मुंबई: सिनेमा जगत में कई बार स्ट्रगलिंग और जूनियर कलाकार की लाइफ पर फिल्में बनाई जा चुकी है। उनकी लाइफ की मुसीबतों को हमने कई बार बड़ें पर्दें पर देखा है। ऐसे में जब नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म ‘टीकू वेड्स शेरू’ का ट्रेलर आया तो सभी के मन में प्रश्न था कि आखिर इसमें नया क्या है? यहां देखें फिल्म से जुड़ी रिव्यू-
ये है फिल्म की कहानी
ये कहानी है शिराज अफगानी उर्फ शेरू (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) की, जो फिल्म इंडस्ट्री का जूनियर कलाकार है। शेरू खुद को बड़ा स्टार के तौर पर देखना चाहता है पर उनके सितारे उसका साथ नहीं दे रहे, क्योंकि वो एक जूनियर कलाकार है तो उसकी कोई खास इज्जत भी नहीं है। उसे जब कहा जाए तो बैठ जाता है और जब कहा जाए तो खड़ा हो जाता है। अगर वह कहना ना माने तो फौरन उस डांट सुनने को मिल जाती है या फिर प्रोजेक्ट से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। एक कलाकार के तौर पर शेरू आसानी से रिप्लेस हो सकता है। इंडस्ट्री से खास सफलता ना मिलने के कारण से वो साइड में ड्रग्स और लड़कियों का धंधा शुरू कर देता है।
वहीं, टीकू(अवनीत कौर), जो भोपाल की तेज-तर्रार और बिगड़ैल लड़की है। टीकू अपने टॉक्सिक घर को छोड़कर बड़ी सुपरस्टार बनना चाहती है। उसे मौका मिलता है शेरू के साथ, जो फिल्म फाइनैन्सर होने का झूठ उसके परिवार से बोलता है। दोनों की शादी होती है और शेरू को दहेज में पैसे मिलते हैं। इन पैसों से वो अपने पीछे पड़े गुंडों का लोन चुकाकर छुटकारा पाता है। इसके बाद शुरू होती है शेरू और टीकू की प्रेम कहानी। दोनों की इस कहानी में तूफान तब आता है जब टीकू के सामने इंडस्ट्री का काला सच आ जाता है और शेरू को ड्रग्स बेचने के मामले में जेल की हवा खानी पड़ती है।
डायरेक्टर साई कबीर की इस फिल्म में ना तो अच्छा फ्लो है और ना ही इसके सीन्स अच्छे से बंधे हुए हैं। दो स्ट्रगल करने वालो की लव स्टोरी तक ठीक है लेकिन इसके आगे यह फिल्म खुद जुझती हुई नजर आती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले इसके साथ न्याय नहीं करता। इस फिल्म से आपको कुछ भी नया नहीं मिलता, जो आपने पहले ऐसी कहानियों में ना देखा होगा।
नवाजुद्दीन ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है। अपने चमकीले कपड़ों और बिंदास अंदाज के साथ नवाज शेरू के किरदार में एकदम सही फिट बैठे हैं। उनकी डायलॉग डिलीवरी के भी क्या कहने। फिल्म में वो एक डायलॉग बोलते हैं- हम जब मिलते हैं दिल से मिलते हैं, वरना ख्वाब में भी मुश्किल से मिलते हैं। नवाज के मुंह से ये डायलॉग सुनकर अच्छा लगता है। फिल्म में अपने रोल को उन्होंने सही अंदाज में निभाया है।
अवनीत कौर का डेब्यू बहुत ही अच्छा रहा। उनकी बढ़िया परफॉर्मेंस बताती है कि इंडस्ट्री को एक और अच्छा आर्टिस्ट मिल गया है। एक तेज तर्रार लड़की के रूप में अवनीत का काम बेजोड़ है और एक टूटी हुई महिला के रूप में भी वो अपने आप को अच्छे से संभालती हैं। फिल्म के कुछ सीन्स में अवनीत शाइन करती हैं, उन्हें रोता देख आपके दिल में भी दर्द होता है। दोनों एक्टर्स ने काम जरूर अच्छा किया है पर उनकी जोड़ी और रोमांस फिर भी कोई खास छाप छोड़ने में कामयाब नहीं हो पाता है लेकिन हां, इन दोनों की अच्छी परफॉरमेंस पर एक बार इस फिल्म को जरूर देखा जा सकता है।
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