कभी-कभी आप सोचते होंगे कि जब होलिका (Holika) अपने गलत इरादों के साथ प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठी थी तो फिर हम हर साल फाल्गुन मास में होली की पूजा क्यों करते हैं ?
ऐसा क्या है?
क्यों लोग होली की पूजा और दहन की इतनी तैयारियां करते हैं?
आपके दिमाग में भी कभी ना कभी यह सवाल आया होगा लेकिन परंपरा है यह सोचकर आप ने भी इसकी पूजा और दहन में सहयोग किया होगा ।
अच्छी बात है कि हमें हमारे रीति-रिवाज, संस्कृति को बनाए रखना चाहिए ताकि हमारे पूर्वजों ने जो हमें विरासत में दिया वह हम अपनी आने वाली पीढ़ी को दे पाए और रही बात इस सवाल की तो चलिए इसका जवाब मैं आपको दे देती हूं।
तो आइए जानते हैं कि हिंदुओं के लिए होली पूजन और होलिका दहन इतना खास क्यों है? जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हिरण्यकश्यप एक बहुत अहंकारी राजा था जो खुद को ईश्वर समझता था और वह अपनी प्रजा को भी कहता था कि वह भगवान को त्याग कर सिर्फ उसकी पूजा किया करें क्योंकि वही उनके लिए भगवान है लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद विष्णु भक्त था तथा वह अपने पिता द्वारा कहे वचनों को सिरे से नकारता था। जो हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं था। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसको एक शॉल वरदान के रूप में मिला था जिसको अगर वो ओढ़ ले तो अग्नि उसको नुकसान नहीं पहुंचा सकती । इसलिए उन्होंने योजना बनाई की होलिका प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठेगी। होलिका के पास एक शॉल थी जिसको ओढ़ने पर आग से उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचता था। लेकिन जैसे ही वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी तो वह शॉल उड़कर प्रह्लाद पर जा गिरा जिससे प्रह्लाद तो बच गया लेकिन होलिका जल गई।
यही कारण है कि होली पूजन और दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस साल होलिका पूजन और दहन 17 मार्च, 2022 को किया गया। इसके एक दिन बाद रंगों का त्योहार मनाया जाता है। यह हिंदुओं का एक खास त्यौहार है जिसमें रंगों का प्रयोग कर हम एक दूसरे के प्रति भाईचारे और सद्भावना को प्रदर्शित करते हैं।
होली की पूजा कैसे करें :
होलिका की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठना चाहिए।
एक लोटा जल, रोली, चावल, पुष्प, कच्चा सूत, गुड, साबुत हल्दी, गुलाल आदि का प्रयोग कर विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए।
होलिका दहन की विधि : होलिका दहन के लिए लकड़ियां इकट्ठी की जाती हैं। लकड़ियों के आसपास कंडे और उपले रखे जाते हैं। लोग दहन के समय गेहूं की बालियों को होली की आंच में पकाते हैं तथा उन्हें घर लाकर प्रसाद के रूप में खाते हैं।
होलिका के दहन के पश्चात उसकी राख को घर लाने का प्रचलन भी है ऐसी मान्यता है कि इससे साल भर घर की बरकत बनी रहती है और अगर घर में किसी को लंबी बीमारी का सामना करना पड़ रहा है तो आरोग्य रहने की इच्छा से राख का तिलक नित्य उस व्यक्ति को लगाएं, जल्दी असर देखने को मिलेगा।