस हिल स्टेशन पर लोगों की भीड़ अक्सर बनी रहती है। यहां घूमने के लिए बहुत सी जगहें हैं। ठंड के मौसम में हर साल यहां सलाना उत्सव शारदोत्सव मनाया जाता है।

उत्तर भारत का सबसे सस्ता हिल स्टेशन कौसानी

हिल स्टेशन कौसानी

1,890 मीटक ऊंचाई पर स्थित कौसानी, वलना के नाम से प्रसिद्ध है। इस जगह को कभी ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ कहा जाता था। ये उत्तर भारत का सबसे सस्ता हिल स्टेशन है। हिमालय की चोटियों जैसे त्रिशूल, नंदा देवी और पंचचुली के कुछ सबसे खूबसूरत दृश्यों के लिए मशहूर है।

फोटो सौजन्य- गूगल

योग भगाए रोग, यह कहावत सदियों पुरानी है। हमारे ऋषि-मुनि नियमित योग करते थे और स्वस्थ रहते हुए लंबा जीवन जीते थे। योग हमारे मन-मस्तिष्क के साथ-साथ शरीर को भी फिट रखता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में शरीर को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने के लिए योग अत्यंत आवश्यक है। योग के महत्व को देश ने ही नहीं बल्कि सारी दुनिया ने भी माना है। इसलिए सारी दुनिया 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाती है।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रयास से हुई। इस बार हम 7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाएंगे। कोरोना महामारी के की वजह से पिछले साल की तरह इस बार भी देश में योग दिवस का आयोजन वर्चुअल माध्यम के जरिये करने की तैयारी है।

International Yoga Day

योग से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क एवं आत्मा में भी संतुलन बनाया जा सकता है। यही कारण है कि योग से शारीरिक समस्याओं के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाया जा सकता है। योग की इसी खूबी को जानते हुए दुनिया ने इसे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया है। कोरोना संकट से जूझ रही इस दुनिया ने रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने की दिशा में योग के महत्व को भी भली-भांति समझ लिया है।

कैसे हुई शुरुआत

पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में की थी। पीएम मोदी के इस प्रस्ताव को 11 दिसम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पूर्ण बहुमत से पारित किया। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यों में से 177 ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मनाने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से मंजूरी दी।

पीएम मोदी ने 27 सितम्बर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में कहा था, “योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। यह मनुष्य और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य है। योग हमें विचार, संयम, पूर्णता के साथ ही स्वास्थ्य को लेकर एक समग्र दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। योग केवल एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं है बल्कि यह अपने भीतर छिपी एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। हमारी बदलती जीवन-शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है, तो आएं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को अपनाने की दिशा में काम करते हैं।”

21 जून का ही दिन क्यों

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को 21 जून के दिन मनाने के पीछे बहुत बड़ा कारण है। भारतीय संस्कृति के अनुसार ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य जल्दी उदय होता है और देर से ढलता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। कहा जाता है कि सूर्य के दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने में बहुत लाभकारी होता है। इसी वजह से 21 जून को ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में मनाते हैं।

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून, 2015 को पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन करोड़ों लोगों ने योग किया, जो कि एक रिकॉर्ड था। पीएम मोदी के नेतृत्व में करीब 35 हजार से अधिक लोगों और 84 देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के राजपथ पर योग के 21 आसन किए थे। न्यूयार्क के टाइम्स स्क्वॉयर पर करीब 30 हजार लोगों ने एक साथ योग किया था। इस खास आयोजन ने दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए थे। पहला रिकॉर्ड 35,985 लोगों के साथ योग करना और दूसरा रिकॉर्ड 84 देशों के लोगों द्वारा इस समारोह में हिस्सा लेना। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम थी- सद्भाव और शांति के लिए योग।

दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

भारत में दूसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2016 का मुख्य आयोजन चंडीगढ़ में हुआ, जिसमें करीब 35 हजार लोग शामिल हुए। इस आयोजन का नेतृत्व भी प्रधानमंत्री मोदी ने ही किया था। इस योग दिवस में 170 देशों ने हिस्सा लिया। दूसरे योग दिवस की थीम थी- युवाओं को जोड़ें।

तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

तीसरा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2017 का मुख्य आयोजन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में किया गया, जहां प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 55 हजार लोगों ने हिस्सा लिया, वहीं न्यूयार्क के सेंट्रल पार्क में भी हजारों लोगों ने एक साथ योग किया। तीसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम थी- स्वास्थ्य के लिए योग।

चौथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

International Yoga Day

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2018 का मुख्य कार्यक्रम उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान में आयोजित किया गया। इसमें प्रधानमंत्री मोदी के साथ करीब 50 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इस आयोजन की खास बात यह थी कि इसमें सऊदी अरब भी शामिल हुआ। चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम शांति के लिए योग थी।

5वा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

देश में पांचवां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2019 का मुख्य कार्यक्रम झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हुए थे। इस वर्ष की थीम थी- योगा फॉर क्लाइमेट एक्शन।

छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

कोरोना वैश्विक महामारी के मद्देनजर 21 जून, 2020 को छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस वर्चुअल माध्यम से मनाया गया। इसकी थीम थी- योगा फॉर हेल्थ – योगा एट होम।

7वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस-2021 की केंद्रीय थीम ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’ है। इस बार भी इसे आभासी मंच पर ही मनाने की तैयारी है।

फोटो सौजन्य गूगल

कहते हैं हौसले और मेहनत के बल पर दुनिया जीती जा सकती है। महाराष्ट्र के सतारा जिले की सुरेखा ने भी दुनिया जीती। ऐसी दुनिया जिसमें पटरियों पर रेल दौड़ाने का जिम्मा सिर्फ पुरुषों का था। ऐसी दुनिया जहां पर ट्रेन चलाने का एकाधिकार पुरुषों का था। उस दुनिया में पहली लोको पायलट बनी सुरेखा। ट्रेन में ड्राइवर की सीट पर बैठी सुरेखा को देखकर कई लोग अचंभित रह जाते हैं। लेकिन सुरेखा की मुस्कान और आत्मविश्वास ने हजारों महिलाओं के भीतर उम्मीद की किरण पैदा की है। आइये, आज भारत की पहली महिला ट्रेन चालक सुरेखा यादव के जज्बे से भरी दास्तां आपको सुनाते हैं।

महाराष्ट्र के सतारा में हुआ जन्म

ट्रेन चालक सुरेखा यादव

सुरेखा यादव का जन्म वर्ष 1965 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ। उनके पिता का नाम रामचंद्र भोंसले और माता का नाम सोनाबाई है। पांच भाई-बहनों में वे सबसे बड़ी हैं। उन्होंने जिले में ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। जब आगे पढ़ाई का समय आया तब भी सुरेखा के चुनाव ने सबको अचंभे में डाल दिया। अस्सी के दशक में, इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधिकांश लड़के ही करते थे। लेकिन सुरेखा ने तय किया कि वे भी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करेंगी। उन्होंने यह विषय चुनकर अन्य लड़कियों के लिए मिसाल कायम की। डिप्लोमा पूरी करने के बाद सुरेखा नौकरी के लिए प्रयास करने लगी।

ऐसे तय हुई लोको पायलट की राह

पढ़ाई पूरी करने के बाद एक दिन सुरेखा ने लोको पायलट भर्ती की अधिसूचना देखी। उन्होंने आवेदन कर दिया। जब परीक्षा देने के लिए वे प्रवेश परीक्षा कक्ष में पहुंची तो आश्चर्य में पड़ गईं। न केवल सुरेखा बल्कि परीक्षा नियंत्रक और बाकी अभ्यर्थी भी। सुरेखा के आश्चर्य का कारण था कि वे उस परीक्षा कक्ष में, एक मात्र महिला अभ्यर्थी के रूप में उपस्थित थीं। अन्य व्यक्ति चकित क्यों हो रहे थे, इसका अंदाजा आपको लग ही गया होगा। सुरेखा बताती हैं कि, उन्हें नहीं पता था कि अब तक कोई भी महिला इस कार्य के लिए चयनित नहीं हुईं हैं। सुरेखा यादव नहीं जानती थीं, कि वे इतिहास रचने वाली हैं। परीक्षा के विभिन्न चरण सुरेखा ने पास कर लिए और चयनित हो गईं।

ऐसे मिली भारत को मिली पहली महिला ट्रेन चालक

ट्रेन चालक सुरेखा यादव

परीक्षा में चयनित सुरेखा ने छह महीने की ट्रेनिंग पूरी की। इसके बाद उन्हें 1989 में असिस्टेंट ड्राइवर के पद पर नियुक्त कर दिया गया। इस तरह सुरेखा यादव, ट्रेन चलाने वाली भारत की पहली महिला बन गई। उन्होंने 29 साल रेलवे में काम किया। लोकल गाड़ी से लेकर एक्सप्रेस ट्रेन और मालगाड़ी तक सब चलाया। वर्ष 1998 में वह माल गाड़ी की ड्राइवर बन गईं और 2011 में एक्सप्रेस ट्रेन की ड्राइवर नियुक्त हुईं। उन्होंने भारतीय रेलवे में सेवा के दौरान अपने हर दायित्व को बखूबी निभाया। वे भारतीय रेलवे के प्रशिक्षण केंद्र में बतौर प्रशिक्षक की भूमिका भी निभाती हैं।

साल 2011 में मिला एशिया की पहली महिला ड्राइवर का खिताब

वर्ष 2011 का महिला दिवस, सुरेखा यादव को जीवन का सबसे बड़ा उपहार दे गया। इस दिन उन्हें एशिया की पहली महिला ड्राइवर होने का खिताब हासिल हुआ। सुरेखा ने पुणे के डेक्कन क्वीन से सीएसटी रूट पर ड्राइविंग की थी। इसे सबसे खतरनाक रास्ता माना जाता है। इस पटरी पर रेलगाड़ी चलाने के बाद ही सुरेखा को यह सम्मान मिला। भले ही सुरेखा को इस उपाधि से सम्मानित किया गया हो, लेकिन यह सिर्फ उनका सम्मान भर नहीं था, यह हजारों महिलाओं को देहरी लांघकर अपने सपने पूरे करने का न्यौता था। यह आह्वान था महिलाओं को, कि वे हर वो काम करने की हिम्मत जुटाएं जो वो करना चाहती हैं। उनके कदम कभी न रुकें यह सोचकर कि, अमुक कार्यक्षेत्र सिर्फ पुरुषों के लिए है। सुरेखा यादव की जीवन यात्रा से यही प्रेरणा मिल रही है।

फोटो सौजन्य गूगल